खोजपूर्ण प्रश्न कौशल को स्पष्ट कीजिये।

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कई बार अध्यापक जब कक्षा में प्रश्न पछता है तो या तो छात्र उत्तर ही नहीं देते या गलत उत्तर देते हैं। ऐसी स्थिति में अध्यापक को छात्रों को सही उत्तर की तरफ ले जाने के लिए बहुत – से प्रश्नों का सहारा लेना पड़ता है जो एक के बाद एक ज्ञात पूर्वज्ञान से नवीन ज्ञान तक ले जाने में मददगार होते हैं। यह प्रश्न धीरे – धीरे ज्ञान की गहराई को छूते हैं या खोजपूर्ण होते हैं। छात्रों के उत्तर सही होने पर भी अध्यापक छात्रों की बोध क्षमता की वृद्धि के लिए या कारण – प्रभाव संबंध स्थापित करने हेतु खोजपूर्ण प्रश्न पूछता है। ऐसे सभी तकनीक खोजपूर्ण प्रश्नों के अंतर्गत आते हैं।

इस कौशल की विशेषता है कि छात्रों के उत्तरों का आधार लेकर कई खोजपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं ताकि छात्रों को सही उत्तर तथा उसके सही होने का कारण भली तरह समझ में आ जाये।

इस कौशल के निम्न घटक हैं –

1. अनुबोधन क्रिया

2. अधिक सूचना प्राप्ति प्रविधि

3. पुनर्केन्द्रण तकनीक

4. पुननिर्देशन प्रविधि

5. समीक्षात्मक अभिज्ञता वद्धि प्रविधि।

इन सभी घटकों के उपयोग का उद्देश्य है कि –

(अ) छात्रों को अनुत्तरता की स्थिति से मुख्य तथा उचित उत्तर की तरफ एक – एक चरण कर ले जाया जाये।

(ब) उत्तर के प्रति छात्रों की बोध क्षमता को निर्दिष्ट करना।

(स) विस्तृत दृष्टिकोण से छात्र को अपने उत्तर को समझने का अवसर देना।

(द) अधिक से अधिक छात्रों को विचार – विमर्श में शामिल करना ।

(ई) छात्रों में समीक्षात्मक अभिज्ञान की वृद्धि करना।

इस कौशल का महत्व इसी में है कि छात्रों के उत्तरों के सहारे से उनसे खोजपूर्ण प्रश्न पूछते हुए उनके ज्ञान का विस्तार किया जाये। अब एक – एक घटक को लेकर उस पर विचार करना उचित होगा –

अनुबोधन क्रिया – छात्र जब उत्तर देने में हिचकिचाता है या आधा उत्तर देकर रुक जाता है तो अध्यापक उसकी मदद के लिए सही उत्तर देने हेतु प्रमुख संकेत देता है – थोड़ा उत्तर स्वयं देते हुए आगे बताने के लिए प्रोत्साहित करता है। अगर छात्र फिर भी उत्तर न दे पाये तो

  वह सरल प्रश्न पूछकर उसे आगे बढ़ाने का प्रयास करता है । अनुबोधन का उपयोग तभी किया जाता है जब छात्र कहे कि मुझे नहीं आता है अथवा उत्तर देते हुए हिचकिचाये। जब उसका उत्तर पूर्णतया सही न हो या कमजोर हो, तब भी इसी प्रक्रिया के सहारे उसे सही उत्तर की तरफ प्रेरित किया जा सकता है । अध्यापक छात्र को निरुत्साहित नहीं करता।

अधिक सूचना प्राप्ति – अगर छात्र का पूर्व उत्तर अधूरा है या आंशिक रूप से गलत है तब अध्यापक स्पष्टीकरण, व्याख्या तथा विस्तारपूर्वक विचार करने की प्रक्रिया का सहारा लेकर उसका उत्तर पूर्ण कराता है । अध्यापक को ज्यादा सूचना निकलवानी पड़ती है एवं ज्यादा स्पष्टीकरण के लिए उसे कुरेदना पड़ता है । इस तरह छात्र को सही उत्तर तक लाने हेतु अध्यापक को ज्यादा सूचना प्राप्ति के प्रयास करने पड़ते हैं।

पुनर्केन्द्रण तकनीक – जब छात्र सही उत्तर देता है तब इस तकनीक का सहारा लेकर अध्यापक पूर्व घटित या पढ़ी हुई स्थिति का उदाहरण लेकर छात्र का ध्यान उस पर पुनः केन्द्रित कर जानना चाहता है कि छात्र पूर्व समझदारी से उत्तर दे रहा है अथवा कि रटा – रटाया या संयोगवश उसका उत्तर सही है । इस विधि द्वारा छात्र को अन्य समान परिस्थितियों में अपने उत्तर की जाँच करनी होती है। इस तरह छात्र अपने उत्तर को विभिन्न परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में समझता है।

पुननिर्देशन प्रविधि – एक ही प्रश्न विभिन्न छात्रों से पूछा जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्रों की सहभागिता प्राप्त की जा सके। एक ही प्रश्न विभिन्न छात्रों से पूछा जाता है या उसी प्रश्न के छोटे – छोटे प्रश्न बनाकर विभिन्न छात्रों से पूछा जाता है फिर प्रमुख प्रश्न पर आया जाता है । यदि अनुबोधन के उपरांत भी कोई छात्र प्रश्न का उत्तर न दे सके तो वह प्रश्न अन्य छात्र अथवा छात्रों से पूछा जाना भी पुनर्निर्देशन कहलाता है।

समीक्षात्मक अभिज्ञता वृद्धि – छात्रों द्वारा दिये गये सही उत्तरों पर जब ‘क्यों’ तथा ‘केसे’ प्रश्न पछे जाते हैं तो अध्यापक अपेक्षा करता है कि इससे छात्रों की समीक्षात्मक 3 की वृद्धि होगी। छात्रों को अपने सही उत्तरों के पीछे जो तर्क है उसे समझने में मदद मिलेगी।

खोजपूर्ण प्रश्न कौशल अध्यापक हेतु बहुत ही सहायक सिद्ध होता है। इस कौशल के पर्यवेक्षण हेतु निम्न दो अनुसूचियाँ काम आती हैं –

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