आपरेटिंग सिस्टम के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।

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ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार

एक ऑपरेटिंग सिस्टम के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं :

– सिंगल यूजर सिस्टम

– मल्टी प्रोग्रामिंग

– मल्टी प्रोसेसिंग

– बैच प्रोसेसिंग

सिंगल यूजर सिस्टम

एक सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम वह होता है जिसमें सिर्फ एक प्रोग्राम एक बार में क्रियान्वित होता है। पहले समय के ज्यादातर ऑपरेटिंग सिस्टम सिंगल यूजर होते थे एवं आजकल के ज्यादातर माइक्रो कम्प्यूटरों में भी सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम का ही प्रयोग किया जाता है।

इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक समस्या यह है कि इसमें एक प्रोग्राम से ज्यादा प्रोग्राम एक बार में क्रियान्वित नहीं किये जा सकते हैं। अतः इस सिस्टम में प्रोग्राम एक लाइन में व्यवस्थित रहते हैं।

एक कम्प्यूटर सिस्टम एक प्रोग्राम को तुरंत मान्यता नहीं देता है जब तक कि उसके साथ कोई पहचान न हो। इसके लिये सूचनाओं का साथ होना बहुत जरूरी है जिससे कि उस प्रोग्राम को पहचाना जा सके। अन्य पेरीफेरल डिवाइसेज भी प्रोग्राम क्रियान्वित करने है। इन सूचनाओं की मांग करते हैं। ये सारे निर्देश एक स्पेशल जॉब कन्ट्रोल भाषा में लिखे जाते हैं जिसे कि ऑपरेटिंग सिस्टम समझता है ।

मल्टी प्रोग्रामिंग

ऑपरेटिंग सिस्टम विशेष प्रोग्रामों का एक समूह है जो कम्प्यूटर की क्रियाओं का संचालन करता है तथा कम्प्यूटर की क्रियाओं को एक प्रोग्राम से दूसरे प्रोग्राम में स्थानान्तरित करके गति देता हैं । कम्प्यूटर, ऑपरेटिंग सिस्टम की मदद से स्वयं की क्रियाओं पर निगरानी रखता है एवं स्वचालित रूप से अन्य एप्लीकेशन प्रोग्रामों को कार्य बांटता है। यह सभी अन्य प्रोग्रामों के निर्देशों को मशीन के समझने योग्य बनाता है। यह कम्प्यूटर की सभी गतिविधियों के संचालन तथा नियंत्रण के अलावा मानव द्वारा प्रविष्ट किये गये डाटा एवं आउटपुट किये जाने वाले परिणाम को भी एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस में स्थानान्तरित करता है।

आजकल कई ऑपरेटिंग सिस्टम अनेक कार्य एक साथ करने की सुविधा देते हैं जिसे मल्टी प्रोग्रामिंग कहते हैं। अन्य शब्दों में दो या दो से ज्यादा प्रोग्रामों का एक ही समय में एक ही कम्प्यूटर द्वारा क्रियान्वित होना ही मल्टी प्रोग्रामिंग कहलाता है।

कुछ मल्टी प्रोग्रामिंग सिस्टमों में कुछ निश्चित कार्य ही क्रियान्वित किये जाते हैं उन्हें मल्टी प्रोग्रामिंग विद फिक्स्ड टास्क कहते हैं एवं जहाँ पर कार्यों की संख्या अनिश्चित होती है, वहाँ उसे मल्टी प्रोग्रामिंग विद वेरियेबल टास्क कहते हैं।

मल्टी प्रोसेसिंग

मल्टी प्रोसेसिंग शब्द का प्रयोग एक प्रोसेसिंग दृष्टिकोण को स्पष्ट करने हेतु किया जाता है जहाँ पर दो या दो से ज्यादा प्रोसेसर एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। इस तरह के सिस्टम में भिन्न एवं स्वतंत्र प्रोग्रामों के निर्देश एक ही समय में एक से अधिक प्रोसेसरों द्वारा क्रियान्वित किये जाते हैं अथवा प्रोसेसरों द्वारा विभिन्न निर्देशों का क्रियान्वयन एक के बाद एक किया जाता है जो कि एक ही प्रोग्राम से प्राप्त हुए हों । यह ऑपरेटिंग सिस्टम का ही कार्य है जो वह इनपुट, आउटपुट एवं प्रोसेसिंग क्षमताओं के बीच अच्छा तालमेल स्थापित करे । मल्टीप्रोसेसिंग दृष्टिकोण को चित्र–1 में स्पष्ट किया गया है।

इस तरह हम कह सकते हैं कि मल्टीप्रोसेसिंग का प्रयोग आपस में जुड़े हुए कम्प्यूटरों, जिनमें दो या दो से अधिक सी.पी.यू. लगे हों तथा उनमें यह क्षमता हो कि वह विभिन्न प्रोग्रामों का क्रियान्वयन एक साथ कर सकें, में होता है |

मल्टीप्रोसेसिंग से कम्प्यूटर की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। यह तकनीक पैरेलल प्रोसेसिंग को मदद प्रदान करती है एवं इस तकनीक में एक सी.पी.यू.खराब होने पर दूसरे सी.पी.यू. द्वारा कार्य किया जा सकता है।

बैच प्रोसेसिंग

बैच प्रोसेसिंग एक बहुत पुराना तरीका है जिसके माध्यम से विभिन्न प्रोग्रामों को क्रियान्वित किया जा सकता है तथा इसका प्रयोग विभिन्न डाटा प्रोसेसिंग सेंटर पर कार्यों को क्रियान्वित करने हेतु किया जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम की यह तकनीक ऑटोमैटिक जॉब–परिवर्तन के सिद्धान्त पर निर्भर है । यही सिद्धान्त ज्यादातर ऑपरेटिंग सिस्टमों द्वारा प्रदान किया जाता है । इस तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रत्येक यूजर अपने प्रोग्राम को ऑफ लाइन तैयार करता है एवं कार्य पूरा हो जाने पर उसे डाटा प्रोसेसिंग सेन्टर पर जमा करा देता है। एक कम्प्यूटर ऑपरेटर उन सारे प्रोग्रामों को एकत्र करता है जो एक कार्ड पर पंच रहते हैं। जब आपरेटर प्रोग्रामों के बेच को एकत्र कर लेता है तब वह उस बैच को कम्प्यूटर में लोड कर देता है एवं फिर उन प्रोग्रामों को एक–एक करके क्रियान्वित किया जाता है। अन्त में ऑपरेटर उन कार्यों के प्रिन्टेड आउटपुट को प्राप्त करता है एवं उन आउटपुटों को संबंधित यूजरों को प्रदान कर दिया जाता है।

बैच प्रोसेसिंग को हम Serial, Sequential, Off–line तथा Stacked job processing भी कहते हैं। जब कम्प्यूटर का इस तकनीक के लिये प्रोग्राम किया जाता है एवं इनपुट डाटा को क्रियान्वित करते हेतु ऑपरेटरों के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होती है तो यह कार्य स्वत: ही हो जाता है। इसमें बहुत से अलग–अलग कार्य एक ही समय में एक–एक करके क्रियान्वित किये जाते हैं। लेकिन इसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन के दौरान ऑपरेटर के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं पड़ती है।

एम.एस. डॉस

एम.एम. डॉस का पूरा नाम माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम है जो माइक्रो कम्प्यूटर में प्रयुक्त होता है।

सन् 1884 में इन्टेल 80826 प्रोसेसर युक्त माइक्रो कम्प्यूटर विकसित किये गये, तब ही एम.एस. डॉस 3.0 और एम.एस.एस.डॉस 4.0 संस्करणों का विकास किया गया। माइक्रोसॉफ्ट के इस ऑपरेटिंग सिस्टम को डॉस कहा जाता है। क्योंकि यह ज्यादातर डिस्क से संबंधित इनपुट/ आउटपुट कार्य करता है।

विण्डोज

डॉस एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम था जिसमें टैक्स्टुअल यूजर इंटरफेस होता था। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में निर्देशों को टाइप करने की असुविधा को समाप्त करने के उद्देश्य से माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी ने एक नया प्रोग्राम विकसित किया, जिसका नाम विण्डोज था। यह प्रोग्राम ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस की सुविधा प्रदान करता है तथा निर्देशों को प्रतीक के रूप में प्रदर्शित करता है जबकि विभिन्न एप्लीकेशन प्रोग्रामों को आयताकार बॉक्स में प्रदर्शित करता है जिन्हें विण्डो कहते हैं । इस इंटरफेस में सभी प्रोग्रामों को स्क्रीन पर विण्डो के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, इसलिए इसका नाम विण्डोज रखा गया ।

लाइनक्स

लाइनक्स एक नि:शुल्क ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका विकास लाइनस टॉरवैल्ड्स ने सन् 1991 ई. में किया जब वह हेलसिंकी विश्वविद्यालय के छात्र थे। टॉरवैल्ड्स ने कर्नेल लिखने के साथ लाइनक्स के विकास की शुरूआत थी। कर्नेल लाइनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रमुख भाग है जिसे इसका हृदय कहा जाता है।

कर्नेल लिखने के पश्चात्, टॉरवैल्ड्स ने इसे अपने मित्रों एवं अन्य कम्प्यूटर व्यवसायिकों को इन्टरनेट के माध्यम से भेजा और उनसे इसके विकास हेतु उनका सहयोग भी माँगा। आज भी लाइनक्स पर पूरी दनिया में काम हो रहा है तथा इसमें लोग नये–नये तरह के फीचर को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि लाइनक्स का सोर्स कोड इन्टरनेट पर निःशुल्क उपलब्ध है एवं इसे कोई भी डाउनलोड कर इस पर कार्य कर सकता है, इसमें बदलाव कर सकता है और इसका विकास कर सकता है।

लाइनक्स का विकास वस्तुतः विचारों एवं सॉफ्टवेयर के निःशुल्क आदान–प्रदान की संस्कृति से प्रारंभ हुआ। इसको मूलतः यूनिक्स का निःशुल्क बाँटा जाने वाला संस्करण कहते हैं । ऐसा कहने के पीछे कई बातें हैं इसमें मुख्य बात इसका पोजिक्स पूर्ण कम्प्लायन्ट होना है। यूनिक्स का प्रयोग संस्करण पोजिक्स का पालन करता है। पोजिक्स का रूप पोर्टेबल ऑपरेटिंग सिस्टम इन्टरफेस फॉर यूनिक्स है । यह कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम का एक मानक है।

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