कम्प्यूटर वायरस क्या है? इनके प्रकार बताइए एवं इनसे बचने के उपाय बताइए।

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कम्प्यूटर वायरस

कम्प्यूटर वायरस एक ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम है जो मुख्यतः उन्हीं प्रोग्रामों के दिशा–निर्देशों में गड़बड़ उत्पन्न कर देता है जिससे कम्प्यूटर पर कार्य को करने के लिए आवश्यक सूचनाएँ अधूरी तथा गलत क्रम में पहुँचती हैं। फलतः कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली सही रूप. में कार्य नहीं कर पाती है एवं कम्प्यूटर गलत परिणाम देने लगता है।

कम्प्यूटर वायरस का जन्म मूलतः पाकिस्तान में सन् 1986 में माना जाता है। इस तरह कम्प्यूटर पर प्रथम बार जिस वायरस ने जन्म लिया, उसका नाम (C) Brain था।

कार्य क्षेत्र के आधार पर वायरस के प्रकार :

(1) Boot Block Virus (बूट ब्लॉक वायरस)

(2) Partition Table Virus (पार्टिशन टेबल वायरस)

(3) File Virus (फाइल वायरस)

(1) बूट ब्लॉक वायरस

बूट ब्लॉक वायरस प्रोग्रामों के शुरू में कुछ विशेष जम्प निर्देश होती है,जो यह देखती है कि वास्तविक कुछ फाइलों को वायरस कहाँ स्थानांतरित कर रहा है । इस तरह जब कभी भी कम्प्यूटर ऑन किया जाता है तो सबसे पहले वह ब्लॉक से बूट होने के लिए प्रयास करता है । इस ब्लॉक का वायरस मैमोरी में सक्रिय हो जाता है तथा फिर जम्प निर्देशों के द्वारा कम्प्यूटर नियंत्रण वहाँ भेज देता है जहाँ वास्तविक बूट फाइलें स्टोर हैं।

अब इसके बाद जब कभी भी आप अपने कम्प्यूटर में कोई फ्लॉपी लगाते हैं, तो यह वायरस उस फ्लॉपी के बूट ब्लॉक में अपनी कॉपी बना देता है एवं अब, जब कभी भी इस फ्लॉपी को किसी अन्य कम्प्यूटर में लगाया जाता है, फ्लॉपी के बूट ब्लॉक का वायरस उस कम्प्यूटर की हार्ड–डिस्क के बूट ब्लॉक पर कॉपी कर देता है। जब इस कम्प्यूटर में भी कोई फ्लॉपी प्रयोग की जायेगी तो उसमें भी ये फ्लॉपी के बूट ब्लॉक में अपनी एक कॉपी बना देगा।

बूट ब्लॉक वायरस से बचाव– बूट ब्लॉक वायरस से कम्प्यूटर को सुरक्षित रखने के लिए कम्प्यूटर को BIOS सैटअप में बूटिंग का क्रम C to A होना चाहिए।

(2) पार्टिशन टेबल वायरस

प्रायः हार्ड डिस्क के कुल स्पेस को एक या एक से अधिक हिस्सों में बाँट दिया जाता है एवं प्रत्येक हिस्सा एक हार्ड डिस्क का हिस्सा न होकर स्वयं एक हार्ड डिस्क की तरह कार्य करता है और डाटा सर्वप्रथम बूट पार्टिशन टेबिल में स्टोर होता है तथा उसके उपरांत ही बूट पार्टिशन टेबिल डाटा को निर्देशित हार्ड डिस्क के हिस्से में भेज देती है।

पार्टिशन टेबिल वायरस इसी पार्टिशन टेबिल में प्रवेश करके हार्ड–डिस्क के सैक्टर्स को खराब कर देता है, जिससे कोई और अन्य डाटा उस सैक्टर में स्टोर नहीं किया जा सकता।

पार्टिशन टेबिल वायरस से बचाव–जब किसी भी कम्प्यूटर हार्ड डिस्क की पार्टिशन टेबिल में वायरस आ जाता है, तो इस वायरस से छुटकारा पाने के लिए “एन्टी–वायरस प्रोग्राम” चलाना पड़ता है अन्यथा हार्ड डिस्क को फॉरमेट करके पार्टिशन टेबिल वायरस से छुटकारा पाया जा सकता है।

(3) फाइल वायरस

फाइल वायरस मुख्यत: सॉफ्टवेयर की फाइलों को प्रभावित करता है। ये फाइलें मुख्यत: इन एक्सटेंशन की हो सकती हैं– .COM, .OVL, EXE आदि।

सबसे अधिक मात्रा में फाइल वायरस कम्प्यूटर क्षेत्र में है एवं फाइल वायरस एक फाइल से दूसरी फाइल में बहुत तेजी से अपनी दूसरी कॉपी बना देता है और वह वायरस सरलता से एन्टी–वायरस प्रोग्राम की भी पकड़ में नहीं आ पाता है। जब कभी भी फाइल वायरस से प्रभावित फाइल चलाया जायेगा, यह वायरस सक्रिय हो जाता है एवं कम्प्यूटर सिस्टम को हानि पहुँचाने लगता है। फाइल वायरस सिस्टम की मैमोरी में सक्रिय बना रहता है जब तक कि कम्प्यूटर को “पुनः बूट” न कर दिया जाये।

फाइल वायरस से बचाव– जब फाइल वायरस कम्प्यूटर की सिस्टम फाइलों में प्रवेश कर जाता है, तो इससे बचाव के लिए ‘एन्टी –वायरस’ को चलाना चाहिए एवं यह ‘एन्टी वायरस प्रोग्राम’ आपकी वायरस मुक्त डिस्क पर स्टोर होना चाहिए तथा प्रोग्राम को चलाते समय वह राइट प्रोटक्डिट होनी आवश्यक है अन्यथा यह वायरस उस प्रोग्राम को भी प्रभावित (खराब) कर देगा।


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