कम्प्यूटर के प्रकारों का वर्णन कीजिये।

Estimated reading: 1 minute 91 views

कम्प्यूटर अपने काम–काज, प्रयोजन या उद्देश्य एवं रूप–आकार के आधार पर विभिन्न तरह के होते हैं। वस्तुतः इनका सीधे–सीधे अर्थात् प्रत्यक्षतः वर्गीकरण करना कठिन है, अतः इन्हें हम निम्न तीन आधारों पर वर्गीकृत करते हैं–

(i) अनुप्रयोग

(ii) उद्देश्य

(iii) आकार

(i) अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार

अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटरों को इस तरह वर्गीकृत किया जा सकता है–

1. एनालॉग कंप्यूटर्स– एनालॉग कंप्यूटर्स काउंटिंग से ऑपरेट नहीं होकर मेजरमेंट से ऑपरेट होते हैं । यह नाम ग्रीक शब्द ‘एनालॉग’ से लिया गया है जो दर्शाता है कि इसमें किसी दो क्वांटिटीज के मध्य में समानता स्थापित की जाती है जिसे वोल्टेज अथवा करंट के रूप में व्यक्त किया जाता है । एनालॉग कंप्यूटर्स की मदद से डिफरेन्शियल इक्वेशन्स को आसानी से हल किया जा सकता है। एक एनालॉग कंप्यूटर निरंतर परिवर्तनशील इलेक्ट्रीकल वोल्टेज के इनपुट पर कार्य करता है । पायलट को ट्रेनिंग देने हेतु फ्लाइट के सिमुलेटर को कंट्रोल करने में इलेक्ट्रॉनिक एनालॉग कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। पायलट कोई मूवमेंट करता है तो कंप्यूटर काकपिट के सिमुलेटर कंट्रोल को रिस्पान्स देता है जिससे पायलट को ऐसा लगता है जेसे वो वास्तव में किसी एरोप्लेन को कंट्रोल कर रहा है । एनालॉग कंप्यूटर्स का उपयोग प्रमुखतः साइंटिफिक डिजाइन तथा प्रोडक्शन में होता है । एनालॉग कंप्यूटर को किसी विशिष्ट कार्य हेतु उपयोग में लाया जाता है एवं इनपुट के मेजरमेंट में परिवर्तन होने पर यह तेजी से रिस्पॉन्स देता है |

2. डिजिटल कंप्यूटर्स– डिजिटल कंप्यूटर्स वो होते हैं जो अकाउंटिंग के आधार पर ऑपरेट होते हैं। सभी क्वांटिटीज डिजिट्स अथवा नम्बर्स में व्यक्त की जाती हैं। डिजिटल कंप्यूटर्स का उपयोग अरिथमेटिक एक्सप्रेशन्स तथा डाटा मेनिपुलेशन में किया जाता है जैसे बिल बनाना, लेजर, साइमलटेनियस इक्वेशंस को हल करना आदि। डिजिटल कंप्यूटर्स में मेथेमेटिकल एक्सप्रेशन्स को बाइनरी डिजिट्स (0 तथा 1) के रूप में व्यक्त किया जाता है। सारे ऑपरेशन्स बहुत तीव्र गति से होते हैं। इसमें कंप्यूटर इनपुट की केवल दो ही स्थितियों को दर्शाता है–ऑन अथवा ऑफ । ये कंप्यूटर्स कमर्शियल फील्ड में बहुत ज्यादा उपयोग में आते हैं। वर्तमान समय में अगर हम कंपयूटर की बात करते हैं तो प्रायः इसका अर्थ बाइनरी इलेक्टिक डिजिटल कंप्यूटर ही होता है ।

3. हायब्रिड कंप्यूटर्स– इस तरह के कंप्यूटर्स में एनालॉग और डिजिटल दोनों तरह के कंप्यूटर्स के फीचर कंबाइन्ड होते हैं। अन्य शब्दों में एनालॉग तथा डिजिटल मशीन्स के फीचर्स को मिलाकर हाइब्रिड कंप्यूटर बनाया जा सकता है। इस तरह के कंप्यूटर काउंटिंग के साथ–साथ मेजरिंग का कार्य भी करते हैं। दूसरे शब्दों में आउटपुट या तो नंबर के रूप में हो सकता है अथवा मेजरमेंट के रूप में। उदाहरण के लिए एनालॉग कंप्यूटर की मदद से किसी व्यक्ति की हर्ट बीट को इसीजी के द्वारा मापा जा सकता है । इस मेजरमेंट को डिजिटल फार्म में भी दर्शाया जाता है ताकि अगर कोई असामान्य स्थिति हो तो तुरंत ज्ञात की जा सके । उसी तरह हम डिजिटल डाटा डालकर डिजिटल रिजल्ट भी प्राप्त कर सकते हैं। जैसे परीक्षा के प्राप्तांक इनपुट करके परीक्षा परिणाम प्राप्त करना । इसका एक और उदाहरण मॉडेम जो डिजिटल सिगनल्स को एनालॉग में बदलकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाता है तथा Receiving Point पर इसे पुनः डिजिटल रूप में बदलता है।

(ii) उद्देश्य के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार

इस आधार पर कम्प्यूटरों के केवल दो वर्ग बनाये गये हैं जो इस तरह हैं–

(1) सामान्य–उद्देशीय कम्प्यूटर – ये ऐसे कम्प्यूटर हैं जिनमें अनेक प्रकार के कार्य करने की क्षमता होती है पर ये शब्द–प्रक्रिया से पत्र व दस्तावेज तैयार करना, दस्तावेजों को छापना, डेटाबेस बनाना आदि जैसे सामान्य कायों को ही सम्पन्न करते हैं। सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर के आन्तरिक परिपथ में लगे सी.पी.यू. की कीमत भी कम होती है । इन कम्प्यूटरों में हम किसी विशिष्ट अनुप्रयोग हेतु पृथक् से डिवाइस नहीं जोड़ सकते क्योंकि इनके सी.पी.यू. की क्षमता सीमित होती है।

(2) विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर– ये ऐसे कम्प्यूटर हैं जिन्हें किसी विशेष कार्य के लिए तैयार किया जाता है । इनके सी.पी.यू. की क्षमता उस कार्य के अनुरूप होती है जिसके लिए इन्हें तैयार किया गया है। इनमें यदि अनेक सी.पी.यू. की आवश्यकता हो तो इनकी संरचना अनेक सी.पी.यू. वाली कर दी जाती है ।

उदाहरणार्थ, संगीत–संपादन करने के लिए किसी स्टूडियो में लगाया जाने वाला कम्प्यूटर विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर होगा। इसमें संगीत से सम्बन्धित उपकरणों को जोड़ा जा सकता है तथा संगीत को विभिन्न प्रभाव देकर इसका संपादन किया जा सकता है।

फिल्म–उद्योग में फिल्म–संपादन हेतु विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटरों का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर निम्न क्षेत्रों में भी उपयोगी है

(i) अन्तरिक्ष–विज्ञान

(ii) मौसम विज्ञान

(iii) युद्ध में प्रक्षेपास्त्रों का नियन्त्रण

(iv) उपग्रह–संचालन

(v) भौतिक व रसायन विज्ञान में शोध

(vi) चिकित्सा

(vii) यातायात–नियन्त्रण

(viii) समुद्र–विज्ञान

(ix) कृषि विज्ञान

(x) इंजीनियरिंग

(iii) आकार के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार

आकार के आधार पर हम कम्प्यूटरों को निम्न श्रेणियाँ प्रदान कर सकते हैं–

(i) माइक्रो कम्प्यूटर

(ii) वर्क स्टेशन

(iii) मिनी कम्प्यूटर

(iv) मेनफ्रेम कम्प्यूटर

(v) सुपर कम्प्यूटर

वास्तव में केवल आकार के आधार पर इन श्रेणियों में अन्तर स्पष्ट नहीं किया जा सकता है क्योंकि एक मिनी कम्प्यूटर, एक मेनफेम कम्प्यूटर से भी बड़ा हो सकता है।

सामान्यतः बड़े कम्प्यूटर की क्रिया करने की क्षमता अधिक होती है। बड़े कम्प्यूटरों की गति अधिक होने के साथ उनमें अधिक संख्या में अतिरिक्त डिवाइस अथवा उपकरण भी लगाये जा सकते हैं । कम्प्यूटर के आकार में वृद्धि होने पर उसकी कीमत भी अधिक हो जाती है। कम्प्यूटर–प्रणाली की कीमत हजारों रुपये से लेकर करोड़ों रुपये तक हो सकती है।

(i) माइक्रो कंप्यूटर– माइक्रो कंप्यूटर एक छोटे आकार का साधारण उपयोगी सिस्टम है। इसके कार्य करने का तरीका किसी अन्य बड़े सिस्टम के समान ही है। माइक्रो कंप्यूटर में सभी यूनिट स्वतः संचालित होती हैं एवं इसे एक समय में एक ही व्यक्ति के द्वारा उपयोग में लाया जा सकता है । माइक्रो कंप्यूटर को सरलता से किसी बड़े कंप्यूटर के साथ जोड़ा जा सकता है । यह किसी तरह लार्ज कंप्यूटर के साथ जुड़कर इन्फोर्मेशन सिस्टम बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

माइक्रो कंप्यूटर की निम्न सामान्य विशेषतायें होती हैं–

(अ) स्पीड (गति) – 100 Kips (किलो इन्सट्रक्शन पर सेकंड)

(ब) वर्डलेंथ– 8 से 16 बिट

(स) संग्रह क्षमता– 60 KB से 640 KBs

(द) उपयोगी उपकरण– फ्लॉपी डिस्क, विनचिस्टर, हार्डडिस्क, वीड़ी.यू. (V.D.U.)

(इ) उपयोगी क्षेत्र– अकाउंटिंग एवं छोटी कंपनियों का वित्तीय लेखांकन। इंजीनियरिंग एवं वैज्ञानिक खोज, वर्ड प्रोसेसिंग, ग्राफिक्स, शिक्षा और विडियो गैम्स आदि ।

(फ) सामान्य उपयोगी मशीनें– IBM PC, Apple, BBC Micro etc.

(ii) डेस्कटॉप कंप्यूटर– पर्सनल कंप्यूटर का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला। प्रकार डेस्कटॉप कंप्यूटर है । डेस्कटॉप जैसा किं नाम से ही उपलक्षित होता है, एक ऐसा कंप्यूटर है जिसे डेस्क पर सेट किया जा सकता है एवं यह वहीं से कार्य कर सकता है। इसमें एक सी.पी.यू. (एक कैबिनेट जो मदरबोर्ड तथा अन्य भागों को ढके रहता है), मॉनीटर, की–बोर्ड और माउस होते हैं। इन्हें हम अलग–अलग देख सकते हैं । डेस्कटॉप कंप्यूटर की कीमत कम होती है लेकिन इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किल होता है। आज, आप नवीनतम : कनफिगुरेशन के साथ डेस्कटॉप कंप्यूटर 20–25 हजार रुपयों की रेंज में ले सकते हैं।

(iii) नोटबुक एवं लेपटॉप– नोटबुक एवं लैपटॉप पर्यायवाची होते हैं हालांकि कई कंपनियाँ लैपटॉप के साथ अन्य फीचरों को प्रदान करते हैं तथा लैपटॉप को नोटबुक की अपेक्षाकृत थोड़े महँगे दामों में बेचते हैं। डेस्कटॉप कंप्यूटर से भिन्न, नोटबुक तथा लैपटॉप में कुछ भी अलग से नहीं होता है। सभी इनपुट, आउटपुट एवं प्रोसेसिंग युक्तियाँ एक डिब्बे में समावेशित होती हैं जो आपकी यात्रा में प्रयोग किये जाने वाले ब्रीफकेस की भाँति प्रतीत होता है। आमतौर पर यात्रा के दौरान अथवा कुर्सी पर बैठकर इन्हें गोद में रखकर परिचालित किया जा सकता है अतः इसे लैप + टॉप अर्थात् गोद के ऊपर कहा जाता है। नोटबुक एवं लैपटॉप वजन में एक किलोग्राम से भी कम होते हैं। ये डेस्कटॉप से महँगे होते हैं लेकिन इन्हें एक जगह से दूसरी जगह सरलता से ले जाया जा सकता है। जैसा कि यह सुवाह्य होता है अर्थात् इसे आप कहीं भी अपने साथ ले जा सकते हैं। यह अत्यंत निजी होते हैं। नोटबुक एवं लैपटॉप में बैटरी पैक होता है जो बिजली जाने के बाद प्रायः 4–5 घंटे बैकअप प्रदान करता है।

(iv) पॉमटॉप कम्प्यूटर– पॉमटॉप सबसे अधिक सुवाह्य पर्सनल कम्प्यूटर होते हैं एवं । आपके हथेली में पकड़े जा सकते हैं। इन्हें पॉकेट कम्प्यूटर भी कहा जाता है। यद्यपि यह अधिकारिक रूप से मान्य नहीं है। पॉमटॉप कार्यालयों में प्रचलित नहीं है। पॉमटॉप कम्प्यूटर कई स्वरूप में अब उपलब्ध हैं। ये टैबलेट प्रो.सी. एवं पीड़ी.ए. हो सकते हैं।

(a) टैबलेट पी.सी. – टैबलेट पी.सी. अधिक पोर्टेबल एवं लैपटॉप कम्प्यूटर के सभी लक्षणों से युक्त होते हैं। ये लैपटॉप की तुलना में ज्यादा हल्के होते हैं एवं निर्देशों को इनपुट करने हेतु स्टायलस या डिजिटल पेन का प्रयोग करते हैं। प्रयोक्ता निर्देशों को स्क्रीन पर सीधे–सीधे लिख सकता है। आपके टैबलेट पी.सी. में पूर्व–निर्मित माइक्रोफोन एवं विशिष्ट सॉफ्टवेयर होता है, जो इनपुट को मौखिक रूप में प्राप्त करता है। आप इसका प्रयोग एक सी.पी.यू. की तरह परम्परागत तरीके से की–बोर्ड एवं एक मॉनीटर को जोड़ने में कर सकते हैं।

(b) पर्सनल डिजिटल असिसटेण्ट– पर्सनल डिजिटल असिसटेण्ट एक हैन्ड हेल्ड पर्सनल कम्प्यूटर है, जो टैबलेट पी.सी. की तरह है एवं इसे एक तरह का पॉमटॉप कम्प्यूटर भी कह सकते हैं। पी.डी.ए. अब अन्य विशेषताओं के साथ उपलब्ध है,जैसे– कैमरा, सेलफोन,म्यूजिक प्लेयर, इत्यादि । यह एक छोटे–से कैलकुलेटर की भाँति होता है एवं इसका प्रयोग नोट लिखने, एड्रेस प्रदर्शित करने, टेलिफोन नम्बर और मुलाकातों को प्रदर्शित करने में किया जाता है । पीड़ी.ए. अब एक पेन के साथ भी उपलब्ध है। प्रयोक्ता की आवश्यकता हेतु यह अब बहुत छोटे की–बोर्ड के साथ टेक्स्ट को इनपुट करने एवं माइक्रोफोन से आवाज इनपुट करने के काम आ रहा है।

(v) वर्कस्टेशन– वर्कस्टेशन आकार में माइक्रो कम्प्यूटर के समान होने के बावजूद दा शक्तिशाली होते हैं एवं ये विशेष रूप से जटिल कार्यों के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। इस तरह के कम्प्यूटर माइक्रो कम्प्यूटर के प्रायः सभी लक्षणों को अपने अन्दर रखते हैं एवं माइक्रो कम्प्यूटर के समान ही एक समय में एक ही प्रयोक्ता के द्वारा संचालित किए जाते हैं। इनकी कार्यक्षमता मिनी कम्प्यूटरों के समान होती है । इनका प्रयोग मूलतः वैज्ञानिकों, अभियंताओं एवं । अन्य विशेषज्ञों द्वारा होता है । ये माइक्रो कम्प्यूटर की बजाय महँगे होते हैं । पर माइक्रो कम्प्यूटर में अपार बदलाव एवं इसके वृहद् स्तर पर विकास के बाद अब वर्कस्टेशन का प्रचलन कम हुआ है तथा माइक्रो कम्प्यूटर के उन्नत उत्पाद ने इसका स्थान लेना प्रारम्भ कर दिया है। अब माइक्रो कम्प्यूटर भी उन्नत ग्राफिक्स एवं संचार–क्षमताओं के साथ बाजार में उपलब्ध हो रहे हैं।

(vi) मिनि कंप्यूटर – यह एक मध्यम आकार का कंप्यटर है जो कि माइक्रो कंप्यटर से ज्यादा महँगा एवं शक्तिशाली है । माइक्रो कंप्यूटर एवं मिनी कंप्यूटर के बीच प्रमुख अंतर यह है कि मिनी कंप्यूटर सामान्यतः मल्टीपल यूजर द्वारा एक के बाद एक निरंतर उपयोग करने हेतु बनाया गया है। एक सिस्टम जो कि मल्टीपल यूजर को सपोर्ट प्रदान करता है, मल्टी टर्मिनल टाइम शेयरिंग सिस्टम कहलाता है। मिनि कंप्यूटर माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में तेज गति से कार्य करता है। यह कई टर्मिनल को सपोर्ट करता है एवं इसकी संग्रह क्षमता भी ज्यादा होती है । मिनि कंप्यूटर की प्रमुख विशेषतायें निम्न होती हैं।

(अ) स्पीड (गति) – 500 KIPS (किलो इन्सट्रक्शन पर सेकंड)

(ब) वर्डलेंथ– 16 बिट

(स) संग्रह क्षमता– 256 KB से 1 MB

(द) उपयोगी उपकरण– फ्लॉपी डिस्क, विनचिस्टर, हार्डडिस्क, तेज गति वाला लाइन प्रिंटर, प्लाटर।

(इ) उपयोगी क्षेत्र– औद्योगिक क्षेत्र में प्रोसेस कंट्रोल में, इंजीनियरिंग एवं वैज्ञानिक खोज में, टाइम शेयरिंग डिवाइस में।

(फ) सामान्य उपयोगी मशीनें– PDP/1170, IBM, SYS/3. HONEYWELL 200, HP, TDC

(vii) मेनफ्रेम कंप्यूटर– अत्यधिक संग्रहण क्षमता वाले एवं अति उच्च प्रोसेसिंग गति वाले कंप्यूटर, मेनफ्रेम कंप्यूटर कहलाते हैं। यह विभिन्न तरह के यूजर को एक साथ कार्य करने हेतु बहुत सारे टर्मिनल को सपोर्ट करते हैं । डिस्ट्रीब्यूटेड डाटा प्रोसेसिंग सिस्टम में इन्हें केन्द्रीय होस्ट कंप्यूटर की तरह उपयोग किया जाता है।

मेनफ्रेम कंप्यूटर की डाटा प्रोसेसिंग क्षमता बहुत ज्यादा होती है । मेनफ्रेम कंप्यूटर की प्रमुख विशेषताएं निम्न हैं|

(अ) स्पीड (गति) – 1 से 10 MIPS (मेगा इन्सट्रक्शन पर सेकंड)

(ब) वर्डलेंथ– 32–48 बिट

(स) संग्रह क्षमता– 2 MB से 16 MB

(द) उपयोगी उपकरण– 100 MB हार्डडिस्क, अति उच्च गति वाला लाइन प्रिंटर, फ्रंट तथा प्रोसेसर की तरह मिनी कंप्यूटर, लेजर प्रिंटर।

(इ) उपयोगी क्षेत्र – जटिल वैज्ञानिक गणनाओं में बड़े पैमाने पर रिजर्वेशन सिस्टम में

(फ) सामान्य उपयोगी मशीनें– IBM 370/360, DEC 1090, CYBER 170

(viii) सुपर कंप्यूटर– इनकी संग्रह क्षमता सभी कंप्यूटर की तुलना में ज्यादा होती है एवं इनकी प्रोसेसिंग गति साधारण कंप्यूटर की तुलना में कई गुना ज्यादा होती है जबकि साधारण कंप्यूटर की गति मिलियन/सेकंड में मापी जाती है, सुपर कंप्यूटर की गति साधारण कंप्यूटर की तुलना में 10 गुना ज्यादा होती है। कंप्यूटर में हर कार्य कई निर्देशों से मिलकर बना होता है ।

सुपर कंप्यूटर का उपयोग वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गणितीय समस्याओं को हल करने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक्स, पेट्रोलियम, इंजीनियरिंग,मानसून निर्धारण, संरचनात्मक विश्लेषण, रसायन विज्ञान एवं भौतिकीय आदि क्षेत्रों में सुपर कंप्यूटर का महत्वपूर्ण योगदान है। यह मशीनें पैरेलल प्रोसेसिंग तकनीकी का उपयोग करती हैं, इसलिए इसकी गति बहुत ज्यादा होती है, इसकी संग्रहण क्षमता असाधारण रूप से बहुत बड़ी होती है । सुपर कंप्यूटर की प्रमुख विशेषतायें निम्न तरह हैं–

(अ) स्पीड (गति) – 1 से 10 MIPS (मेगा इन्सट्रक्शन पर सेकंड)

(ब) वर्डलेंथ– 64 से 96 बिट्स

(स) संग्रह क्षमता– 8 MB से 64 MB

(द) उपयोगी क्षमता– अत्यधिक उच्च क्षमता वाली 1000 MB हार्डडिस्क, अति उच्च गति वाला लाइन प्रिंटर, उच्च गति वाला लेजर प्रिंटर

(इ) उपयोगी क्षेत्र– मानसून निर्धारण में, स्पेस रिसर्च, वैज्ञानिक खोजों में

(फ) सामान्य उपयोगी मशीनें– CYBER 205, CRY–II, CRAY–II

(ix) अन्त: स्थापित कम्प्यूटर– अन्तः स्थापित कम्प्यूटर एक विशेष उद्देशीय कम्प्यूटर प्रणाली होती है, जिसे किसी समर्पित कार्य को सम्पन्न करने हेतु डिजाइन किया जाता है। एक सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर, जैसे कि एक पर्सनल कम्प्यूटर से भिन्न एक इम्बेडिड कम्प्यूटर–प्रणाली एक या कुछ पूर्व निर्धारित कार्यों को सम्पन्न करती है जिनकी प्रायः बहुत विशिष्ट आवश्यकताएँ होती हैं एवं प्राय: ऐसे विशेष कार्य वाले हार्डवेयर एवं मैकेनिकल पार्टस को सम्मिलित करती है जो प्रायः सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर में नहीं पाये जाते हैं । यद्यपि यह प्रणाली विशिष्ट कार्यों के लिए निर्धारित है, तथापि डिजाइन इंजीनियर इस उत्पाद के आकार एवं लागत के घटने से इसके प्रति आशान्वित हैं । आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद होने से अन्तः स्थापित प्रणालियाँ प्राय: बड़े पैमाने पर उत्पादित हो रही हैं।

भौतिक रूप से, इम्बेडेड कम्प्यूटर सुवाहा कम्प्यूटरों यथा डिजिटल घड़ियाँ एवं एम.पी.श्री प्लेयर्स से लेकर बड़े स्थायी स्थापन, यथा यातायात प्रकाश फैक्ट्री नियंत्रक अथवा परमाणु शक्ति इकाइयों तक को नियंत्रित करने में पाया जा सकता है। जटिलता के मामले में इम्बेडेड प्रणालियाँ साधारण–से एक माइक्रोकन्ट्रोलर चीप से लेकर बहुल इकाईयों, पेरिफेरल्स एवं नेटवर्क जो एक बड़े चेसिस या आवरण जैसे जटिल प्रणालियों में भी हो सकते हैं।

मोबाइल फोन या हैण्ड–हेल्ड कम्प्यूटर इम्बेडेड प्रणालियों के साथ ऑपरेटिंग सिस्टम तथा माइक्रोप्रोसेसरों के साथ साझा कर सकते हैं परन्तु ये वस्तुतः इम्बेडेड सिस्टम नहीं होते हैं क्योंकि इन्हें सामान्य उद्देशीय होने के साथ विभिन्न एप्लिकेशनों को स्थापित होने तथा पेरिफेरलों को संयोजित होने की अनुमति प्रदान करना होता है।

Leave a Comment

CONTENTS