एकीकृत पाठ्यचर्या के संप्रत्यय को स्पष्ट करते हुए उसकी सीमाएं बताइए।

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एकीकृत पाठ्यक्रम का विकास अमेरिका के विश्वविद्यालयों में हुआ जहाँ पाठ्यक्रम के विषयों/उपविषयों में एकीकरण का सिद्धान्त सैद्धान्तिक व व्यावहारिक रूप में प्रचलित हुआ। यह अवधारणा गेस्टाल्टवाद यानी संपूर्णतावाद की उपज है जिसमें यह वाद मस्तिष्क को एक इकाई मानता है और मस्तिष्क ज्ञान से टुकड़ों-टुकड़ों में ग्रहण न कर पूर्ण रूप से ग्रहण करता है की धारणा विकसित हुई। यह वाद विभिन्न भागों या पक्षों में एकीकरण का पक्षपाती है।

एकीकृत पाठ्यक्रम का अर्थ उस पाठ्यचर्या से है जिसमें विभिन्न विषय एक-दूसरे से संबंधित होते हैं और उनमें अवरोध न होकर एकता होती है। इसमें कोई विचार तभी प्रभावशाली. उपयोगी तथा अधिक सुबोध माना जाता है जब उनमें अन्तर्निहित एकीकरण होता है। यह एकीकरण अन्य पक्षों को समझने में सहायक भी होता है। अर्थात् पाठ्यक्रम के विषयों व अध्ययन सामग्री में सहसंबंध होने से ज्ञान का स्थानांतर (ट्रांसफर ऑफ लर्निंग) बोधगम्य होता है। एकीकृत पाठ्यक्रम को परिभाषित करते हुए हैंडरावन ने लिखा है- “एकीकृत पाठ्यचर्या वह पाठ्यचर्या है जिसमें विषयों के मध्य कोई अवरोध, रुकावट या दीवार नहीं होती।”

एकीकृत पाठ्यक्रम (या समेकित पाठ्यक्रम) उन अनुभवों को देता है जिन्हें एकीकरण की प्रक्रिया के लिए सुविधाजनक माना जाता है तथा बालक उस पाठ्यवस्तु को सीखते हैं जो अनुभवों को समझने तथा पुनर्निर्माण में सहायक है।


एकीकृत पाठ्यक्रम के उद्देश्य

1. इस पाठ्यचर्या की सफलता के लिए शिक्षक को पर्याप्त व व्यापक अध्ययन की आवश्यकता होती है।

2. इस पाठ्यक्रम से बालकों को जीवनोपयोगी शिक्षा मिलती है।

3. इसके माध्यम से विद्यार्थी विभिन्न विषयों का ज्ञान एक साथ प्राप्त कर सकते हैं।

4. ज्ञान को एक इकाई मानकर इस पाठ्यक्रम में ज्ञान को समग्र रूप में प्रस्तुत किया जाता है जो बालकों के अधिगम में वृद्धि करता है।

5. इस पाठ्यक्रम में शिक्षकों का उत्तरदायित्व व कार्यभार बढ़ जाता है।

6. एकीकृत पाठ्यक्रम का उद्देश्य पाठ्यचर्या को अनुभव केन्द्रित बनाना होता है।

7. एकीकृत पाठ्यक्रम में छात्रों के पूर्व ज्ञान को नवीन ज्ञान से संबंधित करने में आसानी होती है।

8. एकीकृत पाठ्यक्रम का उद्देश्य बालकों को ज्ञान की एकता से परिचित कराना है।

यह उद्देश्य विषयों को अलग-अलग पढ़ाने की अपेक्षा एक-दूसरे से सहसंबंधित करने से पूर्व होता है।


एकीकृत पाठ्यक्रम की विशेषताएं

1. एकीकृत पाठ्यक्रम में ज्ञान को संपूर्ण इकाई मानकर प्रस्तुत किया जाता है।

2. इसमें छात्र के नवीन ज्ञान को पूर्व ज्ञान से सम्बद्ध करने में आसानी रहती है।

3. इसमें छात्र विभिन्न विषयों का ज्ञान एक साथ प्राप्त कर सकते हैं।

4. एकीकृत पाठ्यचर्या उन अनुभवों को उपलब्ध कराती है जिन्हें एकीकरण की प्रक्रिया के लिए सुविधाजनक माना जाता है। इससे बालक उस पाठ्यवस्तु को सीखते हैं जो अनुभवों को समझने तथा पुनर्निर्माण में सहायक है।

5. इस पाठ्यचर्या का उद्देश्य छात्रों को ज्ञान की एकता से परिचित कराना है। यह उद्देश्य विषयों को अलग-अलग पढ़ाने से पूर्ण नहीं हो सकता और तभी सम्पन्न होता है जब विषयों को एक-दूसरे से संबंधित कर पढ़ाया जाए। 6. इस पाठ्यक्रम की सफलता के लिए शिक्षक को व्यापक अध्ययन की आवश्यकता होती है ताकि वह एकीकरण को छात्रों को समझा सके।

7. इस प्रकार इस पाठ्यचर्या से शिक्षक का कार्यभार व उत्तरदायित्व बढ़ जाता है परन्तु छात्रों का अधिगम स्तर सरल हो जाता है।

8. यह छात्रों के लिए लाभप्रद पाठ्यचर्या है क्योंकि यह उन्हें जीवनोपयोगी शिक्षा देता है तथा वे ज्ञान के अन्यत्र स्थानांतर से परिचित हो जाते हैं।


एकीकृत पाठ्यचर्या की सीमाएं

1. पाठ्यचर्या के सीमित विषयों का ही एकीकरण संभव है। सभी विषय व प्रकरण जो असंबंधित हों उन्हें एकीकृत नहीं किया जा सकता।

2. इस पाठ्यचर्या के क्रियान्वयन हेतु अध्यापकों की कमी है क्योंकि ऐसे अध्यापक कम है जो अनेक विषयों में पारंगत हों तथा विभिन्न विषयों का उपयुक्त एकीकरण कर सकें।

3. इस पाठ्यचर्या के शिक्षण में समय अधिक लगता है तथा इस पाठ्यक्रम से शिक्षकों के कार्यभार में वृद्धि हो जाती है।

4. विद्यार्थियों की रुचियों के अनुरूप पाठ्यचर्या को एकीकृत करना कठिन है।

5. परम्परागत ढंग से विषय सीखने वाले अधिगमकर्ताओं को यह पाठ्यचर्या विषयांतर हो जाने से कठिन लगती है।

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