शिक्षण कौशलों को एकीकृत करने की विधियाँ कौन – कौनसी हैं?

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शिक्षण कौशलों को एकीकृत करने की निम्नलिखित दो विधियाँ हैं :

(1) समग्र एकीकरण विधि

(2) आंशिक एकीकरण विधि

(1) समग्र एकीकरण विधि – इस विधि में सभी शिक्षण कौशलों को समग्र रूप में एकीकृत करने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है । यदि एक छात्राध्यापक ने 10 शिक्षण कौशलों का अलग – अलग अभ्यास किया है और अलग – अलग दक्षता प्राप्त की है तो सभी कौशलों को समग्र रूप से एकीकृत करने के प्रशिक्षण के लिए एक ऐसी पाठ – योजना बनानी पड़ेगी जिसमें सभी 10 शिक्षण कौशलों को प्रयोग करने के लिए एक विस्तृत पाठ – योजना का निर्माण करेंगे। सूक्ष्म शिक्षण चक्र के सभी सोपानों को ध्यान में रखते हुए, इस प्रकार से शिक्षण अभ्यास कराया जाएगा जिससे छात्राध्यापक सभी अर्जित शिक्षण कौशलों का अपने शिक्षण कार्य में प्रयोग कर सकें । दक्षता प्राप्त करने के लिए छात्राध्यापक को उचित पाठ योजना तैयार करना चाहिए, कौशलों का प्रयोग कब और कहाँ करना है, किन परिस्थितियों में करना है यह ध्यान में रखकर उचित अभ्यास करना चाहिए। शिक्षण अभ्यास कार्य की पुनरावृत्ति तब तक करते रहना चाहिए जब तक कि सभी कौशलों में दक्षता प्राप्त न हो जाए।

(2) आंशिक एकीकरण विधि – इस विधि के सूक्ष्म – शिक्षण के अभ्यास द्वारा अर्जित सभी शिक्षण कौशलों को आंशिक रूप में इकट्ठा किया जाता है। यदि छात्राध्यापक ने अपने प्रशिक्षण काल में सक्ष्म अध्ययन तकनीक द्वारा 10 शिक्षण कौशलों में अलग – अलग रूप से दक्षता अर्जित की और इन सभी कोशलों को एकीकृत करके प्रयोग में लाने का प्रशिक्षण प्रदान करना है तो इसके लिए पहले चरण में किन्हीं तीन या चार शिक्षण कौशलों को एकीकत करने का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। सामान्यतया सूक्ष्म – शिक्षण में जिस एक शिक्षण कौशल का अभ्यास करना होता है उसी से सम्बन्धित पाठ योजना बनाई जाती है और कौशल का अभ्यास सूक्ष्म शिक्षण के सभी सोपानों से गुजरते हुए 36 मिनट के समय में किया जाता है । अब तीन – चार कौशलों को लेकर एक बड़ी पाठ योजना बनाई जाती है परन्तु निर्धारित समय की मात्रा उतनी ही गनी अधिक हो जाएगी,जितने कौशलों को एकीकृत करने का प्रयास हम करेंगे । सक्षम शिक्षण चक्रों की पुनरावृत्ति भी उसी तरह तब तक होती रहेगी जब तक कि तीन या चार शिक्षण कौशलों में दक्षता प्राप्त न हो जाए। अगले चरण में अगले तीन – चार कौशलों का अभ्यास कराया जाएगा जब तक सभी कौशलों में दक्षता प्राप्त न हो जाए।

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