उपलब्धि परीक्षण एवं प्रश्नो के प्रकार

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कक्षा में उपलब्धि परीक्षण का प्रयोजन

उपलब्धि परीक्षणों का उपयोग मुख्य रूप से निम्नलिखित उद्देश्यों दृष्टि से किया जाता शाह १. यह आंकना कि विद्यार्थियों में किसी भी इकाई में सफलता प्राप्त करने सम्बन्धी ज़रूरी पू्वपिक्षी कौशल ही मौजूद है या नहीं, या फिर यह जानना कि क्या योजनाबद्ध शिक्षण के उद्देश्य प्राप्त कर लिय गए है या नहीं |

  1. विद्यार्थियों के अधिगम को मॉनीटर करना और अध्यापन-अधिगम प्रक्रिया के दूरं विद्यार्थियों और शिक्षको |
  2. विद्यार्थियों की अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयों का पता लगाना, चाहे वे स्थाई हो अथवा आवर्ती ।
  3. ग्रेड देना ।

प्रश्नो के प्रकार

  1. निबंधात्मक प्रश्न
  2. संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्न
  3. वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न

निबंधात्मक प्रकार

यद्यपि आजकल लघु उत्तर तथा वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों का उपयोग काफी व्यापक रूप में होने लगा है तथापि निबन्ध प्रकार के प्रश्न आज भी उतने ही व्यापक रूप में प्रयुक्त हो रहे है। _अधिगम की कुछ निष्पत्तियाँ (अर्थात संघटन, संक्षेपण, विचारों का समेकन और उन्हें अपने तरीके से व्यक्त करना) ऐसी हैं जिनका वस्तुनिष्ठ प्रकार के परीक्षणों के माध्याम से संतोषजनक रूप में मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। निबंधात्मक परीक्षणों का महत्त्व ऐसी शैक्षणिक निष्पत्तियों के मूल्यांकन के लिए निहित है।

निबंधात्मक भ्रकार का प्रश्न छात्रों को मनचाहे पृष्ठों में उत्तर लिखने की पूरी छूट देता है। अपेक्षित उत्तर लंबाई की दृष्टि से भिन्‍न-भिन्‍न हो सकता है। तथापि प्रश्न के कथन में ही विषय को क्रथा छात्र के उत्तर की लंबाई को सीमित किया जा सकत है।नसीमित उत्तर वाली मर्दे ज्ञात के उन निष्कर्षो को जांचने के लिए! अत्यंत 5प्रयोगी हैं जिनके लिए ब्याख्या;निष्कर्षों क्री अनुप्रयोज्यता की आवश्यकता है और जो अपने स्वरूप में स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं। इस प्रकार के प्रश्न समंकन की विषयपरकता को कम करने में मदद करते हैं, जो निबंधात्मक परीक्षणों का प्रमुख अवगुण माना जाता है।

विस्तृत उत्तर वाले प्रश्नों में छात्र को अपनी योग्यता दिखाने और संबंधित विषय के बारे में अपनी प्रतिभा दर्शनि की पूरी स्वतंत्रता मिलती है। व्यक्ति जैसे चाहे या जैसा उचित समझे वैसे चुन सकता है, संघटन कर सकता है, समेकन और मूल्यांकन कर सकता है तथा अभिव्यक्त कर सकता है। ऐसे प्रश्न हालांकि सामान्य योग्यताओं के मूल्यांकन के लिए; तो उपयोगी होते हैं किन्तु विशिष्ट अधिगम निष्पत्तियों के मूल्यांकन के लिए. उपयुक्त नहीं होते इसके अतिरिक्त इनमें ग्रेड निर्धारण भी कठित होंता है।

संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्न

सामान्यतः, संक्षिप्त प्रश्नों के लिए बिल्कुल सही उत्तरों की आवश्यकता होती है। यद्यपि वे अनेक प्रकार के हो सकते हैं, फ़िर भी उनमें ्रिम्म्नंकित विशिष्ट लक्षण अवश्य विद्यमान रहते हैं:

1)सामान्य तौर से उनको पढ़ने और उनका उत्तर देने में पांच मिनट से कम समय लगता है कई प्रश्नों को हल करने में तो मात्र एक मिनट से भी कम समय .लगता है।

2) उनमें अपेक्षित उत्तर के विस्तार के बारे में दिशा-निर्देश समावेशित रहते है। उदाहरणार्थ, उत्तर का आकार, अंतराल या विशिष्ट निर्देश यथा “20 शब्दों से अधिक नहीं”।

3) छात्र स्वयं उत्तर देता/लिखता है। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की तरह उत्तर पूर्व-चयनित नहीं होता।
इन्हें दो प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता हैः

क) विस्तरित उत्तर

ख) भरना और पूर्ति करना –

विस्तृत उत्तर वाले प्रशन

विस्तरित उत्तर वाले वे प्रश्न होते हैं जिनमें छात्रों द्वारा संक्षिपत विवरण लिखना, नक्शा खींचना, गणना करनां, वाक्य का अनुवाद करना, परिभाषा या सूत्र इत्यादि लिखने के कार्य शामिल रहते हैं। संभवतः स्कूलों में प्रयोग में लाए जाने वाले प्रश्नों की यह सबसे सामान्य विधा है और परीक्षा-बोर्डों द्वारा भी इसका बहुधा प्रयोग किया जाता है। भ्रामक रूप से इनको सेट करना सरल है और गति व संगति की दृष्टि से समंकन कार्य सामान्यतः कठिन है।

रिक्त स्थान की पूर्ति ” प्रकार के प्रश्न

“रिक्त स्थान की पूर्ति” प्रकार के प्रश्नों में सबसे सामान्य वह प्रश्न होता है जहां छात्र को किसी अपूर्ण कथन को सही-सही रूप से पूरा करने के लिए एक या दो शब्द जोड़ने होते हैं। जहां कोई लुप्त शब्द, पूर्ति, किए जाने वाले कथन में ही छुपे होते हैं उन्हें सामान्यतया ज्रिवेश प्रकार का कथन क्रहा जाता हैं| “रिक्त स्थान की पूर्ति” प्रकार के प्रश्न के हैंःजहां कथ्थ॑न्र’ के अन्त में शब्दों को जोड़ने की जरूरत होती है। तथापि निवेश ये समापन प्रकार के प्रश्न लिखित कथनों तक सीमित नहीं होते और इनका प्रयोग अपूर्ण मानचित्रों, आरेखों, रेख़ा-चित्रों, सूत्र, गणना और इसी तरह के कार्यो पर आधांरित अत्यन्त उपयोगी प्रश्न तैयार करने के लिए किया जाता है।

सामान्य पुनःस्मरण

शिक्षकों द्वारा अपने दैनिक शिक्षण के दौरान अधिकांश रूप से प्रयुक्त वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों में सामान्य पुनःस्मरण के प्रश्न पूछे जाते हैं। शिक्षक संक्षिप्त प्रश्न पूछता है जिसका उत्तर जल्दी से एक शब्द या पूर्ण सामान्य कथन में दिया जाना होता है। आइए, कुछ उदाहरणों को देखे:

बहुविकलपी प्रश्न

बहुविंकलपी प्रश्न के तीन भाग होते हैं + धातु/प्रातिपदिक, कुंजी तथा विश्रान्तक्र/विकर्षक। कुंजी और विश्रान्तकॉ/विकर्षक दौंनों को ही बहुधा विकल्प वाले प्रश्न भी कहा जाता है। प्रातिपदिंक तो प्रत्यक्ष प्रश्न हो सकता है अथवा कोई अपूर्ण कथन; कुंजी सही उत्तर है, और विश्रान्तक/ विकर्षक सत्यामासी, परन्तु गलत उत्तर हैं।

सत्य – असत्य प्रकार के प्रशन

जैसां कि नाम से ही स्पष्ट है, मूल सत्य-असत्य मद में छात्र को उत्तर के रूप में या तो “सत्य” या “असत्य” का चयन करना होता है। यह सामान्यतया पूर्ण कथन के रूप में लिखा जाता है जिसके बारे में छात्र को यह निर्णय लेना होता है कि यह “सत्य” है या “असत्य” या वैकल्पिक रूप में कथन से संबद्ध दूसरे शब्द जोड़ो में से चयन करना होता है, जैसे कि उससे बड़ा-उससे कम, जमा-घटा, बहुधा-बिरले ही, समान-भिन्‍न, तेज-धीमा और इसी तरह के दूसरे जोड़े। ये संभावनाएँ इन दूसरे जोड़ो द्वारा अभिव्यक्त होती हैं जिनमें किसी विशिष्ट उपयोगी कथन से सत्य/असत्य का पता चलता है।

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