सामाजिक विकास के प्रतिमान के बारे में लिखो।

Estimated reading: 1 minute 127 views

  सामाजिक विकास के प्रतिमान :

सभी संस्कृतियों के बच्चों में सामाजिक विकास के प्रतिमान समान रूप से पाये जाते हैं। प्रतिमानों का क्रम भी सभी बालकों में समान रूप से पाया जाता है। हर आयु स्तर पर एक निश्चित मात्रा में सामाजिक विकास होता है। सामाजिक विकास के इन प्रतिमानों के आधार पर यह सरलता से बताया जा सकता है कि एक निश्चित आयु स्तर पर बालक के प्रशिक्षण की योजना बनाई जा सकती है। इस योजना के आधार पर बालक में इच्छित सामाजिक अभिवृत्तियाँ तथा सामाजिक कौशलों को उत्पन्न किया जा सकता है । बालक का वास्तविक सामाजिक-विकास उस समय प्रारम्भ होता है जब वह अपने पड़ोस के बच्चों के साथ खेलना शुरू करता है स्कूल जाना शुरू करता है। यह आयु लगभग तीन या चार वर्ष की होती है। जिन बालकों को सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने का जितना ही अधिक अवसर प्राप्त होता है, उनमें सामाजिक विकास उतना शीघ्र होता है । प्रतिभाशाली और अधिक बुद्धि वाले बच्चों का सामाजिक विकास अपेक्षाकृत शीघ्र होता है।

Leave a Comment

CONTENTS