सम्प्रेषण पूर्णता से आप क्या समझते हैं ? इसके लिए अध्यापक किन घटकों का प्रयोग करता है?

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अध्यापक क्रिया अपने आप में सम्प्रेषण प्रक्रिया पर आधारित है। यहाँ सम्प्रेषण से तात्पर्य साधारण पाठन प्रक्रिया से अलग विशेष प्रकार सम्प्रेषण से है जिससे अध्यापक की बात या उसके निर्देश भली प्रकार छात्रों की समझ में आ जावें।

साधारणतया यह समझा जाये कि छात्रों को बताई बात पूर्णतः स्पष्ट है कि फिर भी उसका कोई न कोई पक्ष अस्पष्ट रह जाता है; अतः अध्यापक सभी पक्षों को पूर्णरूपेण स्पष्ट कर सके ऐसी क्षमता अध्यापक में उत्पन्न होनी चाहिए।

सम्प्रेषण पूर्णता कक्षा – शिक्षण में सामान्य अध्यापक के अतिरिक्त ज्ञान को सुबोध, स्पष्ट एवं आनंन्ददायक बनाने हेतु किए गए प्रयासों का आंकलन है। शिक्षक खेलों का उपयोग करता है । नाट्यकरण कर अपनी बात स्पष्ट करता है । छात्रों से भूमिका निर्वाह कराता है। कहानी का सहारा लेकर पाठ में कही गई बात का प्रबलन करता है या उसमें प्राप्त ज्ञान के उपयोग के अवसर जुटाता है शिक्षक कई बार मौखिक विवरण का उपयोग न करके हाव – भाव मौन संकेतों से बहुत कुछ कह जाता है। पत्रिकाओं, पोस्टरों, समाचार पत्रों, फिल्मों आदि का भी उपयोग वह पाठ को सुस्पष्ट एवं अधिगम पूर्ण बनाने हेतु करता है। इन सभी के मिले – जुले प्रभाव से सम्प्रेषण पूर्णता प्राप्त होती है।

इस कौशल की आवृत्ति अंकन अनुसूचि व मूल्यांकन अनुसूचि निम्नानुसार है –

(प्रत्येक घटक की आवृत्ति का गुणात्मक मूल्यांकन उपयुक्त अंक पर घेरा लगाकर अंकित करें)

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