पेपर फ्रेमिंग (कागज तैयार करना) एवं कलाकृतियों के प्रदर्शन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।

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दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले तथा व्यर्थ चीजों के प्रयोग को कलात्मकता से अपनी अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करना यहाँ के जन जीवन को अच्छा लगता है ।

कुछ शिल्पकला निम्नवत हैं

ग्रीटिंग कार्ड बनाना  :

प्रयोग– इन कार्डों का प्रयोग विवाहमुंडन-संस्कारजन्मोत्सव आदि मांगलिक कार्यों पर किया जाता है। ऐसे ही कुछ कार्ड दीवालीबड़ा दिननववर्षईद आदि के शुभ अवसर पर बधाई व शुभकामनाओं के लिए भेजे जाते हैं। इन कार्डों पर विशेष प्रकार की साज-सज्जा रहती।

विधि- इस प्रकार के कार्ड रंगीन या सफेदअच्छे व चिकने कार्ड बोर्ड के बनाए जाते हैं। इन्हें चित्रों के अनुसार ही लम्बाई-चौड़ाई में काटकर मोड़ना चाहिए । मोड़ पर सुन्दर-सा रेशमी धागा या पतला फीता बाँध देना चाहिए। इसके बिना भी कार्ड सुन्दर बन सकते हैं वैवाहिक कार्डों पर शुभ विवाह या गणेश जी की मूर्ति या विदाई की डोली का दृश्य एक ओर बना होता है। शेष भाग विषय के कार्यक्रम को छापने के लिए खाली रखा जाता है। त्यौहारों के कार्ड इनसे भिन्न होते हैं। उन पर सजावट भी अधिक होती है। इन पर कोई सीनरी या त्यौहार व धर्मानुसार चित्रादि बनाए जाते हैं। कुछ पर सुन्दर पुष्प विन्यास बनाए जाते हैं और कुछ पर सुन्दर-सुन्दर पक्षी व जीव-जन्तुओं के चित्र अंकित किए जाते हैं। दीपावली के कापर लक्ष्मी जी के चित्र के नीचे शुभ दीवाली‘ आदि लिखा होता है। इसी प्रकार नववर्ष के कार्यों पर नववर्ष शुभ हो लिखा जाता है। अनुमानतः इनकी लम्बाई साढ़े पाँच इंच और चौड़ाई साढ़े तीन इंच होती है।

कुछ कार्डों के प्रकार इस तरह हैं :

मुखौटे –

मुखौटे या मुखावरण बनाना कल्पनाशक्ति और विचारों पर निर्भर करता है। यह अच्छी अभिव्यक्ति के साथ-साथ मनोरंजन का भी साधन है । यह धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों का मुख्य अंग है। मुखौटे नाटकों में भी अपना मुख्य स्थान रखते हैं। सजावट एवं उत्सवों पर क्रिसमसनववर्षफैंसी ड्रेस प्रतियोगिताजुलूसदावतोंप्रीतिभोजबच्चों के जन्मदिन पर इनका विशेष प्रयोग किया जाता है । इनको बनाने की विभिन्न विधियाँ हैंजैसे- -कागज द्वारामिट्टी द्वारा तथा कार्ड द्वारा इनको बनाया जा सकता है। कुछ चित्रों द्वारा मुखौटों का महत्त्व तथा भाव समझा सकते हैं।

कल्पनाशक्ति द्वारा मनोरंजन हेतु अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का यह अति उत्तम साधन है-धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सवों में प्राचीन लोक कथाओं में मुखौटों को पहनकर कलाकार अपनी कला की अभिव्यक्ति करते थे । नाटकों में तो मुखौटों का अपना मुख्य स्थान होता ही हैलोक नृत्य जैसे गबरीरामलीलाबहुरूपिया आदि में भी इनका प्रयोग किया जाता है। पात्रों का चरित्र निभाने में मुखौटो का अत्यन्त उपयोगी स्थान होता है। भारत के कथकली एवं छऊ नृत्य में इनका अभिन्न महत्त्व होता है । सजावट एवं उत्सवों में क्रिसमसनववर्षफैंसी ड्रेस प्रतियोगितादावतोंजन्मप्रीतिभोज आदि में मुखौटों का विशेष प्रयोग होता है । मुखौटों द्वारा पात्रों के भावों को आसानी से समझा जा सकता है ।

कागज के मुखौटे :

मुखोट बनाने के लिए आवश्यक सामग्री- कागज (थोड़ा मोटा),कैंचीरंगब्रशरबरपेंसिलकटर आदि।

विधि – कागज का मुखौटा बनाने के लिए सर्वप्रथम जिस व्यक्तिबच्चे अथवा जानवर का मुखौटा बनाना है उसका नाप लेकर कागज पर नाप लेना चाहिए । निश्चित नाप लेकर कागज पर आंखों पर निशान लगा दिया जायेगा और आंखों के आकार को कैंची से काट कर कान के नीचे से दो छेद कर दिए जायेंगे जिससे पीछे बाँधा जा सके । तत्पश्चात् पात्र के अनुरूप दाढ़ीमूछेतिलकचेहरेनाकआंखों पर भावाभिव्यक्ति की जाए । इस प्रकार इच्छानुसार मुखौटे तैयार हो सकेंगे।

मिट्टी के मुखौटे :

आवश्यक सामग्री – मिट्टीगोंदतेलकागजसाबुनरंगब्रशकैंचीपानी आदि !

विधि – मिट्टी से मुखौटे बनाने के लिए मिट्टी को गीला करके जिस चरित्र का मुखौटा बनाना हो उसका आकार दिया जाता हैथोड़ा सूखने के बाद साबुनतेल व पानी के मिश्रण का लेप किया जाता है तत्पश्चात् छोटे-छोटे कागज के टुकड़े करके तीन चार परत में चिपकाया जाता है । प्रथम परत तो केवल पानी से ही चिपक जाती है तत्पश्चात् गोंद से चिपकाया जाता है। इसे कई दिनों तक सूखने दिया जाता है तत्पश्चात् जब सूख जाता है तो ढाँचे से अलग कर दिया जाता है । कागज से बने मुखौटे को फिर रंगों द्वारा सजाया जाता है और मुखौटा तैयार हो जाता है।

प्लास्टिक के मुखौटे- किसी पुराने एक्सरे फिल्म को निश्चित आकार में काटकर :

आवश्यक सामग्री – एक्सरे फिल्मकागज सफेद अथवा रंगीनकैंची पेंसिल आदि ।

विधि – प्लास्टिक मुखौटा बनाने के लिए पुराने एक्सरे फिल्म को निश्चित आकार में काटकर आंखों को बनाकर रंगीन कागज तथा सफेद कागजों को काटकर सावधानीपूर्वक मुखौटे को सजाया जा सकता है।

अन्य सामग्री तथा तीलियों द्वारा निर्माण :

गेहूँ बाजरामक्का के सीकों द्वारा भारत में अनेक शिल्पकाल को बनाया जाता हैचित्र सूप बन्दरवार सब इस कला का कमाल दिखाते हैं। भारत में व्यर्थ सामग्री से अत्यन्त सुन्दर कलात्मक रचनाएं की जाती हैं

पोस्ट कार्ड :

पोस्ट कार्ड चित्रण– नन्दलाल वसु ने इस विधा को प्रारम्भ किया था। वे सदैव अपनी चिट्ठी पोस्टकार्ड में लिखते थे एक तरफ चित्र और दूसरी तरफ अपनी बात लिखते थे। उनके द्वारा बनाए असंख्य रेखाचित्र (पोस्टकार्ड) चित्र उनके कला प्रेमी मित्र विद्यार्थियों के संकलन में है।

रंगों में डूबे हुए धागों का प्रयोग :

प्रत्येक व्यक्ति कुछ-न-कुछ क्रियात्मक रुचि रखता है तथा अपनी रुचि के अनुसार ही प्रकृति से प्राप्त तथा मानव निर्मित अनेक वस्तुओं को विभिन्न प्रकार से नया रूप देने का प्रयास करता हैऔर सजावट इत्यादि के प्रयोग में लाता है।

धागे के प्रयोग से बहुत ही आसानी से विभिन्न प्रकार की सुन्दर चित्रकारी बनाई जा सकती है चाहे कला का ज्ञान हो या नहीं। धागों के विभिन्न प्रयोगों से हम नए-नए स्वरूपों को निर्मित कर सकते हैं।

रंगों में डूबे हुए धागे से चित्र बनाने की विधि :

सामग्री –

(1) टैक्स्वर- धरातल के लिए कपड़ाकागज जिस पर हमें चित्रकारी करनी है।

(2) धागा- धागा थोड़ा मोटा 10 नम्बर या अपनी सुविधानुसार मोटा या पतला।

(3) रंग- जैसा टैक्सचर होता है उसी के अनुसार रंगों का चयन किया जाता हैजैसे-कागज पर पोस्टर रंग तथा कपड़े पर फैब्रिक रंगों का प्रयोग।

(4) ब्रुश- धागे पर रंग लगाने हेतु व चित्रकारी को नया रूप देने हेतु ।

(5) रंग घोलने के बर्तन- रंग घोलने के लिए कलर पैलेट कटोरी आदि ।

(6) गत्ता- कागज के आकार का गत्ता समान रूप से दबाव डालने के लिए।

विधि – पहले एक कागज अथवा कपड़ा लेंगे जिस पर हमें चित्रकारी करनी हो। अखबार की चार तह लगाकर उसके ऊपर इस कागज को रखेंगे।

एक मोटा धागा लेते हैं जिसकी लम्बाई कागज तथा कागज पर बनने वाले आकार पर निर्भर करती है। साधारणत: A4 साइज के कागज पर बनने वाले चित्र के लिए आधे से एक मीटर तक का धागा उपयुक्त रहेगा। धागे को रंग में डुबोते हैं तथा बुश की सहायता से इस प्रकार रंग लगाते हैं कि धागा पूरी तरह से रंग सोख ले तथा उसके चारों तरफ रंग लग जाएधागा सूती लिया जाए तो वह रंग अच्छी तरह सोख लेगा।

रंग में डूबे हुए धागे को.मनचाहे आकार अथवा निश्चित आकार में कागज पर धीरे-धीरे रखा जाता है। पूर्व निश्चित आकार को कागज पर पेंसिल की सहायता से रेखांकन भी किया जा सकता है। धागे के एक सिरे को कागज पर बने रेखांकन पर रखने के बाद उसे इस ढंग से घुमाते हुए सेट करते हैं कि धागा तोड़ना न पड़े तथा उसका दूसरा सिरा पेपर के बाहर आ जाएऐसा एक रंग से बनाने वाली चित्रकारी में करते हैं । कई रंगों का प्रयोग करते समय यह आवश्यक नहीं है

धागा कागज पर रखने के पश्चात् उस पर पहले कागज के आकार का दूसरा कागज उसके ऊपर रख दिया जाता है फिर उस पर गत्ता रखते हैं। गत्ते के ऊपर अपने हाथ की हथेली का समान रूप से दबाव बनाते हुए कागज के बाहर निकले हुए छोर को धीरे-धीरे बाहर की ओर खींचते जाते हैं और जब दोनों कागजों को अलग करते हैं तो दोनों ही कागजों पर एक समान आकृति बनकर तैयार हो जाती है।

सुन्दर कागज पर दबाव जितना अधिक व कम होगा डिजाइन उसी के अनुरूप बदल जायेगा। एक ही आकृति में रखे गए धागे से भी दबाव तथा धागे खींचने की गति पर विभिन्न आकृतियों का निर्माण किया जा सकता है। धागे के मोटे व पतले होने पर भी एक समान रखे गए धागे की आकृति में भिन्नता लाई जा सकती है।

तीन अथवा अन्य कई रंगों का प्रयोग करने के लिए तीन धागों को अलग-अलग रंगों में डुबोकर भी प्रयोग में लाया जाता है । इन धागों के ऊपर एक रंग कर अथवा रेखांकन किए गए अलग स्थान पर भी सेट किया जाता है तथा दूसरा कागज रखकर या तो तीनों धागों को एक साथ खींचते हैं या फिर हर धागे को एक-एक करके बाहर खींचा जा सकता है। दोनों ही स्थिति में एक ही आकार में रखे गए धागों की चित्रकारी एक सी दिखाई देगी। इन धागों के प्रयोग से रंग दूसरे में मिलकर शेडिंग का प्रभाव उत्पन्न करते हैं तथा चित्रकारों का प्रभाव अलग-अलग दिखाई देता है।

कपड़े पर चित्रकारी करने के लिए फैब्रिक रंगों का प्रयोग किया जाता है जो कि सूखने पर घुलने से भी खत्म नहीं होता। इस प्रक्रिया से विभिन्न प्रकार के मेजपोशकुशनचुनियाँपरदे इत्यादि को सुन्दर बनाया जा सकता है।

कागज में प्रयोग कर उसे फेम करवाकर कक्ष में टाँगा जा सकता है तथा भिन्न-भिन्न शादियों के कोडों पर प्रयोग करके उसको काटकर सुन्दर बधाई पत्र व बधाई लिफाफे भी बनाए जाते हैं। थोड़े से प्रयास से सभी वस्तुओं को नया रूप दिया जा सकता है । इनको बनाने के लिए स्वास्तिक3म. फूलकॉससर्पकारगोले इत्यादि ऐसी आकृतियों को बनाया जाता है जो खुली हुई तथा दूर-दूर की लाइनें वाली हों।

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