व्याख्यान कौशल पर एक सूक्ष्म पाठ योजना बनाइये।

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कौशल –  व्याख्यान कौशल

कक्षा –  8वीं

विषय –  हिन्दी (पद्य)

प्रकरण –  कवि दिनकर की कविता ‘शक्ति और छाया’

समय –  10 मिनट

शिक्षक            शिक्षक समुद्र किनारे बैठे भगवान राम का चित्र टाँगता है। शिक्षक कविता का सस्वर वाचन करेंगे।

तीन दिवस तक पथ माँगते रघुपति सिन्धु किनारे,

बैठे पढ़ते रहे छंद अनुनय के प्यारे प्यारे

उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से

उठी अधीर धधक पौरुष से आग राम के शर से ।

सिन्धु देह धर ‘त्राहि त्राहि करता आ गिरा शरण में

चरण पूज दासता ग्रहण की बँधा मूढ़ बंधन में।

सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ती विनय की,

संधि – वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की।

सहनशीलता, क्षमा दया को तभी पूजा जग है,

बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है।

छात्र                 छात्र ध्यानपूर्वक सुन रहे हैं।

शिक्षक            रामायण में एक प्रसंग आता है कि भगवान रामसमुद्र किनारे बैठकर लंका जाने के लिए सागर से रास्ता देने की अनुनय विनय करते रहे। तीन तीन तक दल बल सहित वे विनयपूर्वक निवेदन करते रहे परन्तु सागर से एक भी आवाज़ या लहर नहीं उठी। तब उनके पौरुष ने उन्हें कठोर होने की प्रेरणा दी और भगवान राम ने अपने धनुष पर अग्निबाण चढ़ाया और सागर को धमकाया कि अभी वे उसे सोखकर रास्ता बना लेंगे। उसका प्रभाव तुरंत हुआ। सिन्धु सागर मानव देह धर उनके चरणों में आ गिरा और क्षमा याचना की व पथ देने को राजी हुआ।

इसी घटना का दिनकर जी ने अपनी कविता “शक्ति और क्षमा” में उल्लेख किया है। (शिक्षक बीच – बीच में प्रश्न करता है तथा छात्र उत्तर देते हैं।)

शिक्षक            जब तीन दिन तक विनय का कोई परिणाम न हुआ तो रामजी क्या करते हैं?

छात्र                 उन्होंने क्रोध दिखाया होगा।

शिक्षक            हाँ। यही हुआ उन्होंने धनुष पर बाण चढ़ाया।

छात्र                 छात्र मौन वाचन करते हैं। शिक्षक के कहने पर इसी छंद को एक – एक कर दो तीन छात्र सस्वर पाठ करते हैं।शिक्षक            (इसी प्रकार से दूसरे छन्द की भी शिक्षक व्याख्या करते हैं)

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