कम्प्यूटर प्रणाली क्या है समझाइये।

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कम्प्यूटर प्रणली को दो कार्यकारी भागों, हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर में विभक्त किया जा सकता है। कम्प्यूटर के सभी इलेक्ट्रॉनिक तथा विद्युत यांत्रिक भाग हार्डवेयर कहलाते हैं । विभिन्न डाटा प्रक्रियाओं को सम्पन्न करने हेतु कम्प्यूटर में संग्रहीत निर्देशों एवं डाटा के संकलन को सॉफ्टवेयर कहते हैं। किसी निश्चित क्रमानुसार निर्देशों के संकलन को प्रोग्राम कहते हैं । प्रोग्राम जिस डाटा के समूह पर प्रक्रिया करता है उसे डाटाबेस कहते हैं।

स्पष्ट है कि एक या एक से अधिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिये कार्यरत इकाइयों के समूह को एक प्रणाली कहते हैं। जैसे– अस्पताल एक सिस्टम है, जिसकी इकाइयाँ हैं– डॉक्टर, नर्स, चिकित्सा के उपकरण, ऑपरेशन थियेटर, मरीज आदि । इसका लक्ष्य है– मरीजों की सेवा एवं चिकित्सा।

इसी तरह कम्प्यूटर भी एक प्रणाली अथवा सिस्टम के रूप में कार्य करता है। कम्प्यूटर प्रणाली के प्रमुख भागों हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर को संचालित करके उसका सदुपयोग मनुष्य करता है, अतः कम्प्यूटर प्रणाली में हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर के अतिरिक्त मनुष्य इसका तृतीय भाग है।

कम्प्यूटर प्रणाली प्रभावशाली रूप से तभी कार्य कर सकती है जबकि इसके तीनों भाग सुचारू रूप से क्रियाशील हों। किसी भी एक भाग के क्रियाशील न होने की दशा में सम्पूर्ण कम्प्यूटर प्रणाली ठप्प हो जाती हैं तथा कम्प्यूटरीकृत क्रियायें सम्पन्न नहीं हो पाती हैं।

कम्प्युटर प्रणाली का सिद्धान्त– कम्प्यूटर प्रणाली के मूल सिद्धान्त का अर्थ इस प्रणाली की चार क्रियाओं में समाहित है । ये चारों क्रियायें निम्न तरह से हैं–

इनपुट प्रक्रिया, प्रोसेसिंग, आउटपुट एवं स्टोरेज अथवा संग्रहण । इन चार शब्दों का अर्थ स्पष्ट करने हेतु हम एक घरेलू उपकरण म्यूजिक सिस्टम का उदाहरण लेते हैं।

एक म्यूजिक सिस्टम के मुख्य भाग कैसेट प्लेयर भाग, एम्प्लीफायर परिपथ तथा स्पीकर होते हैं। संगीत सुनने हेतु हम कैसेट प्लेयर भाग में कैसेट लगाकर म्यूजिक सिस्टम को ऑन करते हैं जिससे कैसेट प्लेयर में स्थित हैड कैसेट की टेप से संगीत चुम्बकीय संकेतों को विद्युत संकेतों में रूपान्तरित करके एम्प्लीफायर परिपथ की तरफ प्रेषित कर देता है, एम्लीफायर इन संकेतों को स्वीकार करके प्रवर्धित करता है एवं स्पीकरों की तरफ बढ़ा देता है, जहाँ संगीत सम्पूर्ण प्रक्रिया के कारण सुनाई देता है। कम्प्यूटर के सन्दर्भ में कैसेट की टेप से प्राप्त चुम्बकीय संकेत हैड द्वारा एम्प्लीफायर की तरफ इनपुट है। एम्प्लीफायर संकेतों की प्रोसेस करता है एवं स्पीकर की तरफ प्रेषित करता है जहाँ परिणामी संगीत आउटपुट है। यहाँ हैड इनपुट डिवाइस है, एम्प्लीफायर प्रोसेसिंग यूनिट है, स्पीकर आउटपुट डिवाइस है तथा कैसेट स्टोरेज डिवाइस है।

ज्यादातर म्यूजिक सिस्टम अथवा टेप रिकार्डर्स में विभिन्न सहायक यंत्र होते हैं, उदाहरणार्थ किसी गायक के गायन से पैदा ध्वनि तरंगों को टेप रिकॉर्डर का माइक्रोफोन ग्रहण करता है एवं हैडफोन, स्पीकर के अलावा एक और आउटपुट डिवाइस म्यूजिक सिस्टम में प्रयुक्त की जा सकती है। कैसेट की टेप एक इनपुट तथा आउटपुट डिवाइस है। इसमें माइक्रोफोन से प्राप्त संगीत के संकेत इनपुट करके संग्रहित किये जा सकते हैं अथवा इसमें संग्रहित संगीत के संकेत हैड द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं। कम्प्यूटर के संदर्भ में कैसेट टेप इनपुट/आउटपुट माध्यम कहलाती है। यह संगीत को मशीन के समझने योग्य भाषा संकेतों में संग्रहीत करके रखती है। कैसेट की टेप पर संग्रहीत संगीत के चुम्बकीय संकेतों को हैड स्वीकार करने की क्रिया, रीड करना कहलाती है। इसी तरह माइक्रोफोन से प्राप्त संगीत के संकेतों का हैड द्वारा कैसेट टेप पर संग्रहण करने की क्रिया राइट करना कहलाती है।

इस तरह यह स्पष्ट होता है कि स्वयं कम्प्यूटर, इसके सहायक यंत्र,मशीन के समझने योग्य निर्देश अथवा प्रोग्राम एवं यूजर सभी का समूह एक कम्प्यूटर प्रणाली होती है। वास्तव में कम्प्यूटर एक म्यूजिक सिस्टम नहीं है तथा म्यूजिक सिस्टम की बजाय ज्यादा कार्य करने में सक्षम होता है। इसके अलावा कम्प्यूटर में कई तरह की इनपुट एवं आउटपुट डिवाइस होती हैं ।

प्रोसेसिंग का कार्य जिस डिवाइस में होता है उसे प्रोसेसिंग यूनिट अथवा सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सी.पी.यू) कहते है। सी. पी. यू. कम्प्यूटर का दिमाग होता है।

कम्प्यूटर प्रणाली की सीमायें

1. विवेकहीनता– कम्प्यूटर इसमें, मनुष्य द्वारा संग्रहीत निर्देशों तथा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के अनुसार निर्णय लेकर प्रक्रिया करता है । कम्प्यूटर में स्वयं का विवेक अनुपस्थित होता है अतः यह स्वयं के विवेकानुसार निर्णय नहीं ले सकता है।

2. भावुकता की अनुपस्थिति– कम्प्यूटर निर्जीव यंत्र है तथा मनुष्य के समान मानवीय गतिविधियों के कारण भावनायें प्रकट नहीं कर सकता है । कम्प्यूटर व्यापार के विश्लेषण से प्राप्त हानि के निष्कर्ष को शोक के साथ प्रकट नहीं करता है, इसी तरह लाभ की स्थिति को हर्षित होकर प्रकट नहीं करता है।

3. ज्ञान में उत्तरोत्तर विकास की अक्षमता– मनुष्य का ज्ञान समय के साथ बढ़ता रहता है जबकि कम्प्यूटर में ऐसा नहीं होता है । कम्प्यूटर में सजीव दिमाग नहीं होता है इसमें इलेक्ट्रॉनिक निर्देशों के अनुरूप पुर्जे संचालित होते हैं।

4. विकल्प प्राप्त करने की सीमित क्षमता– हम जानते हैं कि कम्प्यूटर में स्वयं का विवेक नहीं होता है अत: यह किसी गणना अथवा समस्या के समाधान के लिये,प्रोग्रामर द्वारा निर्धारित, निश्चित विकल्पों का ही चुनाव कर सकता है। मनुष्य की प्रकृति अनन्त विकल्प . तलाशने की होती है जबकि कम्प्यूटर स्वयं नया विकल्प नहीं सोच सकता है ।

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