मौन एवं अशाब्दिक संकेत पर एक सूक्ष्म पाठ योजना बनाइए।

Estimated reading: 1 minute 77 views

विषय –  हिन्दी

कक्षा –  3

समय –  5 मिनट

प्रकरण –  लोमड़ी एवं अंगूर की कहानी

शिक्षक            आओ बच्चों आज तुम्हें एक कहानी सुनाते हैं। (मुस्कुराते हुए हाथ से पास आने का इशारा करता है)

शिक्षक            एक सुन्दर सा फूलों का बगीचा था (चेहरे पर प्रसन्नता का भाव) उसमें अंगूर की भी बहुत बेले थीं। ऐसी ही एक बेल में हरे – भरे अंगूरों का एक बड़ा – सा (हाथ का संकेत) गुच्छा भी था। एक दिन एक लोमडी वहाँ से गुजर रही थी (हाथ का इशारा) उसने अंगूर का गुच्छा देखा । (सिर ऊंचा देखने का संकेत), (मौन) उसाके मन ललचाया (चेहरे के भाव) मुँह में पानी भर आया (मुंह का संकेत) उसने अंगूर का गुच्छा पाने की ठानी। (बाँह व शरीर का संकेत)। उसने गुच्छे की ऊंचाई का अन्दाज लगाया (मौन) व पीछे हटकर ऊंची कूद लगाई। (शिक्षक अपने शरीर से पीछे हटने व ऊंची कूद का संकेत देता है) वह अंगूर तक की पहुँच पायी। (मौन)

शिक्षक            बताओ उसने फिर क्या किया?

छात्र                 उसने और पीछे हटकर और ऊंची कूद लगाई।

शिक्षक            हाँ, उसने ऐसा ही किया। फिर भी अंगूर उसके हाथ न आये। (हाथ मलते हुए इशारा)। उसे तीसरी बार भी कूद लगाई (मौन) निराशा ही हाथ लगी। (हाथ से इशारा व चेहरे पर निराशा के भाव)। उसने दुखी मन से कहा – “उहूँ यह अंगूर तो खट्टे हैं।” (खट्टे होने का चेहरे पर भाव) और लोमड़ी चली गई।

(मौन) (शिक्षक अपने हाथ व शरीर से चले जाने का भाव दिखाता है।)

शिक्षक            बच्चों लोमड़ी ने कैसे जाना कि अंगूर खट्टे हैं?

छात्र                 अंगूर हाथ नहीं आए तो खट्टे होने का बहाना कर अपने मन को लोमड़ी ने तसल्ली दी।शिक्षक            स्वीकृति में सिर हिलाते हुए।

Leave a Comment

CONTENTS