बाल विकास में बच्चों-बड़ों के आपसी सम्बन्धों तथा मित्र-समूह के प्रभाव के बारे में लिखो।

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  बाल विकास में बच्चों-बड़ों के आपसी सम्बन्ध तथा मित्र-समूह का प्रभाव

बालक अपने परिवार से निकलकर अपने समीप के मित्र समूह एवं वयस्कों में विचरण करता है । प्राय: व्यक्ति जिस स्थान पर निवास करता है उस समुदाय के द्वारा बाल विकास को पूर्णतः प्रभावित किया जाता हैं । बाल विकास के कई पक्ष ऐसे हैं, जो कि वहाँ के पर्यावरण द्वारा प्रभावित होते हैं क्योंकि बच्चों में अनुकरण की आदत पायी जाती है। अतः समुदाय के व्यक्तियों में जिस तरह की आदतें होंगी उसका प्रत्यक्ष प्रभाव बच्चों पर अवश्य पड़ता है। बाल विकास पर निकटवर्ती पर्यावरण के पड़ने वाले प्रभावों को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है-

1. शारीरिक विकास पर प्रभाव- जिस समुदाय में शारीरिक विकास को महत्त्व देने वाले व्यक्ति निवास करते होंगे उस समुदाय में बच्चों का शारीरिक विकास तीव्र गति से होगा एवं उनका स्वास्थ्य भी उत्तम होगा क्योंकि बच्चे समुदाय में रहने वाले व्यक्तियों से कई तरह से व्यायाम सीखेंगे। इस तरह समुदाय की सोच का प्रत्यक्ष प्रभाव शारीरिक विकास पर पड़ेगा।

2. मानसिक विकास पर प्रभाव- जिस समुदाय में बौद्धिक क्षमता से युक्त कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है, उस समुदाय के बच्चों में चिन्तन तथा तर्क शक्ति का विकास होता है, जिस समुदाय में वाद-विवाद कार्यक्रम सांस्कृतिक कार्यक्रम और विज्ञान विषयों से सम्बन्धित कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं उस समुदाय के बच्चों का मानसिक विकास तीव्र गति से होता है। इसके विपरीत जिस समुदाय के व्यक्तियों को तर्क चिन्तन तथा ज्ञान सम्बन्धी कार्यक्रमों में कोई रुचि नहीं होती है उस समुदाय में बच्चे का मानसिक विकास तीव्र गति से नहीं होगा।

3. संवेगात्मक विकास पर प्रभाव- संवेगात्मक विकास तथा संवेगात्मक स्थिरता में समुदाय का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है, जब बच्चे समुदाय में आये दिन विवाद तथा कलह देखता है, व्यक्तियों को क्रोधित तथा चिन्तित अवस्था में देखता है तो उसका प्रभाव बच्चों के संवेगों पर पड़ता है। अत: जिस समुदाय के व्यक्तियों में संवेगों का सन्तुलित स्वरूप दृष्टिगोचर होता है तो उस समुदाय के बच्चों का संवेगात्मक विकास सन्तुलित होगा। इसके विपरीत अवस्था में बच्चों में संवेगों का विकास असन्तुलित होगा।

4. भाषायी विकास पर प्रभाव- समुदायगत भाषायी दोषों का प्रभाव बच्चों के भाषायी विकास पर स्पष्ट रूप से पड़ता है। राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्रों में क को कै एवं ख को खै बोलना समुदाय के प्रभाव को प्रदर्शित करता है। इस तरह के कई उदाहरण हैं जो बच्चों के भाषायी विकास पर समुदाय के प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं। जिस समुदाय में भाषागत शुद्धता तथा स्पष्ट उच्चारण को ध्यान में रखा जाता है, उसके बच्चे भी शुद्ध उच्चारण तथा स्पष्ट भाषा का प्रयोग करते हैं।

5. सामाजिक विकास पर प्रभाव- जिस समुदाय में व्यक्ति सामाजिक गुणों से युक्त होते हैं एवं प्रेम तथा सहयोग की भावना से परस्पर व्यवहार करते हैं उस समुदाय में बच्चों का सामाजिक विकास आदर्श रूप में होता है। बच्चों में सामाजिक गुण विकसित होते हैं। बच्चों द्वारा परस्पर सहयोग की भावना से कार्य किया जाता है। इसके विपरीत स्थिति में सामाजिक विकास श्रेष्ठ नहीं माना जा सकता है।

6. नैतिक (चारित्रिक) विकास पर प्रभाव- समुदाय की गतिविधियों का बच्चों के चरित्र पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। समुदाय के व्यक्ति अगर चारित्रिक गुणों से युक्त होंगे तो बच्चे भी चरित्रवान तथा मानवीय गुणों से युक्त होंगे। प्राय: चोर तथा शराब पीने वाले समुदाय में बच्चे चोरी और शराब पीना सीख जाते हैं क्योंकि उस समुदाय का प्रभाव उन पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। अतः समुदाय चारित्रिक विकास को निर्धारित करता है।

7. सृजनात्मकता पर प्रभाव- जिस समुदाय में सृजन सम्बन्धी व्यवसाय को अपनाने वाले व्यक्तियों का बाहुल्य होगा, उस समुदाय में बच्चों की सृजनात्मकता का विकास तीव्र गति से होता है। चित्रकार तथा हस्त कौशल से युक्त समुदाय के बच्चे प्रायः चित्र बनाने में और अन्य वस्तुओं के सृजन में शीघ्र कुशल हो जाते हैं क्योंकि ज्यादातर समय बच्चा जिस कार्य को देखता है उसको सीखने में कम समय लगता है ।

8. शैक्षिक विकास पर प्रभाव- जिस समुदाय में व्यक्ति शिक्षित होते हैं तथा शिक्षा के महत्त्व को समझते हैं उस समुदाय में शिक्षा की स्थिति सुदृढ़ होती है। इसका प्रभाव बच्चों पर भी पड़ता है। इस तरह के समुदाय में बच्चों का शैक्षिक विकास तीव्र गति से होता है। इसके विपरीत अशिक्षित समुदाय में शिक्षा के महत्त्व को व्यक्ति नहीं समझते हैं एवं बच्चों की शिक्षा पर भी ध्यान नहीं देते हैं। इस स्थिति में बच्चों का शैक्षिक विकास उचित नहीं होता।

9. मूल्यों के विकास पर प्रभाव- जिस समुदाय में व्यक्ति आदर्शवादी मूल्यों से युक्त होंगे उस समुदाय के बच्चों में भी आदर्शवादी तथा समाजोपयोगी मूल्यों का विकास होगा। जिस समाज में स्वार्थपरक मूल्यों का प्रभाव होगा उस समाज के बच्चे स्वार्थी प्रवृत्ति के होंगे एवं उनके व्यवहार में छल तथा कपट की भावना निहित होती है। इस तरह बच्चों के मूल्य विकास पर समुदायगत मूल्यों का पूर्ण प्रभाव पड़ता है।

10. दक्षताओं के विकास पर प्रभाव- समुदाय का प्रभाव बच्चों की दक्षताओं पर विशेष रूप से पड़ता है। समुदाय में रहने वाले व्यक्तियों में नेतृत्व, समूह शक्ति, त्याग तथा कार्यकुशलता आदि दक्षताएं होती हैं। उस समुदाय के बच्चों का विकास कई दक्षताओं से युक्त होता है क्योंकि बच्चों में अनुकरण की प्रवृत्ति पायी जाती है।

उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि समुदाय की विशेषताएं और समुदाय के व्यक्तियों की आदतें प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों के विकास को प्रभावित करती हैं। बच्चों के विकास का प्रत्येक पक्ष समुदायगत गुण तथा दोषों से प्रभावित होता है ।

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