भारतीय शिक्षा – शास्त्री के अनुसार शिक्षण कौशलों की सूची तैयार करें?

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रतीय शिक्षा शास्त्री बी.के. पासी (1975) ने अपने अध्ययन के आधार पर निम्नलिखित शिक्षण कौशलों की सूची तैयार की है –

(1) अनुदेशात्मक उद्देश्यों को लिखना।

(2) पाठ की प्रस्तावना या विन्यास प्रेरणा

(3) प्रश्न पूछने की प्रवाहशीलता

(4) खोजपूर्ण प्रश्न

(5) व्याख्या कौशल

(6) दृष्टान्त कौशल

(7) उद्दीपन परिवर्तन

(8) मौन तथा अशाब्दिक संकेत

(9) पुनर्बलन

(10) विद्यार्थी प्रतिभागिता को प्रोत्साहन देना

(11) श्यामपट्ट उपभोग

(12) समाप्ति की उपलब्धि

(13) विद्यार्थी व्यवहार की पहचान

पासी ने अपनी पुस्तक “Becoming Better Teacher : A Micro – Tcaching Approach” में इन तेरह कौशलों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है।

भारत में ललिता (1976) ने शिक्षण कार्य का विश्लेषण करके, सुसंगत साहित्य का अध्ययन करके, अध्यापकों और मुख्य अध्यापकों के साथ साक्षात्कार करके माध्यमिक अध्यापकों के लिए सामान्य शिक्षण कौशलों का पता लगाया।

इस कार्य के आधार पर सी.ए.एस ई. में बड़ौदा सामान्य शिक्षण क्षमता पैमाना (बी.जी.टी.सी.स्केल) विकसित किया गया । एन.सी.ई.आर.टी.दिल्ली में जंगीरा और उसके साथियों ने इस परीक्षण को परिमार्जित किया है और देश के विभिन्न भागों के विद्यार्थी – अध्यापकों सेवाकालीन अध्यापकों और अध्यापक शिक्षाविदों के साथ काम करते हुए बीस शिक्षण कौशल प्रस्तुत किये हैं –

(1) शिक्षण उद्देश्य लिखना

(2) विषय – वस्तु आयोजन

(3) पाठ प्रस्तुत करने के लिए सेट का सृजन

(4) पाठ प्रस्तुत करना

(5) कक्षा के प्रश्नों की संरचना

(6) प्रश्नों की डिलीवरी, उनका वितरण

(7) अनुक्रिया प्रबन्ध

(8) व्याख्या करना

(9) उदाहरणों के साथ समझाना

(10) अध्यापक के सहायक साधनों का उपयोग

(11) उद्दीपन विविधता

(12) पुनर्बलन

(13) पाठ की गति का निर्धारण

(14) विद्यार्थियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना

(15) ब्लेक – बोर्ड का इस्तेमाल

(16) पाठ का समापन करना

(17) काम सौंपना

(18) विद्यार्थियों की प्रगति का मूल्यांकन

(19) विद्यार्थियों की अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयों का पता लगाना और उपचारात्मक उपाय करना।

(20) कक्षा का प्रबन्ध

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