इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) की स्थापना, उद्देश्य, पाठयक्रम निर्माण व पाठ्यक्रम विविधता तथा अध्ययन केन्द्रों की व्यवस्था व शिक्षण विधि पर प्रकाश डालिए।

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इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना

भारत में नई दिल्ली में जनवरी 1985 में नई शिक्षा नीति के भाग के रूप में राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा हुई तथा शिक्षा मंत्रालय द्वारा इस घोषणा को क्रियान्वित करने हेतु विद्वान शिक्षाविदों की एक समिति का गठन किया गया। इस समिति ने राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित विधेयक का प्रारूप तैयार करने के साथ-साथ राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना के उद्देश्यों, उनके द्वारा प्रदान किये जाने वाले पाठ्यक्रमों, प्रशासनिक व कार्मिकों की व्यवस्था, वैधानिक मान्यता, वित्तीय व्यवस्था, प्रसारण माध्यम आदि के संबंध में एक परियोजना प्रतिवेदन सरकार को प्रस्तुत किया।

भारतीय संसद के दोनों सदनों ने अगस्त 1985 में इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया तथा 20 सितम्बर 1985 को इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।

उद्देश्य- इग्नू द्वारा विद्यार्थियों के लिए प्रकाशित किए गए ब्रोशर व विवरणिका में ये संक्षिप्त उद्देश्य बताए गए हैं-

1. शिक्षा को विद्यार्थियों के द्वार तक पहुँचाकर उच्च शिक्षा का लोकतंत्रीकरण करना।

2. आयु क्षेत्र या औपचारिक शिक्षा पर विचार किए बिना शिक्षा पाने के इच्छुक सभी विद्यार्थियों को उच्चकोटि की शिक्षा सुलभ कराने की व्यवस्था करना।

3. वृत्तिक (प्रोफेशनल) एवं व्यवसायमूलक पाठ्यक्रमों द्वारा आवश्यकता पर आधारित शैक्षिक कार्यक्रम आरंभ करना।

4. भारत में दूर शिक्षा को प्रोत्साहित एवं विकसित करना।

5. इस प्रयोजन के लिए शीर्षस्थ निकाय के रूप में दूर शिक्षा के स्तर निर्धारित करना तथा उन्हें बनाए रखना। पाठ्यक्रम निर्माण- इग्नू द्वारा कई पाठ्यक्रम उपाधि/पत्रोपाधि/प्रमाणपत्र हेतु संचालित है। प्रत्येक कार्यक्रम के अंतर्गत कुछ पाठ्यक्रम प्रत्येक पाठ्यक्रम में कुछ खंड (ब्लॉक) तथा प्रत्येक खंड में कुछ इकाइयाँ होती हैं। प्रत्येक कार्यक्रम (पाठ्यक्रम) मॉड्यूलर स्वरूप का होता है तथा उसके निश्चित केडिट होते हैं। कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए निर्धारित केडिट्स को अर्जित करना आवश्यक होता है ।

इग्नू के कुछ प्रमुख कार्यक्रमों/पाठ्यक्रमों का विवरण इस प्रकार है-

1. दूर शिक्षा में स्नातकोत्तर डिप्लोमा PGDDE

2. दूर शिक्षा में स्नातकोत्तर उपाधि MA (D.E.)

3. उच्च शिक्षा में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGDHE)

4. स्नातक उपाधि पाठ्यक्रम;

5. BPP (स्नातक उपाधि का प्रारंभिक कार्यक्रम);

6. BDP (स्नातक उपाधि कार्यक्रम) मानविकी, विज्ञान, अंग्रेजी तथा हिन्दी में;

7. अन्य कार्यक्रम-

(a) मार्गदर्शन में प्रमाण पत्र C.I.G.

(b) पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि MLI Sc

(c) पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में स्नातक BLI Sc

(d) बी.टेक (सिविल)

(e) नर्सिंग में स्नातक BSc Nursing

(f) पर्यटन अध्ययन में स्नातक उपाधि BTS

(g) पर्यटन अध्ययन में उच्च डिप्लोमा (ADTS)

(h) पर्यटन अध्ययन में प्रमाण पत्र CTS

(i) ग्राम विकास में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGDRD)

(j) ग्राम विकास में प्रमाणपत्र कार्यक्रम (CRD)

(k) मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGDMCM)

(l) पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGJMC)

(m) अंग्रेजी में सृजनात्मक लेखन में डिप्लोमा (DCE)

(n) हिन्दी में सृजनात्मक लेखन में डिप्लोमा (DCM)

(o) अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGDT)

(p) रेडियो लेखन में स्नातकोत्तर प्रमाणपत्र (PGCRW)

(q) द्वितीय भाषा के रूप में अंग्रेजी शिक्षण में प्रमाणपत्र (CTE)

(r) भोजन एवं पोषण में प्रमाणपत्र (CFN)

(s) पोषण एवं शिशु देखभाल में प्रमाणपत्र (CNCC)

(t) आपदा प्रबंधन में प्रमाण पत्र कार्यक्रम (CDM)

(u) पर्यावरण अध्ययन में प्रमाण पत्र कार्यक्रम (CES)

(v) राष्ट्रभागी वन प्रबंधन से प्रमाणपत्र कार्यक्रम (CPFM)

(w) व्यवसाय प्रशासन में निष्णात तथा प्रबंध, वित्तीय प्रबंध, विपणन प्रबंध मानव संसाधन प्रबंध में डिप्लोमा/स्नातकोत्तर डिप्लोमा

(x) कंप्यूटर शिक्षा में विभिन्न कार्यक्रम BCA, MCA, DED, CIC, CNDC, CWDM

(y) शिक्षण प्रशिक्षण में उपाधि (B.Ed.)

इग्नू अध्ययन केन्द्रों की व्यवस्था- दूर शिक्षा में छात्रों हेतु इग्नू ने संपूर्ण देश में अध्ययन व प्रशिक्षण केन्द्र (जिनमें 21 क्षेत्रीय केन्द्र तथा इनके अंतर्गत लगभग 400 अध्ययन केन्द्र) चल रहे हैं। क्षेत्रीय केन्द्रों में क्षेत्रीय निर्देशक व्यवस्था करते हैं।

अध्ययन केन्द्र सामान्य रूप से किसी शिक्षण संस्था/कॉलेज में बनाया या स्थापित किया जाता है। प्रत्येक अध्ययन केन्द्र में एक पार्टटाइम समन्वयक की नियुक्ति की जाती है जो सामान्यतः उसी शिक्षण संस्था का प्राध्यापक/अधिकारी होता है। इन अध्ययन केन्द्रों में एक पुस्तकालय एवं श्रव्य-दृश्य माध्यमों की भी व्यवस्था रहती है। विभिन्न विषयों से संबंधित विशेषज्ञों का अंशकालीन काउंसलर के रूप में नियुक्त किया जाता है । अध्ययन केन्द्र का प्रबंध क्षेत्रीय निदेशक एवं विश्वविद्यालय (इग्नू) के माध्यम से समन्वयक द्वारा किया जाता है।

इग्नू की शिक्षण विधियाँ- इग्नू में बहुमाध्यम, अन्य उपागम, प्रोजेक्ट कार्य आदि प्रविधियाँ दूर शिक्षा दी जाती है। दृश्य-श्रव्य उपकरण, दूरदर्शन का शैक्षिक श्रृंखला, रेडियो पर प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों, संपादित पाठ्यसामग्री, पत्राचार द्वारा शिक्षण, विभिन्न अल्पकालीन संपर्क कार्यक्रमों से छात्रों को अतिरिक्त व्यक्तिगत मार्गदर्शन दिया जाता है जिसमें इग्नू ने अध्ययन केन्द्रों की प्रमुख भूमिका है।

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