अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956

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अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956- इस अधिनियम के अनुसार 18 वर्ष का कोई भी व्यक्ति नाबालिग है। यह अधिनियम व्यवसायिक यौन उत्पीड़न (वैश्यावृत्ति) के उद्देश्यों से किये जाने वाले व्यापार की रोकथाम एवं इससे सुरक्षा प्रदान करता है। वैश्यावृत्ति करने या उसके लिए फुसलाने/ याचना करने के सम्बन्ध में दोषी महिला को उसके मानसिक या शारीरिक स्थिति के आधार पर न्यायालय उसको सुधार संस्था में भी भेजने का आदेश दे सकती है।

अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम के अंतर्गत बाल एवं महिला विशेष निम्नलिखित कार्य अपराध हैं –

  • अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे या नाबालिग द्वारा की गई वेश्यावृत्ति की कमाई पर रहता है तो ऐसे व्यक्ति को कम से कम 7 साल व अधिक से अधिक 10 साल की जेल हो सकती है।
  • 18 साल से कम उम्र की लड़की को गैर कानूनी संभोग के लिए फुसलाना (धारा-366-क) -यदि कोई व्यक्ति किसी 16 साल से कम उम्र की लड़की को फुसलाता है, किसी स्थल से जाने को या कोई कार्य करने को यह जानते हुए कि उसके साथ अन्य व्यक्ति द्वारा गैर कानूनी संभोग किया जाएगा या उसके लिए मजबूर किया जाएगा तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
  • विदेश से लड़की का आयात करना (धारा 366-ख)– अगर कोई व्यक्ति किसी 21 साल से कम उम्र की लड़की को विदेश से या जम्मू कश्मीर से लाता है, यह जानते हुए कि उसके साथ गैर कानूनी संभोग किया जाएगा या उसके लिए मजबूर किया जाएगा तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
  • वेश्यावृत्ति आदि के लिए बच्चों को बेचना (धारा-372)- अगर कोई व्यक्ति किसी 18 साल से कम उम्र के बच्चे को वेश्यावृत्ति, या गैर कानूनी संभोग, या किसी कानून के विरूद्ध और दुराचारिक काम में लाए जाने या उपयोग किए गए जाने के लिए उसको बेचता है या भाड़े पर देता, तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।
  • यदि कोई व्यक्ति किसी 18 साल से कम उम्र की लड़की को किसी वेश्या या किसी व्यक्ति को, जो वेश्यागृह चलाता हो या उसका प्रबंध करता हो, बेचता है, भाड़े पर देता है तो यह माना जाएगा कि उस व्यक्ति ने लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए बेचा है, जब तक कि इसके विपरीत साबित न हो जाए।
  • वेश्यावृत्ति आदि के लिए बच्चों को खरीदना (धारा 373) -अगर कोई व्यक्ति किसी 18 साल से कम उम्र के बच्चे को वेश्यावृत्ति, या गैर कानूनी संभोग, या किसी कानून के विरूद्ध, और दुराचारिक काम में लाए जाने या उपयोग किए जाने के लिए उसको खरीदता है या भाड़े पर देता है, तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल की जेल और जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।

राज्य सरकार इस अधिनियम के अंतर्गत अपराधों के संबंध में विशेष पुलिस अधिकारियों को नियुक्त करेगी। सरकार कुछ महिला सहायक पुलिस अधिकारियों की भी नियुक्ति कर सकती है।

इस अधिनियम के अंदर दिए गए सभी अपराध संज्ञेय हैं –

इस अधिनियम के अंदर दिए गए अपराध के दोषी व्यक्ति को विशेष पुलिस अधिकारी या उसके निर्देश के बिना, वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।

तलाशी लेना –

विशेष पुलिस अधिकारी या दुर्व्यापार पुलिस अधिकारी बिना वारंट के किसी स्थान की तलाशी तब ले सकते हैं, जब उनके साथ उस स्थान के दो या दो से अधिक सम्मानित व्यक्तियों, जिनमें कम से कम एक महिला भी साथ हो।

वहां पर मिलने वाले व्यक्तियों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। ऐसे व्यक्तियों की आयु, लैंगिक शोषण, व यौन संबंधी बीमारियों की जानकारी के लिए चिकित्सीय जांच करायी जाएगी।

ऐसे स्थानों पर मिलने वाली महिलाएं या लड़कियों से, महिला पुलिस अधिकारी ही पूछताछ कर सकती है।

वेश्यागृह से छुड़ाना – अगर मजिस्ट्रेट को किसी पुलिस अधिकारी या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति से सूचना मिलती है कि कोई व्यक्ति वेश्यावृत्ति कर रहा है या करता रहा है तो पुलिस अधिकारी (जो इंस्पेक्टर की श्रेणी से उच्च का होगा) उस स्थान की तलाशी लेने और वहां मिलने वाले लोगों को उसके सामने पेश करने को कह सकता है।

वेश्यागृह को बंद करना –

मजिस्ट्रेट को पुलिस से या किसी अन्य व्यक्ति से सूचना मिलती है कि कोई घर मकान, स्थान आदि सार्वजनिक स्थान के 200 मीटर के भीतर वेश्यावृत्ति के लिए प्रयोग किया जा रहा है तो वह उस जगह के मालिक किराएदार, एजेंट या जो उस स्थान की देखभाल कर रहा है, उसे नोटिस देगा कि वह सात दिन के अंदर जवाब दें कि क्यों न उस स्थान को अनैतिक काम के लिए प्रयोग किए जाने वाला घोषित किया जावे।

सम्बंधित पक्ष को सुनने के बाद यदि यह लगता है कि वहां पर वेश्यावृत्ति हो रही है तो मजिस्ट्रेट सात दिन के अंदर उसको खाली करने व उसकी अनुमति के बिना किराये पर न देने के आदेश दे सकता है।

संरक्षण गृह में रखने के लिए आवेदन –

कोई व्यक्ति जो वेश्यावृत्ति करता है या जिससे वेश्यावृत्ति करायी जाती है, वह मजिस्ट्रेट से संरक्षण गृह में रखने व न्यायालय से सुरक्षा के लिए आवेदन कर सकता है।

मानव तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा व पुनर्वास) बिल, 2018– महिला व बाल विकास मंत्रालय द्वारा 18 जुलाई, 2018 को लोकसभा में यह बिल पेश हुआ जो 26 जुलाई, 2018 को एक सदन में पारित हो गया। एक सदन में पारित इस बिल में सभी तरीकों से तस्करी की जांच करने के लिए और तस्करी पीड़ितों के बचाव, सुरक्षा व पुनर्वास के नियम स्थापित करने का प्रावधान है।

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