प्रायमरी तथा सेकेण्डरी मेमोरी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।

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सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट में ही कम्प्यूटर की मेमोरी होती है। यह मेमोरी तकनीकी रूप से दो भागों में विभाजित होती है । एक को प्राइमरी मेमोरी तथा दूसरे को सेकेण्डरी मेमोरी कहते हैं । सेकेण्डरी मेमोरी में हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, सीडी/डीवीडी जैसे स्टोरेज माध्यम आते हैं। यह स्थायी होती है पर प्राइमरी मेमोरी में किसी भी प्रकार का स्थायित्व नहीं होता है। इसे रैंडम एक्सेस मेमोरी अर्थात् RAM कहते हैं । इसमें स्टोर सूचनायें अथवा डाटा तभी तक होते हैं जब तक कम्प्यूटर ऑन रहता है । कम्प्यूटर बंद करते ही इसमें स्टोर सभी सूचनायें समाप्त हो जाती हैं।

जहां तक आकार तथा स्टोरेज क्षमता का प्रश्न है रैंडम एक्सेस मेमोरी सेकेण्डरी मेमोरी से बहुत कम होती है। अभी हम जो पेंटियम कम्प्यूटर प्रयोग करते हैं उनमें सेकेण्डरी मेमोरी 40GB से लेकर 750GB तक होती हे पर प्राइमरी मेमोरी सिर्फ 512 मेगाबाइट से लेकर 4 गेगाबाइट ही होती है पर सेकेण्डरी मेमोरी की तुलना में प्राइमरी मेमोरी ज्यादा तेज गति से डाटा की आवाज ही संचालित करती है । इसीलिये इसे सीधे–सीधे मदरबोर्ड में लगाया जाता है। पॉवर ऑन सेल्फ टेस्ट के बाद जब हमारा कम्प्यूटर वट होता है तो ऑपरेटिंग सिस्टम इसी प्राइमरी मेमोरी में ही लोड हो जाता है । हालांकि स्थायी तोर पर यह हार्ड डिस्क में ही होता है पर हमें जो डेस्कटॉप दिखाई देता है अथवा हम विंडो में किसी प्रोग्राम को क्रियान्वित करते हैं वह सब कुछ क्रियान्वित होकर RAM में ही लोड हो जाता है।

वर्तमान समय में हार्ड डिस्क एवं सीडी, डीवीडी का चलन है। फ्लॉपी ड्राइव समाप्तप्राय है पर डाटा स्टोर करने की इस तकनीक ने हमें आज एक ऐसे स्थान पर पहुँचाया है. कि हम डीवीडी एवं सीडी तक पहुँच पाये हैं।

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