पर्यटन एवं पर्यटन स्थल

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पर्यटन

  • पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान न सिर्फ भारत, अपितु विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अपना विशिष्ट स्थान रखता है।
  • यहां देशी-विदेशी पर्यटकों हेतु अनेक आकर्षण के केन्द्र हैं। राज्य में पर्यटन के विशेष आकर्षण के केन्द्र शाही रेलगाड़ी जैसे पैलेस ऑन व्हील्स एवं रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स, किले, महल एवं हवेलियां, मेले एवं त्यौहार, ऐतिहासिक अतीत एवं शौर्य, पराक्रम व वीरता की गाथाएं,हस्तकलाएं, लोक संस्कृति, हैरिटेज होटल, एडवेन्चर ट्यूरिज्म, ग्रामीण एवं ईको ट्यूरिज्म, धार्मिक पर्यटन एवं मंदिरों की स्थापत्य कला, लोक संगीत एवं शास्त्रीय संगीत, नृत्य इत्यादि हैं।
  • पर्यटन से रोजगार एवं राजस्व में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से वृद्धि होती है। साथ ही बहुमूल्य विदेशी मुद्रा का अर्जन तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है।
  • पर्यटन उद्योग के रूप में तेजी से विकसित होने वाला क्षेत्र है, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला उद्योग बन चुका है।
  • पर्यटन विश्व में सबसे बड़े उद्योग के रूप में उभरा है, जिसकी वृद्धि दर भी सर्वाधिक है। अन्य आर्थिक सेक्टरों की तुलना में पर्यटन में निवेश से सर्वाधिक प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार सृजित होता है।
  • प्रदेश के आर्थिक विकास में पर्यटन के महत्त्व को देखते हुये राज्य सरकार ने पर्यटन विकास एवं पर्यटन को विकसित करने की दिशा में अनेक कारगर कदम उठाये हैं।
  • राजस्थान में पर्यटन को व्यावसायिक स्वरूप दिया जा रहा है। वर्तमान में देश में आने वाला हर तीसरा पर्यटन राजस्थान आता है।
  • राजस्थान में पर्यटन के विकास हेतु 1956 में पर्यटन विभाग एक स्वतंत्र विभाग के रूप में कार्यरत है।
  • राजस्थान टुरिज्म का पहला लोगों:-ढोलामारू (1978)
  • राजस्थान टूरिज्म का लोगों (प्रतीक चिन्ह):- पधारों म्हारे देश (पहले- ना जाने क्या दिख जाए)
  • पधारों म्हारे देश लोगों को 1993 में ललित के पंवार द्वारा लांच कया गया।
  • पर्यटन विभाग के नियंत्रण में दो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम क्रमशः राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड एवं राजस्थान राज्य होटल निगम लिमिटेड तथा एक स्वायत्त संस्थान ‘राजस्थान पर्यटन और यात्रा प्रबन्ध संस्थान  (रिटमैन)’ कार्यरत है। 
  • 2019 में (मार्च तक) 128.94 लाख पर्यटको ने (6.25 लाख विदेशी )ने राजस्थान भ्र्मण किया।
  • वर्ष 2018 में राज्य में 519.90 लाख पर्यटक (जिसमें 17.15 लाख विदेशी) पर्यटको ने राजस्थान भ्रमण किया।

राजस्थान में पर्यटन विकास के विभिन्न प्रयास :-

  • पुष्कर रोप-वे का शुभारम्भः मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 3 मई, 2016 को पुष्कर में रोप-वे का शुभारंभ किया।
  • यह रोप-वे ट्रेक 700 मीटर लंबा है। इससे महज 6 मिनट में सावित्री मंदिर पहुँचा जा सकेगा।
  • यह रोप-वे कोलकाता की दामोदर रोप-वे इंफ्रा लिमिटेड कम्पनी द्वारा निर्मित किया गया है।
  • राजस्थान का पहला राेप-वे-:  सुंधा माता (जालौर) 2006 में लम्बा 800 मीटर।

पर्यटन इकाई नीति-2015

  • मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने 4 जून, 2016 को नई दिल्ली में आयोजित एम्बेसडर्स राउंड-टेबल कॉन्फ्रेंस में नई राजस्थान पर्यटन इकाई नीति-2015 जारी की।

उल्लेखनीय बिन्दु :-

  • इस नीति में पर्यटन क्षेत्र की विभिन्न इकाईयों को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है जिनमें अब होटल, मोटेल, हैरिटेज होटल, बजट होटल, रेस्टोरेन्ट, केम्पिंग साइट, माइस/कन्वेंशन सेंटर, स्पोर्ट्स रिसोर्ट, रिसोर्ट, हैल्थ रिसोर्ट, एम्यूजमेंट पार्क, एनिमल सफारी पार्क, रोप वे, ट्यूरिज्म लग्जरी कोच, केरावेन एवं क्रूज पर्यटन सम्मिलित है।
  • नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नवीन पर्यटन इकाईयों का भूमि सम्परिवर्तन निःशुल्क होगा।
  • नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान हैरिटेज सम्पत्तियों एवं हैरिटेज होटलों को भू-सम्परिवर्तन शुल्क से मुक्त किया गया है।
  • हैरिटेज होटलों को पट्टा जारी करने के लिए पात्र माना जाएगा।
  • सभी पर्यटन इकाईयाँ अपने लिए मानव संसाधन प्रशिक्षित करने हेतु राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम के अन्तर्गत रोजगार से जुड़े कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए प्रशिक्षण संस्थान के अनुमोदन के लिए पात्र होंगी।
  • सिंधु दर्शन यात्रा योजनाः लद्दाख स्थित सिंधु दर्शन यात्रा योजना 2015-16 में लागू की गई। इसके तहत तीर्थ यात्रा पर जाने वाले प्रदेश के 200 तीर्थ यात्रियों को निर्धारित प्रक्रिया के तहत सिंधु दर्शन सहायता राशि दी जायेगी।
  • प्रसाद और हृदय योजनाः धार्मिक यात्रा के कायाकल्प और आध्यात्मिक सुदृढ़ीकरण और हेरीटेज सिटी के विकास के लिए केन्द्र सरकार ने निम्न दो नई योजनाएँ ‘प्रसाद’ और ‘हृदय’ योजना बनाई है-
  • प्रसाद योजना- (तीर्थस्थल पुनरोद्धार व आध्यात्मिक परिवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन-National Mission on Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual Augmentatiojn Drive)।
  • केन्द्र सरकार द्वारा यह योजना 9 मार्च, 2015 को लांच की गई। इसके तहत प्रारम्भिक रूप से 12 शहर-अजमेर, अमृतसर, अमरावती, द्वारिका, गया, काँचीपुरम, केदारनाथ, कामख्या, मथुरा, पुरी, वाराणसी व वेल्लांकनी में विकास कार्य किए जाएँगे।
  • हृदय योजना :- यह विरासत नगरों की विशिष्टताओं के संरक्षण ओर परिरक्षण के लिए ‘राष्ट्रीय विरासत नगर विकास और संवर्द्धन योजना’ (HRIDAY-National Heritage Development & Augmentation Yojana) है। इस योजना को 22 जनवरी, 2015 को लाँच किया गया।
  • यह योजना वाराणसी, अमृतसर, वारंगल, अजमेर, गया, मथुरा, काँचीपुरम, वेल्लांकनी, अमरावती, बादामी, द्वारिका व पुरी में लागू होगी।
  • स्वदेश दर्शन योजना :- विशिष्ट थीमों पर आधारित पर्यटन सर्किटों के एकीकृत विकास की योजना जो 9 मार्च, 2015 को लांच की गई। 13 सर्किट चिहिन्त।
  • स्वदेश दर्शन योजना के तहत भारत सरकार ने 30 सितम्बर, 2015 को सांभर लेक टाउन के विकास को स्वीकृति दी है।
  • क‌ृष्णा सर्किट -: श्रीनाथजी (नाथद्वारा),गोविन्द देव जी (जयपुर) कनक व‌ृन्दावन (जयपुर) चरण मंदिर (जयपुर) गलताजी (जयपुर) खाटूश्याम जी (सीकर)।

पर्यटन विभाग द्वारा किये गये प्रयास :-

  • पर्यटन विभाग द्वारा द ग्रेट इंडियन ट्रेवल बाजार इसका आयोजन 19-21 अपैल, 2015 तक जयपुर में किया गया।
  • आमेर महल में 21 फरवरी, 2015 से शाम 7 बजे से 10 बजे तक नाइट टूरिज्म की व्यवस्था की गई है। यह देश का पहला स्मारक होगा जहाँ नाइट टूरिज्म प्रारम्भ किया गया है। पुरातत्व विभाग के मुताबिक ताजमहल सिर्फ पूर्णिमा पर रात में खुलता है तथा उड़ीसा का कोणार्क मंदिर इसके अतिरिक्त देश में किसी भी अन्य स्मारक पर रात के समय पर्यटकों को जाने की अनुमति नहीं है।
  • नाइट जंगल सफारीः राजस्थान के नेशनल पार्क और अभयारण्यों में अब सफारी और नाइट टैकिंग भी हो सकेगी। वन विभाग ने इको टयूरिज्म बढ़ाने के लिए नेशनल  पार्क और अभयारण्यों के बीच निम्न जगहें विकसित की है-
  • भीलवाड़ा का मीनाल-हमीरगढ़ अभयारण्य, चित्तौड़गढ़ का बस्सी और सीतामाता अभयारण्य, अजमेर का पंचकुंड अभयारण्य, जोधपुर का गुढा विश्नोई अभयारण्य, जालौर का सुंडामाता अभयारण्य, चित्तौड़गढ़ में भैंसरोडगढ़ तथा कोटा में मुकुंदरा हिल्स अभयारण्य आदि है।

विरासत संरक्षण योजना :-2004-05 में प्रारम्भ।

  • राज्य सरकार 36 शहरों के लिए विरासत संरक्षण व सौंदर्यन की 300 करोड़ की योजना तैयार कर रही है। इसमें निम्न शहर शामिल होंगे-
  • अजमेर, पुष्कर, अलवर, बाँदीकुई, बाँसवाड़ा, भरतपुर, बीकानेर, बूँदी, छबड़ा, चित्तौड़गढ़, चौमूं, चूरू, रतननगर, डीग, डूँगरपुर, फतेहपुर, जयपुर, जैसलमेर, झालावाड-झालरापाटन, जोबनेर, जोधपुर, झुँझुनूं, करौली, खेतड़ी, कामां, कोटा, कुम्भलगढ़, मंडावा, मेड़तासिटी, नाथद्वारा, नवलगढ़, पीलीबंगा, सांभर, सीकर, उदयपुर व सवाई माधोपुर आदि है।
  •  विभाग द्वारा राज्य में फिल्म पर्यटन को प्रोत्साहन हेतु राजस्थान फिल्म शूटिंग रेगुलेशन-2016 में संशोधन दिनांक 22 जून 2016 को जारी किया गया है। संशोधित राजस्थान फिल्म शूटिंग रेगुलेशन-2016 के अन्तर्गत फिल्म निर्माताओं को रु. 50 लाख की प्रतिभूति जमा, प्रतिदिन रु.15000 का प्रोसेसिंग शुल्क और रु. 1000 के आवेदन शुल्क से छूट प्रदान की गई है।
  •  फिल्म शूटिंग  की अनुमति हेतु जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक एवं सम्बन्धित विभागों के जिलेवार नोडल अधिकारी नियुक्त गए हैं।
  • वर्ष 2016-17 में पर्यटन विभाग द्वारा राज्य में दिसम्बर 2016 तक कुल 91 पर्यटन इकाई परियोजनाऍ अनुमादित की गई है, जिसमें कुल रु. 1650 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है।
  • स्वदेश दर्शन योजनान्तर्गत कृष्णा सर्किट हेतु रु. 91.45 करोड़ की परियोजना स्वीकृत की जा चुकी है। पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार ने फूड क्राफ्ट संस्थान, बारां एवं धौलपुर तथा होटल प्रबन्धन संस्थान, झालावाड़ और सवाई माधोपुर की स्थापना हेतु स्वीकृति प्रदान की है।
  • पर्यटकों की सुविधाओं हेतु 40 पर्यटक स्थलों/स्मारकों एवं मेले-त्यौहार के वर्चुअल ट्यूर बनवाए गए हैं, इन सभी को वैबसाइट पर उपलब्ध करा दिया गया है। विभाग द्वारा अप्रैल 2016 से दिसम्बर, 2016 तक 27 मेले-त्यौहार का आयोजन किया गया।
  • पर्यटन विभाग द्वारा नई पहल के रूप में जयपुर में अन्तर्राष्ट्रीय फोटोग्राफी महोत्सव, उदयपुर में विश्व संगीत समारोह, पुष्कर में धार्मिक संगीत समारोह तथा राजस्थान समारोह एवं राजस्थान दिवस (30 मार्च) का आयोजन जयपुर में करवाया गया।
  • राज्य में शीत महोत्सव, माउण्टआबू एवं पुष्कर मेला-पुष्कर (अजमेर) का सार्वजनिक-निजी सहभागिता से सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।
  • आकर्षक विपणन नीतियों के अन्तर्गत विविध आयामी मीडिया प्लान 4 दिसम्बर, 2016 से प्रारम्भ कर दिया गया है। इस मीडिया प्लान में प्रिन्ट मीडिया, इलेक्ट्रोनिक एवं डिजीटल मीडिया, मल्टीप्लेक्स सिनेमा आदि के आकर्षक विज्ञापनों को प्रदर्शित किया जा रहा है।
  • इसके अतिरिक्त विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु थिम्पू (भूटान) में आयोजित माउण्टेन इकोज लिटरेरी फेस्टिवल एवं लन्दन में आयोजित वर्ल्ड ट्रेवल मार्केट में भाग लेकर राजस्थान पर्यटन का प्रचार-प्रसार किया गया।
  • पर्यटन क्षेत्र में निजी सहभागिता को बढ़ाने हेतु इस विभाग द्वारा रिसर्जेन्ट राजस्थान, 2015 के दौरान रु. 10,442 करोड़ की निवेश राशि के 221 एम.ओ.यू. किए गए, जिसमें 40,000 से अधिक व्यक्तियों के लिए रोजगार प्रस्तावित है।
  • राजस्थान में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक फ्रांस से आते हैं दूसरा स्थान जर्मनी का तथा तीसरा स्थान इटली का है। पर्यटक नवम्बर माह में सर्वाधिक आते हैं।
  • RTDC(Raj. Turism Development Corp.) की स्थापना 1979 में की गई तथा 1989 में मोहम्मदयुनुस समिति की सिफारिशों के आधार पर पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया।
  • राजस्थान में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक जयपुर परिपथ में आते हैं। इसका प्रमुख कारण जयपुर का भारत के प्रमुख पर्यटक परिपथ स्वर्णिम त्रिकोण पर अवस्थित होना है।
  • स्वर्ण नगरी जैसलमेर के सोनार किले को भारत सरकार और वर्ल्ड मोन्यूमेंट संस्था (अमेरिका) के साथ हुए अनुबंध के तहत सोनार किले के संरक्षण के लिए वर्ष 1984 के दौरान तैयार की गई योजना को मूंजरी मिल गई है।
  • महाराणा प्रताप संग्रहालय- हल्दीघाटी (राजसमंद) में प्रताप की 406वीं पुण्य तिथि पर इस संग्रहालय का उद्घाटन किया गया। इसके योजनाकार माहन श्रीमाली हैं।
  • राज्य में सर्वाधिक देशी पर्यटक अजमेर में तथा विदेशी पर्यटक जयपुर में आते है।
  • राजस्थाल राज्य होटल निगम लिमिटेड-  1965 में स्थापित।
  • भारतीय पर्यटन वित्त निगम लिमिटेड (ITDC) – 1989 में कम्पनी अधिनियम के अंतर्गत इस निगम की स्थापना की गई।
  • राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (RTDC) – पर्यटकों को आवास, भोजन, यातायात आदि सुविधायें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1 अप्रेल, 1979 को इसकी स्थापना की गई।
  • राजस्थान इन्स्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एवं ट्रेवल मैनेजमेंट (RITTMAN)– इसकी स्थापना पर्यटन से संबंधित गतिविधियों की जानकारी हेतु जयपुर में 29 अक्टूबर, 1996 को की गई। स्वायतशामी संस्थान।
  • पर्यटक सहायता बल या पर्यटन पुलिस- राज्य में पर्यटकों की सुरक्षा, सहयोग व सहायता हेतु पर्यटन पुलिस योजना 1 अगस्त, 2000 से जयपुर (आमेर व जंतर-मंतर) में प्रारम्भ की गई। राजस्थान देश का पहला राज्य है जहाँ पर्यटन पुलिस तैनात की गई है।
  • हाथी गाँव- आमेर (जयपुर) के निकट कुण्डाग्राम में नेशनल हाइवे-8 पर हाथियों को प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराने व पर्यटकों का आकर्षित करने हेतु हाथी गाँव बसाने का कार्य शुरू किया गया है।
  • पैलेस ऑन व्हील्स- राज्य के राजसी ठाठ-बाट सहित विशेष सुविधाओं से युक्त पैलेस ऑन व्हील्स नामक शाही रेलगाड़ी का शुभारम्भ वर्ष 1982 में किया गया।
  • रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स – 11 जनवरी 2009।
  • फेयरी क्वीन- शेखावटी की कलात्मक हवेलियों की देशी-विदेशी पर्यटकों को सैर कराने हेतु उत्तरी-पश्चिमी रेलवे द्वारा मीटर गेज पर भारत के सबसे पुराने भाप के इंजन से चलने वाली 2003 में प्रारम्भ की गई पर्यटन रेलगाड़ी।
  • 1 अगस्त, 2010 को यूनेस्को के द्वारा घोषित सात स्थलों में जंतर-मंतर, जयपुर भी विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। जो प्रदेश का पहला एस्ट्रोलॉजिकल मॉन्यूमेंट (सौर वैधशाला) है।
  • मार्च 2011 में देवस्थान विभाग के द्वारा मेला प्राधिकरण का गठन किया गया।

पर्यटन विभाग (राजस्थान) द्वारा आयोजित किए जाने वाले मेले एवं उत्सव

मेले एवं उत्सवस्थानमाहमेले एवं उत्सवस्थानमाह
ऊँट महोत्सवबीकानेरजनवरीमरू महोत्सवजैसलमेरजनवरी-फरवरी
हाथी महोत्सवजयपुरमार्चमेवाड़ महोत्सवउदयपुरअप्रैल
ग्रीष्म महोत्सवमाउण्ट आबूमई-जुनमारवाड़ महोत्सव          जोधपुरअक्टूम्बर
शेखावाटी महोत्सवसीकर, चूरू, झुंझुनूंफरवरीशरद् महोत्सवमाउण्ट आबूदिसम्बर
गणगौर मेलाजयपुरमार्च-अप्रैलतीज सवारीजयपुरजुलाई-अगस्त
पुष्कर मेलाअजमेरनवम्बर बेणेश्वर मेलाडूंगरपुरनवम्बर 
कजली तीजबून्दीअगस्तचन्द्रभागाझालावाड़ 
बृज महोत्सवभरतपुरफरवरीकैलादेवी मेलाकरौलीअप्रैल
डीग महोत्सवडीग (भरतपुर)जन्मा‌ष्टमी थार महोत्सवबाड़मेर 
मीराँ महोत्सवचित्तौड़गढ़अक्टूम्बरपतंग उत्सवजयपुर 
मत्स्य उत्सव अलवर    

राजस्थान के पर्यटन स्थल

  • राजस्थान के पर्यटन स्थलों को उनकी विभिन्न विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग भागों में बाँटा गया है, जो निम्नलिखित है –

1.  प्राकृतिक पर्यटन स्थल –

  • प्राकृतिक सौंदर्य के स्थानों पर स्थित पर्यटन स्थलों को “प्राकृतिक पर्यटन स्थल’ कहते हैं।
  • राज्य के प्रमुख प्राकृतिक पर्यटक स्थल – माउण्ट आबू, घना पक्षी अभ्यारण्य, कुम्भलगढ़, सरिस्का, जयसमंद, मैनाल आदि।

2.  तीर्थों की दृष्टि से पर्यटन स्थल –

  • इसके अंतर्गत राज्य के वे पर्यटन स्थल शामिल हैं, जिनका महत्त्व तीर्थों की दृष्टि से है।
  • उदाहरण – रणकपुर, गलता, जयसमंद, सरिस्का, ऋषभदेव, बेणेश्वर, सारणेश्वर आदि।

3.  ऐतिहासिक पर्यटन स्थल –

  • वे स्थल जिनका ऐतिहासिक महत्त्व है, “ऐतिहासिक पर्यटन स्थल’ कहलाते हैं।
  • उदाहरण – रणथम्भौर, मण्डोर, चित्तौड़गढ़, आमेर, विराट, भरतपुर, जालौर, जाेधपुर, उदयपुर आदि।

4.  स्थापत्य कला एवं शिल्प कला की दृष्टि से पर्यटन स्थल –

  • रणथम्भौर, चित्तौड़गढ़, जैसलमेर, बूँदी, आमेर, डीग के महल, उदयपुर के राजमहल, जयपुर का हवामहल, रणकपुर व आबू के जैन मंदिर, अजमेर का अढ़ाई दिन का झौंपड़ा आदि।

5.  हस्तशिल्प कला की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल –

  • राज्य में हस्तशिल्प कला की दृष्टि से प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हैं – उदयपुर के लकड़ी के खिलौने और चाँदी के बर्क का कार्य, जोधपुर की चुन्दड़ियाँ, जयपुर की पत्थर की मूर्तियाँ, सांगानेर की छपाई आदि।

6.  नवीन बाँध एवं विद्युत परियोजनाएँ पर्यटन स्थलों के रूप में –

  • नवनिर्मित बाँध एवं विद्युत परियोजनाएँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
  • राज्य में मेजा बाँध, जाखम बाँध, माही बाँध, जवाई बाँध, बीसलपुर बाँध, प्रताप सागर, गाँधी सागर आदि बाँध प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुए हैं।

7.   नवनिर्मित उद्योगों, फार्मों एवं शिक्षण संस्थानों को देखने के लिए भी पर्यटक दूरदराज से आते हैं। जैसे – भीलवाड़ा की कपड़ा मील, खेतड़ी ताँबा एवं देबारी जिंक स्मेल्टर, जयपुर बॉल बियरिंग व हॉजरी मील कारखानें आदि।

राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों को 5 प्रमुख भाग

1. इसमें जयपुर, अलवर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, भरतपुर आदि जिले आते हैं।

2.इसमें पश्चिमी राजस्थान का विश्वविख्यात मरु प्रदेश आता है।

3. इसमें मेवाड़ का क्षेत्र आता है, जिसमें उदयपुर, चित्तौड़, आबू व रणकपुर शामिल हैं।

4.बूँदी और झालावाड़ का नवीन पर्यटन स्थल क्षेत्र भी सरकार द्वारा इस सूची में शामिल किया गया है।

5. राज्य का शेखावाटी प्रदेश – इसमें सीकर व झुंझुनूं के कुछ क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें कई कलात्मक हवेलियाँ स्थित हैं।

राज्य के जिलेवार प्रमुख पर्यटक स्थल

1. अलवर –

  • अलवर नगर की स्थापना 1771 ई. में महाराजा प्रतापसिंह द्वारा की गई थी।
  • अलवर एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है, जो अपने महलों, झरनों और अजायबघरों के लिए प्रसिद्ध है।

अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a)  सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान –

  • यह अलवर-जयपुर मार्ग पर स्थित है।
  • यहाँ पर शेर, चीते, सांभर, जंगली सूअर, हिरण, नील गाय आदि वन्य जीव पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

(b) सिलीसेढ़ –

  • अलवर में स्थित यह झील 10 वर्ग किमी. क्षेत्र में स्थित है।
  • यह झील मछली पकड़ने और नौका विहार की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।

(c)  राजमहल –

  • राजमहल के दरबार में अलवर का किला मौजूद है।
  • इस किले में सलीम सागर, निकुम्भ महल, सूरजकुण्ड और सूरजमहल स्थापत्य कला की दृष्टि से उत्कृष्ट हैं।
  • यहाँ पर “मूसी महारानी की छतरी’ स्थित है, जिसका निर्माण महाराजा विनय सिंह ने सन् 1815 ई. में करवाया था। लाल पत्थर से निर्मित यह छतरी स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।

(d) अजायबघर –

  • यह विनय विलास महल में स्थित है।
  • यहाँ पर दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ, छायाचित्र, अस्त्र-शस्त्र, अरबी-फारसी के हस्तलिखित ग्रंथों (शेखसादी की गुलिस्तां तथा बाबरनामा) तथा 80 फीट की सचित्र भगवद् गीता आदि का संग्रह है।

(e)  पाण्डुपोल –

  • सरिस्का के दक्षिण-पूर्व में स्थित ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक महत्त्व का स्थान।
  • अलवर के अन्य महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल – पहाड़ी पर बना किला, भर्तृहरि, नीलकंठ, त्रिपोलिया, जयसमंद झील आदि।

2.  अजमेर –

  • अजमेर जिले के चारों ओर स्थित अरावली पर्वत क्रम की पहाड़ियाँ “अजयमेरु’ के नाम से जानी जाती है, इसलिए अजमेर का प्राचीन नाम “अजयमेरु’ भी है।
  • अजमेर की स्थापना अजयपाल चाैहान द्वारा 7वीं शताब्दी में की गई थी।
  • इस नगर की सबसे प्रमुख विशेषता हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मावलम्बियों हेतु इसकी उपयोगिता है।

अजमेर के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a)  ख्वाजा साहिब की दरगाह –

  • पर्यटन की दृष्टि से अजमेर का सबसे प्रमुख स्थल ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है।
  • यहाँ प्रतिवर्ष उर्स के अवसर पर विश्वस्तरीय मेला लगता है, जिसमें लाखों व्यक्ति जियारत के लिए आते हैं।

(b) मैगजीन –

  • अजमेर में स्थित मैगजीन का महल, वर्तमान में संग्रहालय के रूप में स्थित है।

(c) आना सागर –

  • आनासागर का निर्माण 1130 से 1150 ई. के बीच पृथ्वीराज चौहान के पिता आनाजी ने करवाया था।

(d) तारागढ़ (गढबीठली) –

  • तारागढ़ दुर्ग का निर्माण अजय देव चौहान द्वारा करवाया गया था, जो कि एक पहाड़ी पर स्थित है।

(e) सोनीजी की नसियाँ –

  • मूलचंद सोनी द्वारा 1865 ई. में निर्मित इस मंदिर को सिद्धकूट चैत्यालय (वर्तमान में सोनीजी की नसियाँ) के नाम से जाना जाता है।
  • लाल पत्थर से बना हुआ यह मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर “ऋषभदेव’ का मंदिर है।
  • यह मंदिर गोल आकृति का है, जिसमें सृष्टि की रचना का चित्र बना हुआ है, जिसके मध्य भाग में सुमेरू पर्वत तथा दूसरे भाग में महावीर के जन्म के दृश्यों को दर्शाया गया है।

(f) ढाई दिन का झौंपड़ा –

  • इसका निर्माण 1153 ई. में सम्राट बीसलदेव द्वारा संस्कृत महाविद्यालय के रूप में करवाया गया था।
  • 1192 ई. में मोहम्मद गौरी ने इसको ध्वस्त कर इसे ढाई दिन में मस्जि़द का रूप दिया था, इसी कारण इसे ढाई दिन के झौंपड़े के नाम से जाना जाता है।
  • यह हिंदू वास्तुकला का प्राचीनतम एवं सर्वोत्कृष्ठ नमूना है।

(g) पुष्कर –

  • यह हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ स्थल है। यहाँ पर ब्रह्मा जी एवं सावित्री का मंदिर स्थित है, जहाँ कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है, जिसमें पर्व स्नान किया जाता है।
  • रमा बैकुंठ मंदिर, बाईजी का मंदिर, अटभटेश्वर जी का मंदिर आदि मंदिर दर्शनीय हैं।

3.  भरतपुर –

  • भरतपुर नगर की स्थापना 1773 ई. में महाराजा सूरजमल ने की थी।
  • यह राजस्थान के पूर्व में स्थित है, अत: इसे “राजस्थान का पूर्वी द्वार’ भी कहा जाता है।
  • भरतपुर के किले को “लोहागढ़’ कहा जाता है।
  • भरतपुर, केवलादेव घना पक्षी अभ्यारण्य के कारण विश्वप्रसिद्ध है।

भरतपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a)  केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य –

  • भरतपुर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य देशी-विदेशी पक्षियों के लिए शरणस्थली है।
  • यह स्थल पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग माना जाता है।

(b) डीग –

  • भरतपुर में जलमहलों की नगरी के रूप में प्राकृतिक बगीचों का दुर्ग “डीग’ स्थित है।
  • डीग के प्रमुख स्थलों में पूरण महल, सूरजभवन व गोपाल भवन प्रमुख हैं।

(c)  जवाहर बुर्ज –

  • महाराजा जवाहर सिंह द्वारा देहली के ऊपर विजय के उपलक्ष में 1764 ई. मंे इसका निर्माण करवाया गया था।

(d) रूपवास –

  • यह भरतपुर में स्थित एक कस्बा है, जिसके निकट ऐतिहासिक युद्ध स्थान “खानवा का मैदान’ है।
  • यहाँ पर गुप्तकालीन चक्रधर द्विभुजी विष्णु तथा सर्पफणां  बलराम रेवती की विशाल प्रतिमाएँ हैं।

4.  बीकानेर –

  • इस नगर की स्थापना राठौड़ वंश के राव बीकाजी ने 1488 ई. में की थी।
  • बीकानेर नगर परकोटे से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए 5 द्वार हैं और उनमें कोट गेट सबसे विशाल है।

बीकानेर के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a)  बीकानेर दुर्ग एवं महल –

  • बीकानेर किले का निर्माण राजा रायसिंह द्वारा करवाया गया है।
  • इस किले का मुख्य प्रवेश द्वार सूरजपोल है।
  • इसमें अनेक महल स्थित हैं, जिसमें चंद्रमहल व कर्णमहल प्रमुख हैं।

(b) लाल गढ़ –

  • लाल पत्थरों से निर्मित यह महल खुदाई कला का उत्कृष्ट नमूना है।

(c)  गजनेर महल –

  • यह एक मरु उद्यान के रूप में मरुस्थल में हरियाली का बोध करवाता है।
  • यह स्थान झील के किनारे बना हुआ है।

(d) करणी माता का मंदिर –

  • बीकानेर के देशनाेक गाँव में करणी माता का मंदिर स्थित है, जिसमें हज़ारों पवित्र चूहे हैं।
  • बीकानेर के राजवंश करणी माता के प्रमुख भक्त हैं।

(e)  कोलायत –

  • मान्यतानुसार यह स्थल कपिल मुनि की तपोस्थली था।

5.  बूँदी –

  • बूँदी राज्य की स्थापना 1342 ई. में हाड़ा वंश के राव देवा ने की थी।
  • यहाँ स्थित नवलक्खा तालाब इसे आकर्षक बनाता है।

बूँदी के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a)  बूँदी का गढ़ –

  • इसकी स्थापना 17वीं शताब्दी में हुई थी।
  • कर्नल जेम्स टॉड ने इसे समस्त रजवाड़ाें के गढ़ों में सर्वोत्कृष्ट माना।
  • इस गढ़ में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण छत्र महल हैं, जिसे राजा छत्रसाल ने 1531 ई. में बनवाया था।

(b)बूँदी के अन्य दर्शनीय पर्यटन स्थल–

  • चौरासी खंभों की छतरी, सूरज छतरी, फूल सागर, नवल सागर, जैत सागर आदि।

6.  जयपुर –

  • राजस्थान की राजधानी जयपुर (गुलाबी नगर) की नींव 25 नवम्बर, 1727 ई. को तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा रखी गई थी।
  • इसका नगर नियोजन विद्याधर भट्‌टाचार्य ने किया था।
  • नगर की बनावट आयताकार है।
  • पुराने शहर के चारों ओर 8 प्रवेश द्वार हैं, जो हैं – सांगानेरी गेट, घाट गेट व न्यू गेट, उत्तर में ध्रुव गेट, दक्षिण में अजमेरी गेट, पूर्व में सूरज पोल गेट व पश्चिम में चाँदपोल गेट।

जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a)  हवामहल –

  • यह पाँच मंजिलाें वाला गोल और आगे निकले झरोखों और खिड़कियों से युक्त पिरामिड के समान है।
  • हवामहल की वैज्ञानिक संरचना इस प्रकार है कि इसमें लगातार तेज हवा आती रहती है।
  • हवामहल का निर्माण 1799 ई. में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था।
  • यह लाल और गुलाबी पत्थर से निर्मित स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।
  • हवामहल में कुल 5 मंजिलें हैं, जो हैं – शरद मंदिर, रत्न मंदिर, विचित्र मंदिर, सूर्य/प्रकाश मंदिर, हवा मंदिर।

(b) जंतर-मंतर –

  • जयपुर में स्थित जंतर-मंतर एक खगोलीय वैधशाला है, जिसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वारा 1724 ई. से 1734 ई. के बीच में करवाया गया।
  • यह यूनेस्को के विश्व-धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है।
  • इस वैधशाला में स्थित प्रमुख यंत्र समय मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने, किसी तारे की स्थिति जानने और सौरमण्डल के ग्रहों को देखने, जानने आदि में सहायक है।

(c)  राजमहल (सिटी पैलेस) –

  • यह जयपुर में स्थित राजपूत व मुगल शैलियों की मिश्रित स्थापत्य कला का नमूना है।
  • राजमहल के चारों ओर पक्की दीवार है, जिसमें प्रवेश हेतु 7 द्वार हैं।
  • दक्षिण का द्वार त्रिपोलिया कहलाता है, जो केवल राजपरिवार के सदस्यों के लिये प्रयोग में लाया जाता था।
  • इसके दीवान-ए-आम में महाराजा का निजी पुस्तकालय (पोथीखाना) तथा सिलेह खाना (शस्त्रागार) स्थित है।

(d) चंद्रमहल –

  • यह जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा निर्मित किया गया है, जो सिटी पैलेस परिसर में स्थित है।
  • वर्तमान में यह जयपुर के महाराजा का निवास स्थान है।

(e)  रामनिवास बाग –

  • यह महाराजा रामसिंह द्वितीय द्वारा 1865 ई. में निर्मित एक महत्त्वपूर्ण उद्यान नगर के रूप में है।
  • इसमें अल्बर्ट हॉल, अजायबघर, रवींद्रकला मंच, चिड़ियाघर आदि स्थित हैं।

(f)  गैटोर –

  • जयपुर के नाहरगढ़ किले की तलहटी में जयपुर के दिवंगत महाराजाओं की छतरियाँ स्थित हैं।
  • इस स्थान को ही गैटोर कहा जाता है।
  • यह हिंदू और इस्लामिक स्थापत्यकला का नमूना है।

(g) नाहरगढ़ –

  • इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1734 ई. में करवाया था।
  • नाहरगढ़ का दुर्ग जयपुर को घेरे हुए अरावली पर्वतमालाओं के ऊपर स्थित है।
  • इसमें स्थित हवा मंदिर व माध्वेन्द्र भवन स्थापत्यकला के उत्कृष्ट नमूने हैं।

(h) विद्याधर बाग –

  • जयपुर आगरा मार्ग पर स्थित यह एक आकर्षक उद्यान है।

(i)  सांगानेर –

  • यह प्राचीन राजपूत नगर है, जो 11वीं शताब्दी के संधीजी के जैन मंदिर के लिये प्रसिद्ध है।
  • यह संगमरमर से निर्मित स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।
  • यह नगर हस्तछपाई और कागज के कार्यों के लिये प्रसिद्ध है।
  • यहाँ पर जयपुर हवाई अड्‌डा भी स्थित है।

(j)  आमेर महल –

  • आमेर महल माओटा झील के किनारे पहाड़ी पर निर्मित है।
  • इसके मुख्य द्वार पर जयपुर के राजाअों की कुलदेवी शीलामाता का मंदिर है।
  • इसमें स्थित शीशमहल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • यहाँ का जयगढ़ किला भी अत्यंत प्रसिद्ध है।

7.  उदयपुर –

  • इस नगर की स्थापना 1568 ई. में महाराणा उदय सिंह द्वारा की गई थी।
  • इसे राजस्थान का कश्मीर, वेनिस ऑफ द ईस्ट, झीलों की नगरी/रानी के रूप में भी जाना जाता है।

उदयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a)  पिछोला झील –

  • इस झील का निर्माण महाराणा लाखा के शासनकाल (1382-1421 ई.) में एक बंजारे द्वारा करवाया गया था।
  • इस झील के बीच में बनाये गए श्वेत/धवल जगनिवास व जगमंदिर महल मंदिर की प्राकृतिक छटा अनुपम है।

(b) राजमहल –

  • यह पिछोला झील के किनारे स्थित राजस्थान का सबसे विशाल महल है।
  • इसमें महाराणा उदयसिंह द्वारा निर्मित राज आंगन इन महलों का सबसे प्राचीन भाग है।
  • इस महल में प्रताप संग्रहालय भी स्थित है।

(c)  जगनिवास (लैक पैलेस)

  • यह पिछोला झील के बीच में स्थित महल है, जिसे पर्यटकों के लिए होटल के रूप में परिवर्तित किया गया है।

(d) जग मंदिर (लैक गार्डन पैलेस) –

  • यहाँ पर शहजादा खुर्रम (शाहजहाँ) को तत्कालीन महाराजा जयसिंह ने शरण दी थी।
  • खुर्रम को यहीं से ताजमहल बनाने की प्रेरणा मिली थी।

(e)  सहेलियों की बाड़ी –

  • यह फतेह सागर झील के किनारे स्थित है।
  • यहाँ पर प्रतिवर्ष श्रावण कृष्ण अमावस्या को “हरियाली अमावस्या’ नामक मेला लगता है।

(f)  जगदीश मंदिर –

  • इसका निर्माण महाराजा जगतसिंह प्रथम ने 1651 ई. में करवाया था।
  • यहाँ पर भगवान विष्णु की काले संगमरमर की चतुर्भुज मूर्ति स्थित है।

(g) माेती मगरी –

  • यह फतेह सागर झील के किनारे की पहाड़ी पर निर्मित मोती मगरी पर महाराणा प्रताप की कांस्य मिश्रित धातु की प्रतिमा दर्शनीय है।

(h) फतेह सागर –

  • जयपुर में स्थित यह झील तीनों ओर से पहाड़ियों से घिरी हुई है।

(i)  गुलाब बाग/सज्जन निवास बाग –

  • इसका निर्माण महाराजा सज्जन सिंह ने करवाया था।
  • यहाँ पर स्थित गुलाब के फूलों के कारण इसे गुलाब बाग कहा जाता है।
  • इसे वाणी विलास के नाम से भी जाना जाता है।

(j) जगत का मंदिर(राजस्थान का खजुराहो) –

  • यह उदयपुर के जगत नामक ग्राम में स्थित है।
  • यहाँ पर 10वीं शताब्दी का अम्बिका देवी का भव्य मंदिर स्थित है।
  • इसे राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है।

(k) हल्दीघाटी –

  • यह ऐतिहासिक युद्धस्थली नाथद्वारा के पश्चिम में स्थित है।
  • यहाँ पर महाराणा प्रताप ने 18 जून, 1576 ई. में मानसिंह के नेतृत्त्व वाली अकबर की सेना से युद्ध किया था।
  • इसे भारत की थर्मोपोली के नाम से भी जाना जाता है।

(l) एकलिंग जी का मंदिर –

  • यह नाथद्वारा-उदयपुर मार्ग पर स्थित सफेद पत्थरों से निर्मित है।
  • यहाँ पर भगवान शिव की काले संगमरमर से निर्मित विशाल मूर्ति आकर्षक है।

(m) श्रीनाथ द्वारा –

  • यह उदयपुर में स्थित वैष्णवों का सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थान है।
  • यहाँ पर जन्माष्टमी व अन्नकूट के अवसर पर श्रद्धालू आते हैं।

(n) कुम्भलगढ़ –

  • इस दुर्ग का निर्माण 1448 ई. में महाराणा कुम्भा ने करवाया था।
  • महाराणा प्रताप ने भी यहाँ से शासन किया था।

(o) रणकपुर के जैन मंदिर –

  • ये मंदिर रणकपुर के छोटे से गाँव में स्थित है।
  • यहाँ का चौमुखा मंदिर रणकपुर के मंदिरों में सर्वप्रमुख है।
  • यहाँ प्रथम तीर्थंकर “आदिनाथ’ की मूर्ति स्थापित है, जिसका निर्माण 1439 ई. में महाराणा कुम्भा के राज्यकाल के दौरान “धरण शाह’ नामक ओसवाल जैन महाजन ने करवाया था।

8.  चित्तौड़गढ़ –

  • यह अपने ऐतिहासिक दुर्ग के लिए प्रसिद्ध है, जो राजपूतों के बलिदान और जौहर के लिए प्रसिद्ध है।

चित्तौड़गढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a)  चित्तौड़गढ़ दुर्ग –

  • यह 11.5 किमी. के परकोटे में बना हुआ है।
  • इसमें प्रवेश के लिए 7 द्वार हैं, जो हैं –

(i)  पाण्डव पोल              

(ii) भैरव पोल

(iii) हनुमान पोल             

(iv) गणेश पोल

(v)  लक्षमण पोल             

(vi) राम पोल

(vii) जोड़ला पोल

  • दुर्ग के बीच में फत्ता (पत्ता) व जयमल की छतरियाँ हैं।

(b) विजय स्तम्भ –

  • इसका निर्माण 1458 ई. से 1468 ई. के बीच महाराणा कुम्भा ने करवाया था।
  • इस स्तम्भ का निर्माण 1440 ई. के मालवा के सुल्तान “महमूद शाह’ तथा गुजरात के सुल्तान “कुतुबुद्दीन शाह’ के संयुक्त आक्रमण पर विजय के उपलक्ष्य में महाराणा कुम्भा ने करवाया था।

(c)  कीर्ति स्तम्भ –

  • इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में जैन व्यापारी जिनाजी ने करवाया था।
  • यह जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ से सम्बन्धित है।

उदयपुर के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल है – कुम्भ श्याम का मंदिर, पदमिनी के महल, मीरा मंदिर, जौहर स्थल, गौमुख कुण्ड, भीमलथ झील

9.  कोटा –

  • कोटा नगर राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में चम्बल नदी के किनारे स्थित है।
  • यहाँ का दशहरा मेला देश में प्रसिद्ध है।

कोटा के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a)  रंगबाड़ी –

  • महावीर जी का प्राचीन मंदिर तथा उसके निकट तालाब, छतरियाँ और बगीचे पर्यटकों के लिये विशेष आकर्षण का केंद्र है।

(b) बारोली –

  • यहाँ पर 8वीं शताब्दी के अतिसुन्दर मंदिर स्थित हैं, जो स्थापत्यकला की दृष्टि से उत्कृष्ट हैं।

(c)  अजायबघर –

  • इस अजायबघर का नाम महाराजा माधो सिंह अजायबघर है जो प्राचीन राजमहल में स्थित है।
  • इसमें राजपूत शैली की चित्रकला, भित्तिचित्र, हस्तलिखित ग्रन्थ, हाड़ौती शैली की मूर्तियाँ, प्राचीन सिक्कें आदि का संग्रह है।

(d) दर्रा अभयारण्य –

  • दर्रा राष्ट्रीय उद्यान या राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयराण्य राजस्थान के कोटा जिले में स्थित है जो घड़ियालों (पतले मुँह वाले मगरमच्छ) के लिए लोकप्रिय है।
  • यह अभयराण्य मुकन्दरा पहाड़ियों के मध्य दर्रा घाटी में स्थित है।
  • इस अभयारण्य में जंगली सुअर, तेन्दुए, हिरण पाये जाते हैं।
  • यह अभयारण्य दुर्लभ कराकल के लिए भी प्रसिद्ध है।

कोटा के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल :-

  • नीलकंठ महादेव मन्दिर, विश्वनाथ मन्दिर, गोपुरनाथ शिवालय, सीताबाड़ी राजमहल, अमर निवास, छत्रविलास आदि प्रमुख है।

(10) सिरोही –

सिरोही के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a) माउण्ट आबू –

  • यह राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है।
  • माउण्ट आबू में राजस्थान की सर्वोच्च पर्वत चोटी गुरु शिखर (1727 मीटर) स्थित है।
  • समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित आबू पर्वत राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है।
  • यह अरावली पर्वतमाला का सर्वोच्च शिखर, हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
  • माउण्ट आबू सर्वप्रथम चौहान साम्राज्य का हिस्सा था उसके बाद सिरोही के महाराजा ने माउण्ट आबू को राजपूताना मुख्यालय के लिए अंग्रेजों को पट्टे पर दे दिया था।
  • ब्रिटिश शासन के दौरान माउण्ट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेजों का प्रमुख आश्रय स्थल बना।
  • यूनानी राजदूत मेगस्थनीज ने अपने संस्मरणों में माउण्ट आबू का उल्लेख किया है।

(b) दिलवाड़ा जैन मन्दिर –

  • दिलवाड़ा का विश्व प्रसिद्ध जैन मन्दिर संगमरमर की उत्कृष्ट वास्तुकला एवं स्थापत्य कला का प्रतीक है।
  • इस मन्दिर का निर्माण 1031 ई. में विमलशाह द्वारा करवाया गया था।
  • यह मन्दिर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है।
  • इन मुख्य पाँच मंदिरों में से वास्तुपाल और तेजपाल के मंदिर अतिउत्तम है।

(c) अचलगढ़ –

  • यहाँ पर चार मन्दिर है जिनमें गोमुखजी का मन्दिर अत्यन्त लोकप्रिय है।
  • यह अचलगढ़ के किले एवं मन्दिर के रूप में स्थित है।
  • इसका निर्माण मेवाड़ के महाराणा कुम्भा ने 1452 ई. एक पहाड़ी के ऊपर करवाया था।
  • इसी पहाड़ी के तल पर भगवान शिव को समर्पित 15 वीं शताब्दी का अचलेश्वर मन्दिर स्थित है।

(d) नक्की झील –

  • नक्की झील माउण्ट आबू में स्थित एक अत्यन्त सुन्दर पर्यटन स्थल है।
  • यह राजस्थान की मीठे पानी की सबसे ऊँची झील है।
  • किवदन्ती के अनुसार इस झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखुनों से खोदकर किया था इसलिए इसे नक्की (नख या नाखुन) नाम से जाना जाता है।

(e) टॉड रॉक व नन रॉक –

  • यह रॉक नक्की झील के दक्षिण में स्थित है।
  • इसका आकार मेंढक की भाँति है। इसे टॉड रॉक के नाम से जाना जाता है।
  • राजपूताना क्लब के पास स्थित एक अन्य चट्‌टान घूंघट निकाले स्त्री जैसी है जिसे नन रॉक कहते है।

सिरोही के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल –

  • सनसेट पॉइंट, अर्बुदा देवी, भर्तृहरि की गुफा, राणा कुम्भा का महल, गौमुख गुरुशिखर, वशिष्ट आश्रम, अचलेश्वर महादेव मन्दिर आदि।

(11) जैसलमेर –

  • राजस्थान के थार के मरुस्थल में स्थित जैसलमेर प्राचीन कला और इतिहास की दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण नगर है जिसकी स्थापना 1156 ई. में यादव वंशीय राजपूत शासक रावल जैसल सिंह ने की थी।

जैसलमेर के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a) जैसलमेर दुर्ग (सोनारगढ़) –

  • जैसलमेर दुर्ग का निर्माण 12 वीं शताब्दी में हुअा।
  • इसका निर्माण कार्य रावल जैसल सिंह ने प्रारम्भ करवाया जिसे उनके उत्तराधिकारी शालिवाहन ने पूर्ण करवाया।
  • जैसलमेर दुर्ग पीले पत्थरों के विशाल शिलाखण्डों से निर्मित है।
  • इस पूरे दुर्ग का निर्माण पत्थर पर पत्थर जमाकर व फंसाकर किया गया है।
  • इसके सोने जैसे पीले रंग के कारण ही इसे सोनारगढ़ कहा जाता है।
  • इस दुर्ग में 99 बुर्ज हैं।
  • इस दुर्ग में विलास महल, रंगमहल, राजविलास तथा मोती महल आदि की भित्ति चित्रकारी उत्कृष्ट है।
  • यहाँ पर जैन ग्रंथों का संग्रहालय भी स्थित है।

(b) पटवों/पटुओं की हवेली –

  • पटवों की हवेली का निर्माण जैसलमेर के बड़े व्यापारी गुमानचन्द पटवा ने 1805 ई. में करवाया था। जैसलमेर के पटवा सेठाें ने इस काल में 4 हवेलियांे का निर्माण करवाया था इसलिए इन्हें पटवों/पटुओं की हवेली के नाम से जाना जाता है।
  • इन हवेलियों की खिड़कियाँ, झरोखें व मेहराब स्थापत्य कला की दृष्टि से आकर्षक व कलात्मक है।

जैसलमेर में अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल –

  • गड़ी सागर तालाब, मरु राष्ट्रीय उद्यान, अमरसर तालाब, बाघ की छतरी आदि।

(12) जाेधपुर –

  • जोधपुर नगर राठौड़ राजा राव जोधा द्वारा 1459 ई. में बसाया गया था।
  • जोधपुर को आधुनिक नगर का स्वरूप देने का श्रेय महाराजा उम्मेद सिंह को जाता है।

जोधपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल –

(a) मेहरानगढ़ दुर्ग –

  • जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण चिड़ियाटुंक पहाड़ी पर किया गया है।
  • इस किले की नींव 12 मई, 1459 ई. को राव जोधा ने डाली थी जिसे महाराजा जसवन्त सिंह (1638 ई. – 1678 ई.) ने पूर्ण करवाया था।
  • राव जोधा, महाराजा रणमल का पुत्र था।
  • इस दुर्ग में कुल सात द्वार है जिसे पोल कहा जाता है।
  • इस दुर्ग में चामुण्डा माता का मन्दिर स्थित है जो राठौड़ों की कुल देवी है।
  • इस दुर्ग में प्रमुख महल – मोती महल, फूल महल, मान महल।

(b) जसवंतथड़ा –

  • यह सफेद संगमरमर से निर्मित स्मारक है जिसे जोधपुर के महाराजा जसवन्त सिंह की स्मृति में बनाया गया।
  • इसका निर्माण 1899 ई. में जोधपुर के महाराजा सरदार सिंह द्वारा करवाया गया था।
  • यह स्थान जोधपुर के राजपरिवार के सदस्यों के लिए दाह संस्कार के लिए सुरक्षित रखा गया है।
  • इस स्मारक हेतु मकराना के सफेद संगमरमर का प्रयोग किया गया है।
  • इसमें जोधपुर के स्वर्गीय नरेशों की आदमकद प्रतिमाएँ स्थित हैं।
  • इसे राजस्थान का ताजमहल कहते है।

(c) उम्मेद भवन (छीतर पैलेस) –

  • इसका निर्माण जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था।
  • यह बालु पत्थर से निर्मित स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।

(d)  बालसमन्द झील –

  • इस झील का निर्माण बालक राव द्वारा करवाया गया था। यह एक प्राकृतिक स्थल, सुन्दर उद्यान तथा इसमें एक महल भी है।

(e) मण्डोर –

  • राव जोधा द्वारा जोधपुर किले की नींव रखने से पूर्व तक मण्डोर मारवाड़ की राजधानी था।
  • यहाँ पर जोधपुर के प्राचीन राजाओं की छतरियाँ स्थित है।
  • मण्डोर उद्यान में ‘वीरों की गैलरी’ बनी हुई है जिसमें 16 आदमकद प्रतिमाएं लगी हुई है, जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है।

(f) ओसियां –

  • जोधपुर में स्थित ओसियां कस्बा वैष्णव तथा जैन मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहाँ पर निर्मित हरिहर के तीन मन्दिर खजुराहाे के समान प्रसिद्ध है।
  • यहाँ स्थित सच्चियाय माता का मन्दिर पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है जिसका निर्माण 9 वीं या 10 वीं सदी में करवाया गया था।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

– राज्य का पहला हैगिंग ब्रिज :- कोटा में (चम्बल नदी पर) 29 अगस्त, 2017 को उद्‌घाटन। ऊँचाई :- 60 मीटर

– देश का पहला ‘स्कूल ऑफ वास्तु’ :- पुष्कर में।

– जौहर मैला :- चित्तौड़गढ़ में (चैत्र कृष्णा एकादशी)।

– देश की पहली जिओ हैरिटेज साइट :- रामगढ़ क्रेटर (बारां)।

– ट्राइबल म्यूजियम :- जयपुर।

– विभूति पार्क :- उदयपुर में फतहसागर झील के किनारे।

– राजस्थान के 6 दुर्ग (चित्तौड़गढ़, कुम्भलगढ़, गागरोण, आमेर, रणथम्भौर, जैसलमेर) 2013 ई. में तथा कालबेलिया नृत्य 2010 में तथा केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 1985 ई. में यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल किये जा चुके हैं।

– बाकू (अजरबैजान) में 30 जून से 10 जुलाई तक चली यूनेस्को की 43वीं बैठक में वास्तुकला की शानदार विरासत और जीवंत संस्कृति के लिए मशहूर जयपुर शहर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल कर लिया है। अहमदाबाद के बाद इस तरह की पहचान पाने के साथ जयपुर देश का दूसरा शहर बन गया है। भारत में अब 38 विरासत स्थल हैं। अहमदाबाद को 2017 में शामिल किया गया था।

– टाइगर सफारी पार्क :- आमली (टोंक)।

– मीरा संग्रहालय :- उदयपुर में।

– पर्यटन मंत्रालय द्वारा “हुनर से रोजगार’ कार्यक्रम वर्ष 2009-10 में प्रारम्भ किया गया।

– “पधारो सा’ योजना :- जून 2011 में प्रारम्भ।

– राज्य का पहला टूरिज्म कन्वेंशन सेन्टर :- जोधपुर।

– पेइंग गेस्ट योजना :- 27 सितम्बर, 1991 को शुरू।

– राजस्थान का प्रथम हैरिटेज होटल :- अजीत भवन (जोधपुर)।

– पर्यटन विकास हेतु राजस्थान को 10 पर्यटन क्षेत्रों (सर्किट) में विभाजित किया गया हैं – ढूंढाड़ सर्किट, अलवर सर्किट, भरतपुर सर्किट, मेरवाड़ा सर्किट, शेखावटी सर्किट, मरु त्रिकोण, मेवाड़ सर्किट, रणथम्भौर सर्किट, माउंट आबू सर्किट, हाड़ौती सर्किट।

– स्वर्णिम त्रिभुज :- दिल्ली – जयपुर – आगरा।

– मरु त्रिकोण :- जैसलमेर – जोधपुर – बाड़मेर – बीकानेर। जापान की संख्या JBIC की वित्तीय सहायता से विकसित किया जा रहा है।

– राज्य की प्रथम पर्यटन नीति :- 2001 में।

– राज्य की नई पर्यटन इकाई नीति :- 3 जून, 2015

– राज्य की इको टूरिज्म नीति :- 4 फरवरी, 2010

– होटल आरक्षण नीति :- मई 2016

– राजस्थान झील (संरक्षण एवं विकास) प्राधिकरण विधेयक :- 2015

– पश्चिमी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र :- उदयपुर में।

– राजस्थान धरोहर संरक्षण व प्रोन्नति प्राधिकरण :- 2006 में गठन।

– राजस्थान फाउण्डेशन :- 30 मार्च, 2001 को स्थापना। अध्यक्ष – मुख्यमंत्री।

– विश्व पर्यटन दिवस :- 27 सितम्बर। विश्व विरासत दिवस :- 18 अप्रैल।

– राजस्थान में युद्ध संग्रहालय :- जैसलमेर में।

– प्रसिद्ध स्मारक सुनहरी कोठी टोंक जिले में है।

– गोविन्द गुरु राष्ट्रीय जनजाति संग्रहालय :- भानगढ़ (बाँसवाड़ा)।

– सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर टूरिज्म ट्रेनिंग (CETT) :- उदयपुर।

– देश का पहला वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल :- उदयपुर। (फरवरी 2016)

– संत रैदास का पैनोरमा :- चित्तौड़गढ़

– सिलिकन वैक्स म्यूजियम :- नाहरगढ़ दुर्ग।

– पर्यटन की दृष्टि से “मिनी गोवा’ राज्य के बीसलपुर बाँध के किनारे विकसित किया जाएगा।

– पन्नाधाय पैनोरमा :- कमेटी (राजसमन्द)

–  हसन खाँ मेवाती पैनोरमा :- अलवर।

– बुद्धा सर्किट :- जयपुर – झालावाड़।

– P. A. T. A. का राजस्थान में पर्यटन से सम्बन्धित है।

– भवानी नाट्यशाला :- झालावाड़। छनेरी-पनेरी देवालय :- झालावाड़।

– आध्यात्मिक सर्किट :- कामां क्षेत्र (भरतपुर) – मचकुण्ड (धौलपुर) – विराटनगर (जयपुर) – सामोद के बालाजी (जयपुर) – घाट के बालाजी (जयपुर) – बन्धे के बालाजी (जयपुर) में अवस्थित स्मारक।

– देश का तीसरा व राज्य का पहला राजीव गाँधी टूरिज्म कन्वेंशन सेंटर :- जोधपुर।

– पण्डित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक :- धानक्या (जयपुर)।

– राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सिंगापुर देश ने साझेदारी की है।

– जयपुर का जन्तर-मन्तर 31 जुलाई, 2010 को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हुआ।

– प्रदेश के पर्यटन सम्भाग :- जोधपुर, उदयपुर, कोटा व अजमेर।

– राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में शामिल राजस्थान की झीलें :- 1. आना सागर, 2. नक्की झील, 3. फतेहसागर, 4. पिछोला, 5. मानसागर, 6. पुष्कर।

– 2004-05 में पर्यटन को जन उद्योग का दर्जा दिया गया है।

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