कम्प्यूटर की योग्यताएँ और सीमाएँ बतलाइए।

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कम्प्यूटर की उपयोगिता या लाभ

कम्प्यूटर की हर क्षेत्र में उपयोगिता है। कम्प्यूटर हर कल्पनीय काम को कर सकता है, पर कुछ क्षेत्रों में तो इसका जवाब नहीं है । कम्प्यूटर के इस्तेमाल के कुछ प्रमुख क्षेत्र निम्न है –

(1) ग्राफिक – ग्राफिक्स का क्षेत्र कम्प्यूटर इस्तेमाल के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है । कम्प्यूटर ग्राफिक्स हमें दृष्टिगत बदलाव में मदद करता है। कम्प्यूटर हमें यह बता सकता है कि एक नई बहुमंजिली इमारत के बन जाने के बाद शहर का स्वरूप कैसा दिखेगा। चिकित्सा के क्षेत्र में ब्रेन स्कैन से कम्प्यूटर मानसिक बीमारी के इलाज में मदद हेतु मस्तिष्क की रंगीन तस्वीर उतारता है । बायोकेमिस्ट मोलेक्यूल्य के ढांचे को तीन आकार से जांचने में कम्प्यूटर का इस्तेमाल करते हैं। जबकि वास्तुकार भवनों की डिजाइन तैयार करने में इसकी मदद लेते हैं। जब खोये हये बच्चे महीनों अथवा वर्षों तक नहीं मिल पाते तो कम्प्यूटर की मदद ली जाती है जो बच्चे की तस्वीर को इस तरह विकसित करता है जिससे यह पता चले सके कि बच्चा आज कैसा दिखता होगा। इससे खोजने वाले को काफी मदद मिलती है।

समाज में ऐसे ढेर सारे नए कलाकार उभरकर सामने आए हैं जो कम्प्यूटर के सहारे अपनी कला को निखार दे रहे हैं तथा कार्टून, लेंडस्केप,टेलीविजन लोगो आदि बनाने में कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं।

(2) कारोबार– डिब्बाबंद सब्जी से लेकर किताब जैसे सामानों को आजकल बार कोडस लगे जेब्रा स्ट्रीप से पैक किया जाता है। सामान की कीमत जानने हेतु इसे सुपर मार्केट से बाहर निकलने वाले रास्ते में बने स्टैंड पर लगे कम्प्यूटर स्कैनर के जरिए पढ़ा जा सकता है। प्रत्येक उत्पाद पर लगी इस पट्टी (स्ट्रीप) पर प्रोडक्ट का यूनिवर्सल कोड अंकित रहता है। कॉमर्स के क्षेत्र में कोड सिस्टम कम्प्यूटर की सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली चीज है। आधुनिक युग – में कम्प्यूटर के बगैर भंडारण तथा सामानों की सूची के प्रबंधन का कोई अस्तित्व नहीं है।

(3) ऊर्जा– ऊर्जा कंपनियाँ तेल, कोयला,प्राकृतिक गैस तथा यूरेनियम का पता लगाने हेत कम्प्यूटर का इस्तेमाल करती हैं। इलेक्ट्रिक कंपनियाँ बिजली के विशाल नेटवर्क पर नजर रखने के लिए कम्प्यूटर का सहारा लेगे हैं। इसके अतिरिक्त मोटर रीडर इस बात का पता लगाने हेतु कम्प्यूटर का इस्तेमाल करते हैं कि घरों में व्यापारिक प्रतिष्ठानों में हर महीने कितनी बिजली की खपत होती है।

(4) दफ्तरी काम– शुरूआती दिनों में कम्प्यूटरों का तथाकथित पेपर मुक्त समाज का वादा था। सोचा गया कि अखबार एवं पत्र–पत्रिकाएँ अपना इलेक्ट्रॉनिक संस्करण निकालेंगी तथा कागज की खपत को कम करेंगी। धीरे–धीरे यह हो भी रहा है लेकिन हमारा समाज अभी भी कागज पर ही निर्भर है एवं इससे उबरने में उसे संभवतः कई दशक लगेंगे । कुछ मामलों में तो कम्प्यूटर ने रद्दी डाक को बढ़ाकर कागज के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी की है । लेकिन कई मामलों में इसने कागज के इस्तेमाल में कटौती भी की है। उदाहरण के तौर पर आपको कोई दस्तावेज तैयार करने के लिए कई मसौदा पत्र तैयार करने पड़ते हैं । कम्प्यूटर पर प्रिंट निकालने के पहले टाइप कर उसे कई बार संपादित कर सकते हैं एवं अनेक बार कागज पर मसौदा टाइप करने की बजाय आप एक बार अपने पेपर की फाइनल कापी प्रिंट कर सकते हैं।

(5) परिवहन– त्वरित परिवहन को बनाए रखने, जहाज पर माल लादने–उतारने, विमानों के उड़ान भरने तथा उतरने, वायु यातायात पर नजर रखने एवं यातायात से जुड़े अन्य मसलों में कम्प्यूटरों का इस्तेमाल किया जाता है । इसके अलावा कार तथा मोटरसाइकिलों में ईधन के स्तर, तापमान एवं इलेक्ट्रिकल सिस्टम पर नजर रखने हेतु भी कम्प्यूटरों का इस्तेमाल किया जाता है ।

(6) बैंकिंग– कम्प्यूटर ने हमारे रुपए पैसे के लेन–देन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। एक समय था जब हम बैंक में चैक जमा करते थे तो इसे प्रोसेस होने में दो–तीन दिन लग जाते थे पर अब कम्प्यूटर ने इस काम में काफी गति ला दी है तथा बैंकों को उसी दिन सेवा उपलब्ध कराने की सुविधा दी है। इतना ही नहीं कम्प्यूटरों ने टेलीफोन एवं ऑटोमेटेड टेलर मशीनों (एटीएम) के माध्यम से लेन–देन के काम को आसान बना दिया है । कम्प्यूटरों ने नगद रहित अर्थव्यवस्था कायम करने तथा क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को व्यापक बनाने में काफी मदद पहुँचाई है । कई बैकों ने टेलर काउंटर पर एटीएम मशीन लगा रखी है जो आपके नाम एवं खाता नंबर संबंधी सूचनाओं को खुद ब खुद रिकार्ड कर लेता है जिससे टेलर काउंटर पर बैठे कर्मचारी को ये सब चीजें टाइप नहीं करनी पड़तीं। इससे टाइप में गलती होने की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं। कुछ तेल कंपनियाँ क्रेडिट कार्ड से काम करने वाले सेल्फ गैसोलाइन पंप चला रही हैं। ई–कॉमर्स में तो सारा लेन–देन कम्प्यूटर पर होता है।

(7) कृषि – किसान अब कृषि कार्यों हेतु छोटे कम्प्यूटरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन कम्प्यूटरों की कीमत ट्रैक्टर से भी कम होती है। किसान इन कम्प्यूटरों का इस्तेमाल फसल सूचना,प्रति एकड़ लागत एवं खाद–बीज की लागत आदि जानने के काम में कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र के एक कपास उत्पादक ने खेतों में खाद डालने के सही समय का पता लगाने में कम्प्यूटर का इस्तेमाल करके अपनी वार्षिक आय में तकरीबन दस फीसदी की बढ़ोत्तरी की। इसके अतिरिक्त. कम्प्यूटर लोगों को शहरी दफ्तरों में बैठकर काम करने की बजाय घर पर काम करने का विकल्प प्रदान करता है। परिणामस्वरूप गाँवों में जीवन का सूनापन कम हो सकता है एवं यहाँ तक कि इससे संभवतः गाँवों से शहरों की तरफ युवाओं का पलायन रुक सकता है।

(8) शिक्षा – कालेज एवं स्कूल में रिकार्ड रखने तथा एकाउंटिग हेतु वर्षों से कम्प्यूटरों का इस्तेमाल हो रहा है। कई कालेजों ने कम्प्यूटर का इस्तेमाल करके पंजीकरण हेतु लंबी कतारों को खत्म कर दिया है । भारत में ज्यादातर पब्लिक स्कूलों में इस्तेमाल हेतु कम्प्यूटर उपलब्ध हैं । शिक्षाविद जो एक समय कम्प्यूटर को कक्षा में शोभा की वस्तु मान रहे थे अब इसे एक जरूरी आवश्यकता मानते हैं । अभिभावक भी इस बात को सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं कि उनके बच्चे कम्प्यूटर युग में पीछे न रहे जाएँ। इसलिए स्कूलों पर कम्प्यूटर हासिल करने एवं इसके इस्तेमाल हेतु शिक्षकों तथा छात्रों को प्रशिक्षित करने का दबाव पड़ रहा है।

(9) सरकार– केन्द्र–राज्य सरकारें कम्प्यूटर का अकेला सबसे बड़ा उपभोक्ता है। एक नौकरशाह का तो यहाँ तक कहना है कि कम्प्यूटर इस्तेमाल को सीखना ही सरकार में बने रहने का रास्ता हो सकता है। उदाहरण के तौर पर प्रोविडेंट फंड, पेंशन फंड कम्प्यूटर की मदद से हर महीने लाखों चैक तैयार करते हैं । कम्प्यूटर का इस्तेमाल मौसम की भविष्यवाणी करने,प्रवासियों की जांच–पड़ताल करने, न्याय प्रदान करने एवं कर वसूलने के कार्यों में भी बखूबी किया जा रहा है। इसके अलावा सीबीआई तथा पुलिस कम्प्यूटर के सहारे संदिग्ध अपराधियों पर नजर रखती है। भू–राजस्व विभाग कम्प्यूटर में जमीन का रिकार्ड रख रहे हैं।

(10) घर– घरों में पर्सनल कम्प्यूटरों का इस्तेमाल रिकार्ड रखने, चिट्ठी लिखने, बजट तैयार करने, पिक्चर तैयार करने एवं टेलीफोन के जरिए दूसरे कम्प्यूटरों से जुड़कर विभिन्न तरह की सूचनाएँ प्राप्त करने के काम में हो रहा है। इतना ही नहीं एयरकंडिशनिंग कंट्रोल, टेलीफोन कॉलों का जवाब देने तथा घर की सुरक्षा करने में बड़े ही दिलचस्प तरीके से कम्प्यूटर का इस्तेमाल किया जा रहा है। घर पर आपको कम्प्यूटर की आवश्यकता है अथवा नहीं यह अभी भी बहस का मुद्दा बना हुआ है पर इसमें कोई शक नहीं कि कम्प्यूटर आपके जीवन को आसान एवं ज्यादा मनोरंजक बना सकता है।

(11) स्वास्थ्य तथा चिकित्सा– पिछले कुछ समय से चिकित्सा व्यवसाय के क्षेत्र में कम्प्यूटर का इस्तेमाल बहुत बढ़ा है। आज अस्पतालों तथा मेडिकल सेंटरों में कम्प्यूटर जीवन एवं मृत्यु के बीच अंतर कर सकता है। अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में गंभीर रूप से भर्ती बीमार व्यक्तियों के शरीर के विभिन्न क्रियाकलापों पर नजर रखने में कम्प्यूटर मदद करते हैं तथा साथ ही अल्ट्रासाउंड तस्वीरों के जरिये शरीर के विभिन्न हिस्सों की तस्वीर मुहैया करते हैं। खतरनाक बीमारियों के इलाज में कभी–कभी बड़ी मात्रा में आंकड़ों की जरूरत पड़ती है । कम्प्यूटर बड़ी आसानी से इन आंकड़ों की प्रोसेसिंग करता है। एड्स जैसी विभिन्न बीमारियों के इलाज कम्प्यूटर के इस्तेमाल में हाल के दिनों में हुई प्रगति ने जीवन बचाने अथवा उम्र के कछ दिनों तक और बढ़ाने में काफी सहायता पहंचाई है। चिकित्सक संभावित बीमारियों की पहचान करने में कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर सकते हैं । कम्प्यूटर को अक्सर हार्ट अटैक के मामले में चिकित्सक की बजाय कहीं ज्यादा सही तरीके से हार्ट अटैक की पहचान करते हुए देखा गया है। यदि आप उन हजारों लोगों में से एक हैं जो अक्सर भयंकर सर्दी की चपेट में आ जाते हैं तो आपको यह जानकर खुशी होगी कि कम्प्यूटरों ने मानवीय सर्दी के विषाणु का खाका तैयार करने में सफलता प्राप्त कर ली है जो सामान्य सर्दी से छुटकारा दिलाने की दिशा का पहला कदम है। वजन घटाने के कार्यक्रम से लेकर ब्लड प्रेशर नापने जैसे चिकित्सा देखभाल के हर क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग हो रहा है।

(12) इन्टरनैट/अंतर्जाल– इन्टरनेट सुपर हाइवे तथा साईबर स्पेस जैसे शब्द आज सर्व साधारण हैं। अगर आपके मन में यह जानने की इच्छा है कि इन्टरनैट है किस चिड़िया का नाम, तो हम आपको बता दें कि मूल रूप से इन्टरनैट कम्प्यूटरों का एक जालक्रम अर्थात् नेटवर्क है। यह नेटवर्क आज पूरे विश्व में फैलकर हमारे सदियों पुराने दर्शन वसूधैव कुटम्बकम् को फलीभूत कर रहा है । वृहद अर्थ में इन्टरनैट में इस नेटवर्क के सब कम्प्यूटर तो शामिल हैं ही,इन कम्प्यूटरों के user’s इन पर स्टोर्ड इनफॉरमेशन तथा इस इनफॉर्मशन के आदान–प्रदान में काम आने वाले सभी प्रोग्राम एवं प्रोटोकाल भी इन्टरनेट का भाग समझे जाते हैं। अनुमान है कि दस वर्ष बाद लगभग बीस करोड़ लोग इन्टरनेट का प्रयोग कर रहे होंगे।

इन्टरनेट की लोकप्रियता का कारण यही है कि यह ज्ञान का एक अद्भुत स्त्रोत है। आज कोई ऐसा विषय नहीं है कि जिस पर इन्टरनेट आपको अप–डू–डेट सूचना न दे सके । बस आपके पास (अ) टेलीफोन कनैक्शन (ब) कम्प्यूटर (स) मोडेम (द) उपयुक्त कम्यूनिकेशन सॉफ्टवेयर (च) विदेश संचार निगम लि. (VSNL) या BSNL या MTNL से एक इन्टरनेट एकाउन्ट होना चाहिए। भाँति–भाँति के एकाउन्ट 500.00 रु. प्रति वर्ष तक मिलते हैं।

इन्टरनैट के द्वारा आप घर बैठे निम्न सुविधाएँ प्राप्त कर सकते हैं।

(1) ई–मेल के द्वारा आप पलों में संसार के किसी भी कोने से, जो इन्टरनेट से जुड़ा हो, डाक का आदान–प्रदान।

(2) किसी भी सभा के अधिवेशन में भाग लेना (video conferencing)

(3) व्यापार तथा क्रय–विक्रय (on line shopping)

(4) पुस्तकालयों का प्रयोग तथा शोधकार्य।

(5) सूचनाओं के सरकारी/सार्वजनिक भंडारों से इन्फॉरमेंशन प्राप्त करना।

(6) सरकारी तथा प्रेस विज्ञप्तियों एवं कानूनों के विषय में जानकारी।

(7) सिनेमा, संगीत तथा खेलों के माध्यम से मनोरंजन।

(8) छुट्टियाँ बिताने हेतु किसी भी स्थान के विषय में पूरी जानकारी ।

(9) पूरे संसार में समाचार छपते ही पढ़ना।।

(10) शिक्षा–अर्जन (जैसे नए–नए विषय सीखना, और भी बहुत कुछ)

इन्टरनेट पर इतनी अधिक इनफॉर्मेशन उपलब्ध है कि उनमें से अपने मतलब की बात खोज निकालना कई बार कठिन हो जाता है । इस कठिनाई को दूर करने का एक सरल उपाय है वर्ल्डवाईड वैब या संसार व्यापी जाल । WWW सूचनाओं का ऐसा भंडार है जिसमें सूचना से संबंधित जानकारी रहती है। आपको सिर्फ कम्प्यूटर के की–बोर्ड की एक key को दबाना भर होगा। वर्ल्डवाइड वैब के प्रयोग के लिए किसी ब्राउज़र की आवश्यकता होती है। मौज़ेक का इन्टरनैट ऐक्सप्लोरर (Mosiac, Net scape, Navigator, Internet explorer) कुछ प्रमुख browers हैं।

हर वस्तु की भाँति इन्टरनैट में भी कुछ बुराइयाँ है। फिर भी आने वाला युग इससे पूरी तरह प्रभावित होगा जहाँ ऊँच–नीच देश–विदेश, धनी निर्धन, विकसित–विकासशील, उत्तर दक्षिण, काले–गोरे के भेद की सीमाएँ बहुत धुंधली होंगी। पूरा संसार इनफॉर्मेशन का एक वृहद जाल होगा । वास्तविकता यह है कि इन्टरनेट मात्र कुछ दूरदर्शी व्यक्तियों का योजना–क्रम न होकर विकास की आधारशिला बनेगा। आप अगर इससे नहीं, जुड़ेंगे तो आपके हाथ कुछ न लगेगा।

कम्प्यूटर की सीमायें या असार्थ्यता

कम्प्यूटर एक मशीन हैं जिसे मानव द्वारा निर्मित किया गया है इससे बहुत से कार्य सम्पन्न कराये जाते हैं, लेकिन इसकी भी कुछ सीमायें हैं–

1. गति– कम्प्यूटर की गणना करने की गति बहुत तीव्र होती है, लेकिन इसमें और वृद्धि की आवश्यकता लगातार अनुभव की जाती रही है। प्रारम्भ में कम्प्यूटर द्वारा 10 लाख गणनायें प्रति सेकण्ड की जाती थीं, लेकिन अब लगभग 30 नानो सेकण्ड अर्थात् 3 करोड़ गणनायें प्रति सेकण्ड की जाती हैं । इसमें और वृद्धि के प्रयत्न अभी जारी हैं।

2. भण्डारण क्षमता – कम्प्यूटर एक मशीन है जिसे विभिन्न अवयवों को जोड़कर निर्मित किया गया है। इसके प्रत्येक अवयव की एक निश्चित सीमा है। इसलिए प्रत्येक भण्डारण उपकरण जैसे– मेमोरी, फ्लॉपी, टेप एवं सीडीरोम प्रत्येक की संग्रह क्षमता निश्चित है । उसके बाद हमें संग्रह के लिए एक दूसरे उपकरण की जरूरत होती है ।

3. संवेदनहीनता – कम्प्यूटर एक मशीन है इसलिए उससे किसी संवेदनशील व्यवहार की आशा नहीं की जा सकती है । वह सिर्फ पूर्व–निर्देशित प्रोग्रामों के अन्तर्गत ही स्वागत आदि प्रदर्शित करता है । संगीत का प्रसारण करता है एवं पिक्चर आदि बनाता है लेकिन इसे अनुभव नहीं करता है।

4. तार्किकता – कम्प्यूटर पूर्व निर्देशित प्रोग्रामों के अनुसार कार्य करता है । इसमें अपनी ओर से कोई भी तर्क प्रयोग करने की क्षमता नही है.जबकि मनुष्य परम्परागत आँकड़ों से वांछित परिणाम प्राप्त न होने पर अन्य संभावनायें बतलाता है एवं कार्य सम्पन्न करता है।

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