नियोजित पुनरावृत्ति कौशल पर एक सूक्ष्म पाठ योजना बनाइए।

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कक्षा – 6

विषय –  हिन्दी व्याकरण

प्रकरण –  संज्ञा

समय –  10 मिनट

शिक्षक            श्यामपट्ट पर निम्न शब्द लिखता है –

                        रीना, दूरी, गगन, श्याम, नगर, दिल्ली, चलना, ऊपर, दुःख, ऊंट, अमिताभ, कुर्सी श्यामपट्ट पर लिखे शब्दों को समझने का प्रयल करते हैं।

शिक्षक            छात्रों से प्रश्न पूछते हैं कि प्रत्येक शब्द क्या बताता है।

छात्र                 रोना –  कार्य है।

                        दूरी –  संबंध बनाती है

                        गगन –  आसमान का नाम है

                        श्याम –  व्यक्ति का नाम है

शिक्षक            नाम को व्याकरण में संज्ञा कहा जाता है

                        प्रश्न – संज्ञा क्या है?

छात्र                 संज्ञा ‘नाम’ लेना है।

शिक्षक            उपरोक्त में जो नाम थे वे अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखें।

छात्र                 लिखते हैं  गगन, श्याम, नगर, दिल्ली, ऊंट, कुर्सी, अमिताभ

शिक्षक            व्यक्ति के नाम बताएं।

छात्र                 व्यक्ति के नाम है – श्याम, अमिताभ, गगन ।

शिक्षक             वस्तु के नाम बताएं?

छात्र                 कुर्सी

शिक्षक            जगह के नाम बताएं?

छात्र                 दिल्ली, नगर

शिक्षक            भाव के नाम बताएं।

छात्र                 रोना, दु:ख।

शिक्षक            इन सभी को संज्ञा कहा जाता है। संज्ञा की परिभाषा बताएं।

छात्र                 संज्ञा नाम है व्यक्ति, वस्तु, स्थान, जाति एवं भाव का।

शिक्षक            शाबाश! संज्ञा की परिभाषा होगी –

                        किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, जाति एवं भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं। (श्यामपट्ट पर लिखता है।)

छात्र                 परिभाषा अपनी पुस्तिका में लिखते हैं।

शिक्षक            इसे एक – एक करके पढ़े।

छात्र                 एक – एक करके ऊंची आवाज में पढ़ते हैं।

शिक्षक            श्यामपट्ट पर लिखी परिभाषा को मिटा देता है व छात्रों से एक – एक करके तीन – चार बार परिभाषा दोहरवाता है।

छात्र                 छात्र परिभाषा दोहराते हैं।

(1) अध्यापक/छात्रों द्वारा पाठ के मुख्य बिन्दुओं का समाकलन –  पाठ के मुख्य बिन्दुओं पर, जिन पर चर्चा हो चुकी है, नई समस्याएं उपस्थित कर अथवा प्रश्न पूछकर इनका समाकलन करना । इस प्रक्रिया में यह भी पता लगता है कि छात्र कितना और कहाँ तक समझ पाए हैं। यदि उसमें कमी रह गई हो तो अध्यापक उसे पूरा कर सकता है। अध्यापक प्रश्न पूछ कर, रेखाचित्र द्वारा, समस्या प्रस्तुत कर अथवा अन्य माध्यमों से पठित पाठ/ज्ञान का समाकलन करना है । श्यामपट्ट सारांश इसी उद्देश्य से तैयार किया जाता है।

(2) छात्रों को प्राप्त ज्ञान का नवीन परिस्थितियों में प्रयोग का अवसर देना – पाठ में छात्रों ने जो पढ़ा है, उसे वे नई स्थितियों में काम में ला सकें – इसके लिए उन्हें अध्यापक कहानी परिस्थिति वर्णन, समस्या उपस्थित कर, प्रश्नों द्वारा और चित्रों द्वारा भी हो सकता है। यह प्राप्त ज्ञान के प्रयोग का द्योतक है।<br><br>

(3) वर्तमान ज्ञान का पूर्वज्ञान से सहयोजन – पाठ पढ़ाए जाने से पूर्व जितना ज्ञान छात्रों को था वह उनका पूर्व ज्ञान कहलाता है । वर्तमान पाठ से जो नया ज्ञान उन्होंने प्राप्त किया वह उनका वर्तमान ज्ञान कहलाता है। दोनों प्रकार के ज्ञान के सहयोजन से तात्पर्य है कि दोनों किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित है, और मानव जीवन में इनका एक साथ कितना उपयोग है। अध्यापक को नवीन ज्ञान का पूर्व ज्ञान से उचित समन्वय करने हेतु उचित प्रयत्न करने चाहिए ताकि प्राप्त ज्ञान अधिक स्थायी एवं लाभकारी हो।<br><br>

(4) वर्तमान ज्ञान का अभ्यास से सहयोजन –  अभ्यास से तात्पर्य है वह अभ्यास व दत्तकार्य जो वर्तमान पाठ के पूर्ण होने पर छात्रों को दिये जाते हैं और वे गृहकार्य के रूप में काम करते हैं । इन अभ्यासों से आगे आने वाले ज्ञान को समझने और समन्वित करने में सहायता मिले । ये अभ्यास प्रश्न – विस्तृत, वस्तुनिष्ठ प्रश्न, किसी प्रयोग अथवा समस्या के समाधान ज्ञात करने की क्रिया, रेखाचित्र, चार्ट, मॉडल अथवा अन्य इसी प्रकार की वस्तु तैयार करने का कार्य भी दिया जा सकता है।

इस कौशल की निरीक्षण सूची व मूल्यांकन सूची इस प्रकार हैं

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