कथात्मक विधि

Estimated reading: 1 minute 276 views

कथात्मक विधि-अर्थ एवं स्वरूप

इतिहास मानव-विकास की कहानी है जिसमें आदिकाल से घटनाएं जुड़ती चली आ रही है। इस कहानी को कहानी विधि से पढ़ना हु कक विक भी है और प्रभावशाली भी क्योंकि यह वर्णनात्मक विधि है। छोटे बच्चों के लिए तो यह विधि अत्यन्त उपयोगी है।

प्लेटो ने भी छोटे बच्चों के लिए इसे उत्तम बतलाया था। बच्चे स्वभाव से ही कहानी प्रेमी होते हैं कहानी उनकी जिज्ञासा और उनके कौबूहल को शान्त करती है कहानी उसे कल्पना के पंखो पर उड़ा कर ले जाती है; कहानी उन्हँ> आनन्द प्रदान करती है। बड़े-बड़े विद्वानों ने कहानी पद्धति के द्वारा ही बच्चों को पढ़ाने का सुझाव दिया हैं। रास ने प्रारम्भिक स्तर पर इतिहास शिक्षण के लिए इसी विधि को अपनाने का सुझाव दिया है।

पीट0आरए वर्डस के विचारानुसार, ” 13 वर्ष की अवस्था तक के बच्चों को इतिहास पढ़ाने का मुख्य साधन कहानी होनी चाहिए।” कहानी कहना भी कला हैं। छोटे बच्चे स्वाभाविक रुप में इन्हें याद भी कर लेते हैं। बालक नायक ६2 होता है। वीर गाथायें कुतहल जाग्रत करती हैं, संवेगों को गतिशील बना देती हैं और बालक को सक्रिय कर देती है। साधारणतः छोटे जातक पढ़ने में रुचि नही लेते हैं और पढ़ने के नाम से जी चुराते हैं। अतः पाठ्य वस्तु को कहानी के रुप में प्रस्तुत करना चाहिए,

जिससे शिक्षण में स्वाभाविक प्रवृति को प्रोत्साहन मिलता है। रामायण, महाभारत की कहानियें को विशेष महत्त्व दिया जाए। आग की खोज की कहानी, मनुष्य की खोज कहानियाँ सुनाई जाए। छोटे बच्चों में कहानियों को सार्थक बनाने तथा स्पष्टीकरण के लिये, चित्रों मानचित्रों और फोटो की सहायता ली जा सकती है। गौतम बुद्ध, अशोक, कौरव व पाण्डवों की कहानियों को चित्रों की सहायता से अधिक बोद्यगम्य बनाया जा सकता हैं।

  • अन्वेषण विधि:

कहानियों के प्रकार

कहानियाँ तीन प्रकार की होती हैं:-

1.वास्तविक कहानी

संसार में घटित होने वाली घटनाओं के तथ्यों के आधार पर लिखी हुई कहानियों को वास्तविक कहा जाता हैं। इनसे हम बच्चों के चरित्रा का निर्माण कर सकते है। सामाजिक अध्ययन के शिक्षण मैं ऐसी कहानियों को ही प्रधानता देनी चाहिए।

2.काल्पनिक कहानी

इनका कोई भी वास्तविक आधार नहीं होता है। यह मन गठन्त दैवताओं, दैवियों, भूतों, प्रेतों, जादूगरनी या परियों से सम्बन्धित होती है। सामाजिक अध्ययन शिक्षण में इन कहानियों के द्वारा भाईचारा, प्रेम, साहस, भातृभावना का विकास किया जा सकता है। इन कहानियों को इस प्रकार सुनाया जाए जिससे बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण करे, उनके मन में भय की ग्रन्थियां न बने और उनका विकास कं:ुठित न हो।

3. पौराणिक कथाएं

पौराणिक कथायें ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित होती है जो आंशिक रुप में सत्य होती है परन्तु उसकी शुद्धता के लिये विवरण उपलब्ध नहीं हो पाता है। प्राथमिक तथा जूनियर स्तर पर इस प्रकार की कहानियों को सुनाया जा सकता हैं क्योंकि उनके लिये अधिक शुद्ध विवरण की आवश्यकता नहीं होती है। महाभारत तथा रामायण की कथाओं का प्रयोग किया जा सकता है।

कथात्मक विधि में सावधानियाँ

इनमें कोई सन्देह नही) कि कथात्मक विधि या कहानी कथन प्रणाली आकर्षक, उपयोगी, प्रभावशाली और रोचक विधि है। परन्तु इसके गुण तभी प्राप्त हो सकते है जब इसकों अपनाते समय अग्रलिखित बातों की और ध्यान दिया जाए:-

  1. कहानी का चुनाव करते समय विद्यार्थियों कै मानसिक स्तर, उनकी अवस्था, योग्यता तथा रुचियों की ओर ध्यान दैना चाहिए।
  2. कहानी सुनाने से पहले अध्यापक को स्वयं उस कहानी मं रुचि लेनी चाहिए। उसे कहानी के सभी पक्षों का पहले से पूरा ज्ञान प्राप्त कर लेना चाहिए। कहानी के जिस अंश या पक्ष पर अधिक बल देना हैं, इसका भी निर्णय कर लैना चाहिए।
  3. कहानी पुस्तक से नहीं पढाई जानी चाहिए बल्कि अध्यापक द्वारा सुनाई जानी चाहिए।
  4. कहानी सत्य घटनाओं या तथ्यों से सम्बन्धित होनी चाहिए।
  5. कहानी कहने की शैली सरल, सरस एवं रोचक होनी चाहिए।
  6. कहानी मैं सजीवता लाने के लिए उसमें अभिनय कला का भी समावेश करना चाहिए।
  7. कहानी कथन में विदयार्शियों की रुचि को बनाए रखना भी जरुरी है। इसके लिए विदयार्थियों से कभी प्रश्न भी पूछते रहना चाहिए। इससे यह पता लगता रहैगा कि विद्यार्थी रुचि ले रहे हैं या नही।
  8. कहानी सुनाते समय आवश्यकतानुसार दृश्य-श्रव्य साधनों का भी प्रयोग किया जा सकता है।
  9. कहानी कहते समय अध्यापक को विदयार्थियों के स्तर के अनुकूल भाषा का प्रयोग करना चाहिए। भाषा, सरल,सरस, सुन्दर तथा सुबोध होनी चाहिए।
  10. कहानी के अंत मैं आवश्यक बिन्दुओं को श्यामपट्‌ट पर लिख देना भी शिक्षण की इष्टि से उपयोगी होगा। इन बिन्दुओं से विदयार्थी स्वयं कहानी का विकास कर सकते हैं।

कहानी विधि के लाभ

कहानी विधि के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:-

  1. यह रुचि को विकसित करती हैं : अपनी रोचकता के कारण कथात्मक या कहानी कथन विधि विद्यार्थियों मंरे इतिहास के प्रति रुचि विकसित करती है इसलिये सामाजिक अध्ययन शिक्षण मैं उपयोगी सिद्ध होती है। इस प्रकार मनोरंजक एवं आनन्ददायक क्रिया के रुप मैं शिक्षा उसके लिए बोझ नहीं लगती।
  2. यह विद्यार्थियों की कल्पना शक्ति को जागृत करती है : कहानियों के प्रति बच्चों की स्वाभाविक रुचि होती है। यह रुचि जितनी अधिक विकसित होती है उतना ही अधिक उसमें कल्पना शक्ति का विकास होता है।
  3. यह विद्यार्थियों की जिज्ञासा को सन्तुष्ट करती हैं: जिज्ञासा तथा उत्सुकता बच्चों मं) स्वाभाविक रुप से होती है। परिणामस्वरुप उनमें अपने आप अनुशासन की प्रवृति जागृत होती है।
  4. यह विद्यार्थियों को रचनात्मक क्रियाआं: को करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं : कहानी विदयार्थी को रचनात्मक कार्य की प्रेरणा प्रदान करती है। प्राचीन काल में गुरु अपने शिष्य को कहानी सुना कर कार्य करनें कै लिए प्रोत्साहित करता था। विदयार्थी उन वस्तुओं को बनाने की रुचि दिखाते थे। कहानी में वर्णित वस्तुएं बनाना बच्चों की जिज्ञासा को शान्त करने मैं मदद देता है। इसके अतिरिक्त कहानी सुनने के पश्चात्‌ उनको कहानी लिखने की भी प्रेरणा मिलती है और यदि इस प्रैरणा को क्रियात्मक रुप देने के अवसर प्रदान किए जाए तो उनमें रचनात्मक लेखन कला का विकास हो सकता है।
  5. यह विद्यार्थियों में सदुगुणों को विकसित करती हैं : कहानी के माध्यम से विदयार्थियों में सदगुणों का विकास किया जा सकता है। अनुकरण के द्वारा वे उन गुणों को आत्मसात करने का प्रयास करते हैं। महापुरुषों की कहानियाँ सुनकर बच्चों में दया, सत्य-प्रियता, वीरता, सदभावना, अंश्हिंसा, दानशीलता आदि कई गुण उत्पन्न हो सकते है। इसी तथ्य की और संकेत करते हुए जाविस ने कहा, ”कहानी से बालकों के आचरण में आदर्शो का निमार्ण होता है और इस प्रकार इससे उनके चरित्रा और व्यक्तित्व के विकास में सहायता मित्रती हैं।“

कथात्मक विधि की सीमाएं

  1. सामाजिक अध्ययन की समस्त पाठ्य वस्तु को कहानी विधि के द्वारा प्रस्तुत नही किया जा सकता है।
  2. उच्च कक्षाओं मैं इस विधि का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
  3. इस विधि से बालक पाठ्य वस्तु को कहानी के रुप में प्रस्तुत कर सकता है परन्तु ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक पक्षों का विश्लेषण तथा विभेदीकरण नही कर सकता है।
  4. बालकों की स्मरण-शक्ति पर विशेष बल दिया जाता है अन्य पक्षों की अवहैलना होती है।

Leave a Comment

CONTENTS