B Ed Pathyakram Vikas Evam Vidyalaya

अंग्रेजी भाषा में पाठ्यक्रम के लिये ‘करीक्यूलम’ (Curriculum) शब्द का प्रयोग किया जाता है।

शिक्षण व्यहरचना का अर्थ इंग्लिश जैम शब्दकोष के अनुसार ‘नीति’ अथवा ‘स्ट्रेटेजी’ शब्द का अर्थ युद्ध

पाठ्यक्रम संगठन के विषय में अलग-अलग दृष्टिकोण होते हैं। इसलिए पाठ्यक्रम भी

विषय केन्द्रित पाठ्यचर्या विभिन्न विषयों का समूह है, जो बालकों को पढ़ना पड़ता

अनिवार्य (कोर) पाठ्यक्रम से तात्पर्य अनिवार्य (कोर) पाठ्यक्रम का तात्पर्य ऐसे पाठ्यक्रम

एकीकृत पाठ्यक्रम का विकास अमेरिका के विश्वविद्यालयों में हुआ जहाँ पाठ्यक्रम के

पाठ्यपुस्तकें विभिन्न लेखकों द्वारा विषय विशेष के कक्षा विशेष की निर्धारित पाठ्यवस्तु

प्रचलित माध्यमिक पाठ्यक्रम के दोष भारतीय शिक्षा के प्रचलित माध्यमिक पाठ्यक्रम का

भारत के तत्कालीन युवा प्रधानमन्त्री स्व. श्री राजीव गाँधी की प्रेरणा से

संपूर्ण विश्व में वर्तमान समय पाठ्यचर्या में अनेक परिवर्तन हुए हैं। महत्त्वपूर्ण

विद्यमान पाठ्यक्रम के साथ बदलाव, नई पनपती विचारधाराओं, नए विषयों तथा प्रकरणों आदि के

पाठ्यक्रम के साथ निम्न वर्गों में दक्षता पर ध्यान देना जरूरी है :

आजकल शिक्षा का पाठ्यक्रम बालकेन्द्रित हो गया है। अत: बालक की रुचियों

जो पाठ्यक्रम गतिविधियों पर आधारित होते हैं उनके अध्ययन के दौरान गतिविधियों

एक अच्छे पाठ्यक्रम की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इसके लक्ष्य

(1) पाठ्यक्रम वह मार्ग है जिस पर चलकर लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता

पाठ्यक्रम के अन्तर्गत समाहित होने वाली कुछ क्रियाएं पाठ्यवस्तु के क्षेत्र के

पाठ्यक्रम का अर्थ तथा परिभाषा पाठ्यक्रम की सबसे लोकप्रिय परिभषा कनिंघम द्वारा

पाठ्यचर्या की अवधारणा के संबंध में दो विचारधाराएँ प्रचलित हैं। ये विचारधाराएँ

इक्कीसवीं शताब्दी का पर्दापण हो चुका है। अतः हमें इक्कीसवीं शताब्दी की

पाठ्यक्रम के पाँच प्रमुख उद्देश्य निम्नवत् हैं – 1. पाठ्यक्रम बालक के चारित्रिक

वर्तमान समय में ऐसे अनेक उभरते हुए क्षेत्र हैं जिन्हें पाठयचर्या में

शिक्षा एक सोद्देश्य प्रक्रिया हैं एवं पाठ्यक्रम इन उद्देश्यों की पूर्ति का

शिक्षा की प्रक्रिया में पाठ्यचर्या (पाठ्यक्रम) का महत्त्व हर समाज, राज्य अथवा राष्ट्र

पाठ्यचर्या निर्माण के विभिन्न चरण पाठ्यचर्या विद्यालयी शिक्षा का केन्द्र बिन्दु है।

पाठ्यचर्या (पाठ्यक्रम) निर्माण के आधार किसी समाज की शिक्षा के स्वरूप को

पाठ्यचर्या विकास की अवधारणा विशद व व्यापक है। पाठ्यचर्या विकास को एक

पाठ्यक्रम निर्माण में निम्नांकित पाँच सोपानों का अनुसरण किया जाता है- (1) परिस्थितियों

शिक्षक की भूमिका शिक्षण विधियों, आव्यूह तथा माध्यमों के चयन एवं व्यवस्था में

पाठ्यचर्या के विकास में अनेक तत्त्व तथा कारक अपना प्रभाव या असर

पाठ्यक्रम प्रारूप या प्रकल्प (डिजाइन) पाठ्यचर्या निर्माण की दशा में प्रथम पग

किसी कार्य को व्यवस्थित एवं विधिवत रूप से करने के पूर्व उसकी

प्रतिमान/प्रतिरूप का अंग्रेजी पर्याय शब्द Model है जिसका शब्दकोषीय अर्थ नमूना, ढाँचा, प्रतिरूप (पैटर्न) या आदर्श

पाठ्यक्रम का उद्देश्य प्रतिमान इस प्रतिमान का आधार व्यवहारिक मनोविज्ञान है। इस

पाठ्यक्रम का प्रक्रिया प्रतिमान इस प्रकार के प्रतिमानों में उद्देश्यों को परिभाषित

पाठ्यक्रम का परिस्थिति प्रतिमान इस प्रतिमान के प्रारूप को विकसित करने में

प्रतिमान शब्द अंग्रेजी के ‘मॉडल’ शब्द का पर्याय है। पाठ्यचर्या प्रतिमान का अर्थ पाठ्यचर्या

पाठ्यचर्या विकास हेतु प्रयुक्त किए जाने वाले कई प्रतिरूप हैं। तकनीकी/वैज्ञानिक प्रतिरूपों

पाठ्यक्रम प्रतिमान के आधार पाठ्यक्रम प्रतिमान सम्बन्ध विभिन्न विचारों के अध्ययन से

मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में नवीन अवधारणा है। मुक्त विश्वविद्यालय से

इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना भारत में नई दिल्ली में

स्थापना- माध्यमिक शिक्षा परिषद, नई दिल्ली ने 3 नवम्बर 1989 में मुक्त विद्यालय (ओपन स्कूल) खोला । संपूर्ण

पाठ्यक्रम के अन्य आधार। पाठ्यक्रम के दार्शनिक आधार के अतिरिक्त अन्य महत्त्वपूर्ण

शिक्षा विकास की प्रक्रिया है, एवं इसका प्रारूप पाठ्यक्रम पर आधारित होता है।

पाठ्यक्रम-विकास के विभिन्न सोपानों के अन्तर्गत शैक्षिक उद्देश्यों के निर्धारण, अधिगम-अनुभवों के चयन

पाठ्यचर्या प्रारूप शब्द अंग्रेज़ी के शब्द कैरिकुलम डिजाइन का हिन्दी पर्याय है।

पाठ्यचर्या के समग्र चयन का आशय है-पाठ्यचर्या के उद्देश्यों का चयन, पाठ्यचर्या की

पाठ्यक्रम-विकास इस प्रत्यय में ‘पाठ्यक्रम विकास’ का प्रयोग साधारण तथा अधिक किया जाता है “पाठ्यक्रम

किसी शैक्षणिक/प्रशिक्षण संस्था में निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप विषय वस्तु एवं अधिगम

पाठ्यचर्या की समृद्धिशीलता से आशय पाठ्यचर्या का विस्तृत मूल्य देना है ताकि

पाठ्यचर्या की समृद्धिशीलता से आशय पाठ्यचर्या का विस्तृत मूल्य देना है ताकि

पाठ्यक्रम का चयन हमेशा शैक्षिक उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है।

पाठ्यक्रम के अन्तर्गत वे सभी लक्ष्य, उद्देश्य, अन्तर्वस्तु, प्रक्रियाएं, संसाधन एवं सभी तरह के सीखने के

वर्धा-शिक्षा-सम्मेलन सन् 1937 में गाँधीजी वर्धा में थे। वहाँ के मारवाड़ी हाई सकूल (वर्तमान

एक कुशल व दक्ष शिक्षक की शिक्षा में उपाधि की पाठ्यचर्या ऐसी

मध्यप्रदेश में कक्षा आठवीं (हिन्दी माध्यम) के लिए हिन्दी व्याकरण विषय हेतु

नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में भारत में प्रचलित कक्षा 9 के निर्धारित पाठ्यक्रम

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की कक्षा 7वीं विशिष्ट हिन्दी की पाठ्यपुस्तक भाषा भारती’ का

अध्यापक-शिक्षा हेतु पाठ्यक्रम आज के शिक्षक को यह स्पष्ट नहीं है कि

बी.एड. और डी.एड. प्रशिक्षण कार्यक्रम में निम्न पाठ्यक्रमों को सिद्धान्त में सम्मिलित

बी.एड. और डी.एड. प्रशिक्षण कार्यक्रम में निम्न पाठ्यक्रमों को सिद्धान्त में सम्मिलित

शिक्षक-शिक्षा का वर्तमान पाठ्यक्रम सिर्फ व्यावसायिक कौशल पर ज्यादा बल देता है