मुगलकालीन चित्रकला पर निबंध लिखिए।

Estimated reading: 1 minute 87 views

चित्रकला के विकास में मुगलकाल महत्व का स्थान रखता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि मुगलों ने चीनतिब्बत या मध्य एशिया के देशों की चित्रकला का कई परिवर्तनों के साथ अनुकरण किया। शनैः शनैः ये परिवर्तन इस अंश तक हुए कि वह एक भिन्न कला शैली प्रतीत होने लगी और इसमें विदेशी तत्वों का बाहुल्य हो गया ।

बाबर- बाबर के समय पूर्व का राफेल कहे जाने वाले बिहजाद के शिष्यों ने ईरानमध्य एशिया तथा भारत की चित्रकला को प्रभावित किया था। संभवत: बाबर ने भारत में चित्रकला को राजकीय संरक्षण प्रदान किया था। लेकिन वह अपनी उलझनों के कारण इस तरफ विशेष ध्यान नहीं दे पाया था ।

हुमायूं- जब हुमायूं फारस में था तब वह मीर सैयद अली तथा ख्वाजा अब्दुल-ए-समद जैसे चित्रकारों के संपर्क में आया एवं लौटते वक्त वह उन्हें दिल्ली ले आया। हुमायूं इन चित्रकारों का शिष्य बन गया तथा उनकी चित्रकला का अभ्यास करने लगा।

अकबर- उक्त दो चित्रकार अकबर को हुमायूं से विरासत में मिले थे। वह भी उनका शिष्य बना था। आगेउसने चीनी या मंगोल चित्रकला को भारत में स्थापित किया तथा स्थानीय चित्रकला की शैली के साथ उसका सुन्दर समन्वय कर उसने एक भारतीय अथवा राष्ट्रीय चित्रकला की शैली चलाई। अकबर ने विदेशी कलाकारों के उत्कृष्ट चित्रों का संकलन कर उन्हें एक विशेष चित्रकला में सुसज्जित करवाया था। आइने अकबरी‘ से अकबर के दरबार में करीब 10 उच्चकोटि के तथा अनेक निम्न कोटि के चित्रकारों के होने का पता चलता है। विदेशी चित्रकारों में उपरोक्त वर्णित दो चित्रकारों के अतिरिक्त फरूख बेगखुसरु कुलीजमशेद आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। भारतीयों में दसवंतबसावनकेशवसावनदासताराचंदजगन्नाथलालमुकुंद तथा हरिवंश के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। 156 और 85 के मध्य अकबर ने इन चित्रकारों द्वारा फतेहपुर सीकरी के विभिन्न भवनों के दीवारों पर चित्रकारी करवाई जिनसे चित्रकला के क्रमिक विकास का और उसके भारतीयकरण का पता चलता है। फतेहपुर सीकरी के चित्रों को तुलना में छोटे चित्रों का निर्माण अकबर के शासनकाल में ज्यादा हुआ । अधिकांश चित्र पुस्तकों को सचित्र करने के लिए बनाए गए । हुमायूंनामा‘, ‘अकबरनामा‘ ‘दास्ताने अमीर हम्जा तारीखे खानदानी तैमुरिया, ‘बादशाहनामा‘ में कुछ सुंदरतम चित्रकारियां हैं। इनमें फारसी और भारतीय शैली का सुखद मिश्रण है। बहुत बड़ी संख्या में वे चित्र हैं जिनका संबंध सम्राटदरबार के विशेष व्यक्तियों तथा दरबार से संबंधित विशेष घटनाओं से है।

जहांगीर- चित्रकला को दृष्टि से जहांगीर के समय को स्वर्ण युग कहा जा सकता है । उसके समय चित्रकला का अद्भुत विकास हुआ। जहांगीर खुद चित्रकला का ज्ञातापारखी तथा उदार संरक्षक था। अतः उसके बाद के चित्रकारों ने अपेक्षाकृत ज्यादा उत्कृष्ट कृतियां प्रस्तुत कीं। उसके समय के चित्रकारों में अबुल हसनमंसूरमुहम्मद नादीरविशनदासमुहम्मद मुराद मनोहरमाधवतुलसी और गोवर्द्धन आदि उल्लेखनीय हैं। इस काल के उपलब्ध चित्रों में रामायणमहाभारत आदि की घटनाओं पर निर्मित चित्रसंत-महात्माओं के चित्रशिकारविवाहजन्मराज्याभिषेक आदि के चित्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इस समय की चित्रकला में कुरान से संबंधितस्त्रियों से संबंधित व जनसाधारण से संबंधित चित्रों का अभाव है । इस काल के चित्रों से हमें दरबारी जीवन की झांकी मिलती है। इस काल की चित्रकला में अकबर के शासनकाल की जो कुछ त्रुटियां थीं उन्हें यथासंभव समाप्त करने का प्रयास किया गया ।

जहांगीर के समय चित्रकला एक तरह से एक उद्योग की तरह विकसित हो गई थी जिसमें श्रम विभाजन के सिद्धांत ने भी स्थान पाया था। एक चित्रकार चित्र का खाका बनाना था तो दूसरा प्राकृतिक भू-दृश्य और तीसरा उसमें रंग भरता था। कभी-कभी तो एक ही चित्रकारी में चार-पांच चित्रकारों की भागीदारी होती थी।

जहांगीर ने अपने बगीचे में चित्रकला की एक गैलरी स्थापित की थी जिससे उसका चित्रकला के प्रति अति प्रेम का पता चलता है। उसकी चित्रकला गैलरी को आधुनिक कला गैलरियों का अग्रणी कहा जा सकता है। ऐसा भी लगता है कि उसके समय की कला यूरोपीय कला से भी आकृष्ट थी। मनोहर और बासवान व्यक्तियों के चित्र बनाने में माहिर थे और मंसूर पशु-पक्षियों के चित्र बनाने में और अबुल हसन रंग विन्यास की डिजाइन में ।

शाहजहां- शाहजहां ने हालांकि चित्रकारों को संरक्षण दिया पर उसे चित्रकला से उतना लगाव नहीं था जितना स्थापत्य से। अत: उसके शासनकालों में न सिर्फ चित्रकारों की संख्या घट गईवरन् साथ ही कुछ अंशों में चित्रकला की अवनति भी हुई। इस समय विभिन्न रंगों अथवा छाया का संतुलित मिश्रण खत्म-सा ही हो गया था ।

औरंगजेब- औरंगजेब कट्टर सुन्नी होने के नाते चित्रकला का कट्टर शत्रु था। अत: चित्रकला को प्रोत्साहन मिलने का तो सवाल ही नहीं था। उसने तो कई चित्रों को नष्ट करवा दिया। चित्रकाल मजबूर हो अन्यत्र पलायन कर गए और विभिन्न स्थानों पर स्थानीय कलमोंयथा मेवाड़जोधपुरजयपुरबूंदीकिशनगढ़छम्बबसौलीकांगड़ा और पहाड़ी को जन्म दिया।


Leave a Comment

CONTENTS