विशेष आवश्यकता वाले बालकों की पहचान तथा क्रियात्मक आकलन का वर्णन कीजिए।

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विशेष आवश्यकता वाले बालक वे कहलाते हैं जो सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं तथा इनकी यह भिन्नता कुछ ऐसी सीमा तक होती है कि उन्हें विद्यालय के सामान्य कार्यों में अपनी शारीरिक या मानसिक क्षति या न्यूनता के कारण कुछ विशिष्ट प्रकार के व्यवहार को आवश्यकता पड़ती है । इन विशेष आवश्यकता वाले बालकों को विशेष बालक भी कहते हैं। इन विशेष आवश्यकता वाले बालकों के कई प्रकार हैं जैसे-हाथ-पैरों से विकलांग अस्थिबाधित बालक, सुनने में असमर्थ या कमी वाले बालक, देखने में असमर्थ या कमी वाले बालक, वाणिबाधित बालक, मंदबुद्धि बालक, धीमे अधिगमकर्ता बालक आदि। कुछ बालक बहविकलांगता या एक से अधिक निःशक्तता के बाधित बालक भी होते हैं। इन बालकों को पहचान अवलोकन या निरीक्षण से, साक्षात्कार या बातचीत से,उनकी क्रियात्मक परीक्षण से या उसकी बुद्धि के मापन आदि द्वारा हो सकती है। अलग-अलग श्रेणी के बालकों की शिनाख्त के मानक भी अलग हैं तथा उनके क्रियात्मक परीक्षण के भी । परन्तु सूक्ष्म दृष्टि से प्रत्येक बाधित बालक की पहचान अलग-अलग होती है । इनकी श्रेणीगत पहचान तथा क्रियात्मक आकलन की स्थल जानकारी निम्नानुसार है-

दष्टिबाधित बालक- इनको गतिशीलता में कमी पाई जाती है। ये पठन सामग्री को या तो आंखों के अत्यन्त समीप ले जाकर या दूर ले जाकर पढ़ पाते हैं। छोटे अक्षरों में लिखी खारत को नहीं कर पाते । पढ़ने के चश्मे का उपयोग करते हैं।

श्रवण बाधित बालक- ये ऊंचा सुनते हैं। सामान्य स्तर की आवाज नहीं सन पाते हैं। नाम पकारने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पाते क्योंकि सुनाई कम देता है। इन बालकों का भाविक विकास कम होता है।

अस्थिबाधित बालक- इनकी पहचान इनकी शारीरिक दिखाई देने वाली विकृति चलने में लचक उठने-बैठने में परेशानी सी होती है। उंगलियों तथा हाथ की अस्थि से बाधित बालको को पेन पकड़ने में तथा लिखने में कठिनाई होती है । ये खेलकूद गतिविधि में अपनी असमर्थता के कारण भाग नहीं ले पाते।

मंदबुद्धि बालक- ये शिक्षक द्वारा पढ़ाए गए पाठ को पूरी तरह नहीं समझ पाते । अमर्त विषयों को समझने में असमर्थ रहते हैं । इनमें असामाजिकता की प्रवृत्ति अधिक होती है । मौलिक कार्य करने की क्षमता नहीं होती। अजीब हरकतें करते भी पाए जाते हैं। बुद्धि परीक्षण से इनकी बुद्धिलब्धि ज्ञात हो सकती है।

बहुअक्षमता वाले बालक- जिन बालकों में उपरोक्त उल्लेखित एक से अधिक अक्षमता या बाधा पाई जाती है जैसे शारीरिक बाधा के साथ मानसिक बाधा भी वे इस श्रेणी में आते हैं।

उपरोक्त श्रेणी के बालकों का क्रियात्मक परीक्षण करने से उनकी शारीरिक व मानसिक स्तर के मापन या आकलन हो सकता है । दृष्टिबाधित बालक की दृष्टि क्षमता पास की नजर या दूर की नजर कितनी है यह इलेक्ट्रॉनिक मशीन की जाँच से या दर्पण में अक्षरों को पढ़ने के सामर्थ्य से पता चलती है। श्रवण बाधित बालक की सुनने की क्षमता के प्रतिशत की जाँच भी ध्वनि जाँच करने वाले यंत्रों द्वारा की जा सकती है । अस्थिबाधित बालकों की विकलांगता का प्रतिशत कितना है यह भी चिकित्सकीय जाँच से पता चलता है। बाधित बालकों की पहचान तथा उनका क्रियात्मक आकलन उनकी चिकित्सा में सहायक होता है।

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