संवेग के कार्यों के बारे में लिखो।

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  संवेग के कार्य

1. अन्तर्वैयक्तिक कार्य- संवेग के अर्न्तवैयक्तिक कार्य बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। यह कार्य क्तगत रुप से सभी व्यक्तियों के परिव सम्बन्धों को प्रभावित करते हैं। इन कार्यों पर दूसरों के साथ हमारे सम्बन्धों एवं भावनाओं का प्रभाव पड़ता है। यह कार्य दूसरों के साथ हमारे संबंधों एवं संवेगों के अर्थ का वर्णन करते हैं। संवेगों का हमारे जीवन में विशेष महत्त्व होता है। हम एक-दूसरे के साथ अन्तःक्रिया करते हैं तथा आपसी संबंध सुदृढ़ बनाते हैं। हमारी भावनाओं पर इन कार्यों का प्रभाव पड़ता है इसलिए संवेग के अन्तर्वैयक्तिक कार्य पारस्परिक संबंधों पर प्रभाव डालते हैं।

2. सामाजिक कार्य- संवेगों के सामाजिक कार्य समाज की भूमिका से जुड़े होते हैं। हम सभी सामाजिक प्राणी हैं। विभिन्न समोरोहों में जाते हैं तथा हमारे आपसी संबंध सुदृढ़ बनते हैं एवं एक-दूसरे से भावनात्मक रुप से हम जुड़ जाते हैं। विभिन्न समारोहों में लोगों को निमंत्रण देना एवं उनकी आवभगत करना और आपसी संबंधों का रखरखाव करना इन कार्यों में आता है। यह कार्य तभी सम्भव है जब हम एक-दूसरे से भावनात्मक रुप से जुड़ जाते हैं। इसलिए संवेगों के सामाजिक कार्य समाज की संरचना बनाये रखने के लिए तथा आपसी भाईचारा, राष्ट्रीय एकता एवं सुदृढ़ संबंधों की स्थापना हेतु बहुत जरुरी माने जाते हैं। हम अपने देश, समाज एवं प्रान्त के प्रति एक विशेष लगाव अनुभव करते हैं एवं भावनात्मक रुप से उससे जुड़े होते हैं। यह भावना हमें संवेग के सामाजिक कार्य ही प्रदान करते हैं। संवेग सामाजिक कार्यों के कारण ही हम बड़े पैमाने पर अपने देश, समाज से जुड़ाव अनुभव करते हैं। समाज की व्यवस्था रखने हेतु संवेग के सामाजिक कार्य महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं ।

3. सांस्कृतिक कार्य- संवेगों के सांस्कृतिक कार्य भी हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हर संस्कृति के रीति-रिवाज, मान्यताएँ, परम्पराएँ दूसरी संस्कृति से भिन्न होती हैं हर व्यक्ति अपनी संस्कृति, रीति-रिवाज, मान्यताओं एवं परम्पराओं से जुड़ाव अनुभव करता है । संवेगों के सांस्कृतिक कार्यों के कारण हर व्यक्ति अपनी संस्कृति से भावनात्मक रुप से जुड़ा होता है। सांस्कृतिक कार्यों पर व्यक्ति की व्यक्तिगत भावनाओं का प्रभाव पड़ता है । यह भावनाएँ बड़े पैमाने पर संस्कृति के पोषण, रखरखाव तथा प्रभावी कार्यक्रम हेतु व्यक्ति को पोषित करती हैं। हम सभी व्यक्तियों में हम-भावना समूह पाये जाते हैं जिसके कारण हम अपनी संस्कृति, अपने समुदाय एवं अपने रीति-रिवाज और अपनी मान्यताओं का पोषण करते हैं। संवेगों के सांस्कृतिक कार्य यह कार्य करते हैं। संवेगों के सांस्कृतिक कार्य हमारे संवेगों को हमारी संस्कृति एवं हमारे समूहों की हम-भावना से हमें जोड़ते हैं। हर समूह में हम की भावना पायी जाती है जो किसी समूह को दूसरे समूह अथवा व्यक्ति के साथ जोड़े रखती है। हम की भावना सिर्फ व्यक्ति को अपने समूह से ही नहीं जोड़ती है वरन् समाज, समुदाय, राष्ट्र से भी जोड़ती है। यह हम की भावना एक तरह का भावनात्मक लगाव है जिसके कारण उस समूह, समुदाय अथवा राष्ट्र के प्रति व्यक्ति में एक अपनेपन का भाव आ जाता है जो उसे उससे जोड़े रखता है। यह संवेग का भाव जहाँ एक तरफ व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ता है वहीं दूसरी तरफ जब यह भाव बहुत सुदृढ़ हो जाता है तो राष्ट्रीय एकता हेतु खतरा भी बन जाता है। संवेगों के सांस्कृतिक कार्य किसी भी समूह को एक विशिष्ट पहचान देते हैं जो उस समूह की एक पहचान बन जाती है। यह पहचान उसकी रीति-रिवाज, पहनावे, जीवन-स्तर, जीवन-आदर्श, उनकी भाषा, बोली आदि के आधार पर बनती है। संवेगों के सांस्कृतिक कार्य इस तरह समूह के लिए काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं।

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