मल्टीमीडिया में ग्राफिक्स के महत्त्व का वर्णन कीजिए।

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मल्टीमीडिया में ग्राफिक्स का महत्त्व

हम ग्राफिक्स को कई रूपों जैसे फोटो, चार्ट, लोगो, वातावरणिक अनुरूप इत्यादि में उपयोग कर सकते हैं। इस सन्दर्भ में एक सुप्रसिद्ध पंक्ति “एक तस्वीर हजारों शब्दों को व्यक्त (प्रदर्शित) करती है” एकदम सही है। प्रिन्ट मार्केटिंग, शिक्षा अथवा अन्य किसी भी क्षेत्र में चित्र का उपयोग एक सम्भावित क्लाइन्ट को आपके विचारों के सन्दर्भ में शीघ्र तथा संक्षिप्त व्याख्या प्रदान करता है। अपने विकासशील व्यापार को प्रदर्शित करने के लिए चित्रों का चुनाव एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण मार्केटिंग निर्णय है। विज्ञापन से सम्बन्धित चित्र ऐसे होने चाहिए कि वे उपभोक्ता को आकर्षित करें तथा साथ ही आप जिस उत्पाद की मार्केटिंग कर रहे हैं, उसका यथार्थ प्रस्तुतीकरण भी करें। ग्राफिक्स लोगों को जानकारी प्रदर्शित करने के अन्य रूपों की तुलना में ज्यादा जल्दी तथा ज्यादा मात्रा में जानकारी प्रदान करता है।

ग्राफिक्स के बहुत सारे प्रकारों को मल्टीमीडिया में एकीकृत किया जाता है। ये निम्नलिखित हैं–

1. चित्र, फोटोग्राफ तथा 3D इमेज

2. बैकग्राउण्ड

3. बटन

4. चार्ट

5. फ्लोचार्ट

6. संगठन चार्ट

ग्राफिक्स हमारे जीवन से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग होते हैं जैसे–

वेब डिजाइनिंग शिक्षा

व्यापार मनोरंजन

घरों में मेडीकल तथा इंजीनियरिंग

अनुसंधान

सामान्यतः हम ग्राफिक्स का उपयोग वेब की रचना के लिए करते हैं, जिससे हम विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों जैसे बिजनेस, शिक्षा, मनोरंजन, मेडीकल तथा इंजीनियरिंग, अनुसंधान इत्यादि में सम्मिलित व्यक्तियों की आवश्यकताओं को पूर्ण कर सकें। अतः जब हम मुख्य रूप से वेब डिजाइनिंग में ग्राफिक्स के महत्त्व की व्याख्या करेंगे।

वेब की रचना में ग्राफिक्स

वेब ग्राफिक्स आपकी वेब साइट्स की विषय–वस्तु के समान ही महत्त्वपूर्ण होते हैं। एक अच्छा ग्राफिक्स आपके कस्टमर्स/विजीटर्स को आपकी वेबसाइट का एक रचनात्मक विचार प्रदान करता है । व्यावसायिक संवेदन को जाग्रत करने के लिए आप उसमें रंग तथा दृश्य–अनुरोध जोड सकते हैं। वे वेबसाइट्स जिनमें रुचिपूर्ण ग्राफिक्स का उपयोग नहीं किया जाता है उन वेबसाइट्स को अधिकांश यूजर्स दुबारा विजीट नहीं करते हैं । फोटोशॉप, फ्लैश ड्रीमवीवर तथा फायरवर्क्स कुछ ऐसे महत्त्वपूर्ण उपकरण हैं, जिनके उपयोग से आप अद्वितीय प्रोफेशनल ग्राफिक्स बना सकते हैं । ग्राफिक्स का प्रयोग तब किया जाता है, जब जिस तथ्य की आप व्याख्या करना चाहते हैं उसे शब्दों में समझाना संभव नहीं है। अगर आपका उद्देश्य उत्पाद को बेचना है, तो आपको अपने उत्पाद को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित करना चाहिए।

जिस सूचना को प्रदर्शित करना है, उसके सन्दर्भ में वेब ग्राफिक्स को स्थापित करना बेहतर तरीका है। अगर आपकी वेबसाइट पर उत्पाद से सम्बन्धित जानकारी संग्रहित है, तो वहाँ पर उससे सम्बन्धित ग्राफिक प्रदर्शन भी होना चाहिए। आवश्यकतानुसार लोगो, कार्टून, ग्राफ तथा चार्ट का उपयोग करना ज्यादा बेहतर होता है।

वेबसाइट डिजाइनिंग के दौरान स्मरणीय बिन्दु

वेबसाइट की रचना के दौरान निम्नलिखित सुझावों का ध्यान रखें–


वेब पेज में स्पष्टता– एक स्पष्ट वेब पेज में वस्तुएं उनके महत्त्व के अनुसार स्थापित तथा चित्रित होनी चाहिए तथा साथ ही सम्बन्धित वस्तु विषयवस्तु के अनुकूल तथा प्रासंगिक प्रदर्शित होनी चाहिए।

चित्रावली– विजीटर्स पर उत्तम प्रभाव डालने के लिए सदैव एक उचित चित्र के उपयोग हेतु यथासंभव प्रयास करें।

रंग– रंगों के बिना एक पेज में कोई झिलमिलाहट नहीं होती है। रंगों की एक व्यवस्थित पद्धति के साथ एक पेज ज्यादा सजीव तथा सुव्यवस्थित प्रदर्शित होता है। हालांकि रंगों का ज्यादा प्रयोग विजिटर के मस्तिष्क में एक उलझन पैदा कर देता है। इसलिए रंगों को संतुलित रूप में प्रयोग करना चाहिए।

कलर कॉन्ट्रास्ट– टेक्स्ट तथा इसकी पृष्ठभूमि के मध्य पर्याप्त कॉनट्रास्ट होना चाहिए। इसलिए कलर कन्ट्रास्ट को अच्छा तथा साइट और ग्राफिक्स के स्वभाव के अनुसार प्रासंगिक भी होना चाहिए।

पठनीयता– सुनिश्चित कीजिए कि फॉन्ट के साइज को परिवर्तित न किया जाए, क्योंकि वे बहुत ज्यादा भेदीकरण करते हैं । वे एक महत्त्वपूर्ण अथवा एक नये भाग को प्रदर्शित करते हैं । पूर्ण साइट हेतु सैंस–सैरिफ फेस का उपयोग करने का प्रयास करें। अण्डरलाइन्स, बोल्ड तथा इटैलिक्स का उपयोग करके प्रभाव डालने का प्रयास करना चाहिए, परन्तु इनका उपयोग कभी–कभार करना चाहिए।

प्रभावी टैक्स्ट– प्रायः HTML टैक्स्ट का उचित रूप से उपयोग करना चाहिए, क्योंकि यह अन्य ग्राफिक्स शब्दों से ज्यादा प्रभावी होता है । वेब वातावरण में,टैक्स्ट की क्षमताएं बहुत विशाल होती हैं । बहुत सारी स्थितियों में टैक्स्ट का उपयोग ग्राफिक्स के उपयोग से बेहतर परिणाम प्रदान करता है।

पेज लेआउट– विभिन्न तत्त्वों को स्क्रीन पर व्यवस्थित करने का तरीका बहुत मायने रखता है क्योंकि वेब पेज को डीकोड करते समय हम इन्हीं तरीकों पर निर्भर होते हैं। सापेक्ष स्थिति विभिन्न स्तरों पर सम्बन्ध स्थापित करती है । महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि आपको सनिश्चित कर लेना चाहिए कि आप सही सम्बन्ध स्थापित कर रहे हैं।

अलाइनमेन्ट– अलाइनमेन्ट वेब पेजों पर प्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शित होना चाहिए। यह पेज को स्पष्ट तथा देखने में सरल बनाता है । बायीं ओर अलाइन किया गया टैक्स्ट दायीं ओर अलाइन किये गये टैक्स्ट की तुलना में आसानी से पढ़ा जाता है।

ग्राफिक्स डिजाइन पर 3D प्रभाव– 3D विभिन्न टैक्स्ट तथा तत्त्वों के मध्य खाली जगह का अनुभव प्रदान करता है। 3D की भ्रांति प्रभाव बहुत शक्तिशाली प्रणाली है, जो बेहतर परिणाम प्रदान कर सकती है। इन्हें फाइल पूर्ण साइज के अनुकूल पेज पर भी जोड़ा जा सकता

लोगो डिजाइन– लोगो मार्केटिंग में महत्त्वपूर्ण होते हैं क्योंकि विज्ञापन तथा साइट पर लोगो का उपयोग विजीटर्स तथा संभावित ग्राहकों को आपके उत्पाद को पहचानने में सहायता करता है तथा साथ ही यह समझने में भी सहायता करता है कि विज्ञापन किसके बारे में है ।

परिणामस्वरूप यह विश्वास स्थापित करने तथा बिक्री में बढ़ोतरी करने में सहायता प्रदान करता है।

मार्गनिर्देशन हेतु बटन– इनका उपयोग विजीटर्स को आपकी वेबसाइट के संचालन म सहायता प्रदान करने के लिए होता है। आपकी वेबसाइट का मार्गनिर्देशन आपके लोगो के नीचे, पेज के ऊपर अथवा बायीं ओर नीचे की तरफ होना चाहिए।

आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आप स्क्रीन के ऊपरी भाग में कौनसे विषय से सम्बन्धित ग्राफिक प्रदर्शित करेंगे क्योंकि बहत से विजीटर्स इनकी उपेक्षा करते हैं तथा इन्हें केवल एक विज्ञापन की भाँति लेते हैं । ऐसी ग्राफिक का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिसका टैक्स्ट से कोई सम्बन्ध न हो । ग्राफिक्स का अत्यधिक उपयोग साइट को अव्यवसायी बनाता है । सुनिश्चित कीजिए कि अगर आप वेब ग्राफिक्स का लिंक की तरह उपयोग करते हैं, तो वह हर समय कार्य कर रही है या नहीं। इस बात से ज्यादा बुरा कुछ भी नहीं है कि आप एक ग्राफिक पर क्लिक करें और कोई प्रक्रिया न हो।

वे सभी सुझाव बहुत महत्त्वपूर्ण हैं तथा ग्राफिक डिजाइन करते समय इन्हें ध्यान रखना चाहिए। आपकी वेबसाइट के सभी ग्राफिक रंग, प्रकार तथा विशेष प्रभावों में समानता होनी चाहिए। आप अपनी वेब साइट पर ग्राफिक को कई तरीकों में उपयोग कर सकते हैं। आप उन्हें मार्कर, लिंक, ट्रेडमार्क तथा हैडिंग्स की तरह उपयोग कर सकते हैं।

वेक्टर तथा रास्टर ग्राफिक्स

आइए अब देखते हैं “वेक्टर तथा रास्टर ग्राफिक्स क्या होते हैं ? उनके मध्य क्या–क्या अंतर है?”

दो प्रकार के कम्प्यूटर ग्राफिक्स होते हैं–वेक्टर तथा रास्टर। रास्टर ग्राफिक पिक्सल्स का बना होता है तथा वेक्टर ग्राफिक ड्राइंग पाथ का बना होता है । ग्राफिक फॉर्मेट को चुनने से पहले इन दोनों के मध्य अंतर समझना बहुत महत्त्वपूर्ण है।

वेक्टर ग्राफिक्स

वेक्टर ग्राफिक्स पिक्सल्स में कलर वैल्यू के अतिरिक्त ड्राइंग निर्देशों को सम्मिलित करता है। ये गणितीय विषय, जिसे वेक्टर कहते हैं, के द्वारा परिभाषित रेखाओं तथा वक्रों से बना होता है। वेक्टर एक इमेज का विवरण उसकी ज्योमैट्रिक विशेषताओं के अनुसार करता है। वेक्टर ग्राफिक्स विशिष्ट रूप से चित्रकला अथवा उदाहरण प्रोग्रामों (उदाहरण–Adobe Illustrator) का उपयोग करके उत्पन्न होता है तथा इसमें गणितीय रूप से परिभाषित ज्यामितीय आकतियाँ जैसे रेखाएं, ऑब्जेक्ट तथा फिल्म, बनी होती हैं। चूंकि वेक्टर्स परिमाण तथा दिशा दोनों को सम्मिलित करते हैं, इसलिए वेक्टर के तत्त्व लाइन सेगमेंट्स के बने होते हैं जहाँ पर लम्बाई परिमाण को प्रदर्शित करती है तथा इनका स्पेस में ओरियेंटेशन दिशा को प्रदर्शित करता है |

वेक्टर ग्राफिक्स रेजोलूशन पर निर्भर नहीं करता है–अर्थात् उन्हें कोई विवरण अथवा स्पष्टता खोये बिना कितना भी बढ़ाया जा सकता है–अथवा किसी भी रेजोलूशन पर प्रिंट किया जा सकता है। चूंकि वेक्टर के तत्त्वों को गणितीय रूप से परिभाषित किया जाता है, इसलिए स्केलिंग हेत केवल गणितीय स्थितियों में परिवर्तन की आवश्यकता होती है। दूसरी ओर, वेक्टर फाइलें फोटोग्राफिक चित्रण को अच्छी तरह समर्थन प्रदान नहीं करती हैं तथा क्रॉस–प्लेटफॉर्म में आदान–प्रदान करने हेतु समस्या उत्पन्न कर सकती है । वेक्टर ग्राफिक्स को सामान्यतः EPS फॉर्मेट में सेव किया जाता है।

ये विशेषताएं वेक्टर ग्राफिक्स को लोगो डिजाइन हेतु उपयुक्त बनाती है । एक वेक्टर लोगो का निर्माण ज्यादा कठिन होता है. लेकिन जब उसे प्रिंटर अथवा साइन मेकर्स इत्यादि पर भेजा जाता है, तो वह बहुत ही अच्छी क्वालिटी में प्रिंट होने के लिए स्वयं प्रयास करता है। वेक्टर लोगों को गुणवत्ता को बरकरार रखते हुए बढ़ाया अथवा घटाया जा सकता है तथा यह विभिन्न मीडिया के मध्य निविन पारगमन को संभव करता है।

बिटमैप ग्राफिक्स (रॉस्टर ग्राफिक्स)

बिटमैप इमेज को तकनीकी रूप से रास्टर इमेज कहते हैं। ये चित्रों को प्रदर्शित करने हेतु रंगों के ग्रिड (जिसे पिक्सल कहते हैं) का उपयोग करते हैं। प्रत्येक पिक्सल के लिए एक विशिष्ट स्थान पर कलर वैल्यू निर्धारित की जाती है। मूल रूप से बिटमैप पिक्सल्स का एक ऐरे होता है, जिसमें वैल्यू कलर को निर्दिष्ट करती है। बिटमैप के आकार को पिक्सल में परिभाषित किया जाता है | EMP, TIE GIF JPG, PNG तथा बहुत सारे अन्य ग्राफिक्स फॉर्मेट रास्टर ग्राफिक्स होते हैं । चूंकि आकार को पिक्सल में मापा जाता है. अतः प्रिन्ट डायमेन्शन प्रिंटर के रेजोलूशन पर निर्भर करती है । BMP इमेज के प्रत्येक पिक्सल को रिकॉर्ड करता है, अतः छोटे चित्रों का आकार भी बहुत बड़ा होता है ।

अब हम एक उदाहरण देखते हैं, आप 1 इंच चौड़ा तथा 0.75 इंच लम्बा बारकोड बनाते हैं । डिस्पले डिवाइस का dpi सामान्यतः 96 होता है,जो प्रत्येक इंच के लिए 96 पिक्सल्स को परिवर्तित करता है। अगर आप इमेज को रास्टर ग्राफिक्स फॉर्मेट में सेव करते हैं, तो आपको 96 पिक्सल्स चौड़ा तथा 72 पिक्सल्स लम्बा बिटमैप ऐरे मिलेगा। जब आप 600 dpi पर लेजर प्रिन्टर के द्वारा इमेज को प्रिन्ट करते हैं, तब इमेज वास्तविक आकार के 1/6 भाग के अनुरूप हो जाती है तथा पढ़ने योग्य नहीं रहती है।

रास्टर ग्राफिक डिजीटल इमेज को कैप्चर करने वाले डिवाइस (डिजीटल स्कैनर अथवा डिजीटल कैमरा) अथवा पिक्सल एडिटिंग प्रोग्राम (उदाहरण–एडोब फोटोशॉप) द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। रॉस्टर इमेज डिजीटल पिक्चर के तत्त्वों (पिक्सल) के बिटमैप अथवा मैट्रिक्स (ग्रिड) की बनी होती है। पिक्सल वर्गाकार अथवा आयत की आकृति के समान होते हैं तथा काले. सफेद अथवा स्लेटी रंग के होते हैं । रास्टर इमेज को विशिष्ट रूप से TIFF फॉर्मेट में सेव किया जाता है, परन्तु इसे EPS फॉर्मेट में भी सेव कर सकते हैं।

वेक्टर को रास्टर में परिवर्तित करना आसान होता है, परन्तु रास्टर से वेक्टर में परिवर्तन कठिन होता है (तथा प्रायः असंभव होता है)। रास्टर इमेजों को विभिन्न प्लेटफॉर्म पर शेयर करना सरल होता है, लेकिन वेक्टर ग्राफिक्स की तुलना में इन्हें परिवर्तित करना कठिन होता है। इसी तरह रास्टर ग्राफिक्स स्केलिंग के द्वारा प्रभावित होती है। एडोब फोटोशॉप का उपयोग करके एक रास्टर लोगों डिजाइन का निर्माण वेब के उपयोग हेतु तो उचित है, परन्तु अगर आप ब्रान्डिंग के प्रति गंभीर हैं, तो परिणामस्वरूप प्राप्त होने वाली रास्टर PSD लोगो फाइल बहुत ही सीमित उपयोग की होगी।

चूँकि कम्प्यूटर मॉनीटर इमेज को ग्रिड पर डिस्पले करके प्रदर्शित करते हैं. अतः वेक्टर तथा बिटमैप डाटा स्क्रीन पर पिक्सल्स की भाँति प्रदर्शित होगा।

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