समाजीकरण में लैंगिक विभिन्नता के बारे में लिखो।

Estimated reading: 1 minute 127 views

 समाजीकरण में लैंगिक विभिन्नता बाल्यावस्था से परिलक्षित होने लगती है। इस समय बालक एवं बालिकाओं के आपसी संबंधों में परिवर्तन आने लगता है। इस समय से पहले है बालक एवं बालिकाओं में लैंगिक भेद ज्यादा नहीं होता है। किशोरावस्था के आगमन से पहले प्राय: सामाजिक वर्गों का निर्माण अपने ही लिंग के व्यक्तियों में होता है। ज्यादातर लड़के लड़कों के समूहों में रहना तथा बातचीत करना पसन्द करते हैं तथा लड़कियाँ लड़कियों के समूह में ही भागीदारी करती हैं उनका सामाजिक विकास भी अपने ही समूह में होता है। लड़के ज्यादातर घर के बाहर के खेलों को पसन्द करते हैं एवं लड़कियाँ घर के भीतर के खेलों को पसन्द करती हैं। परन्तु तरुणाई आने पर उनका समाजीकरण बदल जाता है। बालक बालिका के साथ तथा बालिकायें बालक के साथ मिल-जुलकर कार्य करना अथवा आपस में मिलना-जुलना पसन्द करने लगते हैं। इस समय विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है तथा एक दूसरे के साथ रहना ज्यादा अच्छा लगने लगता है । बाल्यावस्था के प्रारम्भ में बालक तथा बालिकाएँ समान रूप से दुल में सक्रिय भाग लेते हैं, लेकिन बाद में कुछ सामाजिक बन्धनों के कारण तथा कुछ स्वयं की नैसर्गिक प्रवृत्ति के कारण बालक-बालिकाएँ अपनी ही जाति के साथ ज्यादा रुचि दिखाते हैं बालिकाएं बालकों के साथ घर से बाहर खेलना पसन्द करती हैं। तरुणावस्था तक बालक एवं बालिकाएँ अपने ही लिंग के सामाजिक कार्यों के प्रति रुचि प्रदर्शित करते हैं तथा उनमें सक्रिय भाग लेते हैं।

कुछ अध्ययनों (B. Mechlman, 1962, A Gersel et. al., 1956) में यह देखा गया है कि लड़कों के साथी समूह लड़कियों की बजाय बड़े एवं संगठित होते हैं । किशोरावस्था में लड़के तथा लड़कियाँ अपने अन्तरंग मित्र बनाते हैं। बहुधा यह मित्र समान लिंग के होते हैं अर्थात् लड़के लड़कों को तथा लड़कियाँ लड़कियों को अन्तरंग मित्र बनाते हैं। इनमें अगर लड़ाइयाँ भी होती हैं तो अति घनिष्ठ मित्रता से शीघ्र ही समझौता हो जाता है। किशोरावस्था में किशोर छोटे सामाजिक समूहों के भी सदस्य बनते हैं। ये समूह Cliques कहलाते हैं। इन समूहों में तीन-चार मित्र समान रुचियों तथा योग्यताओं वाले होते हैं। किशोरावस्था के बालक बालक गैंग के वे सदस्य होते हैं जो स्कूल में कुसमायोजित होते हैं। बहुधा यह एक ही कक्षा अथवा विद्यालय के छात्र होते हैं। ये गैंग गली के नुक्कड़ों, चौराहों अथवा कॉलेज के आसपास क्षेत्र में दिखाई देते हैं। ये गैंग अपना ज्यादातर समय समाज विरोधी व्यवहारों को करने में व्यतीत करते हैं। ये उनसे बदला भी लेते हैं जिनसे इनकी पटरी नहीं खाती है या जो इनको स्वीकार नहीं करते हैं। गैंग में बदले की भावना ज्यादा होती है।

किशोरावस्था में मित्रों के चुनाव की कसौटी अपेक्षाकृत ज्यादा खरी होती है। इनके लिए मित्रों का चयन एक समस्या होती है । लड़कियों में मित्रता लड़कों की बजाय ज्यादा पक्की होती है। किशोरों की आयु जैसे-जैसे बढ़ती जाती है सामाजिक अन्तर्दृष्टि उनकी बढ़ जाती है वह विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों का प्रत्यक्षीकरण अधिक अच्छी तरह से करने लगता है।

Leave a Comment

CONTENTS