अध्यापक छात्र सहभागिता को विकसित करने हेतु मोम एवं अशाब्दिक संकेतों का इस्तेमाल क्यों करता है? प्रकाश डालिए।

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मौन एवं अशाब्दिक संकेत :

साधारणतः देखा गया है कि कक्षा में केवल अध्यापक ही बोलता रहता है और छात्र मौन श्रोता बने रहते हैं। ऐसी स्थिति में शीघ्र ही छात्र पाठ. में रुचि लेना कम कर देते हैं और उनका ध्यान पाठ से हट जाता है। इससे छात्र पाठ को भली प्रकार ग्रहण नहीं कर पाते। जब छात्र पाठ में स्वतन्त्रतापूर्वक दिल खोल कर भाग लेते हैं, प्रश्नों के उत्तर देते हैं, शंकाओं का समाधान करते हैं, विभिन्न बिन्दुओं पर बहस करते हैं तो उन्हें पाठ्यवस्तु को हृदयंगम करने में कठिनाई नहीं होती। छात्र संभागिता के विकास हेतु आवश्यक है कि छात्रों को प्रोत्साहित किया जाये और उन्हें निर्देश दिये जायें कि वे प्रश्न पूछे, शंकाओं का समाधान करावें, अपने विचार व्यक्त करें और बराबर पाठ में रुचि लें।

छात्र सहभागिता को विकसित करने हेतु आवश्यक है कि अध्यापक स्वयं कम बोले और छात्रों को बोलने व अपनी बात कहने का अधिक अवसर दे । छात्र अधिक भाग लें इसके लिए उन्हें प्रेरित व प्रोत्साहित करने हेतु अध्यापक को मौन एवं संकेत का उपयोग भी करना पड़ता है। बिना मुख से कुछ बोले अध्यापक इशारों – इशारों में छात्रों को अनेक आदेश देता है या बताता है कि उनकी बात सही है अथवा नहीं।

मौन – मौन का अर्थ है संक्षिप्त विराम, जिसमें अध्यापक चुप रहता है और छात्रों को सोचने का अवसर प्रदान करता है।

अशाब्दिक संकेत – बिना कुछ कहे या शब्दों का उपयोग किए चेहरे के भावों, शरीर के संचलन, सिर, हाथ व पैरों के संकेतों से विभिन्न बातें या आदेशों के व्यक्त किये जाने को अशाब्दिक संकेत कहते हैं । ये निम्न होते हैं –

(1) चेहरे के संकेत – मुस्कान, घूरना, विचारपूर्वक देखना, प्रश्नवाचक नजर, क्रोधपूर्ण मुद्रा आदि।

(2) सिर के संकेत – सिर हिलाकर, हाँ या ना का संकेत, सिर को ऊपर की ओर हिलाकर संकेत कि हाँ हाँ कुछ कहो ।

(3) शरीर के संकेत – कक्षा में चलना – टहलना, तेज चलना, छात्र के समीप जाना या रुकना, झुकना आदि।

(4) हल के, संकेत – उंगली का इशारा करना, हाथ से संकेत कि बोलते रहो या कार्य करते रहो, रुकने का संकेत, किसी अन्य को बोलने का संकेत, खड़े होने या बैठने का संकेत आदि।

इन विभिन्न प्रकार के संकेतों का छात्राध्यापक यदि अभ्यास कर ले और उनके उचित उपयोग का अभ्यास करें तो पाठ को प्रभावशाली बनाया जा सकता है।

इस कौशल की पर्यवेक्षक व मूल्यांकन सूची इस प्रकार है –

(1) सोचने के प्रोत्साहन हेतु अध्यापक द्वारा मौन

(2) छात्र संभागिता के प्रोत्साहन हेतु अध्यापक द्वारा चेहरे के संकेत

(3) अध्यापक द्वारा सिर के संकेत

(4) अध्यापक द्वारा शरीर के संकेत

(5) अध्यापक द्वारा हाथ के संकेत

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