एडगर डेल के अनुभव त्रिकोण का क्या अर्थ है ? इसका शिक्षण – अधिगम प्रक्रिया में स्थान सुनिश्चित कीजिए।

Estimated reading: 1 minute 121 views

अथवा

एडगर डेल के अनुभवों का मनोवैज्ञानिक उपयोग समझाइये।

एडगर त्रिकोण का अर्थ – बहुइन्द्रिय अनुदेशन के लिए एडगर डेल ने दृश्य – श्रव्य साधनों की मदद से अनुभवों के आधार पर एक विशेष तरह का वर्गीकरण पेश किया है, जिसे उसने “अनुभव का त्रिकोण” की संज्ञा दी है।

यहाँ विभिन्न प्रत्यक्ष अनुभवों से लेकर अमूर्त चिन्तन तक जितने भी तरह के अनुभव विभिन्न सहायक साधनों द्वारा हो सकते हैं, उन अनुभवों को प्रदान करने में सहायक साधनों को विभिन्न श्रेणियाँ प्रदान करने का प्रयत्न किया गया है।

एडगर त्रिकोण का विवरण – इस ‘कोन’ में सबसे नीचे प्रत्यक्ष एवं सार्थक अनुभवों को शामिल किया गया है । ये अनुभव सबसे प्रबल माने गये हैं। इन अनुभवों को प्रदान करने वाले दृश्य – श्रव्य साधनों का विवरण दिया गया है ।

चित्र में चार तरह के दृश्य – श्रव्य साधनों के शिक्षण प्रभावों को भी दर्शाया गया है ।

चित्र – एडगर डेल का अनुभवों का त्रिकोण

अगर हम चित्र को ध्यान से देखें तो बायीं तरफ एक लम्बी रेखा द्वारा ऊपर से नीचे की तरफ घटता हआ प्रभाव दिखाई पड़ता है। दूसरे शब्दों में, मौखिक शब्दों का प्रभाव सबसे कम है एवं प्रत्यक्ष साधनों का सबसे ज्यादा।

कोन की नोंक या सिरा या अग्र भाग मौखिक सम्प्रेषण को प्रदर्शित करता है।

अगर हम कोन के सिरे से नीचे की तरफ जायें तो अनुभव प्रभावी होता जाता है। मौखिक संकेतों की बजाय वास्तविक प्रत्यक्ष अनुभव बहुत प्रभावशील होते हैं।

पहले वर्ग में चार शैक्षिक तकनीकी साधन आते हैं।

दूसरे में प्रक्षेपी शिक्षण साधन आते हैं। इनका प्रभाव पहले शैक्षिक साधनों में कम होता है। इनके अन्तर्गत मूक चलचित्र, फिल्म पट्टियाँ आदि शामिल हैं।

तीसरे वर्ग में अप्रक्षेपी साधन शामिल हैं। इनका प्रभाव प्रथम दो वर्गों से कम है। इनके अन्तर्गत बुलेटिन बोर्ड, पोस्टर, चार्ट एवं चित्र आदि आते हैं।

चौथे वर्ग में मौखिक साधन हैं। इनका इन्दियों पर शैक्षिक प्रभाव सबसे कम होता है –

Leave a Comment

CONTENTS