शिक्षण की सामान्य प्रविधियों का वर्णन कीजिए।

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शिक्षण की सामान्य प्रविधियाँ वे माध्यम हैं जिनसे पाठ का प्रारंभ, विकास तथा अंत रोचक ढंग से होता है।

शिक्षण की विभिन्न सामान्य प्रविधियाँ निम्नांकित है –

1. व्याख्या प्रविधि :

व्याख्या प्राविधि वह माध्यम है जिसमें विषय – वस्तु के कठिन अंशों को सरलता से सरल भाषा में, छात्रों के मानसिक रुचि/स्तर के अनकल गहराई के साथ विश्लषण करके इस प्रकार समझाया जाता है, जिससे कि विषय – वस्तु उन्हें अधिक स्पष्ट, सुगम तथा बोधगम्य होने लगे।

विषय – वस्तु जितनी जटिल एवं दुरूह होगी उतनी ही प्रभावशाली व्याख्या करने की जरूरत होगी। व्याख्या प्रविधि का प्रयोग सामाजिक विषयों के अधिकतर तथ्यात्मक एव सूचनात्मक प्रकरणों के संदर्भ में, भाषा शिक्षण में अधिकतर कठिन शब्दों, मुश्किल अंशों, वाक्यों तथा भावों को पूर्व – ज्ञान के आधार पर स्पष्ट करने के लिए एवं गणित तथा विज्ञान के कठिन संप्रत्ययों को बोधगम्य बनाने में सफलतापूर्वक किया जाता है।

व्याख्या विधि को प्रभावोत्पादक बनाने के लिए निम्नांकित बातों पर ध्यान देना चाहिए –

(1) भाषा पर अधिकार – व्याख्या करने वाले शिक्षक का भाषा पर पूर्ण अधिकार होना चाहिए तभी वह सरलता तथा प्रवाहिता के साथ व्याख्या करने में समर्थ होगा।

(2) विषय – वस्तु पर अधिकार – व्याख्या करने वाले शिक्षक को व्याख्या के लिए प्रकरण या विषय – वस्तु पर पूर्ण अधिकार होना चाहिए – तभी वह स्पष्ट, त्रुटिरहित,शुद्ध तथा सही जानकारी छात्रों को दे सकने में सक्षम होगा।

(3) व्याख्या सही समय तथा सही स्थल पर होनी चाहिए – व्याख्या करने वाले शिक्षक को यह भी जानकारी रखनी चाहिए कि किस विषय – वस्तु की व्याख्या किस समय, किस स्थल पर तथा किन उपकरणों की मदद से, प्रभावशाली ढंग से की जा सकती है। जब भी छात्र विषय – वस्तु को समझने में परेशान हो रहे हों या पढ़ाये जाने वाले संप्रत्यय अधिक जटिल हों – इस प्रविधि का प्रयोग आवश्यक एवं अपेक्षित है।

(4) व्याख्या की मूर्तता – इस विधि द्वारा व्याख्या को सरल तथा मूर्त बनाने के लिए उपयुक्त उपकरणों यथा चित्र, पोस्टर, रोल अपबोर्ड, चार्ट तथा उदाहरणों आदि की सहायता ली जाती है।

भाषा शिक्षण में इस प्रविधि का प्रयोग निम्नांकित रूपों में किया जाता है –

(1) अभिनय के रूप में।

(2) वाक्य प्रयोग के रूप में।

(3) पर्यायवाची या विलोम शब्द – कथन के रूप में।

(4) संधि विश्लेषण के रूप में।

(5) समास विग्रह के रूप में।

(6) निश्चित परिभाषाओं के रूप में।

(7) व्युत्पत्ति के रूप में।

(8) सरल भाषा में रूपांतर कर स्पष्टीकरण के रूप में।

2. स्पष्टीकरण प्रविधि :

किसी भी विषय – वस्तु को सरल, सुगम तथा बोधगम्य बनाने के लिए शिक्षक स्पष्टीकरण प्रविधि की सहायता लेता है और अगम्य, असंरचित तथा कठिन प्रकरणों को इस प्रकार से छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करता है कि कुल विषय वस्तु आसानी से समझ में आ जाये। इस प्रविधि के अंतर्गत “विषय – वस्तु का प्रस्तुतीकरण क्रमबद्ध, सुनियोजित तथा विस्तृत रूप में किया जाता है ।” स्पष्टीकरण प्रविधि, विवरण प्रविधि से यद्यपि कुछ मिलती – जुलती है पर फिर भी इनमें अंतर है।

स्पष्टीकरण प्रविधि व्याख्या प्रविधि से भी भिन्न है क्योंकि व्याख्या प्रसंगवश कठिन, जटिल तथा दुरूह अंशों के लिए की जाती है जबकि स्पष्टीकरण,विषय – वस्तु के प्रत्येक पक्ष – विशेष पर प्रकाश डालने के निमित्त किया जाता है ।

3. विवरण प्रविधि :

विवरण देना सामाजिक विज्ञान के शिक्षण के लिए एक आवश्यक युक्ति या प्रविधि है । विवरण को कथन, शिक्षक – स्वकथन भी कहा जाता है । विवरण देने का उद्देश्य होता है ‘छात्रों के मस्तिष्क में उसका एक मानसिक चित्र बनाना, जिससे छात्र विषय – वस्तु को पूर्णता के साथ समझ सकें । सक्सेना के शब्दों में, “विवरण देना एक कला है । इस कला में निपुण होने के लिए शिक्षक अपनी कल्पना शक्ति का सहारा लेते हुए किसी वस्तु अथवा घटना का विवरण इतने उत्साह तथा प्रभावशीलता के साथ करता है कि कक्षा के सभी छात्रों को उसका ज्ञान सरलतापूर्वक हो जाता है । दूसरे शब्दों में विवरण द्वारा छात्रों के मस्तिष्क में वस्तुओं तथा घटनाओं के मानसिक चित्र इतने सजीव ढंग से प्रस्तुत किये जाते हैं कि वे पाठय – वस्तु को आसानी से समझ जाते हैं।”

प्रस्तावना के पश्चात् पाठ को विकसित करते समय पाठ से संबंधित विभिन्न स्थलों पर विशेष प्रकाश डालने के लिए विवरण प्रविधि का प्रयोग किया जाता है ।

कभी – कभी पाठ की प्रस्तावना और अंत को रोचक बनाने के लिए भी अन्य प्रविधियों के साथ इसका प्रयोग किया जाता है । यह प्रविधि विज्ञान एवं गणित विषयों में बहुत कम, किन्तु सामाजिक विषय जैसे इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र तथा अर्थशास्त्र आदि विषयों में बहुत उपयोगी है।

4. वर्णन प्रविधि :

वर्णन प्रविधि, वह प्रविधि है जिसके माध्यम से किसी विषय – वस्तु तथा घटना का छात्रों के समक्ष पूर्ण शाब्दिक चित्र प्रस्तुत किया जाता है । इस प्रविधि के माध्यम से किसी घटना, दृश्य एवं नियम तथा सिद्धांतों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाता है । केवल प्रश्नोत्तर या विवरण प्रविधि से सभी बातें स्पष्ट नहीं होती तथा छात्रों के मानस पर संपूर्ण चित्र नहीं बन पाता। इसके लिए शिक्षक को वर्णन प्रविधि के द्वारा विस्तारित वर्णन करना पड़ता है जिसके लिए उसे अतिरिक्त परिश्रम तथा तैयारी करनी पड़ती है । “वर्णन को विस्तृत विवरण” कहना ज्यादा उपयुक्त है परंतु इसमें विवरण प्रविधि की विश्लेषण, आलोचना तथा टीका टिप्पणी की भावना निहित नहीं है। इसमें तो “विषय – वस्तु का सांगोपांग विवेचन एवं प्रस्तुतीकरण” समावेशित होता है।

वर्णन करना एक कला है और सजीव रोचक वर्णन करना एक दक्षता या कौशल है।

5. कहानी – कथन प्रविधि :

कहानी – कथन से तात्पर्य है – कहानी कहना या कहानी सुनाना। कहानी कहते समय विषय – वस्तु के सूक्ष्म तथा जटिल अंशों को इतना सरल बनाया जाता है कि कक्षा के सभी बालकों को वे स्पष्ट हो जाते हैं।

कहानी कथन प्रविधि छोटे बालकों के शिक्षण में अधिक उपादेय सिद्ध हई है। वे अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के होने के कारण कहानी सुनने में पूर्ण रुचि लेते हैं और कहानी द्वारा प्रस्तुत ज्ञान सरलता से समझ लेते हैं और मन से ग्रहण करते हैं।

कहानी – कथन प्रविधि बालकों की जिज्ञासा बढ़ाने में, उनकी काल्पनिक एवं तार्किक शक्तियों के विकास में, विषय – वस्तु के सूक्ष्म एवं जटिल अंशों के स्पष्टीकरण में अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हुई है।

कहानी – कथन अधिकतर छोटी कक्षाओं में ज्यादा लोकप्रिय है परंतु बडी कक्षाओं के छात्रों के साथ भी इस प्रविधि का प्रयोग अच्छे परिणाम देता है । जो शिक्षक अपने विषय का विशेषज्ञ है वह कहानी के रूप में विषय – वस्तु को परिवर्तित कर, जटिल अंश्यों को सगमतापर्वक छात्रों को समझाने में समर्थ होता है ।

6. निरीक्षित अध्ययन प्रविधि :

यह प्रविधि व्यक्तिगत भिन्नता तथा क्रियाशीलता के सिद्धांतों पर आधारित है। इस प्रविधि में छात्रों की व्यक्तिगत विभिन्नता को दष्टि में रखकर प्रत्येक छात्र को कार्य एवं अध्ययन करने के अवसर दिये जाते हैं। शिक्षक एक मित्र, सहायक तथा पथ – प्रदर्शक के रूप में उनके कार्यों का निरीक्षण कर उनकी व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करता है।

इस प्रविधि में छात्र एवं अध्यापक दोनों ही सक्रिय भूमिका निभाते हैं । शिक्षक छात्रों को किसी पूर्व निश्चित कार्य का आदेश देते हैं, छात्र उन कार्यों में लग जाते हैं फिर शिक्षक उनके कार्यों/क्रियाओं का निरीक्षण करता है।

यह विधि शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हुई है।

7. उदाहरण प्रविधि :

उदाहरण प्रविधि में उदाहरणों का प्रयोग छात्रों की विचार शक्ति तथा कल्पना को जाग्रत करके, मानसिक विकास में वृद्धि हेतु किया जाता है। उदाहरण वास्तव में वह सामग्री है, जो पाठ्य – वस्तु को रोचक, बोधगम्य तथा स्पष्ट करने में सहायक होती है। शिक्षक खोज – खोज कर वाछित उदाहरण तथा दृष्टांत छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करके विषय – सामग्री को सरल बनाने का प्रयास करते हैं।

उदाहरणों के प्रयोग से अमूर्त, कठिन तथा जटिल विषयों को मूर्त, सुगम तथा आसान बनाया जाता है, जिससे छात्रों के मस्तिष्क पर ज्ञान की अभीष्ट छाप पड़ जाती है ।

अच्छे और उत्तम कोटि के उदाहरण दुरूह कथनों को सजीव, सरल तथा ग्राह्य बनाकर विषय की क्लिष्टता को कम करने का प्रयास करते हैं।

शिक्षण में सटीक उदाहरण तथा दृष्टांत देना एक कला है, जिसमें शिक्षक को पारंगत होना आवश्यक है। उदाहरणों एवं दृष्टांतों का प्रयोग विषय – सामग्री को अधिक स्पष्ट करता है और छात्रों को नया ज्ञान प्रदान करने में सहायक होता है । इस प्रविधि के प्रयोग से छात्रों की जिज्ञासा का समाधान होता है, वे विषय के सार तक सरलता से पहुँच जाते हैं और ज्ञान के प्रति रुचि में वृद्धि होती है।

शिक्षक जब इस प्रविधि का प्रयोग विभिन्न प्रकार के सटीक उदाहरण व सामग्री को उदाहरणों एवं दृष्टांतों के माध्यम से सरलता से समझ जाते हैं और वे स्वयं भी नये – नये उदाहरण तथा दृष्टांत देने की कला में दक्ष होने लगते हैं।

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