शिक्षण कौशलों के एकीकरण से आपका क्या अभिप्राय है? एकीकरण की आवश्यकता और उद्देश्य पर चर्चा करें।

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अध्यापक किसी एक शिक्षण परिस्थिति में सभी प्रकार के कौशलों को किसी न किसी रूप में अवश्य ही प्रयोग करें, यह आवश्यक नहीं है। परन्तु मुख्य बात यह है कि अध्यापक अपने शिक्षण काल के दौरान यह तय कर लें कि उसे कौन – कौनसे शिक्षण कौशलों का प्रयोग करना है। अध्यापक को चयन करते समय अपनी योग्यताओं और क्षमताओं को अवश्य ही ध्यान में रखना चाहिए । इसलिए शिक्षण कौशलों के चयन, संगठन और प्रयोग सम्बन्धी प्रक्रिया को शिक्षण कौशलों का एकीकरण कहा जाता है।

एकीकरण की आवश्यकता – सूक्ष्म शिक्षण का सैद्धान्तिक आधार शिक्षण का विश्लेषणात्मक स्वरूप है। इस सिद्धान्त के अनुसार शिक्षण कार्य को पहले बहुत छोटे – छोटे शिक्षण कौशलों में बाँट दिया जाता है और फिर इन कौशलों को अति सूक्ष्म शिक्षण व्यवहारों को अर्जित करके इन कौशलों में प्रवीणता प्राप्त की जाती है और एक सफल अध्यापक बना जा सकता है । कक्षा में भिन्न – भिन्न स्थितियों में इन शिक्षण कौशलों का उपयोग समन्वित ढंग से किया जाता है। यह आवश्यक हो जाता है कि अलग – अलग अर्जित किए हुए शिक्षण कोशलो को एकीकृत या समन्वित करके एक पूर्ण शिक्षण कला के रूप में प्रयोग कराने का अभ्यास कराया जाता है । इन कौशलों को एकीकृत करने की प्रक्रिया द्वारा यह कार्य ठीक से हो सकता है |

इन कौशलों को एकीकृत करने का उद्देश्य सूक्ष्म शिक्षण परिस्थितियों में किए हुए शिक्षण कौशल अभ्यास को वास्तविक शिक्षण परिस्थितियों में स्थानान्तरण करने में सहायता करता है और साथ ही एक शिक्षण परिस्थिति और अनुदेशात्मक उद्देश्यों के संदर्भ में विभिन्न शिक्षण कौशलों को एकीकृत करने का अभ्यास भी कराता है।


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