शिक्षण के सामान्य सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।

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शिक्षण के सिद्धांत :

(1) करके सीखने का सिद्धांत – बालक स्वभाव से क्रियाशील प्राणी है। इसलिए उसे करके सीखने का अवसर देना चाहिए।

(2) रुचि का सिद्धांत – जिस कार्य में बालक की रुचि होती है उसे अवश्य करता है । इसलिए शिक्षक को बालक में कार्य के प्रति रुचि पैदा करनी चाहिए।

(3) आवत्ति का सिद्धांत – बालक द्वारा अर्जित ज्ञान स्थायी बनाने हेतु उसे दोहराना चाहिए।

(4) रचना तथा मनोरंजन का सिद्धांत – बालक से जो भी क्रिया कराई जाये, वह रचनात्मक तथा मनोरंजक होनी चाहिए।

(5) लोकतंत्रात्मक व्यवहार का सिद्धांत – शिक्षा प्रभावी हो, इसके लिए कक्षा का वातावरण लोकतंत्रात्मक होना चाहिए।

(6) विभाजन का सिद्धांत – पाठ्य – विषय को सहज तथा सरल बनाने हेतु उसे क्रमिक सोपानों में विभाजित किया जाये।

(7) प्रेरणा का सिद्धांत – प्रेरणा से छात्र कार्य करने के लिए प्रोत्साहित होता है । अतएव बालक को सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

(8) जीवन से संबंधित करने का सिद्धांत – अनुभवों का समूह ही जीवन है। अत: बालक को जो भी सिखाया जाये उसका संबंध उसके जीवन के अनुभवों के साथ किया जाये।

(9) निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत – हम कुछ भी करते हैं उसका कोई न कोई प्रयोजन होता है। अतएव प्रत्येक पाठ का भी एक निश्चित उद्देश्य होना चाहिए।

(10) नियोजन का सिद्धांत – सफलता – प्राप्ति का आधार पूर्व – नियोजन है। इसलिए शिक्षण में सफलता हासिल करने के लिए पाठ्य – वस्तु का पूर्व – नियोजन किया जाये।

(11) चयन का सिद्धांत – ज्ञान का क्षेत्र अति व्यापक है। अतः बालक की योग्यता के आधार पर उपयोगी बातों का चयन किया जाये।

(12) व्यक्तिगत भेदों का सिद्धांत – बालकों में व्यक्तिगत भेद पाये जाते हैं। अतः उन्हें शिक्षण देते समय उनके व्यक्तिगत भेदों को ध्यान में रखा जाये।


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