सूक्ष्म शिक्षण को परिभाषित कीजिए?

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सूक्ष्म शिक्षण की परिभाषाएं :

सूक्ष्म शिक्षण के जन्मदाता डी एलेन (1966) के अनुसार, सूक्ष्म शिक्षण एक विश्लेषित शिक्षण है जिसमें शिक्षण की प्रक्रिया लघु रूप में कम विद्यार्थियों वाली कक्षा के सामने अल्प समय में सम्पन्न की जाती है। इसका प्रयोग सेवारत एवं सेवापूर्ण शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के लिए किया जाता है । सूक्ष्म शिक्षण, अध्यापकों को शिक्षण के अभ्यास के लिए ऐसी स्थिति प्रदान करता है जिससे कक्षा – शिक्षण की सामान्य जटिलताएं कम हो जाती हैं। इसमें अध्यापक बहुत अधिक मात्रा में अपने शिक्षण – व्यवहार के लिए प्रतिपुष्टि प्राप्त करता है।”

मैकएलीज तथा अर्विन (1970) के अनुसार, “शिक्षक प्रशिक्षणार्थियों द्वारा सरलीकृत वातावरण में किये गये शिक्षण व्यवहारों को तत्काल प्रतिपुष्टि प्रदान करने के लिए क्लोज – सर्किट टेलीविजन के प्रयोग को प्रायः सूक्ष्म शिक्षण कहा जाता है।”

क्लिष्ट और उनके सहयोगियों (1976) के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण विधि शिक्षक – प्रशिक्षण की वह विधि है जिसमें शिक्षण की स्थितियों को सरल किया जाता है और शिक्षण व्यवहार को किसी एक विशेष कौशल के अभ्यास से जोड़ दिया जाता है । यह अभ्यास छोटे आकार की कक्षा में अल्प समय में किया जाता है।”

एस. के. शर्मा के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण एक विशिष्ट शिक्षक – प्रशिक्षण तकनीक है जिसके द्वारा प्रशिक्षणार्थी प्रतिपुष्टि के सहारे छात्रों के सहभाग को बढ़ाने के लिए विभिन्न कौशलों का विशिष्ट परिस्थितियों में अभ्यास करता है”।

आर.एन. ब्रुश के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण, शिक्षक – प्रशिक्षण की वह प्रविधि है जिसमें शिक्षकं स्पष्ट रूप से परिभाषित, शिक्षण कौशलों का प्रयोग करते हुए ध्यानपूर्वक पाठ तैयार करता है, नियोजित पाठों के आधार पर पाँच से दस मिनट तक वास्तविक छात्रों के छोटे समूह के साथ अन्तःक्रिया करता है, जिसके परिणामस्वरूप वीडियो टेप पर प्रेक्षण प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है”।

वी.के. पासी के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण एक प्रशिक्षण विधि है जिसमें छात्राध्यापक किसी एक शिक्षण कौशल का प्रयोग करते हुए थोड़ी अवधि के लिए छोटे समूह को कोई एक सम्प्रत्यय पढ़ाता है।”

ऐलन एवं ईव के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण को ऐसी नियन्त्रित अभ्यास प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसके द्वारा विशिष्ट शिक्षण व्यवहारों पर ध्यान देकर नियन्त्रित परिस्थितियों में शिक्षण अभ्यास किया जा सकता है।”

एल. सी. सिंह के अनुसार, “सूक्ष्म शिक्षण, शिक्षण का वह सरलीकृत लघु रूप है जिसमें किसी अध्यापक द्वारा किन्हीं पाँच विद्यार्थियों के समूह को 5 से 20 मिनट तक की अल्प अवधि में पाठ्यक्रम की एक छोटी इकाई का शिक्षण प्रदान किया जाता है। इस प्रकार की परिस्थिति किसी अनुभवी अथवा अनुभवहीन अध्यापक को नवीन शिक्षण कौशलों का अर्जन करने और पूर्व अर्जित कौशलों में सुधार लाने के लिए उपयोगी अवसर प्रदान करती है।”

एनके. जंगीरा एवं अजीत सिंह के अनुसार – सूक्ष्म शिक्षण एक छात्राध्यापक के लिए प्रशिक्षण का वह प्रारूप है जिसमें सामान्य कक्षा शिक्षण की जटिलताओं को निम्न उपायों द्वारा कम करने का प्रयास किया जाता है –

(i) एक समय में एक ही शिक्षण कौशल का अभ्यास करना ।

(ii) पाठ्यवस्तु की किसी एक संप्रत्यय तक ही सीमित रखना।

(iii) कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या को घटाकर 5 और 10 के बीच रखना।

(iv) पाठ की अवधि को घटाकर 5 और 10 मिनट के बीच रखना।


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