शिक्षा में कलाएं और कलाओं में शिक्षा में अंतर का वर्णन कीजिए।

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शिक्षा में कलाएं और कलाओं में शिक्षा विषय पर पुस्तक के पूर्व पृष्ठों में चर्चा की जा चुकी है। शिक्षा में कलाओं की उपस्थिति एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा है और विभिन्न कलाएं भी शिक्षा को स्वयं में समाहित किए हुए हैं। इस प्रकार दोनों ही अवधारणाएं उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण हैं । इन दोनों अवधारणाओं में उपयोगिता की दृष्टि से कोई अन्तर दिखायी नहीं देता परन्तु सामान्य दृष्टि से इनमें विभेद किया जा सकता है । इस विभेद पर जहाँ विशेषज्ञों के व्याख्यान आयोजित किये जा सकते हैं वहीं इस पर शिक्षकों एवं छात्रों में सामूहिक परिचर्चा का आयोजन भी किया जा सकता है। इस प्रकार विशेषज्ञों के व्याख्यान और सामूहिक परिचर्चा के आधार पर शिक्षा में कलाएं और कलाओं में शिक्षा में अन्तर को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है –

(1) शिक्षा में कलाओं के समावेश से विभिन्न प्रकार की कलाओं का ज्ञान हो जाता है अर्थात् इस अवधारणा में छात्रों का कलात्मक पक्ष विकसित होता है जबकि कलाओं से मिलने वाली शिक्षा के द्वारा ज्ञानात्मक पक्ष का विकास होता है ।

(2) शिक्षा में कलाओं का स्वरूप व्यावहारिक और प्रयोगात्मक होता है परन्तु कलाओं में शिक्षा सैद्धान्तिक रूप ग्रहण कर लेती है।

(3) शिक्षा में कलाओं की अवधारणा छोटे बालकों से अधिक सम्बन्धित होती है क्योंकि उनमें विभिन्न कलाओं के प्रति रुचि होती है परन्तु कलाओं के द्वारा शिक्षा प्राप्त करना परिपक्वता का विषय है। अतः इस अवधारणा का उपयोग माध्यमिक और उच्च स्तर पर अधिक सार्थक होता है।

(4) शिक्षा में कलाओं के अन्तर्गत काल्पनिकता और मानसिक विचारों का समावेश पाया जाता है जबकि कलाओं में शिक्षा की अवधारणा बौद्धिक विकास और यथार्थता की ओर संकेत करती है।

(5) शिक्षा में विभिन्न कलाओं के समावेश से छात्रों में कौशलात्मक एवं कलात्मक योग्यता की सम्भवना व्यक्त की जाती है जबकि कलाओं में शिक्षा पर विचार किया जाये तो इसके द्वारा इस प्रकार के विकास की सम्भावना कम होती है क्योंकि विभिन्न कलाओं के द्वारा शिक्षा प्राप्त करने का ही प्रयास किया जाता है कलात्मकता या कौशल अर्जित करने का प्रयास इससे कम ही किया जाता है ।

(6) शिक्षा में कलाएं, कलाओं में शिक्षा की अपेक्षा संकुचित होती है क्योंकि जिन कलाओं का शिक्षा में समावेश किया जाये छात्र केवल उन्हीं के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं जबकि विभिन्न कलाओं में निहित शिक्षा की कोई सीमा नहीं होतीइस शिक्षा का निरन्तर विस्तार होता जाता है। अतः कलाओं में शिक्षा को अधिक व्यापक माना जाता है। उपरोक्त बिन्दुओं के आधार पर दोनों अवधारणाओं में अन्तर तो स्पष्ट हो जाता है परन्तु विशेषज्ञों के व्याख्यान या सामूहिक परिचर्चा के द्वारा पूर्ण रूप से यथार्थ परिणाम नहीं निकाले जा सकते । व्यापक अवधारणा यह यह है कि चाहे शिक्षा में कलाओं का समावेश हो कलाओं में शिक्षा का दोनों अवधारणाओं का प्रमुख उद्देश्य छात्रों को कलाओं और शिक्षा के माध्यम से सर्वांगीण विकास के पथ पर ले जाना है । इसके लिए एक शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। शिक्षक को अपने ज्ञान और विवेक से दोनों अवधारणाओं में इस प्रकार का सामंजस्य उपस्थित करना चाहिये जिससे छात्रों को अधिक से अधिक लाभ एवं सन्तुष्टि प्राप्त हो सके तभी शिक्षा में कलाएं और कलाओं में शिक्षा की अवधारणा प्रभावी एवं सार्थक हो सकेगी।

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