विन्यास प्रेरण कौशल से आप क्या समझते हैं? इस कौशल का उपयोग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

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अध्यापक यदि पाठ का प्रारम्भ भली प्रकार करता है तो उसके पाठ की सफलता निश्चित ही हो जाती है। जब भी कोई अध्यापक नया पाठ या इकाई प्रारम्भ करता है तो अपेक्षा की जाती है कि वह पहले उस पाठ का संक्षिप्त परिचय देगा ताकि छात्रों का ध्यान पाठ पर केन्द्रित हो जाये । पाठ – योजना एवं पाठ उद्देश्य लेखन के समय पाठ की यह भूमिका छात्रों की उपस्थिति के बिना तैयार की जाती है परन्तु पाठ प्रारम्भन में उसे छात्र समुदाय के साथ ‘विन्यास ग्रहण’ करना होता है । यह कौशल कुछ ऐसी क्रियाओं पर आधारित है जिन्हें करने से अच्छा विन्यास प्रेरण होता है। कुछ ऐसी क्रियाएं हैं जिन्हें न करने या कम करने से ही विन्यास प्रेरण में सफलता मिलेगी अर्थात् वे बाधक तत्त्व हैं इस कौशल में निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है –

(1) पूर्वज्ञान का उपयोग – नया पाठ प्रारंभ करते समय पूर्वज्ञान से सम्बन्ध स्थापित करने से नये पाठ के प्रति अभिरुचि जागृत होगी और छात्रों को ज्ञात से अज्ञात की ओर ले जाने में विशेष कठिनाई नहीं होती।

(2) उचित युक्तियाँ एवं साधनों का उपयोग – विन्यास प्रेरण या पाठ – प्रारम्भक साधारण प्रश्नों से किया जाता है। अध्यापक पूर्वज्ञान पर प्रश्न पूछता है, छात्र उत्तर देते हैं, फिर अध्यापक नए पाठ से सम्बन्धित प्रश्न पूछता है जिसका छात्र उत्तर देने में असमर्थ होते हैं। इसी समय उद्देश्य कथन करता है । इस प्रकार पाठ प्रारम्भन की कई युक्तियाँ हैं। अध्यापक उपयुक्त यक्ति का उचित उपयोग करता है यही इस कौशल का उद्देश्य है।

इस कौशल में प्रयोग की जाने वाली युक्तियाँ –

(1) उदाहरण, दृष्टान्त, आदि ।

(2) प्रश्न

(3) कहानी

(4) नाट्यकरण अथवा भूमिका निर्वाह ।

(5) दृश्य – श्रव्य साधनों का उपयोग।

(6) प्रयोग/प्रदर्शन

अवांछित व्यवहार – इस कौशल में निम्न क्रियाएं बाधक होती हैं –

(अ) सातत्य की कमी – जो विचार/विषय वस्तु पहले पढ़ाये जा रहे थे उनसे संबद्ध विषय पढ़ाने से या उनके क्रम में ही आगे पढ़ाने से सातत्य गुण प्राप्त किया जा सकता है ।

(ब) अप्रासंगिक कथन अथवा प्रश्न पूछना – अध्यापक को वही प्रश्न पूछने अथवा विवरण देने चाहिए जो पाठ्यवस्तु से सम्बन्ध रखते हों। प्रासंगिक प्रश्न व कथन तो विन्यास प्रेरण में सहायक होते हैं और अप्रासंगिक कथन व प्रश्न बाधक होते हैं। इन्हें जितना कम किया जाये उतना ही उपयोगी होगा।

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