कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन के बारे में लिखिए।

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अर्थ एवं परिभाषा सरल शब्दावली में कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन का अर्थ होता है कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी की मदद से प्रबन्धित अनुदेशन । एक तरह से यह अनुदेशन के क्षेत्र में कम्प्यूटरों के अनुप्रयोग और उनके द्वारा प्रदत्त सेवा का प्रतिफल ही है परन्तु अगर तकनीकी दृष्टिकोण से देखा जाए तो कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन से अभिप्राय इस प्रकार के अनुदेशनात्मक कम्प्यूटर प्रोग्रामों से है जिन्हें शिक्षा शास्त्रियों तथा अनुदेशकों द्वारा निर्धारित अनुदेशनात्मक उद्देश्यों की प्रभावपूर्ण उपलब्धि हेतु अनुदेशन सम्बन्धित आंकड़ों के व्यवस्थापन तथा प्रबन्धन के लिए काम में लाया जाता है।

कम्प्यूटरों के द्वारा अनुदेशन प्रबन्धन कैसे होता है?

जैसा कि कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन की परिभाषा से ही बताया जा चुका है कम्प्यटर कुछ विशेष प्रकार के बनाए हुए सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों के माध्यम से अनुदेशन सम्बन्धी बातों के उचित प्रबन्धन का कार्य बखूबी निभा सकते हैं। उनके द्वारा किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के इन प्रबन्धन कार्यों को निम्न प्रकार लिपिबद्ध किया जा सकता है।

1. विद्यार्थियों के प्रविष्टि व्यवहार का पता लगाना– कम्प्यूटर प्रोग्रामों की मदद से विद्यार्थियों के प्रविष्टि व्यवहार के बारे में बहुत कुछ मालूम किया जा सकता है । किसी विषय विशष या कौशल क्षेत्र में उनके पूर्व ज्ञान तथा अनुभव का क्या स्तर है? उनकी रुचियाँ अभिवत्तियाँ तथा अभिरुचियों की कैसी प्रकृति है? उनमें किसी विशेष अनुदेशनात्मक कोर्स तथा अनुदेशनात्मक उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु किस प्रकार की योग्यताएं तथा क्षमताएँ हैं आदि–आदि।

2. अनुदेशनात्मक उद्देश्यों का निर्धारण- इस प्रकार के कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर्स उपलब्ध हैं जिनके द्वारा प्रविष्टि व्यवहार सम्बन्धी निदानात्मक परीक्षण के परिणामों तथा विद्यार्थियों की प्रकृति, विशेषताओं और व्यक्तित्व गणों सम्बन्धी सूचना सामग्री का स्कूल, कॉलेज तथा अन्य शिक्षा स्तरों से जुडी एक विशेष प्रकार की अनदेशन व्यवस्था के सन्दर्भ में ठीक तरह विश्लेषण किया जा सकता है। इस प्रकार के विश्लेषण के माध्यम से किसी भी शिक्षा स्तर पर किसी विशेष कोर्स या अनुदेशन कार्य के लक्ष्य तथा शैक्षिक एवं अनुदेशनात्मक उद्देश्यों के निर्धारण में समुचित सहायता मिल सकती है। 3. वैयक्तिक अनुदेशन के योजना प्रारूप तैयार करना- विद्यार्थियों की वैयक्तिकता, आवश्यकताओं, रुचियों, प्रकृति तथा व्यक्तिगत विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए कम्प्यूटर प्रोग्रामों द्वारा वैयक्तिक अनुदेशन प्रदान करने हेतु ऐसी योजना तथा प्रारूप तैयार किए जा सकते हैं जिनके माध्यम से अनगिनत अधिगमकर्ता एक ही समय में अपनी-अपनी गति से अपनी-अपनी रुचि और योग्यता के आधार पर वैयक्तिक अनुदेशन प्राप्त कर सकें। अच्छी तरह निर्मित सॉफ्टवेयर पैकेज, वेबसाइट तथा ऑन लाइन कांफ्रेंसिंग (Online conferencing) तथा नेटवर्किंग के माध्यम से एक ऐसा विशाल सूचना तथा ज्ञान भण्डार आज हमें अच्छी तरह उपलब्ध हैं। इस भण्डार का उपयोग करते हुए सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों की मदद से ऐसी अनुदेशन सामग्री अच्छी तरह निर्मित की जा सकती है जिसे कम्प्यूटर हार्डवेयर द्वारा वैयक्तिक अनुदेशन हेतु उपलब्ध कराया जा सके। इस प्रकार की सामग्री का उपयोग अभिक्रमित अनुदेशन, मल्टीमीडिया, स्व-अनुदेशन या समूह अनुदेशन तथा यहाँ तक कि स्लाइज तथा टेप प्रस्तुतीकरण में भी भलीभाँति किया जा सकता है। इस प्रकार की अनुदेशन सामग्री को अधिकतर ट्यूटोरियल, ड्रिल एवं प्रेक्टिस, अनुरूपण तथा गेमिंग प्रारूपों में तैयार किया जाता है और इसलिए अनुदेशनात्मक प्रयोजन हेतु काम में लाने के लिए इस प्रकार की सामग्री परम्परागत अनुदेशन सामग्री से बहुत अधिक उपयोगी सिद्ध होती है। 4. अनुदेशनात्मक सामग्री का पाठ्यक्रम इकाइयों में उपलब्ध होना- अनुदेशन के उचित संगठन एवं प्रबन्धन हेतु जो भी अनुदेशन स्रोत या संसाधन विद्यार्थियों को उपलब्ध हो सकते हैं उनका विवरण कम्प्यूटरों के सूचना भण्डार में उपलब्ध रहना चाहिए । उपलब्ध संसाधन सामग्री उचित सार्थक एवं क्रमबद्ध इकाइयों में विभक्त रहनी चाहिए और प्रत्येक इकाई के पूर्व निर्धारित विशिष्ट उद्देश्य होने चाहिए । इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विद्यार्थियों द्वारा क्या कुछ किया जाना है इसके बारे में स्पष्ट निर्देश रहने चाहिए । उदाहरण के लिए किसी विशेष अनुदेशनात्मक सामग्री के स्व-अध्ययन हेतु यह कहा जा सकता है कि इसे ठीक तरह से समझने हेत ये पस्तकें या सन्दर्भ ग्रन्थ अवश्य पढ़ें, इस प्रकार के कौशलों का अभ्यास करें इन प्रश्नों के उत्तर हँढें. इस प्रकार के परीक्षण तथा प्रयोग करके देखें, सामूहिक अनुदेशन प्राप्त करें स्लाइड या फिल्म देखें. आदि-आदि । अनुदेशनात्मक इकाई से स्व-अध्ययन करने के बाद विद्यार्थियों से किन्हीं विशेष प्रकार के अधिन्यास, गृह कार्य प्रोजेक्ट पर काम करने तथा विशेष रूप से निर्मित टेस्ट पेपरों द्वारा स्वयं ही टेस्ट देने को भी कहा जा सकता है। विद्यार्थियों द्वारा इस प्रकार किए जाने वाले काम या टेस्ट परिणामों के आधार पर अब आगे विद्यार्थियों को अगली अनुदेशनात्मक इकाई पर कार्य करने को कहा जा सकता है । कुछ कमजोरी दिखाई देने पर उपचारात्मक अनुदेशन की भी व्यवस्था की जा सकती है। 5. प्रगति पर नजर रखना- कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन, अनुदेशन प्रक्रिया से काम उठाने वाले सभी विद्यार्थियों की प्रगति पर पूरी तरह निगरानी रखने में काफी सार्थक भूमिका निभाता है। जो कुछ विद्यार्थियों ने किया है, कर रहे हैं तथा आगे उन्होंने क्या कुछ करना है इस बात का पुरा लेखा-जोखा कम्प्यूटरों की मदद से अच्छी तरह व्यवस्थित किया जा सकता है । चाहे कितने भी विद्यार्थी एक साथ किसी भी प्रकार का अनुदेशन प्राप्त करें उनकी प्रगति सम्बन्धी सभी बातों का पूरा नियन्त्रण कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन में अच्छी तरह सम्भव होता है। कौन विद्यार्थी कहाँ कठिनाई अनुभव कर रहा है, किसकी अधिगम गति कैसी है, किसको किस तरह की सहायता या मार्गदर्शन चाहिए इन सभी बातों की पकड़ इस प्रकार के अनुदेशन में पूरी तरह सम्भव है और यही कारण है कि कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन सभी विद्यार्थियों को उनका अपना योग्यता, वैयक्तिकता और अधिगम गति से निरन्तर आगे बढ़ने में पूरी तरह से सहयोग करता रहता है।

6. उपचारात्मक अनुदेशन प्रदान करना– जरूरतमन्द अधिगमकर्ताओं को अपनी अधिगम कठिनाइयों के निवारण हेतु जिस प्रकार का उपचारात्मक अनुदेशन या मार्गदर्शन चाहिए उसे उचित कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों के द्वारा भली भाँति दिया जा सकता है । जिस तरह का अधिगम कठिनाइयाँ प्रकाश में आई हैं और उनके पीछे काम कर रहे सम्भावित कारणों का पता चला है उसको ध्यान में रखते हुए इन सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों द्वारा सर्वोत्तम उपचारात्मक अनुदेशन की व्यवस्था की जा सकती है। उदाहरण के लिए अगर कोई विद्यार्थी किसी प्रकरण या इकाई विशेष के अधिगम में कठिनाई इसलिए अनुभव कर रहा है कि उसे प्रकरण विशेष का अच्छी तरह अध्ययन करने के लिए चाहिए परन्तु अगर उसको यह कठिनाई उस विषय विशेष या प्रकरण विशेष के प्रति उपयुक्त रुचि न होने के कारण है अर्थात् अगर यह अधिगम के प्रति ठीक प्रकार से अभिप्रेरित नहीं है तो इस अवस्था में कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन उसे इस समस्या से निपटने में सहायता करना चाहेगा। यहाँ अब उसे यह सुझाव दिया जा सकता है कि वह एक बार अधिगम लक्ष्यों या उद्देश्यों की पुन: समीक्षा करे और देखे कि उनकी पूर्ति उसके लिए कितनी आवश्यक है और इसी सन्दर्भ में यह निर्णय ले कि प्रस्तुत प्रकरण या पाठ विशेष का अध्ययन उसके लिए कितना महत्त्वपूर्ण है।

7. सूचना सामग्री तथा रिकॉर्ड का सही प्रबन्धन– सूचना सामग्री तथा रिकॉर्ड के उचित प्रबन्धन में कम्प्यूटर अनुदेशन प्रोग्रामों द्वारा बड़ी ही सशक्त भूमिका निभाई जा सकती है। सभी प्रकार की वांछित सूचनाएं कम्प्यूटरों में ठीक तरह एकत्रित, संग्रहित एवं वर्गीकत करके आवश्यकतानुसार जब जी चाहे तभी सभी के द्वारा उपयोग में लाई जा सकती है। अतः सुचना सामग्री और सभी तरह के रिकॉर्डस को भली भांति सुरक्षित रखकर काम में लाने की जितनी अच्छी प्रबन्धन व्यवस्था कम्प्यूटरों द्वारा सम्भव है उतनी किसी और अनुदेशन प्रणाली में नहीं। शिक्षक और विद्यार्थी सभी अपने–अपने ढंग से इस सूचना भण्डार तथा रिकॉर्ड प्रबन्धन से समुचित लाभ उठा सकते हैं। विद्यार्थियों का पूरा लेखा–जोखा इस प्रकार के रिकॉर्ड प्रबन्धन द्वारा अच्छी तरह प्राप्त हो सकता है । उनका पिछला शेक्षिक इतिहास कैसा है? उनका पारिवारिक सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवेश कैसा है? उनकी रुचियाँ, अभिरुचियाँ अभिवत्तियाँ तथा अन्य व्यवहारजन्य तथा व्यक्तिगत विशेषताएं किस प्रकार की हैं। इस तरह भत वर्तमान तथा भविष्य के बारे में उनकी आकांक्षाओं एवं योजनाओं का स्पष्ट चित्र इस प्रकार की रिकॉर्ड व्यवस्था से आसानी से प्राप्त हो जाता है जिसके आधार पर आगे उनके अनुदेशन तथा मार्गदर्शन कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जा सकती है। उनकी शैक्षिक तथा सर्वांगीण विकास सम्बन्धी प्रगति को ठीक प्रकार से नियन्त्रित एवं निर्देशित करने में भी प्रगति पत्रों के रूप में व्यवस्थित रिकॉर्ड प्रबन्धन काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। माता–पिता, विद्यालय, शिक्षकों, शिक्षा अधिकारियों तथा शिक्षार्थियों के बीच आवश्यक तालमेल बनाए रखने में भी इस प्रकार की सुचना तथा रिकॉर्ड कीपिंग व्यवस्था बहुत ही सक्रिय एवं सशक्त भूमिका निभाती है। इस तरह कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन द्वारा सूचना साममा तथा आवश्यक रिकॉर्ड आदि के उचित प्रबंधन द्वारा विद्यालय की शैक्षिक और अनुदेशन व्यवस्था को व्यवस्थित एवं प्रभावशील रूप देने में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है।

8. परीक्षण और मूल्यांकन कार्यक्रमों की व्यवस्था– कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन में विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों द्वारा कक्षा अनुदेशन तथा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए चलाए जा रहे विविध कार्यक्रमों के परिणामों का मूल्यांकन करने का कार्य भी सुचारू रूप से संपन्न किया जा सकता है। वास्तव में देखा जाए तो परीक्षण और मूल्यांकन के क्षेत्र में उनके द्वारा किए जाने वाले इस योगदान का क्षेत्र काफी विस्तृत है। विद्यार्थियों के प्रविष्टि व्यवहार को जाँच से ही इसकी शुरुआत हो जाती है इसके आधार पर ही विद्यार्थी विशेष को किसी शैक्षिक या व्यावसायिक कोर्स में प्रवेश की इजाजत मिलती है। प्रवेश के पश्चात् अध्ययन–अध्यापन की प्रक्रिया के दौरान उनके परीक्षणों तथा मूल्यांकन का सिलसिला तेजी से चालू हो जाता है। दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक तथा वार्षिक परीक्षाओं तथा परीक्षणों के रूप में उनकी प्रगति का लगातार मूल्यांकन होता ही रहता है । इस प्रकार की पूर्णतया वस्तुनिष्ठ, यथार्थ और विश्वसनीय मूल्यांकन सेवाएं प्रदान करने में उचित रूप से निर्मित कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम में से प्रत्येक इकाई,प्रकरण विशेष तथा उसके ज्ञानात्मक, बोधात्मक, कौशलात्मक, रुचि तथा दृष्टिकोणात्मक उद्देश्यों को ध्यान में रखकर उचित प्रश्नों का चुनाव करते हुए एक पूरी तरह से सन्तुलित तथा त्रुटिहीन प्रश्न पत्र का निर्माण इस प्रकार के सॉफ्टवेयरों के लिए बड़ी ही आसान बात है। यहाँ इनके द्वारा बनाया गया प्रश्न पत्र लीक हो जाएगा ऐसी कोई भी संभावना नहीं रहती। जितने भी सेट प्रश्न पत्र के चाहिए उन्हें भी तैयार करना कम्प्यूटरों के लिए कोई दिक्कत वाली बात नहीं। फिर सबसे बड़ी सुविधा परीक्षा पुस्तिकाओं के अंकन, रिजल्ट तैयार करने तथा उसे घोषित करने के सन्दर्भ में कम्प्यूटर प्रोग्रामों द्वारा हमें अच्छी तरह मिल जाती है। मेरिट लिस्ट का बनाया जाना अब कोई कष्ट की बात नहीं। कम्प्यूटर सम्बन्धित अनुदेशन प्रोग्रामों द्वारा सभी प्रकार की ऐसे परीक्षण, मूल्यांकन तथा उसके परिणामों को प्रयोग में लाने की व्यवस्था का प्रबन्ध आज बहुत ही सरल हो गया है।

9. सभी प्रकार की रिपोर्ट तैयार करना– कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन में निहित सॉफ्टवेयर्स सभी प्रकार के अनुदेशन कार्यक्रमों की प्रक्रिया और उसके परिणामों से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार की रिपोर्टों के निर्माण और प्रस्तुतीकरण में भलीभाँति सहयोगी सिद्ध होते हैं । अगर आपको विद्यार्थी के प्रविष्टि व्यवहार से सम्बन्धित रिपोर्ट चाहिए तो यह आसानी से कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क या सम्बन्धित फाइल में प्राप्त हो जाएगी। आप जैसी जरूरत हो तुरन्त ही उस रिपोर्ट की प्रिन्ट कॉपी निकालकर विद्यार्थी विशेष के लिए कोई भी वैयक्तिक अनुदेशन कार्यक्रम तैयार कर सकते हैं। किस प्रकार के अनुदेशनात्मक संसाधन, अनुदेशनात्मक सामग्री, दृश्य–श्रव्य साधन उपलब्ध हैं, पाठ्यक्रम को किस तरह इकाई या प्रकरणों के रूप में विभाजन किया गया है, अनुदेशनात्मक उददेश्यों का किस तरह निर्धारण किया गया है, विद्यार्थियों की उद्देश्यों की प्राप्ति के सन्दर्भ में किस तरह की प्रगति है इस तरह की अनेक बातों से सम्बन्धित सभी प्रकार की सूचनाएं तथा रिपोर्ट कम्प्यूटर प्रोग्रामों के द्वारा हमें आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इसी तरह सभी प्रकार के परीक्षणों, परीक्षाओं तथा मूल्यांकन तकनीकी की रिपोर्ट चाहे वह किसी एक विद्यार्थी की हो या पूरी कक्षा तथा बड़े से बड़े समूह की, कम्प्यूटरों द्वारा आसानी से तैयार कर इच्छानुसार उपयोग में लाई जा सकती है । इसे कम्प्यूटर सेवाओं द्वारा ही माँ–बाप के पास भेजा जा सकता है तथा उनकी सहायता आगे विद्यार्थियों की उचित प्रगति हेतु भली भाँति प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार का मूल्यांकन और प्रगति रिपोर्टों का विद्यार्थियों को अधिगम कठिनाइयों के निदान तथा निवारण में भी अच्छी तरह उपयोग किया जा सकता है तथा उनकी रुचियों, सृजनात्मक क्षमताओं तथा प्रतिभाओं को भी पोषित करने में इन्हें काम में लाया जा सकता है।

इस प्रकार से कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन से जुड़े हुए सॉफ्टवेयर और उनसे प्रदत्त सेवाओं का उपयोग कक्षा अनुदेशन की प्रक्रिया और परिणामों के उचित संगठन, व्यवस्थापन तथा प्रबंधन हेतु अच्छी तरह से किया जा सकता है। आगे बढ़कर देखा जाए तो कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन के उपयोग क्षेत्र की कक्षा कक्ष के अनुदेशन तथा विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों तक ही सीमित नहीं किया जा सकता। स्व–अधिगम चाहे किसी भी प्रकार का हो और किसी भी प्रकार के अधिगमकर्ता द्वारा तैयार किया जाए सभी को इस प्रकार के स्व–अनुदेशन के सुव्यवस्थित एवं सु–प्रबन्धित अवसर प्रदान करना कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन व्यवस्था के कार्य क्षेत्र में आता है । इसलिए कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन का कार्यक्रम,प्रौढ़ शिक्षा, जन शिक्षा कार्यक्रमों, विस्तार सेवाओं तथा विशिष्ट शिक्षा सम्बन्धी प्रावधानों (जिसमें प्रतिभाशाली, सृजनात्मक, शारीरिक और मानसिक रूप से अपंग, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से पिछड़े तथा वंचित बालकों की शिक्षा सम्बन्धी कार्यक्रम शामिल होते हैं) को भी अपने अन्दर समाहित करने की चेष्टा करता है। इस तरह निष्कर्ष रूप में यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि कम्प्यूटर प्रबन्धित अनुदेशन की सेवाएं और कार्यक्षेत्र आज इतना विशाल और व्यापक बन चुका है कि शिक्षा प्रणाली का कोई भी क्षेत्र या दायरा ऐसा नहीं जिससे सम्बन्धित शिक्षण–अधिगम या अनुदेशनात्मक जिम्मेदारियाँ इसके द्वारा नहीं दिखाई जाती हों।


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