प्रमुख भारतीय त्यौहार कौन-कौन से हैं? राष्ट्रीय एकता की स्थापना में त्यौहारों का महत्व स्पष्ट कीजिए।

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 भारतीयों के मुख्य त्यौहार निम्न हैं-

(1) नव संवत्सर प्रतिपदा ।

(2) होली ।

(3) दीपावली ।

(4) रक्षाबन्धन ।

(5) दशहरा ।

(6) वैशाखी ।

(7) ईदुलजुहा ।

(8) रमजान ।

(9) क्रिसमस डे ।

1. नव संवत्सर प्रतिपदा- यह दिन विक्रमीय संवत का प्रथम दिन माना जाता है। सभी भारतीयों की ऐसी मान्यता है कि इस दिन प्रजापति ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी एवं शेष देवताओं ने इसी दिन से सृष्टि के संचालन के दायित्व का सम्पूर्ण कार्य-भार सम्भाल लिया था। अतएव यह संवत्सर ब्रह्माजी का मूर्त प्रतीक माना जाता है । स्मृति-कौस्तुभ‘ के अनुसार इस दिन रेवती नक्षत्र के विष्णु योग में भगवान का मत्स्य अवतार हुआ था। इसी दिन से सम्राट विक्रमादित्य के संवत्सर का आरम्भ होता है। शक्ति सम्प्रदाय के अनुसार उसी दिन से नवरात्रि का श्रीगणेश होता है। अतएव इसी दिन से मांगलिक वर्ष की कामना से दुर्गा सप्तशती एवं रामायण आदि का पाठ शुरू हो जाता है। इस दिन सम्पूर्ण भारतवासी प्रातःकाल स्नानादि करके उज्जवल वस्त्राभूषण पहनकरगन्धअक्षतपुष्पजल आदि से विधिपूर्वक नव संवत्सर का पूजन करते हैं। वे चौकी अथवा रत की वेदी पर स्वच्छ एवं शुभ (नया) वस्त्र बिछाते हैं । वस्त्र पर हल्दी या केसर से अक्षतों को रंगु कर अष्टदल कमल बनाकर पूरा नारियल अथवा संवत्सर ब्रह्मा की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित करते हैं। फिर धूपादि जलाकर ओउम् ब्रह्मणे नमः का जाप करके ब्रह्मा का आव्हान करके विधिपूर्वक पूजन एवं गायत्री मंत्रों से हवन किया जाता है। सभी नव वर्ष की मंगलमय कामना करते हैं तथा राष्ट्रीय एकता के रूप में पताकाएँ फहराते हैं । नव वर्ष के उपलक्ष्य में सभी लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ तथा बधाई संदेश भेजते हैं। अतः नव संवत्सर राष्ट्रीय एकता के रूप में महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य करता है। इस दिन सभी धर्म तथा जातियों के लोग परस्पर मिलते हैं और आने वाले समय की चर्चा करते हैंजिसके कारण राष्ट्रीय एकता की भावना का जन्म होता है।

2. होली- होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार है। रंग मनुष्य के सुखप्रसन्नता तथा आनन्द का प्रतीक हैं। यह त्यौहार ऐसे समय में मनाया जाता हैजब प्रकृति में चारों तरफ मधुरता बिखरी रहती है। इस त्यौहार को मनाने में मानवों में भेद की भावना नहीं रह जाती । हृदय का मैल धुल जाता है तथा समाज में सुख एवं आनन्द की लहर फैल जाती है । द्वेष-भावना की गाँठों को होली के रंग हमेशा हेतु प्रेम के मिलन में घोल देते हैं।

होली क्यों मनायी जाती है– इस विषय में एक प्रचलित जनश्रुति है। भक्त प्रहलाद की बुआ का नाम होलिका था। एक बार हिरण्यकश्यप की आज्ञा से होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में प्रवेश कर गयी। उसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। उसने सोचा कि प्रहलाद तो आग को लपटों में जल जाएगा तथा वह जीवित बाहर आ जायेगीलेकिन होलिका भस्म हो गयी तथा प्रहलाद हँसते हुए बाहर आ गया। तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

3. दीपावली- भारत त्यौहारों का देश है। विशेषकर हिन्दुओं में तो कोई भी महीना बगैर त्यौहार के खाली नहीं जाता। हिन्दुओं के प्रधान त्यौहारों में दीपावली का अपना अलग ही स्थान है । इस त्यौहार के कई नाम हैंजैसे-दीपावलीदीपमालिकादीपोत्सव आदि । इन सभी नामों में दीप के प्रकाश की भावना व्याप्त है।

दीपावली क्यों मनायी जाती है- इसके विषय में कहा जाता है कि यह त्यौहार सर्वप्रथम मर्यादा पुरुषोत्तम राम के वन से लौटने की खुशी में मनाया गया था तथा तभी से यह प्रतिवर्ष मनाया जाता है। कुछ लोग इसके मनाये जाने के अन्य कारण भी बताते हैं।

4. रक्षाबंधन- रक्षाबन्धन भारतीयों का एक प्रधान पर्व है। यह पर्व प्राचीनकाल से ही मनाया जाता रहा है। रक्षाबन्धन पर भाई की कलाई पर रेशम का धागा बाँधकर बहिन भाई से अपने जीवन की सुरक्षा का वचन माँगती है। रक्षाबन्धन का मूल तत्व यही है तथा भाई भी उसे सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करता है। आज इस पर्व को इतना महत्व नहीं दिया जाता जितना कि प्राचीन काल में प्राप्त था।

5. दशहरा- विजयादशमी त्यौहार प्रतिवर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। प्रधान रूप से यह त्यौहार तो क्षत्रियों का हैपर आज भारत की सभी जातियाँ तथा धर्म इस पर्व को हर्षोल्लासपूर्वक मनाते हैं।

दशहरा मनाने का प्रमुख कारण- यह कहा जाता है कि लंका के अत्याचारी राजा रावण को श्री रामचन्द्र जी ने इसी दिन पराजित किया था। अतः हर नगर में दशहरा पर विशाल मेला है । रावण का विशालकाय पुतला बनाकरउसका दहन किया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत हैराक्षसों पर देवताओं की जीत है |

6. वैशाखी- वैशाखी पर्व पंजाबियों में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वर्ष भर किसान खेतों में हल चलाने के बाद फसल को काटकर घर लाता हैतो वह खुशी से झूम उठता है तथा अपनी इस प्रसन्नता को व्यक्त करने के उपलक्ष्य में वैशाखी के पर्व को मनाता है और प्रसन्न होता है । इसके साथ ही वे आनन्दित होकर नाचते हैं तथा गाना गाते हैं । भाँगड़ा पंजाबियों का मन पसन्द नृत्य है। देश की खुशहाली हेतु वे अपने इष्टदेव गुरु नानक से प्रार्थना करते हैं ।

7. ईद-उल-जुहा- मुस्लिमों के प्रमुख त्यौहारों में ईद का विशेष महत्व है। ईद के अवसर पर मुस्लिम नये वस्त्र पहनकर घर से बाहर अथवा मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए जाते हैं तथा वतन एवं सभी प्राणियों हेतु अमन-चैन की दुआ करते हैं। मुस्लिमों में ईद दो तरह से मनायी जाती है। पहली ईद मीठी ईद होती हैजिसमें मुस्लिम घरों में मीठे पकवान बनाते हैं। इस त्यौहार में मुख्य रूप से सिवईयाँ विशेष प्रसिद्ध हैं। दूसरी ईद बकरीद होती हैजिसमें कि बकरों की बलि का विधान होता है। ईद का त्यौहार भी राष्ट्रीय एकता में महती भूमिका निभाता है।

8. रमजान- रमजान मुस्लिमों का दूसरा प्रमुख त्यौहार है । इसमें मुस्लिम भाई बड़े ही पाक इरादों से अपने अल्लाह को याद करते हैं तथा पूरे एक माह के दौरान किसी तरह का माँसाहार इत्यादि का सेवन नहीं करके पूरी तरह से अल्लाह के प्रति समर्पित रहते हैं।

9. क्रिसमस डे– ईसाइयों के महत्वपूर्ण उत्सवों में क्रिसमस डे का विशिष्ट स्थान है इस दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इसी कारण से क्रिसमस डे मनाया जाता है। क्रिसमस डे को बड़ा दिन भी कहा जाता है। बच्चों को उत्साहित करने हेतु कोई भी व्यक्ति सांता क्लाज बनकर बच्चों को कई तरह के उपहार देकर उनको आनन्दित करता है।

राष्ट्रीय एकता हेतु महत्व :

भारतीय संस्कृति तथा राष्ट्रीय एकता में भारतीय त्यौहारों का महत्वपूर्ण योगदान है। त्यौहारों को मनाने से ही भारतीयों को परस्पर एक मंच पर आने का मौका मिलता है। भारत में सभी पर्व ऐसे हैं जो सभी धमोंजातियों तथा सम्प्रदायों द्वारा मनाये जाते हैं । इससे हमारे राष्ट्रीय सद्भाव तथा राष्ट्रीय एकता को बल मिलता हैलेकिन उसके द्वारा हमें जो आर्थिकनैतिक तथा सामाजिक स्वतन्त्रता लानी हैवह अभी तक हमारी पहुंच से दूर है।

हर त्यौहार का संबंध भारतीय ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में है। भारतीय त्यौहारों का अवश्य ही कोई न कोई ऐतिहासिक कारण है। हमारे सभी त्यौहार किसी न किसी रूप में प्राचीन संस्कृति से सम्बद्ध हैं। विविधता में एकता‘ भारत की एक अद्वितीय विशेषता है। यह देश अनेकानेक आंचलिक संस्कृतियोंविविध भाषाओंवेश-भूषाओंआचारोंविचारोंधर्मों तथा विश्वासों का समूह है। विदेशियों को सहसा यह विश्वास नहीं हो जाता कि यह एक राष्ट्र है। भारत की राष्ट्रीय एकता पर कई बार शंकाएँ की गयी हैंलेकिन भारतीय राष्ट्रीय संस्कृति का जो धागा पिरोया हुआ हैउसी ने इसे राष्ट्र-माता का रूप दिया है। अनेकताओं के बीच एकता को बनाये रखकर भारत ने अपनी एक साझा संस्कृति तथा सिर्फ एक राष्ट्र होने का प्रमाण दिया है। भारत की एकता तथा अखण्डता पर कई बार प्रहार हुए। तुच्छ स्वार्थों तथा लाभों हेतु लगाते रहे । देश रहेगा तो धर्मन्यायदेशद्रोही लोग देश की एकता तथा अखण्डता को दाँव पर सुरक्षावेश-भूषाभाषा आदि भी रहेंगेदेश खण्डित हुआ तो कहीं भी ठिकाना नहीं रहेगा। अतः हर कीमत पर देश की एकता तथा अखण्डता को बचाना है । तुच्छ स्वार्थोंसत्ता के लोभओछे चिन्तनकर्म के उन्माद से हमें राष्ट्रीय एकता तथा अखण्डता की बलि नहीं चढ़ने देनी चाहिये। विदेशी दुष्पचार तथा षड्यन्त्रों का भंडाफोड़ करके उनके घृणित मंसूबों को असफल करना जरूरी है। देश की युवा पीढ़ी के मस्तिष्क को उदार तथा प्रगतिशील विचारों से भरना चाहिये।

वर्तमान में भारतीय त्यौहार अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। शहरीकरण ने भारतीय त्यौहारों के मूल स्वरूप को विकृत कर दिया है। हम अपने लोक साहित्यलोक कला एवं लोक संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। भावी पीढ़ी पर पाश्चात्य दुर्गुणों का प्रभाव साफ दिखायी पड़ने लगा हैलेकिन इतिहास स्वयं को दोहराता है। इसलिए वह दिन दूर नहीं है जब हम भारतीय संस्कृति के मूल्य को सही अर्थों में समझेंगे तथा उसे अपनाकर एक बार फिर संसार में उसके सर्वश्रेष्ठ होने का दावा करेंगे।

राष्ट्रीय एकता को त्यौहारों ने एक सूत्र में पिरोकर एक माला का रूप दे दिया है। सभी भारतीयसभी त्यौहारों को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक मानकर उल्लास के साथ मनाते हैं।


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