कलाओं के एकीकृत उपागम पर केन्द्रित किसी एक क्षेत्रीय कलारूप में भाग लेने तथा अभिनय करने की कार्य-योजना बनाइए।

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कलाओं के क्षेत्र में एकीकृत उपागम से आशय विभिन्न कलारूपों को मिलाकर एक किये हुए रूप से है। उदाहरणार्थ जिस कला रूप में नृत्यसंगीत (गायन व वादन)अभिनयअंग संचालनप्रदर्शनरंगमंच आदि हो वह कलारूप एकीकृत कहलाता है। छात्राध्यापकों ने चर्चा उपरांत एकीकृत क्षेत्रीय कलारूप में भाग लेने तथा अभिनय करने के लिए प्रसिद्ध पंजाबी उत्तर थे। यह लोक नृत्य भांगड़ा‘ का चयन किया गया। भांगड़ा पंजाब के लोक नृत्यों में मर्दाना उल्लास और मस्ती के लिए विश्व विख्यात है। मुख्यतः यह पुरुषों का नृत्य है परंतु अब महिलाओं द्वारा भी इसमें विवाह आदि के अवसरों पर भाग लिया जाने लगा है। इसमें नर्तक गण लुंगी और कुर्ते (यथासंभव रेशमी) पर रंगीन जॉकेट पहनते हैं और सिर पर पगड़ी और कमर में पट्टा बाँधते । किसी समय भांगड़ा गेहूँ की भरपूर फसल होने पर कटाई के समय हर्षोल्लास से सामूहिक रूप से गाया व नाचा जाता था परंतु अब विभिन्न मेलोंत्यौहारोंविवाहबैसाखीलोहड़ी आदि में भी किया जाता है।

कार्य योजना- महाविद्यालय में भांगड़ा नृत्य की कार्ययोजना में सर्वप्रथम कार्य उचित गीत का चयन करना था जो भांगड़ा नृत्य के लय-ताल व वादन के उपयुक्त हो तथा जिसमें अंग संचालन संभव हो । चर्चा के उपरांत नर्तकों तथा दो नगाड़ा और ढोलक बजाने वालों के लिए उपयुक्त भांगड़ा नृत्य गायक महेन्द्र कपूर (फिल्म उपकार) के इस गीत का चयन किया गया

(1) गीत का चयन- इसकी रिकॉर्डेड वादन-गायन पर भांगड़ा नृत्य होगा-(पूरे बोल)

“मेरे देश की धरतीसोना उगलेउगले हीरे मोती। मेरे देश की धरती ।।

बैलों के गले में जब घुघरूजीवन का राग सुनाते हैं

गम कोसों दूर हो जाता हैखुशियों के कंवल मुस्काते हैं

सुन के रहट की आवाजेंयूँ लगे कहीं शहनाई बजे

आते ही मस्त बहारों केदुल्हन की तरह हर खेत सजे

मेरे देश की धरती_

जब चलते हैं इस धरती पे हलममता अंगड़ाइयाँ लेती है

क्यों न पूजे इस माटी कोजो जीवन का सुख देती है

इस धरती पे जिसने जनम लियाउसने ही पाया प्यार तेरा

यहाँ अपना पराया कोई नहींहै सब पे माँउपकार तेरा

मेरे देश की धरती_

ये बाग है गौतम नानक काखिलते हैं अमन के फूल यहाँ

गाँधीसुभाषटैगोरतिलकऐसे हैं चमन के फूल यहाँ

रंग हरा हरीसिंह नवले सेरंग लाल है लाल बहादुर से

रंग बना बसंती भगतसिंहरंग अमन का वीर जवाहर से फूल यहाँ

मेरे देश की धरती_

(2) नर्तक दल का चयन- छात्राध्यापकों में से नर्तक, 1 नगाड़े वाला और एक ढोलक बजाने वाला चयनित किया जाएगा।

(3) वेशभूषासाज-सज्जा- देशभक्ति पूर्ण उक्त गीत हेतु नर्तक दल हेतु हरी रेशमी लुंगीकेशरिया कुर्ता जॉकेटकमर का सफेद रेशमी पट्टासिर पर सुनहरी रेशमी पगुड़ी का चयन किया गया। सभी नर्तक सजे-संवरे और आंखों में सुरमा लगाए होंगे। ढोलक और नगाड़े भी रंगीन सजावटी किये जाएंगे।

(4) मंच सज्जा- जिस मंच पर भांगड़ा नृत्य होगा वहाँ परदे पर हरे भरे खेतबैल (सुसज्जित) घुघरू धारीपानी की रेहटधरती माता का चित्रगौतमनानकसुभाषटैगोरतिलकजवाहर के चित्र पेंट किये होंगे जो गीत की थीम के अनुकूल होगा। परदे के पीछे लाउडस्पीकर पर बजने वाला गीत का कैसेट रखा जाएगा। परदे से सामने मंच पर नर्तक दल हेतु नृत्य करने तथा बीच में नगाड़ा व ढोलक धारी होंगे। मंच पर तेज रंगीन प्रकाश बदलता रहेगा।

(5) अभिनय तथा नृत्य पर अंग संचालन हेतु नर्तक दल- पाँच नर्तक मंच पर 2-2 (मीटर दूरी पर अर्द्धगोलाकार खड़े होंगे जिनके बीच में नगाड़ा व ढोलक धारी होंगे। जैसे ही नर्तक दल बल्ले-बल्ले के उच्चारण के साथ अंग संचालन करेंगे नेपथ्य से गाना बजने मुख्य नर्तक (बीच में खड़ा) गाने पर अभिनय करेगा सब नर्तक उसका अनुकरण करेंगे। शुरू में गाने पर नृत्य की गति धीमी होगीफिर तेज से तेजतर होती जाएगी। नर्तक छाती ताने हर्षोल्लास मुद्रा में भांगड़ा नृत्य का आंगिक प्रदर्शन करेंगे।

(6) दर्शक दीर्घा- मंच के सामने दर्शक दीर्घा होगा जिसमें लगभग 100 कुर्सियों की व्यवस्था होगी। में गाने लगेगा।

प्रस्तुतीकरण के दिन के पूर्व 10-15 दिनों तक किसी क्लासरूम/ऑडिटोरियम पर नृत्य का अभ्यास किया जाएगा तथा नृत्य को भांगड़ा नृत्य शैली के अनुरूप बनाया जाकर कर्मियों का निराकरण किया जाएगा।

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