कक्षा 9 के निर्धारित पाठ्यक्रम का पुनरीक्षण (समीक्षा) कीजिए।

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नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में भारत में प्रचलित कक्षा 9 के निर्धारित पाठ्यक्रम के विषय इस प्रकार है-

अन्य अवसर और अन्य विकल्प- राष्ट्रीय शिक्षा-नीति के अनुसार हाई स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा में मुक्त विद्यालय (ओपन स्कूल) पत्राचार पाठ्यक्रम में पंद्रह वर्ष या उससे अधिक उम्र के विद्यार्थियों को शैक्षणिक अर्हता से मुक्त (छूट) है और दो वर्ष में चार अवसरों में परीक्षा उत्तीर्ण करने की सुविधा है।

विकलांग (नेत्रहीन, मूक बधिर) छात्रों की पत्राचार में एक भाषा की छूट रहेगी। ये छात्र सामान्य स्तर का द्वितीय या तृतीय भाषाओं में से एक भाषा छोड़ सकेंगे। नेत्रहीन छात्र गणित के स्थान पर संगीत ले सकेंगे। मूक-बधिर छात्र गणित अथवा विज्ञान के स्थान पर संगीत या चित्रकला ले सकेंगे। मूक बधिर छात्र गणित अथवा विज्ञान के स्थान पर संगीत या चित्रकला ले सकेंगे।

समीक्षा

1. यह पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2005 के अंतर्गत संपूर्ण देश के सभी प्रांतों हेतु निर्धारित है। केवल प्रांत की भाषा विविधता को देखते हुए अनेक वैकल्पिक भाषाओं का प्रावधान किया गया है। किन्तु त्रिभाषा फॉर्मूला-प्रथम, द्वितीय व तृतीय भाषा के रूप में सभी स्थानों पर चयन का बंधन पाठ्यक्रम में है। यह पाठ्यक्रम पूरे देश में एकरूपता स्थापित करने में सहायक है।

2. यह पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 10 + 2 का अंग है तथा हाई स्कूल में कक्षा 9 हेतु इसमें सभी अनिवार्य व वैकल्पिक विषयों का प्रावधान है

3. कोर (अनिवार्य) पाठ्यक्रम की अवधारणा के अनुरूप कक्षा 9 के इस पाठ्यक्रम में विषय समूह के चयन की स्वतंत्रता है। सामान्य विज्ञान के स्थान पर छात्र अपनी रुचि के अनुसार गृहविज्ञान/कृषि/वाणिज्य या मुर्गीपालन का विकल्प चुन सकते हैं।

4. पाठ्यक्रम में विकलांग छात्रों की निःशक्तता को दृष्टिगत रखते हुए सुविधानुसार प्रथम विषय जैसे संगीत चित्रकला की सुविधा है। तीन भाषाओं के स्थान पर एक भाषा की छूट विकलांग (नेत्रहीन, मूक बधिर) छात्रों को दी गई है। मुक्त विद्यालय अवधारणा के अनुसार पत्राचार पाठ्यक्रम में पंद्रह वर्ष या उससे अधिक आयु के छात्रों को शैक्षिक अर्हता में छूट दी गई है।

5. पाठ्यक्रम छात्र के व्यक्तित्व के सर्वांगीण (शारीरिक, सामाजिक, मानसिक, भाषिक आदि) विकास के अनुरूप उपयुक्त है। शारीरिक शिक्षा तथा समाजोपयोगी कार्य (SUPW) भी विकास शिक्षण के साथ अनिवार्य रखे गए हैं। त्रिभाषा सूत्र के अंतर्गत तीन भाषाओं की अनिवार्यतः रखी गई है।

6. पाठ्यक्रम में विभिन्न विषयों में सहसंबंध का ध्यान रखा गया है जैसे सामाजिक विज्ञान के विषय में इतिहास-नागरिकशास्त्र अथवा भूगोल-अर्थशास्त्र को जोड़ रखा गया है ।

7. पाठ्यक्रम में विभिन्न आठ विषयों का शिक्षण हाईस्कूल के छात्रों में अपेक्षित योग्यताएं उत्पन्न करने में सहायक है। हाई स्कूल के उपरांत हायर सैकेण्डरी में विभिन्नीकृत/विशेषीकृत (डायवर्सिफाइड) विषय समूह के चयन का प्रावधान है अतः हाईस्कूल के अनिवार्य विषयों से छात्रों में अपेक्षित योग्यता उत्पन्न हो सकती है। जो छात्र किसी कारणवश उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में प्रवेश नहीं ले सकते उन्हें 10वीं के बाद रोजगार के अनेक अवसरों की सुविधा प्राप्त है।

8. देश की भाषा समस्या के निवारणार्थ त्रिभाषा फार्मूला सभी प्रांतों में एकरूपता के साथ इस राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में लागू है। जैसे दक्षिण भारतीय उनके प्रांतों की भाषा तथा अंग्रेजी के साथ सामान्य हिन्दी सीख सकते हैं तथा उत्तर भारतीय छात्रों हेतु हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत/उर्दू के चयन की स्वतंत्रता है। परसियन, फेंच, रसियन भाषा का विकल्प भी उपलब्ध है जो इस पाठ्यक्रम को अन्तर्राष्ट्रीयता का रूप भी देता है।

9. मातृभाषाओं को पाठ्यक्रम में समुचित स्थान दिया गया है तथा भाषा के रूप में मातृभाषा के चयन की स्वतंत्रता है।

10. इस पाठ्यक्रम में एक कमी यह कही जा सकती है कि यह विस्तृत है तथा इसमें 8 विषय जिनमें 3 भाषाएं भी हैं का शिक्षण छात्रों पर बोझ स्वरूप है।

राष्ट्रीय नीति के तहत पाठ्यक्रम की राष्ट्रीय एकरूपता संपूर्ण देश को एकसूत्रता तथा भावात्मक एकता में बाँधने में सक्षम है।

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