पाठ समापन कौशल में अध्यापक को पारंगत होना क्यों आवश्यक है?

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पाठ – समापन

पाठ की सफलता के लिए जितना यह आवश्यक है कि उनका प्रारम्भ प्रभावशाली ढंग से किया जाए उतना ही आवश्यक है उसका स्थायी प्रभाव बनाए रखने हेतु पाठ का समापन सुचारू रूप से किया जाए।

पाठ समाप्ति पर अध्यापक जानना चाहता है कि शैक्षिक उद्देश्य पूरे हुए या नहीं। छात्र भी जानना चाहते हैं कि क्या उन्होंने वह सब सीख लिया जो सीखने की उनकी इच्छा थी। इस प्रकार प्राप्त ज्ञान का छात्र अपने पूर्व ज्ञान से समन्वय कैसे करेंगे और नई परिस्थितियों में इस ज्ञान का उपयोग कैसे करेंगे अध्यापक के लिए यह जानना आवश्यक है । इस सबके लिए अध्यापक को पाठ – समापन कौशल में पारंगत होना आवश्यक है।

यदि पाठ का विधिपूर्वक समापन नहीं किया जाता तो पाठ का जो प्रभाव होना चाहिए वह नहीं हो पाता । ‘समापन’ से छात्रों के मन में पाठ के मुख्य बिन्दु स्थिर होकर याद रहते हैं । छात्र उसका उपयोग आगे चलकर कैसे करेंगे यह जाँच प्रश्न पूछने से स्पष्ट हो जाना है।

पाठ के अन्त में समापन प्रक्रिया से उसका प्रभाव स्थिर तो होता ही है, पाठ की प्रभावशीलता भी द्विगुणित हो जाती है।

इस कौशल के घटक एवं क्रियाएं इस प्रकार हैं –

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