मल्टीमीडिया का परिचय दीजिए।

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वर्तमान युग में हम अत्यधिक मात्रा में सूचनाओं का प्रयोग करते हैं। यह सूचना प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में प्रॉसेस होती हैं । उदाहरणार्थ, एक डिपार्टमेन्ट स्टोर का गाइड मैप विभिन्न डिपार्टमेन्ट की स्थितियों की जानकारी देता है, साथ ही प्रत्येक डिपार्टमेन्ट में क्या उपलब्ध है इसकी भी जानकारी देता है। प्रत्येक डिपार्टमेन्ट के टर्न पर विक्रय योग्य वस्तुओं का एक आकर्षक डिस्प्ले उपस्थित होता है । मधुर बैकग्राउण्ड संगीत का प्रभाव भी ग्राहकों को सुनाई देता रहता है। प्रत्येक उत्पाद के बारे में सेल्स पर्सन विस्तृत जानकारी देता है । विभिन्न उत्पादों के बारे में जानकारी देने के लिए डिपार्टमेन्ट स्टोर में अनेक मल्टिमीडिया एलीमेन्ट्स का प्रयोग होता है।

सामान्य रूप से मल्टिमीडिया को परिभाषित करने के लिए हम कह सकते हैं कि कम्प्यूटिंग तकनीक की सहायता से दो या दो से अधिक मीडिया एलीमेन्ट के संकलन का प्रदर्शन मल्टिमीडिया कहलाता है। ध्वनि, एनिमेशन, स्टिल इमेज, हायपरटेक्स्ट या वीडियो को मीडिया एलीमेन्ट्स के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

मल्टिमीडिया के सिद्धान्त का महत्वपूर्ण पहलू इंटरेक्शन होता है जो यूजर को प्रोग्राम के क्रियान्यन को नियंत्रित करने की सुविधा देता है । प्लो ऑफ इन्फॉर्मेशन को यूजर ही निर्धारित और नियंत्रित करता है।

किसी वर्क एनवायरमेन्ट में विभिन्न प्रकार की डिजिटल इन्फॉर्मेशन के इन्टीग्रेशन को प्रयक्त किया जाता है, यह मल्टिमीडिया की तकनीकी परिभाषा होती है। डिजिटल इन्फॉर्मेशन किसी भी फॉर्म में हो सकती है। जैसे–मीडिया (वीडियो, साठंड) या सॉफ्टवेयर ऑब्जेक्ट । ऑब्जेक्ट डाटा, का ऐसा मॉड्यूल होता है जो किसी रिलेटेड इन्फॉर्मेशन पर एक फंक्शन सम्पन्न करता है।

स्पष्ट है कि एक से अधिक मीडियो को प्रयुक्त करने की सुविधा मल्टीमीडिया कहलाती है और ये मीडिया निम्नलिखित रूपों में हो सकते हैं–

(i) टेक्स्ट , (ii) चित्र या ग्राफिक्स, (iii) एनिमेशन, (iv) ऑडियो, (v) वीडियो।

मल्टिमीडिया टेलीविजन के समान एकल विमीय नहीं होता है, यह इन्टरैक्टिव होता है और नॉन–लीनियर होता है। अर्थात् यूजर सूचनाओं को प्राप्त करते हुए इससे संवाद कर सकता है और सूचना प्राप्ति के अलावा द्वारा पूछी गई प्रश्नावलियों के उत्तर भी इसमें इनपुट कर सकता है । उदाहरणार्थ, किसी एटीएम में टच स्क्रीन पर सिस्टम द्वारा प्रदर्शित प्रॉम्प्ट के उत्तर में यूजर विभिन्न सूचनाओं को इनपुट करके विभिन्न सेवाएँ प्राप्त करता है । वह अपने मोबाइल को रीचार्ज करने के बाद मोबाइल नम्बर व अन्य सूचनाएँ एटीएम की स्क्रीन व की–बोर्ड के माध्यम से इनपुट कर सकता है । यह अवस्था ही इन्टैरक्टिव कहलाती है।

आजकल मल्टिमीडिया के प्रयोग से विभिन्न सिम्यूलेशन तकनीकियों का प्रयोग किया जाता है, जिससे धन व समय की बचत होती है । सिम्यूलेशन तकनीक ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें किसी भौतिक वातावरण को काल्पनिक रूप से रचित किया जाता है और कम्प्यूटर, डिजिटल और यांत्रिक उपकरणों की सहायता से वास्तविक मॉडल का रूप उत्पन्न कर दियां जाता है। सिम्यूलेशन का प्रयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में होता है–

कार, स्पेसक्राफ्ट या वायुयान आदि को ड्राइव करने के अभ्यास में,

समुद्र में अंडरवाटर एक्टिविटीज का पूर्वाभ्यास करने में

रॉबोटिक्स में,

रीयल स्टेट क्षेत्र में विभिन्न निर्माणों जैसे–पुल, प्लाइओवर, ओवरब्रिज आदि के परीक्षणों में,

ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम में,

गहन सिक्योरिटी सिस्टम में,

युद्धाभ्यास में,

खेलों व रोमांचक गतिविधियों के अभ्यास में, जैसे–पर्वतारोहण, तैराकी, फुटबॉल,

क्रिकेट आदि।

मल्टिमीडिया के लाभ

मल्टिमीडिया का उपयोग आजकल अत्यन्त तीव्र गति से बढ़ रहा है। इसका कारण यह है कि इसके निम्नलिखित लाभ होते हैं–

(i) ऑडियो वीडियो के प्रस्तुतीकरण में सुधार– पहले विभिन्न स्लाइट व प्रजेन्टेशन के माध्यम से दर्शकों को सूचना प्रस्तुत की जाती थी, लेकिन अब मल्टिमीडिया की सहायता से सूचना प्रस्तुतीकरण सरल, सस्ता व आकर्षक हो गया है।

(iii) टेक्स्ट इन्फॉर्मेशन में आकर्षण– मल्टिमीडिया के होने से अब केवल टेक्स्ट वाली सूचना को आकर्षक, रूचिकर व अधिक प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। टेक्स्ट में विभिन्न एनिमेशन प्रभाव, साठंड व रंगों को सम्मिलित किया जा सकता है । उदाहरणार्थ,टीवी के विभिन्न चैनल कार्यक्रमों के समय व जानकारी को टेक्स्ट के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसमें टैक्स्ट में उत्पन्न मूवमेंट व एनिमेशन प्रभाव आप प्रतिदिन देखते हैं।

(iii) दर्शकों का ध्यानाकर्षण करने में अधिक सहायक – टेक्स्ट, ग्राफिक्स, एनिमेशन, ऑडियो, और वीडियो का सम्मिलित रूप दर्शकों को अधिक प्रभावित करता है।

(iv) ज्ञान और मनोरंजन एक साथ– मल्टिमीडिया की सहायता से शैक्षिक गतिविधियों को मनोरंजक रूप दिया जा सकता है।

(v) सिम्यूलेशन में सहायक– मल्टिमीडिया के प्रयोग से विभिन्न सिम्युलेशन तकनीकियों का प्रयोग किया जाता है, जिससे धन व समय की बचत होती है। सिम्युलेशन तकनीक से सीखने में खतरा नगण्य होता है और विकल्पों की व्यवस्था अधिक होती है।

(vi) कम्प्यूटर व अन्य उपकरणों को यूजर फ्रेंडली बनाने में सहायक– मल्टिमीडिया की सहायता से कम्प्यूटर व अन्य उपकरणों के इन्टरफेस को ग्राफिक्ल बनाया जा सकता है जिससे यूजर केवल टच स्क्रीन व माउस क्लिक से सूचना इनपुट कर सकता है । मल्टिमीडिया के होने से की–बोर्ड द्वारा टाइप करने की आवश्यकता नहीं के बराबर हो जाती है।

मल्टिमीडिया की हानियाँ

मल्टिमीडिया के लाभ इतने अधिक प्रभावशाली व उपयोगी हैं कि इसकी हानियाँ नगण्य हैं। इसके प्रयोग में निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न होती हैं–

(i) सम्पूर्ण मल्टिमीडिया सिस्टम तैयार करने के लिए मंहगे उपकरणों की आवश्यकता होती है।

(ii) यह तकनीक नई है इसलिए इसके जानकारों की संख्या अभी कम है।

(iii) मल्टिमीडिया के सभी पहलुओं को प्रयुक्त करने के लिए अत्यधिक गहन अध्ययन व दक्षता की आवश्यकता होती है।

मल्टिमीडिया के भाग

हम जानते हैं कि मल्टिमीडिया में सूचना प्रस्तुतीकरण के लिए सूचना के सभी रूपों को प्रयुक्त किया जाता है। यह सभी रूप ही मल्टिमीडिया के भाग होते हैं, इनका वर्णन निम्नलिखित है–

(i) टेक्स्ट , (ii) इमेज या ग्राफिक्स, (iii) एनिमेशन, (iv) ऑडियो, (v) वीडियो।

(i) टैक्स्ट

मल्टिमीडिया में तैयार किसी भी प्रजेन्टेशन में टैक्स्ट एक आरम्भिक भाग होता है । प्रजेन्टेशन के शीर्षक को प्रस्तुत करने के लिए टैक्स्ट की सहायता ली जाती है। टैक्स्ट मल्टिमीडिया के सभी भागों को परस्पर जोड़ने में भी सहायक होता है । यह संदेश देने व संवाद करने का सबसे सरल व उपयोगी साधन होता है। किसी पिक्चर, एनिमेशन व वीडियो को अर्थपूर्ण बनाने में भी टैक्स्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरणार्थ, किसी मूवी में कार्य करने वाले कलाकारों,डायरेक्टर, संगीतकार आदि के नाम आरम्भ में प्रस्तुत करके के लिए टैक्स्ट का ही प्रयोग किया जाता है।

मल्टिमीडिया में प्रयुक्त टैक्स्ट को कम्प्यूटर में विभिन्न फॉर्मेट में तैयार किया जा सकता है। इन फॉमेंट्स को विभिन्न फाइल एक्सटेंशन से जाना जाता है। प्रजेन्टेशन में प्रदर्शित किये जाने वाले रूप के अनुसार ही विभिन्न फॉमेंट्स की आवश्यकता होती है । उदाहरणार्थ,प्रजेन्टेशन को यदि वेब के लिए तैयार करना है तो टैक्स्ट का रूप एचटीएमएल में हायपरटेक्स्ट के रूप में होगा जबकि कम्प्यूटर में यह सामान्य टैक्स्ट फाइल के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। टैक्स्ट में उपयुक्त रूप को प्रयुक्त करने में समय, हार्डडिस्क व मैमोरी में स्थान की बचत होती है और यह कम्यूनिकेशन गति को भी प्रभावित करता है। मल्टिमीडिया में टैक्स्ट के निम्नलिखित रूप प्रयुक्त किये जा सकते हैं–

(i) सामान्य टैक्स्ट– किसी सामान्य टैक्स्ट एडिटर में तैयार फाइल का एक्सटेंशन .txt होता है। यह फाइल एक ASCII टैक्स्ट फाइल होती है। यह प्लेन टैक्स्ट सामान्य सूचनाओं को प्रस्तुत करता है। जैसे–परिणाम, विभिन्न कार्य,संदेश, किसी गतिविधि से सम्बन्धित विवरण sआदि ।

(ii) हायपरटेक्स्ट– वेब तैयार करने के लिए HTML भाषा का प्रयोग किया जाता है, इसमें प्रयुक्त टैक्स्ट हायपरटेक्स्ट होता है। एचटीएमएल में विभिन्न टैग की सहायता से हम टैक्स्ट को फॉमेंट करके प्रस्तुत करते हैं। वेब पेज तैयार करने के लिए टैम्प्लेट फाइल का एक्सटेंशन .htm अथवा .html होता है। वेब पेज को यूजर से इन्टरैक्टिव बनाने के लिए CG] Javascript या Java को प्रयुक्त किया जाता है।

(iii) डॉक्यूमेन्ट– टैक्स्ट यह फॉर्मेट माइक्रोसॉफ्ट वर्ड या वर्ड परफेक्ट में तैयार होता है। इस फॉर्मेट में हम टैक्स्ट को विभिन्न फॉर्मेटिंग प्रदान कर सकते हैं। यह फॉर्मेट मल्टिमीडिया रिच डॉक्यूमेन्ट तैयार करने में सहायक होता है । इस फॉर्मेट को केवल पीसी प्लेटफॉर्म पर प्रयुक्त किया जा सकता है । इस रूप में वर्ड प्रोसेसिंग के विभिन्न फीचर्स का प्रयोग उपयोगी रहता है । जैसे स्पेल चैकिंग, ऑटोकरैक्ट आदि।

(iv) पोर्टेबल डॉक्यूमेन्ट फॉर्मेट (.pdf)– .pdf फॉर्मेट का प्रयोग नेटवर्क पर काफी उपयोगी रहता है, इस रूप में तैयार टैक्स्ट एक चित्र के रूप में होता है जिससे इसमें परिवर्तन होने की सम्भावना समाप्त हो जाती है। यह फॉर्मेट एडॉब सिस्टम्स द्वारा विकसित किया गया था। यह प्रॉपराइटरी फॉर्मेट होता है, यह एक सुरक्षित रूप होता है । इस टैक्स्ट में संशोधन आदि करने की सुविधा नहीं होती है।

(v) पोस्ट ऑफिस फॉर्मेट– (.ps) फॉर्मेट का प्रयोग विभिन्न पोस्ट स्क्रिप्ट प्रिंटर पर उपयोगी रहता है, इस रूप में तैयार टैक्स्ट केवल पोस्ट स्क्रिप्ट प्रिंट द्वारा स्वीकार किया जाता है।

(ii) इमेज या ग्राफिक

यह मल्टीमीडिया का एक महत्वपूर्ण भाग होता है, इसी के कारण मल्टिमीडिया में आकर्षण पैदा होता है । एक चित्र हजारों शब्दों के बराबर संदेश देता है । कम्प्यूटर में मल्टिमीडिया के लिए प्रमुख रूप से दो प्रकार की इमेज या ग्राफिक्स तैयार की जाती हैं–विटमैप और वेक्टर ।

(i) बिटमैप इमेज– इस फॉर्मेट में तैयार चित्र की फाइलों के एक्सटेंशन .BMP.TIF.PCX,.GIF आदि होते हैं । यह द्विविमीय वर्गाकार पिक्सेल से मिलकर बनने वाला चित्र होता है । इकाई क्षेत्र में पिक्सेल्स की संख्या और घनत्व पर बिटमैप फाइल का आकार निर्भर करता है। इस फाइल को मैमोरी व डिस्क पर स्टोर करने में अधिक स्पेस की आवश्यकता होती है, लेकिन यह तैयार करने व ऐडिट करने में सरल होती है। बिटमैप फाइलों को पेन्टब्रश, फोटोशॉप, कोरेल ड्रॉ आदि सॉफ्टवेयर पैकेज में तैयार किया जाता है।

(ii) वेक्टर इमेज– इस फॉर्मेट में चित्र विभिन्न सीधी व कर्व वाली लाइनों की सहायता से तैयार होता है। इन लाइनों को व्यक्त करने के लिए बाइनरी कोड का प्रयोग किया जाता है, इससे डिस्क स्पेस की बचत होती है । वेक्टर इमेज का डिस्क या मैमेरी में आकार बिटमैप इमेज की अपेक्षा कम होता है । वेक्टर इमेज का रेजोल्यूशन अधिक होता है जिससे ये स्पष्ट होती है। वेक्टर इमेज के लिए निम्नलिखित एक्सटेंशन वाली फाइलों का प्रयोग किया जाता है।

एक्सटेंशनअर्थ
JPEG.GIF.FPX.PSD.Al.EPSJoint Photographic Expert GroupGraphics Interchange FormatKodak FlashPix ImageAdobe PhotoshopAdobe IllustratorEncapsulated Post Script

(iii) एनिमेशन

मल्टीमीडिया का अत्यन्त सक्रिय भाग एनिमेशन होता है । एनिमेशन उत्पन्न करने के लिए अब कम्प्यूटर अत्यन्त सुविधाजनक उपकरण हो गया है । कम्प्यूटर एनिमेशन तैयार करने के लिए ऐसी रेन्डरिंग मशीन का प्रयोग किया जाता है जिसमें सक्सैसिव फ्रेम्स तैयार हो सकें और यहाँ प्रत्येक फ्रेम में कुछ परिवर्तन होता है। प्रत्येक फ्रेम में परिवर्तन करने के लिए दृश्य में स्थित वस्तुओं के आकार, स्थिति,रंग आदि में सापेक्ष परिवर्तन को रिकॉर्ड किया जाता है । सापेक्ष परिवर्तन में कैमरे की स्थिति भी परिवर्तित की जा सकती है । कम्प्यूटर एनिमेशन में किसी सिस्टम की सभी क्रियाएँ समय के सापेक्ष दर्शायी जाती हैं जो टाइप डिपेन्डेन्ट होती हैं। एनिमेशन के लिए .GIF फाइल को तैयार किया जाता है। मल्टिमीडिया में प्रमुख रूप से दो प्रकार के एनिमेशन प्रयुक्त किये जाते हैं–2–डी और 3–डी।

(i) 2–डी एनिमेशन– 2–डी एनिमेशन पिक्सेल आधारित होता है जिसे सैल एनिमेशन भी कहते हैं। इसमें फ्लेट इमेज को गतिमान अवस्था में प्रयुक्त किया जाता है। एक फ्रेम पर एक इमेज ड्रा की जाती है और प्रत्येक फ्रेम में पिछले फ्रेम से कुछ परिवर्तित चित्र होता है । इन्हें लगातार समय के सापेक्ष दिखाया जाता है जिससे एनिमेशन उत्पन्न होता है।

(ii) 3–डी एनिमेशन– 3–डी एनिमेशन में 3–डी ऑब्जेक्ट का मॉडल तैयार करके उसका मूवमेंट निर्धारित किया जाता है। 3–डी एनिमेशन का प्रयोग आजकल फिल्म, विज्ञापन और इन्टरनेट पर काफी होता है ।

(iv) ऑडियो

ध्वनि का तरंग रूप में गमन होता है लेकिन इसे विद्युत तरंग में परिवर्तित करके इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल अवस्था में स्टोर किया जा सकता है। डिजिटल व इलेक्ट्रॉनिक अवस्था में स्टोर ध्वनि के संकेतों को पुनः हवा में तरंग रूप में परिवर्तित करके सुना जा सकता है। मल्टिमीडिया में प्रजेन्टशन को ध्वनियुक्त करने के लिए निम्नलिखित फॉर्मेट वाली फाइलों का प्रयोग किया जाता है–

एक्सटेंशनअर्थ
.WAV.AIFF.MP3.RA.AUWaves fileAudio Internchange File FormatMPEG 1 layer 3Real Audio8 Bit Format

(v) वीडियो

एक वास्तविक दृश्य की शूटिंग के बाद तैयार फ्रेम्स के संकलन को वीडियो कहते हैं, जिसे समय के सापेक्ष फ्रेम बाई फ्रेम दिखाने पर घटना चलायमान चित्रण होती है। वीडियो में फ्रेम के साथ साउंड भी रिकॉर्ड की जाती है। एक वीडियो फाइल तैयार करने के लिए निम्नलिखित उपकरणों की आवश्यकता होती है–

(i) वीडियो कैमरा, (i) वीडियो कार्ड, (ii) वीडियो इनपुट, (iv) वीडियो रिकॉर्डर।

वीडियो तैयार करने के लिए निम्नलिखित फॉर्मेट वाली फाइलों का प्रयोग किया जाता है–

एक्सटेंशनविवरण
.MPG/MPEG.AV.MOVMoving Picture Expert GroupAudio VideoDeveloped by Apple Group

मल्टिमीडिया के लिए आवश्यकताएँ

कम्यूनिकेशन और एन्टरटेनमेन्ट, इलेक्ट्रानिक्स की विभिन्न डिवाइसेस को पीसी के साथ मैनेज व कॉर्डिनेट करना मल्टिमीडिया का मूल सिद्धान्त होता है। इस व्यवस्था में पीसी एक केन्द्रीय नियंत्रक के रूप में कार्य करता है। आजकल बाजार में उपलब्ध लगभग सभी पीसी में कुछ डिवाइसेस को जोड़कर मल्टिमीडिया पीसी का निर्माण किया जा सकता है। एक IBM कम्पेटिबल पीसी में मल्टिमीडिया के अनेक फीचर पहले से उपलब्ध होते हैं।

एक मल्टिमीडिया सिस्टम में प्रमुख रूप से निम्नलिखित तीन कम्पोनेन्ट्स की आवश्यकता होती है–

(i) डिजिटल कंम्प्यूटर्स और एनालॉग डिवाइसेस से इन्टरफेस करने वाले हार्डवेयर डिवाइस।

(ii) ऐसे कम्प्यूटर हार्डवेयर जो मल्टिमीडिया इन्फॉर्मेशन को प्रॉसैस और मैनेज कर सकें।

(iii) ऐसे सॉफ्टवेयर जो इन्फॉर्मेशन को इन्टीमेट और प्रॉसैस करने में सक्षम हों।

मल्टिमीडिया के लिए आवश्यक हार्डवेयर

मल्टिमीडिया में अनेक मीडिया एक साथ प्रयुक्त किये जाते हैं, परिणामस्वरूप इसके लिए पीसी में अनेक अतिरिक्त हार्डवेयर डिवाइसेस की आवश्यकता होती है। मल्टिमीडिया सामान्य पीसी से महंगा तैयार होता है। इसमें निम्नलिखित हार्डवेयर का होना आवश्यक है–

IBM compatiable Pentium II or better processor

256 MB RAM (128 MB minimum)

Microsoft Windows® XP operating system

1024 x 768 SVGA video display (800 x 600 VGA video display minimum)

Windows video display driver

300 MB free hard–disk space and 120 MB of addition space for sample files and workstations

At least 256 BM free disk space to allow for a Windows virtual memory page file.

Finally, AutoCAD requires 220 MB of free space on C drive for temporary installation files.

Pointing device (mouse or digitizer with Wintab driver)

CD–ROM drive

CD and DVD writer drive

IBM–compatiable parallel port

Free USB port for digitizer tablet and Serial port for some plotters

Printer or plotter

Modem (connection to Internet nor required)

Sound card for multimedia

Video Compression Facility

Video Capture Board

डीवीडी

डीवीडी को फिल्म उद्योग की जरूरत पूरी करने के लिए डिजाइन किया गया था। उद्देश्य था एक फिल्म एक ही ऑप्टिकल डिस्क पर आ जाए। 1994 में यह तय किया गया कि भारी–भरकम डाटा को दशकों तक सुरक्षित रखने के लिए डिजिटल डिस्क बनाई जानी चाहिए। विशेषज्ञों का मानना था कि यह डीवीडी कम्प्यूटर के लिए एक सीडी–रोम की उपयोगिता को समाप्त कर देगी। साथ ही वीएचएस टेप व लेजर डिस्क भी उपयोग से बाहर होगी। यह भी तय हआ कि ये डीवीडी सीडी के आकार की ही हो । डीवीडी को फिल्म उद्योग की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए डिजाइन किया गया था।

इसका उद्देश्य था कि एक पूरी फिल्म एक ही ऑप्टिकल डिस्क पर स्टोर की जा सके। इसलिए तुरन्त ही इस अवधारणा पर काम शुरू हो गया और दो अलग–अलग प्रतिस्पर्धी कंपनियों ने अपनी अलग–अलग तकनीक वाली डिस्क विकसित की । इस परियोजना पर काम करने वाली दोनों टीमों ने अलग–अलग स्पेसिफिकेशन रखे थे। दोनों ने ही अपनी तकनीक उत्कृष्ट होने का दावा किया। इसके बाद डीवीडी में एमपीईजी–2 वीडियो कम्प्रेशन तकनीक को विकसित किया गया। यह तकनीक वीएचएस और लेजर डिस्क की अपेक्षा नवीन एवं बेहतर तकनीक थी। नवम्बर 1996 में जापान में पहला डीवीडी वीडियो प्लेयर आया। इसके बाद मार्च 1997 में अमेरिका के बाजार में और इसके बाद 1998 में यूरोप के बाजारों में डीवीडी प्लेयर ने दस्तक दी।

पचास वर्ष से भी कम समय में डाटा स्टोरेज के क्षेत्र में अत्यधिक क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं । कम्प्यूटर्स और नेटवर्क्स पर आज गीगाबाइट के आकार में संचारित होता है। आजकल 10 जीबी की हार्ड ड्राइव तो एक सामान्य बात हो गई है। हार्डडिस्क में डाटा स्थाई रूप से सुरक्षित रखना सम्भव नहीं है । इसलिए कम्प्यूटर से बाहर डाटा स्टोर किया जाता है । अब तक डाटा को सुरक्षित रूप से स्टोर करने के लिए सबसे विश्वसनीय डिवाइस सीडी–रोम मानी जाती थी जिसमें 650 एमबी तक के डाटा को स्टोर करने की क्षमता होती है। लेकिन डिजिटल युग में डाटा स्टोरेज डिवाइसेस नए रूप में आ गई हैं और इनके डिजिटल फॉर्मेट्स के कारण स्टोरेज क्षमता भी कई गुना बढ़ गई है। जब सन् 1997 में पहली बार सीडी रोम आया था तब ऐसा लगा था कि सिर्फ कुछ ही डिस्कों में अत्यधिक मात्रा में सूचनाओं को रखना सम्भव हो जाएगा। उस समय 21 गीगाबाइट की हार्डडिस्क को सबसे अधिक स्टोरेज क्षमता की डिस्क माना गया था। लेकिन आज तो हार्ड डिस्क 100 जीबी के स्पेस को भी पार कर चुकी हैं। 40 जीबी की हार्ड ड्राइव अब छोटी मानी जाती है। कुछ ऐसी भी सीडी रिराइटेबल डिस्कें हैं जिनकी क्षमता . 800 एमबी तक की है। अब सीडी रोम का चलन कम होने लगता है । डीवीडी अर्थात् डिजिटल वर्सटाइल डिस्क का आजकल प्रयोग बढ़ने लगा है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि इसके कई प्रकार के उपयोग हैं और बुनियादी रूप से यह बड़ी और अपेक्षाकृत तेज सीडी है। अब डीवीडी में 4.7 जीबी तक के डाटा स्टोर किए जा सकते हैं। डीवीडी का उपयोग होम एन्टरटेनमेंट, कम्प्यूटर्स और व्यावसायिक सूचनाओं के स्टोर के लिए खासतौर से किया जाता है । डीवीडी ने लेजर डिस्क की जगह ले ली है। साथ ही सीडी और सीडी–रोम का भी चलन कम हो गया है।

एम आई डी आई

MIDI का पूरा नाम Musical Instrument Digital Interface होता है । यह कम्प्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिकल इन्स्ट्रमेन्ट को कनेक्ट करने व हार्डवेयर की केबलिंग का एक अंतर्राष्ट्रीय मानक होता है। इसमें एक कम्यूनिकेशन प्रोटोकॉल होता है, जिसके अनुसार एक डिवाइस से दूसरी में साउंड का संचार होता है | MIDI फाइल में MIDI सिन्थेसाइजर द्वारा प्ले किये जाने वाले नोट्स के बारे में सूचना स्टोर होती है। वेबफॉर्म की अपेक्षा MIDI फाइल का आकार छोटा होता है।

इन्टरनेट पर संगीत और वीडियो

संगीत की कोई सीमा नहीं होती है। इन्टरनेट की बदौलत आज संगीत को नई राह मिलती है । रॉक, पॉप, जैज, हर तरह का संगीत इन्टरनेट पर उपलब्ध है, आपका मन बहलाने के लिए । इन्टरनेट की किसी साइट पर लॉग–ऑन होकर आप मनपसंद एलबम या गाने का लुत्फ एमपी–3 के जरिये उठा सकते हैं। एमपी– 3 और ऑनलाइन वीडियो इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के ऐसे नए चमत्मकार हैं जिन्होंने म्यूजिक और वीडियो इन्डस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायता की है। आइए अब हम इन्टरटेनमेंट की दुनिया को रंगीन बनाने वाली टेक्नोलॉजी और टूल्स की बात करें । एमपी–3 इसका मतलब है,मोशन पिक्चर एक्सपर्ट ग्रुप ऑडियो लेयर–3.11 यह एक कम्प्रेस्ड फॉर्मेट होता है जिसमें साउंड को ऊँचे दर्जे पर कम्प्रेस कर दिया जाता है और इसकी फाइल्स स्टोरेज मीडिया (सीडी, हार्डडिस्क, डीवीडी आदि) में साधारण ऑडियो फॉमेंट से कम जगह घेरती हैं । कोई सामान्य आकार का गाना एक ऑडियो सीडी पर कई MB के बराबर जगह लेता है जो बहुत ज्यादा मानी जाती है । दूसरे शब्दों में यदि किसी गाने की 56 केबीपीएस मॉडेम पर एमपी–3 करना हो तो इसमें लगभग तीन घंटे का समय लगता है लेकिन यही गाना एमपी–3 फॉर्मेट में मात्र 4 एमबी की जगह घेरता है।

इसी क्षेत्र से जुड़ा एक और पहलू है– वेबकास्टिंग या स्ट्रीमिंग ऑडियो। ये फाइल्स साधारण डाउनलोडेड एमपी–3 फाइल्स से थोड़ी अलग होती हैं । स्ट्रीम्ड एमपी–3 फाइल्स आपके कम्प्यूटर में मौजूद नहीं होती बल्कि इन्हें इन्टरनेट पर एक रिसीवर में ब्रॉडकास्ट किया जाता है, बिल्कुल रेडियो के समान । वीडियोज के लिए एक और फॉमेंट होता है–एमपीईजी यानी मोशन पिक्चर्स एक्सपर्ट ग्रुप । एमपीईजी वीडियो की क्वालिटी बिलकुल ओरिजिनल वीडियो फॉमेंट जैसी ही होती है। इसमें प्रत्येक फ्रेम को JPEG पिक्सचर्स में कन्वर्ट कर दिया जाता है और उसके बाद इसे एक मूवी रील की तरह रन किया जाता है।

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