पाठ्यक्रम प्रारूप, पाठ्यक्रम विकास तथा पाठ्यक्रम निर्माण में अंतर स्पष्ट कीजिए।

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किसी कार्य को व्यवस्थित एवं विधिवत रूप से करने के पूर्व उसकी योजना बनाई जाती है। इसी प्रकार पाठ्यचर्या निर्माण का प्रथम चरण पाठ्यक्रम प्रारूप (डिजाइन) बनाना है। दूसरा चरण पाठ्यक्रम विकास और तीसरा चरण पाठ्यचर्या का निर्माण है। जैसे एक दर्जी वस्त्र की डिजाइन चुनता है और तदनुसार वस्त्र को काटता है और सीता है कुछ ऐसी ही प्रक्रिया पाठ्यक्रम डिजाइन, पाठ्यक्रम विकास और पाठ्यक्रम निर्माण की है। उक्त तीनों अवधारणाओं में प्रक्रियागत अंतर है।

नीचे सारणी में पाठ्यक्रम प्रारूप, पाठ्यक्रम विकास और पाठ्यक्रम निर्माण के अंतर को प्रदर्शित किया जा रहा है – 

पाठ्यचर्या प्रारूपपाठ्यचर्या विकासपाठ्यचर्या निर्माण
1. यह पाठ्यचर्या निर्माण का प्रथम चरण है।यह पाठ्यचर्या निर्माण का द्वितीय चरण हैयह पाठ्यचर्या निर्माण का अंतिम चरण है।
2. पाठ्यचर्या प्रारूप पाठ्यचर्या की पूर्व संरचना है जो आरंभ में की जाती है।पाठ्यचर्या विकास पाठ्यचर्या प्रारूप के निर्धारण के बाद पाठ्यचर्या के नियोजन विषयवस्तु व अधिगम अनुभवों के चयन व नियोजन, शिक्षण अधिगम विधियों एवं मूल्यांकन की आयोजना है।यह किसी कक्षा विशेष के विषय विशेष की पाठ्यचर्या को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया है। यह पाठ्यचर्या का उपयोगी आवश्यकता आधारित तथा समग्र रूप देने से संबंधित है।
3. पाठ्यचर्या प्रारूप पाठ्यक्रम विकास की प्रथम सीढ़ी है।पाठ्यचर्या विकास पाठ्यचर्या निर्माण की द्वितीय सीढ़ी है।पाठ्यचर्या निर्माण पाठ्यचर्या प्रारूप व् पाठ्यचर्या विकास के बाद उसे समग्र रूप देने की प्रक्रिया है।
4. पाठ्यचर्या प्रारूप पाठ्यचर्या के विभिन्न आधारों के अनुसार तैयार किया जाता है।पाठ्यचर्या विकास में आवश्यकता व अनुभव आधार का कार्य करते हैं।पाठ्यचर्या निर्माण के अंतर्गत पाठ्यचर्या की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाता है।
5. पाठ्यचर्या प्रारूप में ढाँचा या रूपरेखा है और इसमें आयोजनों, क्षेत्र, अनुक्रम निरंतरता, संतुलन और एकीकरण सम्मिलित है।पाठ्यचर्या विकास निरंतर गतिवान अंतहीन चक्रीय प्रणाली है जिसमें शिक्षण उद्देश्य, अनुदेशात्मक प्रारूप हैं। मूल्यांकन व पृष्ठ पोषण सम्मिलित हैं।पाठ्यचर्या निर्माण में स्थिति विश्लेषण, लक्ष्य और विषय सामग्री का चयन सोपान आते हैं।
6. पाठ्यचर्या प्रारूप में पाठ्यक्रम परिवर्तन को एक व्यवस्था में रखने के लिए तैयार की जाती है।पाठयचर्या विकास में पाठ्यचर्या का बदलाव और पाठ्यचर्या में सुधार सम्मिलित है।पाठयचर्या निर्माण निरंतर बदलाव व सुधार करता रहता है।
7. पाठ्यचर्या प्रारूप (डिजाइन) पाठ्यचर्या की विषयवस्तु के आधार पर तैयार किया जाता है।पाठ्यचर्या विकास में अधिगम अनुभव तथा आवश्यकताओं के आधार पर होता है।पाठयचर्या निर्माण में पाठ्यक्रम प्रारूप तथा पाठ्यक्रम विकास दोनों समाहित है।
8. पाठ्यचर्या प्रारूप का संबंध पाठ्यचर्या के तथ्यों को व्यवस्थित तथा क्रमबद्ध स्थान में रखने से होता है।पाठ्यचर्या विकास में वे सभी तत्त्व आ जाते हैं जो शिक्षा के विस्तार और विकास के लिए आवश्यक है।पाठ्यक्रम निर्माण विभिन्न आधारों तथा सिद्धान्तों के आधार पर तैयार होता है।
9. पाठ्यचर्या प्रारूप पाठ्यक्रम निर्माण की प्रक्रिया का दिशा निर्देश (मार्गदर्शन) करता है। प्रारूप का स्वरूप समाज, देश शिक्षक व छात्रों आदि को ध्यान में रखकर किया जाता है।पाठ्यक्रम विकास मूलतः पाठ्यचर्या के नियोजन पाठ्यचर्या के संगठन और संपादन से जुड़ा है।पाठ्यक्रम निर्माण में पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्तों का ध्यान रखा जाता है ताकि समुचित पाठ्यचर्या निर्मित हो सके।
10. पाठ्यचर्या प्रारूप ढाँचा या रूपरेखा है।पाठ्यक्रम विकास नियोजन संगठन व संपादन है।पाठ्यचर्या निर्माण प्रारूप व विकास का परिणाम है।

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