प्रशिक्षुता क्या है? इसकी क्या आवश्यकता है?

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प्रशिक्षुता वह अवधि है जो प्रशिक्षणार्थी द्वारा क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले बिताई जाती है। जिस तरह कानन के विद्यार्थियों के पास चिकित्सा विद्यार्थियों के पास वास्तविक व्यवसाय शुरू करने से पहले प्रशिक्षण प्राप्त होता है।

शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का मूल स्रोत समझा जाता है । इसलिए इसे लापरवाही से निपटाया नहीं जा सकता। विद्यार्थी – अध्यापकों के लिए भी यह जरूरी है कि वे अपने कौशलों को परिष्कृत करने के लिए प्रशिक्षुता प्रशिक्षण प्राप्त करें और इससे वे वास्तविक कक्षाओं की स्थितियों में इनका इस्तेमाल करने की योग्यता विकसित कर सकते हैं। सूक्ष्म – शिक्षण के लिए अध्यापक को वैयक्तिक रूप से सीखे गए कौशलों को एकीकृत रूप से उपयोग करना होता है, जिसके लिए समुचित अभ्यास की जरूरत होती है।

प्रशिक्षुता में, विद्यार्थी – अध्यापक को अनुरूपित स्थितियों में अभ्यास करना चाहिए, जिसका प्रेक्षण – विद्यार्थी – अध्यापकों द्वारा किया जाना चाहिए। महाविद्यालय पर्यवेक्षक विद्यार्थी – अध्यापकों का प्रेक्षण करेगा और अपना सुझाव केवल उस मामले में देगा, जब वह बहुत जरूरी हो अथवा जब वह विद्यार्थी अध्यापकों के पक्ष में और कुछ विशेष विचार चाहता हो । समकक्ष पर्यवेक्षक की टिप्पणियों से कौशल उपलब्धि में और बढ़ोत्तरी होगी और इससे उसे एक प्रभावकारी अध्यापक बनने में सहायता मिलेगी।

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