राजस्थान के भौतिक प्रदेश

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  • संरचना की दृष्टि से राजस्थान के भौतिक स्वरूप भारत के प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्र व उत्तर का विशाल मैदान के अन्तर्गत आते हैं।
  • राजस्थान को चार भौतिक विभागों में बांटा गया है-
  1. उत्तर पश्चिमी रेगिस्तानी भाग
  2. मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश
  3. पूर्वी मैदान क्षेत्र
  4. दक्षिणी पूर्वी पठार
क्र.संप्रदेश (%) स्वरूप (%)जनसंख्या (%)
1.61.15840
2.9%9.310
3.23%23.339
4.6.89%9.311

1.उत्तर पश्चिमी रेगिस्तानी भाग

  • राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 61.11% भाग उ.प. रेगिस्तानी भाग है। इसमें से 58% भाग पर पूर्णतः मरूस्थल है। 1,75000 किमी2 पर विस्तृत है।
  • यह प्रदेश उत्र-पश्चिम से दक्षिण- पूर्व में 640 km लम्बा एवं पू. – प. में 300 km. चौड़ा है।
  • यह भू- भाग टेथिस सागर का अवशेष है।
  • क्षेत्र-जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, नागौर, जालौर, चूरू, सीकर, झुंझुनूँ तथा पाली का पश्चिमी भाग।
  • जनसंख्या-राज्य की लगभग 40%।
  • वर्षा- 20 सेमी. से 50 सेमी.।
  • तापमान- गर्मियों में उच्चतम 49º से.ग्रे. तथा सर्दियों में – 3º से.ग्रे।
  • जलवायु-शुष्क व अत्यधिक विषम।
  • मिट्टी-रेतीली बलुई।
  • यह प्रदेश उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व में 640 किमी लम्बा एवं पश्चिम पूर्व में 300 किमी चौड़ा है।
  • इस प्रदेश का ढाल उत्तर-पूर्व से द.-प. की और हैं।
  • अरावली का वृष्टि छाया प्रदेश होने के कारण दक्षिण पश्चिमी मानसून व बंगाल की खाड़ी का मानसून सामान्यतः यहाँ वर्षा बहुत कम करता है। अतः वर्षा का वार्षिक औसत 20-50 सेमी. रहता है।
  • राष्ट्रीय कृषि आयोग ने अरावली शृंखला के पश्चिम व उत्तर पश्चिम में राज्य के 12 जिलों को रेगिस्तानी घोषित किया है-

(1) जैसलमेर (2) बाड़मेर (3) जोधपुर (4) बीकानेर (5) गंगानगर (6) हनुमानगढ़ (7) नागौर (8) जालौर (9) चूरू (10) सीकर (11) झुंझुनूँ (12) पाली का पश्चिमी भाग।

  • भारत का सबसे बड़ा मरुस्थल थार का मरुस्थल है। जो ‘ग्रेट पेलियोआर्कटिक अफ्रीका मरूस्थल’ का पूर्वी भाग है।
  • रेतीले शुष्क मैदान तथा पूर्व में 50 सेमी. व पश्चिम में 25 सेमी. वार्षिक वर्षा द्वारा सीमांकित किया गया क्षेत्र पश्चिमी रेतीला मैदान भौतिक विभाग के उपविभाग है।
  • उत्तर पश्चिमी रेगिस्तानी भाग को दो भागों में विभाजित किया गया है-

(A) रेतीला शुष्क मैदान (B) राजस्थान बाँगर (अर्द्ध शुष्क राजस्थान)

(A) रेतीला शुष्क मैदान : रेतीला शुष्क प्रदेश को दो भागों में बांटा गया है-

1. पश्चिमी रेतीला मैदान 2. शुष्क मरूस्थली

1. बालूका स्तूप मुक्त प्रदेश – यह प्रदेश जैसलमेर में रामगढ़ से पोकरण के बीच स्थित है। अवसादी चट्टानों का बाहुल्य लाठी सीरिज क्षेत्र (भूगर्भीय जल पट्टी) एवं आकलवुड फॉसिल पार्क (जीवाश्म अवशेष हेतु प्रसिद्ध) इस प्रदेश में है। 1. प. राजस्थान के रेतीले मैदान का 41.5 % क्षेत्र बालूका स्तूप मुक्त प्रदेश है।

2. शुष्क मरूस्थली – यह प्रदेश 25 सेमी. वर्षा रेखा द्वारा अर्द्ध शुष्क राजस्थान से विभाजित है। मरूस्थल में पायी जाने वाली भौतिक विशेषताएँ :-

क. बालुका स्तूप

ख. रण

ग. खड़ीन

क. बालुका स्तूप –

बालुका स्तूपों के प्रकार –

अ) बरखान-सर्वाधिक गतिशील अर्द्धचन्द्राकार स्तूप जिनसे सर्वाधिक हानि होती है। सर्वाधिक-शेखावाटी क्षेत्र में लेकिन पश्चिमी राजस्थान में जैसलमेर में अधिक है।

ब) अनुदैर्घ्य-पवनों की दिशा में समानांतर बनने वाले स्तूप।

सर्वाधिक-जैसलमेर में।

स) अनुप्रस्थ-पवनों की दिशा में समकोण बनने वाले स्तूप।

सर्वाधिक-बाड़मेर में।

तारा बालुका स्तूप:- माहनगढ़, पोकरण (जैसलमेर), सूरतगढ़।

  • जोधपुर में तीनों प्रकार के बालुका स्तूप देखने को मिलते है।
  • जैसलमेर जिले में स्थानान्तरित होने वाले बालूका स्तूपों को स्थानीय भाषा में धरियन कहते हैं।
  • राजस्थान में पूर्ण मरूस्थल वाले जिले जैसलमेर, बाड़मेर हैं।
  • धोरे-रेगिस्तान में रेत के बड़े-बड़े टीले, जिनकी आकृति लहरदार होती है, धोरे कहलाते हैं।

ख. रन –

  • मरुस्थल में बालुका स्तूपों के बीच में स्थित निम्न भूमि में वर्षा का जल भर जाने से अस्थायी झीलों व दलदली भूमि का निर्माण होता है, इसे रन कहते हैं। ‘रन’ को ‘टाट’ भी कहते हैं। कनोड़, बरमसर, भाकरी, पोकरण (जैसलमेर), लावा, बाप (जोधपुर), थोब (बाड़मेर) प्रमुख रन क्षेत्र हैं।

ग. खड़ीन –

  • खड़ीन- मरूभूमि में रेत ऊँचे-ऊँचे टीलों के समीप कुछ स्थानों पर नीचे गहरे भाग बन जाते हैं जिसमें बारीक कणों वाली मटियारी मिट्टी का जमाव हो जाता है जिन्हें खड़ीन कहा जाता है।

(B) राजस्थान बाँगर (अर्द्ध शुष्क राजस्थान) : राजस्थान बाँगर को भी चार लघु प्रदेशों में बांटा गया है-

1. घग्घर क्षेत्र-हनुमानगढ़, गंगानगर का क्षेत्र।

  • घग्घर नदी के पाट को नाली कहते हैं।

2. आन्तरिक जल प्रवाह-शेखावाटी क्षेत्र। (सीकर, चुरू, झुझुंनू व उत्तरी नागौर)

  • जोहड़ – शेखावटी क्षेत्र में कुओं को स्थानीय भाषा में जोहड़ कहा जाता है।
  • बरखान बालुका स्तूप की अधिकता।

3. नागौरी उच्च प्रदेश।

  •  राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में अति आर्द्र लूनी बेसिन तथा उत्तर-पूर्व में शेखावाटी शुष्क अन्तर्वर्ती मैदान के बीच का प्रदेश नागौरी उच्च भूमि नाम से जाना जाता है।

4. गोंडवाड़- या लूनी बेसिन प्रदेश।

  • लूनी व उसकी सहायक नदियाें का प्रवाह क्षेत्र 
  • जिले – जालौर, पाली, सिरोही एवं दक्षिण पूर्व बाड़मेर   
  • सांभर, डीडवाना, पचपदरा इत्यादि खारे पानी की झीलें टेथिस सागर का अवशेष है।
  • सर्वाधिक खारे पानी की झीलें नागौरी उच्च प्रदेश के अन्तर्गत आती हैं।
  • पीवणा-राजस्थान के पश्चिमी भाग में पाये जाने वाला सर्वाधिक विषैला सर्प।
  • चान्दन नलकूप (जैसलमेर)- थार का मीठे पानी का घड़ा। इसे रेगिस्तान का जल महल भी कहा जाता है।

विशेष तथ्य :-

  • मरुस्थल के प्रकार-

1. इर्ग – रेतीला मरुस्थल।

2. हम्माद-पथरीला मरुस्थल।

3. रैग-मिश्रित मरुस्थल।

  • राजस्थान का एकमात्र जीवाश्म पार्क-आकलगाँव (जैसलमेर) है।
  • उत्तर-पश्चिमी मरूस्थली भाग अरावली का वृष्टि छाया प्रदेश होने के कारण दक्षिणी-पश्चिमी मानसून व बंगाल की खाड़ी का मानसून यहाँ वर्षा नहीं करता, इसलिए इस क्षेत्र में वर्षा का औसत 20 सेमी. से 50 सेमी. रहता है।
  • उदयपुर जिले के उत्तरी भाग अरावली श्रेणी के पश्चिमी उप-पर्वतीय खण्ड द्वारा तथा इसके परे 50 सेमी. की वर्षा रेखा तथा महान भारतीय जल विभाजक द्वारा उत्तरी-पश्चिमी रेगिस्तान की पूर्वी सीमा बनती है।
  • न्यूनतम जनसंख्या घनत्व भी इसी भौतिक विभाग में है।
  • राजस्थान में वायु अपरदन (मिट्टी का कटाव) से प्रभावित भूमि का क्षेत्रफल सबसे अधिक है। वायु द्वारा सर्वाधिक अपरदन पश्चिमी राजस्थान में होता है।
  • विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला मरूसथल ।
  • सेवण घास (लसियुरूस सिडीकुम) का उत्पादन क्षेत्र।
  • रेतीले शुष्क मैदान और अर्द्ध शुष्क मैदान को 25 सेमी. वर्षा रेखा विभाजित करती है।
  • रेतीली सतहों से बाहर निकली प्राचीन चट्टानों से मरूस्थलीय प्रदेश भारत के प्रायद्वीपीय खण्ड का पश्चिमी विस्तार प्रतीत होता है।

2. मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश

  • क्षेत्रफल-राज्य के भू-भाग का लगभग 9.3% पर पहाड़ी प्रदेश है। लेकिन 9% के लगभग भाग पर मुख्य अरावली पवर्तमाला विस्तरित है।
  • अंक्षाशीय विस्तार 23°20′ से 28°20′ उत्तरी अक्षांश
  • देशांतर विस्तार 72°10′ से 77° पूर्वी देशांतर 
  • क्षेत्र-उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमन्द, डूँगरपुर, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनूँ, अजमेर, सिरोही, अलवर तथा पाली व जयपुर के कुछ भाग।
  • जनसंख्या-राज्य की लगभग 10%। 13 जिले – मुख्य रूप में 7 जिलों में विस्तार
  • वर्षा-50 सेमी. से 90 सेमी.। अरावली पर्वत माला राज्य में एक वर्षा विभाजक रेखा का कार्य करती हैं। राज्य का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान माउण्ट आबू (लगभग 150 सेमी.) इसी में स्थित हैं
  • जलवायु-उपआर्द्र जलवायु।
  • मिट्टी-काली, भूरी, लाल व कंकरीली मिट्टी।
  • अमेरिका के अप्लेशियन पर्वत के समान   
  • अरावली पर्वत शृंखला गौंडवाना लैंड का अवशेष है। इसके दक्षिणी भाग में पठार, उत्तरी भाग में मैदान एवं पश्चिमी भाग में मरुस्थल है।
  • अरावली पर्वत श्रेणी राजस्थान को दो भागों में बांटती है, राजनीतिक दृष्टि से राजस्थान के 33 जिलों में से अरावली पर्वत श्रेणी के पश्चिम में 13 जिले तथा पूर्व में 20 जिले हैं।
  • अरावली वलित पर्वतमाला है। प्री-कैम्ब्रियन युग में निर्मित।
  • ‘रेगिस्तान का मार्च’ (March to Desert) से तात्पर्य है-रेगिस्तान का आगे बढ़ना।
  • अरावली पर्वत शृंखला की कुल लम्बाई 692 किमी. है। अरावली खेड़ ब्रह्मा (पालनपुर, गुजरात) गुजरात राजस्थान, हरियाणा से होते हुई  दिल्ली में रायसिना हिल्स (राष्ट्रपति भवन) तक विस्तृत है।
  • राजस्थान में अरावली शृंखला की लम्बाई 550 किमी. है। (180%)

        – राजस्थान में अरावली शृंखला सिरोही से खेतड़ी (झुंझुनूँ) के उत्तर पूर्व की ओर फैली हुई है।

  • यह पर्वत श्रेणी राज्य में विकर्ण के रूप में द. – प. में उ. – पू. की और विस्तृत है।
  • अरावली की चौड़ाई उदयपुर और डूंगरपुर की तरफ दक्षिण पूर्व में से बढ़ने लगती है।
  • अरावली पर्वतमाला के उत्तरी और मध्यवर्ती भाग क्वार्टजाइट चट्टानों से बने हैं। जबकि दक्षिण में आबू के निकट ऊँचे पर्वतीय खंड ग्रेनाइट चट्टानों के बने हुए हैं।
  • राजस्थान में कम वर्षा होने का प्रमुख कारण-अरावली पर्वत शृंखला का मानसून पवनों के समानान्तर होना।
  • विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वत शृंखला अरावली है। अरावली पर्वत शृंखला धारवाड़ समय के समाप्त होने तक तथा विन्ध्यन काल के प्रारम्भ तक अस्तित्व में आई थी।
  • अरावली पर्वत का सर्वाधिक महत्व-उत्तर-पश्चिम में फैले विशाल थार के मरूस्थल को दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ने से रोकना।
  • अरावली पर्वतमाला की औसत ऊँचाई – 930 मीटर।
  • अरावली को अध्ययन के आधार पर चार भागों में बांटा जाता है।

1. आबू पर्वत खंड

2. मेवाड़ पहाड़ियां

3. मेरवाड़ पहाड़ियां

4. उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियां या शेखावाटी पहाड़ियां।

  • अरावली पर्वत शृंखला की सबसे ऊँची चोटी गुरूशिखर (1722 मीटर/5650 फीट, माउण्ट आबू, सिरोही) है, जिसे कर्नल जेम्स टॉड ने ‘सन्तों का शिखर’ कहा है।

– दूसरी सबसे ऊँची चोटी-सेर (माउण्ट आबू, सिरोही-1597 मीटर)।

– तीसरी सबसे ऊँची चोटी-दिलवाड़ा (सिरोही-1442 मीटर)।

– चौथी सबसे ऊँची चोटी-जरगा (उदयपुर-1431 मीटर)।

  • उत्तरी अरावली क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी-रघुनाथगढ़, सीकर (1055 मीटर)।

– उत्तरी अरावली क्षेत्र में, जयपुर, अलवर तथा शेखावटी क्षेत्र की पहाड़ियाँ आती है।

– भैंराच (अलवर) व उत्तरी अरावली की अन्य प्रमुख चोटियाँ हैं।

  • मध्य अरावली क्षेत्र या मेरवाड़ पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी-नाग पहाड़, अजमेर (873 मीटर) जबकि तारागढ़ 878 मी. ऊंची है।मध्यवर्ती अरावली प्रदेश की औसत ऊंचाई:- 550 मीटर
  • अरावली पर्वतमाला का सर्वाधिक व न्यूनतम विस्तार क्रमशः उदयपुर, अजमेर जिलों में है।

दर्रे या नाल

  • मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय श्रेणी में स्थित दर्रे या तंग पहाड़ी मार्ग को नाल कहा जाता है।

1. जीलवा की नाल (पगल्या नाल) – यह मारवाड़ से मेवाड़ को जोड़ता है।

2. सोमेश्वर की नाल – यह देसूरी (पाली) से उत्तर की ओर स्थित है।

3. हाथीगुड़ा की नाल – यह देसूरी (पाली) से दक्षिण की ओर स्थित है।

4. बर (पाली) दर्रे से होकर मध्यकाल में जोधपुर से आगरा का रास्ता व अब राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-14 ब्यावर से कांडला) गुजरता है।

5. अरावली पर्वतमाला में स्थित अन्य दर्रे-दिवेर, कच्छवाली, सरूपाघाट।

  • परवेरिया, शिवपुरा, सुराघाट, कचबाली, रूपाघाट, पीपली दर्रा – अजमेर
  • कामलीघाट, हाथीगुड़ा, गोरमघाट, जीलवा  पगल्या , दिवेर की नाल – राजसमन्द
  • चीरवा की नाल, केवड़ा की नाल, फुलवारी की नाल, देबारी, हाथीदर्रा, सुराघाट :- उदयपुर
  • देसूरी नाल , साेमेश्वर नाल, बर – पाली
  • दूढ़िमल का दर्रा – रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान
  • कुशाली घाट – स. माधोपुर।

पठार

1. उड़िया पठार राज्य का सबसे ऊँचा पठार है, जो गुरु शिखर से 160 मीटर नीचे स्थित है। अतः उड़िया पठार की ऊँचाई 1722 – 160 = 1562 मीटर है।

2. आबू का पठार – यह राजस्थान का दूसरा ऊँचा पठार है।

3. भोंराठ का पठार – उदयपुर के उत्तर-पश्चिम में गोगुन्दा व कुंभलगढ़ के मध्य स्थित अरावली पर्वत शृंखला का क्षेत्र भोंराठ का पठार कहलाता है। औसत ऊंचाई- 1225 मीटर।

-भोराट पठार के पूर्व में दक्षिणी सिरे का पर्वत स्कन्ध अरब सागर व बंगाल की खाड़ी के बीच एक जल विभाजक का कार्य करता है।

4. मेसा पठार – इस पर चित्तौड़गढ़ का किला स्थित है। 620 मी. ऊंचा

5. लसाड़िया का पठार – उदयपुर में जयसमंद से आगे उत्तर पूर्व की ओर विच्छेदित व कटाफटा पठार।

6. उपरमाल पठार – चित्तौड़गढ़ के भैंसरोड़गढ़ से बिजोलिया भीलवाड़ा के बीच का पठारी भाग तक।

7. भोमट का पठार – मेवाड़ (उदयपुर) के दक्षिण पश्चिम भाग में।

अरावली पर्वतीय प्रदेश से सम्बन्धित शब्दावलियाँ –

  • भाखर – पूर्वी सिरोही में तीव्र ढाल व ऊबड़-खाबड़ कटक (पहाड़ियाँ) हैं जो स्थानीय भाषा में भाखर नाम से जानी जाती है।
  • गिरवा – उदयपुर जिले के आस-पास पहाड़ी से गिरा तश्तरीनुमा क्षेत्र ‘गिरवा’ कहलाता है।
  • मगरा – उदयपुर का उत्तर पश्चिमी पर्वतीय भाग जहाँ जरगा पर्वत स्थित है, मगरा कहलाता है।
  • जरगा-रागा – उदयपुर के पश्चिमी क्षेत्रों में स्थित पहाड़ियाँ जिनका उत्तरी भाग जरगा व दक्षिणी भाग रागा कहलाता है।
  • देशहरो – उदयपुर में जरगा और रागा के पहाड़ी के मध्य का क्षेत्र देशहरो कहलाता है।
  • पीडमान्ट मैदान – अरावली श्रेणी में देवगढ़ के समीप स्थित पृथक् निर्जन पहाड़ियां जिनके उच्च भू-भाग टीलेनुमा है, कहलाते हैं।

अन्य पहाड़ियां – छप्पन की पहाड़िया – बाड़मेर

  • सीकर जिले की पहाड़ियों का स्थानीय नाम मालखेत की पहाड़ियाँ हैं।
  • जैसलमेर का किला त्रिकूट पहाड़ी पर है।
  • जोधपुर का किला चिड़िया टूँक की पहाड़ी पर स्थित है।
  • मारवाड़ के मैदान को मेवाड़ के उच्च पठार से अलग करने वाली पर्वत श्रेणी ‘मेरवाड़ा की पहाड़ियाँ’ है, जो टॉडगढ़ के समीप अजमेर जिले में स्थित।
  • मध्य अरावली क्षेत्र के अन्तर्गत शेखावटी निम्न पहाड़ियाँ एवं मेरवाड़ पहाड़ियाँ आती है।
  • अरावली पर्वतमाला के मध्यवर्ती भाग में सर्वाधिक अन्तराल (Gaps) विद्यमान है।
  • घाटी में बसा हुआ नगर – अजमेर।
  • भरतपुर क्षेत्र की पहाड़ियों में सबसे ऊँची चोटी अलीपुर है।
  • अरावली पर्वत शृंखला लूनी और बनास नदी प्रणाली द्वारा बीच से विभाजित है।
  • आकृति एवं संरचना की दृष्टि से अरावली पर्वत शृंखला की तुलना संयुक्त राज्य अमेरिका की अपलेशियन पर्वत शृंखला से की जाती है।
  • अरावली पर्वत शृंखलाओं की सर्वाधिक ऊँची पहाड़ियाँ गोगुंदा एवं कुम्भलगढ़ के बीच स्थित है।
  • सुण्डा पर्वत जालौर में स्थित है।
  • अरावली की मुख्य श्रेणी क्वार्टजाइट चट्टानों में निर्मित।
  • दक्षिण अरावली में गुरुशिखर सेर, जरगा, अचलगढ़, कुम्भलगढ़, धोनिया, लीलागढ़ जैसी पर्वत चौटियां है।
  • इसराना भाखर, रोजा भाखर, झारोलां भाखर जालौर में है।
  • चम्बल के बीहड़ व कन्दराएं प्रमुख विशेषता है।

3. पूर्वी मैदान क्षेत्र

  • यह मैदानी भाग अरावली पर्वतमाला के पूर्व में स्थित है। इस मैदान का उत्तरी पूर्वी भाग गंगा-यमुना के मैदानी भाग से मिला हुआ है। इसका ढाल पूर्व की ओर है। इसका क्षेत्रफल राज्य का लगभग 23% है।10 जिले शामिल।
  • क्षेत्र-जयपुर, भरतपुर, दौसा, सवाई माधोपुर, धौलपुर, करौली, टोंक, अलवर व अजमेर के कुछ भाग तथा बाँसवाड़ा के कुछ भाग।
  • जनसंख्या-राज्य की लगभग 39% जनसंख्या यहाँ निवास करती है। जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक।
  • वर्षा- 50 सेमी. से 80 सेमी. के मध्य।
  • जलवायु-आर्द्र जलवायु।
  • मिट्टी-जलोढ़ व दोमट मिट्टी। इसे तीन भागों में बांटा गया है :-
  • 1. मध्य माही बेसिन, 2. बनास बेसिन व 3. बाणगंगा-करौली का मैदान।
  • वागड़ – सम्पूर्ण डूंगरपुर व बाँसवाड़ा का क्षेत्र वागड़ कहलाता है।
  • चम्बल के बीड़ एवं कन्दराएँ -: पूर्वी मैदानी क्षेत्र 
  • मेवल – डूंगरपुर शहर व बाँसवाड़ा शहर के मध्य फैला मैदानी एवं छोटी-छोटी पहाड़ियों का क्षेत्र मेवल कहलाता है।
  • जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान के अधिकांश बड़े जिले इसी भौतिक क्षेत्र में है।
  • यह राजस्थान का सबसे उपजाऊ भाग है।
  • छप्पन का मैदान – प्रतापगढ़ व बांसवाड़ा के मध्य का मैदान छप्पन का मैदान कहलाता है।

– बांसवाड़ा, डूँगरपुर, व प्रतापगढ़ के बीच माही बेसिन में 56 ग्राम समूहों (56 नदी-नालों का प्रवाह क्षेत्र) का क्षेत्र होने के कारण यह छप्पन का मैदान या ‘छप्पन बेसिन’ कहलाता है।

  • कांठल – माही नदी के कांठे (किनारे) स्थित प्रतापगढ़ (चित्तौड़गढ़) का भू-भाग कांठल का क्षेत्र कहलाता है।
  • मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ियाँ, जिसका ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है (जिसके कारण चम्बल नदी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है) कोटा व झालरापाटन (झालावाड़) के बीच स्थित है।
  • डूँगरपुर व बांसवाड़ा जिलों की सीमा को माही नदी पृथक् करती है।
  • इस क्षेत्र में कुआं द्वारा सिंचाई अधिक होती है।

4. दक्षिणी पूर्वी पठार

  • यह मालवा के पठार का ही एक भाग है तथा चम्बल नदी के सहारे पूर्वी भाग में विस्तृत है। पठारी क्षेत्र राज्य का लगभग 9.3% भाग आता है लेकिन दक्षिण पूर्वी पठारी प्रदेश 6.89% के लगभग ही है। जिसमें 11% जनसंख्या निवास करती है। इसे हाड़ौती का पठार/लावा का पठार भी कहते हैं।
  • क्षेत्र-कोटा, बून्दी, झालावाड़, बारां तथा बाँसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व भीलवाड़ा के कुछ क्षेत्र। 7 जिले शामिल।
  • वर्षा- 80 सेमी. से 120 सेमी.। राज्य का सर्वाधिक वार्षिक वर्षा वाला क्षेत्र।
  • मिट्टी-काली उपजाऊ मिट्टी, जिस का निर्माण प्रारम्भिक ज्वालामुखी चट्टानों से हुआ है। इसके अलावा लाल और कछारी मिट्टी भी पाई जाती है। धरातल पथरीला व चट्टानी है।
  • जलवायु-अति आर्द्र जलवायु प्रदेश।
  • फसलें-कपास, गन्ना, अफीम, तम्बाकू, धनिया, मेथी अधिक मात्राा में।
  • वनस्पति-लम्बी घास, झाड़ियाँ, बाँस, खेर, गूलर, सालर, धोंक, ढाक, सागवान आदि।
  • यह सम्पूर्ण प्रदेश चम्बल और उसकी सहायक काली सिंध, परवन और पार्वती नदियों द्वारा प्रवाहित है। इसका ढाल दक्षिण से उत्तर पूर्व की ओर है। यह पठारी भाग अरावली और विंध्याचल पर्वत के बीच संक्रान्ति प्रदेश (Transitional belt) है।
  • डांग क्षेत्र-चम्बल बेसिन में स्थित खड्ड एवं उबड़-खाबड़ भूमि युक्त अनुपजाऊ क्षेत्र। डाकुओं का आश्रय स्थल। करौली, सवाईमाधोपुर, धौलपुर।
  • सापेक्षिक दृष्टि से राजस्थान का दक्षिणी पूर्वी पठारी प्रदेश अस्पष्ट अधर प्रवाह का क्षेत्र (An area of ill drained-inferior drainage) के अन्तर्गत है।
  • दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान के दक्कन लावा पठार क्षेत्र में भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) से बिजोलिया (भीलवाड़ा) तक का भू-भाग उपरमाल नाम से जाना जाता है।
  • विंध्यन कगार भूमि व दक्कन लावा पठार इसी भौतिक क्षेत्र में आते हैं।
  • इस भू- भाग का सर्वोच्च शिखर:- चांदबाड़ी (झालावाड़)

अन्य रोचक महत्वपूर्ण तथ्य :-

1. राजस्थान के अजमेर जिले में मानव बसावट/संरचना का घनत्व अधिकतम है।

2. जैसलमेर जिमे में 700 पूर्वी देशान्तर रेखा गुजरती है।

3. धरियन – जैसलमेर में स्थानांतरित बालूका स्तूप।

4. खेड़ाऊ – अकाल पड़ने पर मवेशियों को लेकर अन्य प्रदेशों की ओर चारे-पानी की खोज में जाने वाला व्यक्ति।

5. अरावली पर्वतमाला का सर्वाधिक विस्तार उदयपुर में तथा न्यूनतम विस्तार अजमेर में है।

6. हर्ष एवं मालखेत की पहाड़ियां – सीकर

7. वृहत् सीमान्त भ्रंश – यह बूंदी-सवाई माधोपुर की पहाड़ियों के सहारे फैला है।

8. हम्मादा – चट्‌टानी मरूस्थल। रेग – पथरीला मरूस्थल। इर्ग – रैतीला मरूस्थल

9. मावठ – पश्चिमी विक्षोभों (भूमध्यसागरीय चक्रवातों) से होने वाली शीतकालीन वर्षा। यह वर्षा रबी की फसलों के लिए लाभकारी होती है। राजस्थान में इसे ‘गोल्डन ड्रॉप्स’ के नाम से जाना जाता है।

10. लाठी शृंखला – जैसलमेर में फैली भूगर्भीय जलपट्टी।

11. आडावाला पर्वत – बूंदी में

12. बीजासण का पहाड़ – भीलवाड़ा।

13. मैरा – हनुमानगढ़ के उत्तरी इलाके में पायी जाने वाली हल्के पीले रंग की हल्की चिकनी मिट्‌टी।

14. बांका पट्‌टी (कुबड़ पट्‌टी) – नागौर-अजमेर। (जल में फ्लोराइड की अधिकता के कारण)

15. भाकर – सिरोही जिले में तीव्र ढाल युक्त एवं कटी फटी पहाड़ियां।

16. ढाढ़ या तल्ली – बीकानेर-चुरू में वर्षा पानी भरने में निर्मित प्लाया झीले।

17. राजस्थान में सर्वाधिक बीहड़ भूमि धौलपुर जिले में है।

18. पुरवाई (पुरवाईया) – बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवा।

19. लू – राजस्थान में ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्म हवाएं।

20. सबसे अधिक क्षेत्रफल वाले जिले –

 1. जैसलमेर (38401 वर्ग किमी.)

 2. बाड़मेर (28, 387 वर्ग किमी.)

 3. बीकानेर (27244 वर्ग किमी.)

 4. जोधपुर (22,850 वर्ग किमी.)

21. सबसे कम क्षेत्रफल वाले जिले –

 1. धौलपुर (3034 वर्ग किमी.)

 2. दौसा (3432 वर्ग किमी.)

 3. डूंगरपुर (3770 वर्ग किमी.)

 4. राजसमन्द (3860 वर्ग किमी.)

22. 3सी छोटी गाँव – गंगानगर का गाँव, जो देश का पहला नियोजित रूप से बसा हुआ गाँव है।

23. वैदिक नदी सरस्वती का उल्लेख ऋग्वेद के दुसरे, तीसरे व सातवें मण्डल में मिलता है।

24. राजस्थान में गाँवों की संख्या – 44, 672

25. राजस्थान में कुल नगरों की संख्या – 297

26. डंग-गंगधार की उच्च भूमि राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी पठार में अवस्थित है।

27. राजस्थान में पर्वत चोटियां –

क्र.स़.पर्वत चोटियांलम्बाई (मीटर में)जिला
1गुरूशिखर1722सिरोही
2सेर1597सिरोही
3दिलवाड़ा1442सिरोही
4जरगा1431उदयपुर
5अचलगढ़1380सिरोही
6आबू1295माउन्ट आबू
7कुम्भलगढ़1224राजसमन्द
8धोनिया1183राजसमन्द
9रघुनाथगढ़1055सीकर
10ऋषिकेश1017उदयपुर
11कमलनाथ1001उदयपुर
12गोरमजी934अजमेर
13खौ920जयपुर
14तारागढ़870अजमेर
15भैराच792अलवर
16बरवाड़ा786जयपुर
17बाबाई780झुंझुनू
18बिलाली775अलवर
19मनोहरपुरा747जयपुर
20बैराठ704जयपुर
21काकनवाड़ी अलवर
22सिरावास651 
23भानगढ़649अलवर

28. अरावली के उत्तरी-पूर्वी छोर पर पोतवार का पठार है।

29. राजस्थान की प्राचीनतम वलित पर्वतमाला अरावली को वायु पुराण में ‘परिपत्र’ कहा गया है।

30. राजस्थान में कर्क रेखा की लम्बाई 26 किमी है।(कुछ पुस्तकों में 27 किमी.)

31. राजस्थान की लम्बाई-चौड़ाई में अन्तर 43 किमी. है।

32. राजस्थान का छींछ गांव कर्क रेखा पर अवस्थित है।

33. सर्वाधिक स्थलीय सीमा बनाने वाला जिला – झालावाड़ (520 किमी.)

 न्यूनतम स्थलीय सीमा बनाने वाला जिला – भीलवाड़ा (16 किमी.)

34. राज्य के आन्तरिक जिले – 8 (अजमेर, राजसमन्द, नागौर, टोंक, पाली, दौसा, बूंदी एवं जोधपुर)

35. थोब नामक रन बाड़मेर में तथा कनोड़, बरमसर नामक रन जैसलमेर जिले में है।

36. नेहड़ – जालौर क्षेत्र में लूनी नदी का अंतिम दलदली क्षेत्र।

37. मेरवाड़ा – यह मारवाड़ के मैदान व मेवाड़ के उच्च प्रदेश को अलग करती है।

38. राजस्थान के धौलपुर जिले से 78° पूर्वी देशांतर रेखा गुजर है। 

39. जिले ऐसे है जो एक से अधिक भाग में है।

40. छप्पन की पहाड़िया बाड़मेर में  है। जबकि छप्पन का मैदान प्रतापगढ़ में

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