व्याख्यान कौशल को स्पष्ट कीजिये ।

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आदिकाल से ही अध्यापक व्याख्यान द्वारा अपनी बात छात्रों को समझाता रहा है। आज भी इस विधि का सर्वाधिक उपयोग होता है। इसके पक्ष में पर्याप्त तर्क दिये जाते हैं तथा इसके विरोध में भी कई बातें कही जाती हैं लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि व्याख्यान हमारी शिक्षा में ज्ञान प्रदान करने का मुख्य विधि है। इसे ज्यादा लाभप्रद तथा प्रभावशाली बनाने हेतु अध्यापकों को विभिन्न घटकों में कुशलता प्राप्त करनी चाहिए ताकि उनका पर्याप्त एवं उचित उपयोग किया जाये। इस कौशल में भाषा तथा वक्तृता – सहजता, दृश्य – श्रव्य साधन, वक्तृता गति, रुचिकर उक्तियाँ आदि में पारंगतता प्राप्त करना वांछित है।

व्याख्यान कौशल के विभिन्न उपकौशल (घटक) हैं –

भाषा – अध्यापक की भाषा सुबोध तथा सुगम हो ताकि छात्रों को समझ आये। क्लिष्ट भाषा का प्रयोग न किया जाये। छात्रों के ज्ञान स्तर के अनुरूप भाषा का प्रयोग वांछित है ।

आवाज – अध्यापक की आवाज सुस्पष्ट हो तथा इतनी ऊंची हो कि पूरी कक्षा को सुनाई दे । बहुत ऊंची आवाज भी छात्रों की समझ में बाधक होती है । इसे वक्तृता सहजता भी कहते हैं।

उक्तियों का प्रयोग – व्याख्यान में यथासंभव रुचिकर उक्तियों का प्रयोग किया जाये । इससे छात्रों का ध्यान केन्द्रित रहता है तथा बताई गई बातें उनकी समझ में आ जाती हैं।

व्याख्यान गति – वक्तव्य की गति तेज न हो। छात्रों के स्तर के अनुरूप शिक्षक की बोलने की गति हो, न ज्यादा तीव्र हो, न इतनी धीरे कि रुक – रुक कर बोलने जैसा लगे

दृश्य – श्रव्य साधन – दृश्य श्रव्य साधनों का यथासंभव उचित स्थान पर उपयोग किया जाये । जबरदस्ती भी इन्हें व्याख्यान में न ठूँसा जाये।

दोहराना – शिक्षक को अपने कथन को दोहराना नहीं चाहिए। छात्रों के पूछने पर ही दोहरायें लेकिन अपनी बात को बार – बार न दोहरायें नहीं तो छात्रों को आदत हो जायेगी कि दोहराने पर ही ध्यान देंगे।

अंतरक्रिया परिवर्तन – शिक्षक को व्याख्यान देते समय बीच – बीच में प्रश्न पूछने चाहिए तथा छात्रों के उत्तरों का भी व्याख्यान में उपयोग करना चाहिए । श्यामपट पर चित्र बनाकर अगर शिक्षक कुछ समझा रहा है तो उसे किसी छात्र को श्यामपट पर बुलाकर उसका सहयोग लेना चाहिए। छात्रों को भी अपनी बात कहने का अवसर देना चाहिए । यहाँ अंतरक्रिया परिवर्तन है ।

इन सभी अथवा इनमें से अधिकांश घटकों का होना व्याख्यान को प्रभावी बनाता है।

इस कौशल के विभिन्न घटकों का आवृत्ति अंकन अनुसूची (1) तथा इस आवृत्ति का गुणात्मक मूल्यांकन अनुसूची (2) पर अंकित किया जाता है ।

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