कक्षा सातवीं विशिष्ट हिन्दी की निर्धारित पाठ्यपुस्तक ‘भाषा भारती’ की समीक्षा कीजिए।

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 केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की कक्षा 7वीं विशिष्ट हिन्दी की पाठ्यपुस्तक भाषा भारती’ का मध्यप्रदेश हेतु प्रकाशन मप्र.राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद/मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल वर्ष 2015 हेतु प्रकाशन किया गया है जिसकी समीक्षा प्रस्तुत है।

किसी भी पाठ्यपुस्तक की समीक्षा के अंतर्गत हमें उस पुस्तक की विशेषताओं तथा न्यूनताओं (कमियों) का गहनता से अध्ययन करना होता है। हिन्दी भाषा की पुस्तक के पुनरीक्षण (रिव्यू) में हमें पुस्तक के उद्देश्य, विषयवस्तु, भाषा ज्ञान, अधिगम क्षेत्र, साहित्य की विभिन्न विधाओं की विविधता, व्याकरण, काव्यपक्ष, मूल्यपरकता, संस्कृति व समाज से जुड़ाव, क्रियात्मक गतिविधियों व अभ्यास की विविधता, विद्यार्थियों की भाषागत योग्यता का विस्तार, मूल्यांकन पक्ष, पुस्तक के रूपात्मक गुणों के साथ उसकी कमियों (न्यूनताओं) का अध्ययन करना होता है ।


आलोच्य पाठ्यपुस्तक की विशेषताएं

(1) उद्देश्य- इस पाठ्यपुस्तक का उद्देश्य मध्यप्रदेश के विद्यालयों में कक्षा 7 में अध्ययनरत विद्यार्थियों में हिन्दी भाषा (विशिष्ट) हेतु सम्पन्न पाठ्यसामग्री के माध्यम से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास करना है। साथ ही विद्यार्थियों में भाषा शिक्षण की अपेक्षित क्षमताओं को प्राप्त करने में सहायता करना है ।

इस दृष्टि से यह पाठ्यपुस्तक सफल है। इसमें छात्रों के व्यक्तित्व के पक्षों में मानसिक (बौद्धिक), भावात्मक, शारीरिक, चारित्रिक व सामाजिक पक्ष के विकास का लक्ष्य प्रमुख है। इस हेतु इस पाठ्य पुस्तक में विविध विषय ज्ञान, भावना व कल्पना शक्ति का विकास, क्रीड़ा जगत, चारित्रिक गुणों तथा मध्यप्रदेश के जनजीवन,रहन-सहन,प्रकृति व ऐतिहासिक विरासतों की शिक्षा के पर्याप्त प्रसंग छात्रों हेतु सुलभ हैं।

(2) विषय वैविध्य- भाषा और साहित्य की पुस्तक में विषयों व विधाओं, प्रसंगों, वार्तालापों, क्रियाओं की विविधता छात्रों में अपेक्षित दक्षताएं उत्पन्न करने में सहायक होती हैं। इस पाठ्य पुस्तक की विषय सूची अति विस्तृत है जिसमें बालकों की भावना, कल्पनाशक्ति, क्रियात्मकता, पारिवारिक संबंधों, प्रदेश के वैभव स्थलों, महापुरुषों के प्रसंगों, प्राकृतिक स्थलों, ऐतिहासिक चरित्रों, जनजातीय जीवन, क्रीड़ा जगत, वैज्ञानिकों, समाजसेवकों इत्यादि की

विविधतापूर्ण सारगर्भित विषयसामग्री जो कक्षा 7 के स्तर के बालकों हेतु विशिष्ट भाषा हिन्दी के रूप में ज्ञानवर्द्धक व प्रेरणास्पद है-दी गई है।

(3) विस्तृत भाषा ज्ञान- भाषा की पाठ्यपुस्तकें छात्रों में भाषा संबंधी दक्षताएं उत्पन्न करने में सहायक होनी चाहिए। प्रस्तुत पाठ्य पुस्तक में सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना इन चारों भाषायी कौशलों हेतु विविधतापूर्ण, रोचक, बालकोचित, क्रियान्वयन व गतिविधि प्रधान व्यापक अवसर उपलब्ध हैं । लेखन (लिखने) के लिए अनुच्छेद लेखन, पत्र लेखन, डायरी लेखन, निबंध लेखन,विचार लेखन, सारांश लेखन, वाक्य रचना, सुलेख आदि बहुआयामी रचना अभ्यास बालकों की सृजनात्मक व साहित्यिक क्षमता के विकास हेतु पाठ्यपुस्तक में दिए हुए हैं। छात्रों के लिए भाषा संबंधी अधिगम अनुभवों का बाहुल्य पुस्तक में निहित है।

(4) विभिन्न साहित्य की विधाओं का ज्ञान- यह पाठ्यपुस्तक साहित्य की विभिन्न विधाओं-कविता, निबंध, कहानी, संस्मरण, जीवनी, वार्तालाप, एकांकी, पत्र लेखन, डायरी लेखन, व्यंग्य आदि से छात्रों को सुपरिचित कराती है ताकि वे गद्य-पद्य की विभिन्न शैलियों-रूपों से उपलब्ध रचनात्मक साहित्य का रसास्वादन कर सके तथा इन रचना शैलियों से परिचित हो सकें। इन पाठों में इनके लेखकों/कवियों का परिचय भी छात्रों हेतु प्रेरक है। अधिकांश रचनाकार मध्यप्रदेश के निवासी ही हैं।

(5) व्याकरण ज्ञान- भाषा की पाठ्यपुस्तक से यह अपेक्षा रहती है कि वह भाषा के शुद्ध व्याकरणिक रूप से छात्रों को परिचित कराए। इससे साहित्य की रोचकता से जटिल व्याकरणिक रूपों को सरलीकृत किया जा सकता है । इस पुस्तक में कक्षा 7वीं के स्तर के बालकों हेतु उपसर्ग, प्रत्यय, लिंग, वचन, पुरुष, समास, संधि, कारक, विराम चिह्न, उच्चारण, शब्द भेद, रूप के अन्तर्सम्बन्धित तथा उपयोगी अवसर रचनाओं व अभ्यासों में छात्रों के अधिगम हेतु सुलभ है।

(7) वृहत शब्द संपदा- कक्षा 7वीं की भाषा भारती में कक्षा 6 तक सीखे हुए शब्दार्थों के अतिरिक्त नए शब्द भी अध्ययन में सम्मिलित हैं जो छात्रों की शब्द संपदा में वृद्धि करते हैं। लगभग चार पाँच सौ नए शब्दों के पर्यायवाची पुस्तक के अंत में शब्दकोष के रूप में दिए गए हैं जो बताते हैं कि भाषा पाठ्यपुस्तक में शब्द भंडार विस्तृत हैं। शब्दकोष का उपयोग करने संबंधी प्रतियोगिता पर एक निबंध भी पाठ्यपुस्तक में दिया गया है जो छात्रों में शब्द-कोष से शब्दों के अर्थ खोजने के कौशल से छात्रों को प्रवीण करता है। हिन्दी व संस्कृत भाषा के शब्दों के अतिरिक्त अंग्रेजी उर्दू के प्रचलित शब्दों के अर्थ भी इस पुस्तक से छात्र समझ सकते हैं। विपरीतार्थक व विलोम शब्दों हेतु अभ्यास कार्य भी पुस्तक में हैं जो छात्रों के शब्द भंडार में वृद्धि में सहायक है ।

(8) मूल्य शिक्षण- मानव मूल्यों की शिक्षा अलग विषय के रूप में देने की अपेक्षा साहित्य व रचनाओं के छात्रों के आचरण के अनुसरण-अनुकरण द्वारा छात्रों को देना अधिक श्रेष्ठ माना जाता है। इस पाठ्यपुस्तक में नीति के दोहे, परोपकार, स्वाभिमान, राष्ट्रप्रेम, देशभक्ति, मानवता, पर्यावरण संवेदना, सांप्रदायिक सद्भाव, कर्त्तव्य बोध, दृढ़ इच्छा शक्ति, आत्म विश्वास, जीवों के प्रति संवेदना, वृद्धजनों की सेवा, अहिंसा, दया, करुणा, न्याय, सत्यनिष्ठा इत्यादि मूल्यों की शिक्षा के प्रसंग उदाहरणों, दृष्टांतों का बाहुल्य है ।

(9) क्षमताओं-योग्यताओं का विकास- भाषा भारती कक्षा 7 में कल्पना शक्ति, तर्क शक्ति, चिंतन शक्ति, मनन, भाषण, लेखन, वाचन आदि योग्यताओं के छात्रों में विकास हेतु पाठ तथा अभ्यास कार्य वर्णित है।

(10) क्रियात्मक गतिविधियों की बहुलता- स्वयं करके सीखना एक प्रामाणिक अधिगम की विधि है । इस पुस्तक के पाठों के अंत में दिये गये अभ्यास कार्य-शब्द कोष से शब्द के

अर्थ खोजना, महापुरुषों के चित्र इकट्ठे करना, वार्तालाप या एकांकी में स्वरों का आरोह-अवरोह व अभिनय, स्वरताल के साथ काव्य वाचन, शब्दों के शुद्ध उच्चारण के साथ पठन आदि अनेक गत्यात्मक विधियों हेतु रोचक व ज्ञानप्रद गत्यात्मक विधियाँ उपलब्ध हैं।

(11) काव्य पक्ष/काव्य सौंदर्य का अनुभूति- आलोच्य पाठ्यपुस्तक में कविता-पद्य के माध्यम से रस, छंद, अहंकार, सार लेखन, भाव पक्ष, लेखन के उपयुक्त प्रसंग विद्यमान हैं।

(12) मूल्यांकन पक्ष- छात्रों के अर्जित ज्ञान के मूल्यांकन हेतु पाठ्यपुस्तकों में बोध प्रश्न, भाषा अभ्यास तथा योग्यता विस्तार के रूपों में प्रश्न दिये गए हैं। प्रत्येक पाठ के अंत में तथा पुस्तक के अंत में दी गई प्रश्नावली छात्रों के अधिगम के मापन हेतु उपयुक्त है। सोद्देश्य मापन के द्वारा छात्र में आए व्यवहार परिवर्तन को शिक्षक समझ सकता है ।

(13) शिक्षक हेतु शिक्षण संकेत- इस पाठ्यपुस्तक की एक बड़ी विशेषता यह भी है कि इसमें सभी पाठों में शिक्षकों के मार्गदर्शन हेतु ऐसे शिक्षण संकेत दिये गए हैं जिनके उपयोग के छात्रों में अपेक्षित अधिगम विकसित करने में शिक्षक को सहायता मिलती है। कविता को सुरलययुक्त प्रस्तुत करना, कठिन शब्दों के शुद्ध उच्चारण, एकांकी, शिक्षण से संवाद प्रस्तुतीकरण हाव भाव तथा अभिनय आदि के संकेत इसके उदाहरण हैं ।

पुस्तक के प्रारंभ में पाठ्यपुस्तक की विषयवस्तु का माहवार/इकाईवार विभाजन भी दिया गया है जो सयम पर पाठ्यक्रम की पूर्ति करने में शिक्षकों की सहायता करता है । इकाई अध्ययन के उपरांत इकाई जाँच/मासिक मूल्यांकन के संकेत भी उपलब्ध हैं।

(14) पुस्तक का रूपात्मक पक्ष- पुस्तक का कलेवर आकर्षक है । पुस्तक बालकोचित व रंगीन व आकर्षक चित्रों से परिपूर्ण है। डिमाई आकार में यह 185 पृष्ठ की पाठ्यपुस्तक अच्छे व मोटे कागज में है। इसकी रुपये 41/- कीमत भी उचित है

(15) न्यूनताएं/कमियाँ- पाठ्यपुस्तक में यात्रा वृत्तांत, आत्मकक्षा, स्वाध्याय रक्षा आदि विषय नहीं है परंतु पुस्तक के विस्तृत आकार को देखते हुए ये कमियाँ नगण्य हैं।

 केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की कक्षा 7वीं विशिष्ट हिन्दी की पाठ्यपुस्तक भाषा भारती’ का मध्यप्रदेश हेतु प्रकाशन मप्र.राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद/मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल वर्ष 2015 हेतु प्रकाशन किया गया है जिसकी समीक्षा प्रस्तुत है।

किसी भी पाठ्यपुस्तक की समीक्षा के अंतर्गत हमें उस पुस्तक की विशेषताओं तथा न्यूनताओं (कमियों) का गहनता से अध्ययन करना होता है। हिन्दी भाषा की पुस्तक के पुनरीक्षण (रिव्यू) में हमें पुस्तक के उद्देश्य, विषयवस्तु, भाषा ज्ञान, अधिगम क्षेत्र, साहित्य की विभिन्न विधाओं की विविधता, व्याकरण, काव्यपक्ष, मूल्यपरकता, संस्कृति व समाज से जुड़ाव, क्रियात्मक गतिविधियों व अभ्यास की विविधता, विद्यार्थियों की भाषागत योग्यता का विस्तार, मूल्यांकन पक्ष, पुस्तक के रूपात्मक गुणों के साथ उसकी कमियों (न्यूनताओं) का अध्ययन करना होता है ।


आलोच्य पाठ्यपुस्तक की विशेषताएं

(1) उद्देश्य- इस पाठ्यपुस्तक का उद्देश्य मध्यप्रदेश के विद्यालयों में कक्षा 7 में अध्ययनरत विद्यार्थियों में हिन्दी भाषा (विशिष्ट) हेतु सम्पन्न पाठ्यसामग्री के माध्यम से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास करना है। साथ ही विद्यार्थियों में भाषा शिक्षण की अपेक्षित क्षमताओं को प्राप्त करने में सहायता करना है ।

इस दृष्टि से यह पाठ्यपुस्तक सफल है। इसमें छात्रों के व्यक्तित्व के पक्षों में मानसिक (बौद्धिक), भावात्मक, शारीरिक, चारित्रिक व सामाजिक पक्ष के विकास का लक्ष्य प्रमुख है। इस हेतु इस पाठ्य पुस्तक में विविध विषय ज्ञान, भावना व कल्पना शक्ति का विकास, क्रीड़ा जगत, चारित्रिक गुणों तथा मध्यप्रदेश के जनजीवन,रहन-सहन,प्रकृति व ऐतिहासिक विरासतों की शिक्षा के पर्याप्त प्रसंग छात्रों हेतु सुलभ हैं।

(2) विषय वैविध्य- भाषा और साहित्य की पुस्तक में विषयों व विधाओं, प्रसंगों, वार्तालापों, क्रियाओं की विविधता छात्रों में अपेक्षित दक्षताएं उत्पन्न करने में सहायक होती हैं। इस पाठ्य पुस्तक की विषय सूची अति विस्तृत है जिसमें बालकों की भावना, कल्पनाशक्ति, क्रियात्मकता, पारिवारिक संबंधों, प्रदेश के वैभव स्थलों, महापुरुषों के प्रसंगों, प्राकृतिक स्थलों, ऐतिहासिक चरित्रों, जनजातीय जीवन, क्रीड़ा जगत, वैज्ञानिकों, समाजसेवकों इत्यादि की

विविधतापूर्ण सारगर्भित विषयसामग्री जो कक्षा 7 के स्तर के बालकों हेतु विशिष्ट भाषा हिन्दी के रूप में ज्ञानवर्द्धक व प्रेरणास्पद है-दी गई है।

(3) विस्तृत भाषा ज्ञान- भाषा की पाठ्यपुस्तकें छात्रों में भाषा संबंधी दक्षताएं उत्पन्न करने में सहायक होनी चाहिए। प्रस्तुत पाठ्य पुस्तक में सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना इन चारों भाषायी कौशलों हेतु विविधतापूर्ण, रोचक, बालकोचित, क्रियान्वयन व गतिविधि प्रधान व्यापक अवसर उपलब्ध हैं । लेखन (लिखने) के लिए अनुच्छेद लेखन, पत्र लेखन, डायरी लेखन, निबंध लेखन,विचार लेखन, सारांश लेखन, वाक्य रचना, सुलेख आदि बहुआयामी रचना अभ्यास बालकों की सृजनात्मक व साहित्यिक क्षमता के विकास हेतु पाठ्यपुस्तक में दिए हुए हैं। छात्रों के लिए भाषा संबंधी अधिगम अनुभवों का बाहुल्य पुस्तक में निहित है।

(4) विभिन्न साहित्य की विधाओं का ज्ञान- यह पाठ्यपुस्तक साहित्य की विभिन्न विधाओं-कविता, निबंध, कहानी, संस्मरण, जीवनी, वार्तालाप, एकांकी, पत्र लेखन, डायरी लेखन, व्यंग्य आदि से छात्रों को सुपरिचित कराती है ताकि वे गद्य-पद्य की विभिन्न शैलियों-रूपों से उपलब्ध रचनात्मक साहित्य का रसास्वादन कर सके तथा इन रचना शैलियों से परिचित हो सकें। इन पाठों में इनके लेखकों/कवियों का परिचय भी छात्रों हेतु प्रेरक है। अधिकांश रचनाकार मध्यप्रदेश के निवासी ही हैं।

(5) व्याकरण ज्ञान- भाषा की पाठ्यपुस्तक से यह अपेक्षा रहती है कि वह भाषा के शुद्ध व्याकरणिक रूप से छात्रों को परिचित कराए। इससे साहित्य की रोचकता से जटिल व्याकरणिक रूपों को सरलीकृत किया जा सकता है । इस पुस्तक में कक्षा 7वीं के स्तर के बालकों हेतु उपसर्ग, प्रत्यय, लिंग, वचन, पुरुष, समास, संधि, कारक, विराम चिह्न, उच्चारण, शब्द भेद, रूप के अन्तर्सम्बन्धित तथा उपयोगी अवसर रचनाओं व अभ्यासों में छात्रों के अधिगम हेतु सुलभ है।

(7) वृहत शब्द संपदा- कक्षा 7वीं की भाषा भारती में कक्षा 6 तक सीखे हुए शब्दार्थों के अतिरिक्त नए शब्द भी अध्ययन में सम्मिलित हैं जो छात्रों की शब्द संपदा में वृद्धि करते हैं। लगभग चार पाँच सौ नए शब्दों के पर्यायवाची पुस्तक के अंत में शब्दकोष के रूप में दिए गए हैं जो बताते हैं कि भाषा पाठ्यपुस्तक में शब्द भंडार विस्तृत हैं। शब्दकोष का उपयोग करने संबंधी प्रतियोगिता पर एक निबंध भी पाठ्यपुस्तक में दिया गया है जो छात्रों में शब्द-कोष से शब्दों के अर्थ खोजने के कौशल से छात्रों को प्रवीण करता है। हिन्दी व संस्कृत भाषा के शब्दों के अतिरिक्त अंग्रेजी उर्दू के प्रचलित शब्दों के अर्थ भी इस पुस्तक से छात्र समझ सकते हैं। विपरीतार्थक व विलोम शब्दों हेतु अभ्यास कार्य भी पुस्तक में हैं जो छात्रों के शब्द भंडार में वृद्धि में सहायक है ।

(8) मूल्य शिक्षण- मानव मूल्यों की शिक्षा अलग विषय के रूप में देने की अपेक्षा साहित्य व रचनाओं के छात्रों के आचरण के अनुसरण-अनुकरण द्वारा छात्रों को देना अधिक श्रेष्ठ माना जाता है। इस पाठ्यपुस्तक में नीति के दोहे, परोपकार, स्वाभिमान, राष्ट्रप्रेम, देशभक्ति, मानवता, पर्यावरण संवेदना, सांप्रदायिक सद्भाव, कर्त्तव्य बोध, दृढ़ इच्छा शक्ति, आत्म विश्वास, जीवों के प्रति संवेदना, वृद्धजनों की सेवा, अहिंसा, दया, करुणा, न्याय, सत्यनिष्ठा इत्यादि मूल्यों की शिक्षा के प्रसंग उदाहरणों, दृष्टांतों का बाहुल्य है ।

(9) क्षमताओं-योग्यताओं का विकास- भाषा भारती कक्षा 7 में कल्पना शक्ति, तर्क शक्ति, चिंतन शक्ति, मनन, भाषण, लेखन, वाचन आदि योग्यताओं के छात्रों में विकास हेतु पाठ तथा अभ्यास कार्य वर्णित है।

(10) क्रियात्मक गतिविधियों की बहुलता- स्वयं करके सीखना एक प्रामाणिक अधिगम की विधि है । इस पुस्तक के पाठों के अंत में दिये गये अभ्यास कार्य-शब्द कोष से शब्द के

अर्थ खोजना, महापुरुषों के चित्र इकट्ठे करना, वार्तालाप या एकांकी में स्वरों का आरोह-अवरोह व अभिनय, स्वरताल के साथ काव्य वाचन, शब्दों के शुद्ध उच्चारण के साथ पठन आदि अनेक गत्यात्मक विधियों हेतु रोचक व ज्ञानप्रद गत्यात्मक विधियाँ उपलब्ध हैं।

(11) काव्य पक्ष/काव्य सौंदर्य का अनुभूति- आलोच्य पाठ्यपुस्तक में कविता-पद्य के माध्यम से रस, छंद, अहंकार, सार लेखन, भाव पक्ष, लेखन के उपयुक्त प्रसंग विद्यमान हैं।

(12) मूल्यांकन पक्ष- छात्रों के अर्जित ज्ञान के मूल्यांकन हेतु पाठ्यपुस्तकों में बोध प्रश्न, भाषा अभ्यास तथा योग्यता विस्तार के रूपों में प्रश्न दिये गए हैं। प्रत्येक पाठ के अंत में तथा पुस्तक के अंत में दी गई प्रश्नावली छात्रों के अधिगम के मापन हेतु उपयुक्त है। सोद्देश्य मापन के द्वारा छात्र में आए व्यवहार परिवर्तन को शिक्षक समझ सकता है ।

(13) शिक्षक हेतु शिक्षण संकेत- इस पाठ्यपुस्तक की एक बड़ी विशेषता यह भी है कि इसमें सभी पाठों में शिक्षकों के मार्गदर्शन हेतु ऐसे शिक्षण संकेत दिये गए हैं जिनके उपयोग के छात्रों में अपेक्षित अधिगम विकसित करने में शिक्षक को सहायता मिलती है। कविता को सुरलययुक्त प्रस्तुत करना, कठिन शब्दों के शुद्ध उच्चारण, एकांकी, शिक्षण से संवाद प्रस्तुतीकरण हाव भाव तथा अभिनय आदि के संकेत इसके उदाहरण हैं ।

पुस्तक के प्रारंभ में पाठ्यपुस्तक की विषयवस्तु का माहवार/इकाईवार विभाजन भी दिया गया है जो सयम पर पाठ्यक्रम की पूर्ति करने में शिक्षकों की सहायता करता है । इकाई अध्ययन के उपरांत इकाई जाँच/मासिक मूल्यांकन के संकेत भी उपलब्ध हैं।

(14) पुस्तक का रूपात्मक पक्ष- पुस्तक का कलेवर आकर्षक है । पुस्तक बालकोचित व रंगीन व आकर्षक चित्रों से परिपूर्ण है। डिमाई आकार में यह 185 पृष्ठ की पाठ्यपुस्तक अच्छे व मोटे कागज में है। इसकी रुपये 41/- कीमत भी उचित है

(15) न्यूनताएं/कमियाँ- पाठ्यपुस्तक में यात्रा वृत्तांत, आत्मकक्षा, स्वाध्याय रक्षा आदि विषय नहीं है परंतु पुस्तक के विस्तृत आकार को देखते हुए ये कमियाँ नगण्य हैं।

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