इन्टरनेट (Internet)

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  • Internet – International Network इन्टरनेशनल नेटवर्क
  • Inter connected Network
  • इन्टरकनेक्टेड नेटवर्क में नेटवर्क का जाल भी इन्टरनेट कहलाता है।
  • इन्टरनेट को सूचना का राजपथ भी कहा जाता है।
  • सूचना का महासागर भी इन्टरनेट को कहा जाता है।इन्टरनेट की शुरुआत कम्प्यूटर नेटवर्क (अरपानेट) से हुई जिसमें कम्प्यूटर को आपस में जोड़ा गया ताकि सूचना को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर भेजा जा सके।
  • वर्तमान में इन्टरनेट वह सुविधा है जिसके द्वारा हम किसी भी सूचना को प्राप्त कर सकते हैं।
  • इन्टरनेट सूचना प्राप्त करने, ई-मेल, वेबसाइट, चैट, विडियो बातचीत, भुगतान प्रणाली, शॉपिंग, मनोरंजन, शिक्षा एवं मनोरंजन जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है।
  • इन्टरनेट के पिता के रूप में विंट सिर्फ (Vint Cerf) का नाम सर्वोच्च है।
  • भारत में इन्टरनेट को 15 अगस्त, 1995 से लागू किया गया।
  • एक कम्प्यूटर नेटवर्क में दो या दो से ज्यादा कम्प्यूटर जो आपस में  जुड़े होते हैं जिसके द्वारा  कार्यक्रम, डेटा, हार्डवेयर, संदेश और अन्य संसाधन को साझा कर सकते हैं । कम्प्यूटर नेटवर्क में कम्प्यूटर को आपस में मिलकर संसाधनों को साझा करना ही इन्टरनेट कहलाता है ।
  • इन्टरनेट शब्द का विस्तारक “इंटरकनेक्टेड नेटवर्क” है जिसका तात्पर्य विश्व के सम्पूर्ण कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ना है जिससे कम्प्यूटर एवं उसके संसाधनों का पूर्ण रूप से इस्तेमाल होने के साथ साथ डेटा एवं सूचना का लेन देन संभव हों । इन्टरनेट को नेटवर्क ऑफ़ नेटवर्क भी कहा जाता है । इन्टरनेट में प्रयोग होने वाले 2 मुख्य प्रोटोकॉल TCP ( Transmission control protocol ) और IP ( Internet protocol )  है ।
  • इन्टरनेट के अन्य क्षेत्रों के लिए मानक व दिशा निर्देश तय करने के लिए और अनुसंधान करने के लिए बनाये गए समूह को W3C world wide web consortium कहा जाता है   
  • इन्टरनेट का प्रारंभ कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ माना जाता है, जिसकी शुरुआत  1969 में अमेरिका के रक्षा विभाग के साथ केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और स्टेनफोर्ड अनुसन्धान  द्वारा किया गया जिसका नाम ARPANET (अरपानेट) रखा गया  ।
  • टीम बर्नेस ली ने  1989  में WWW का अविष्कार किया। 20 दिसम्बर, 1990 को उन्होंने दुनिया की  पहली वेब साइट लाइव की। जिसे 6 अगस्त, 1991 को सभी के द्वारा देखा गया ।

इन्टरनेट एक्सेस करने के तरीके –

इन्टरनेट सेवा के  उपयोग के लिए केबल टेलीविज़न, मॉडेम, टेलीफोन लाइनों, ईथरनेट , वाई फाई , फाइबर ऑप्टिक्स , DSL , ADSL ,ISDN आदि शामिल हैं ।

ISP :- इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर Internet Service provider इन्टरनेट सेवा देने वाली कंपनी होती हैं जिसके द्वारा कम्प्यूटर पर इन्टरनेट की सेवाएँ दी जाती है। जैसे – JIO , एयरटेल, BSNL , VSNL

WWW: इसका पूरा नाम वर्ल्ड वाइड वेब है जो इन्टरनेट पर उपलब्ध वेबसाइट और वेबपेजों के द्वारा  उपयोगकर्ता  को हाईपरलिंक के माध्यम से सूचना को संप्रेषित करने में सहायता करता  है । अंग्रेजी वैज्ञानिक टीम बर्नेस ली ने 1989 में वर्ल्ड वाइड वेब का अविष्कार किया ।

वेबसाइट: वेबसाइट किसी कम्प्यूटर पर वेब पेजों का समूह  है जहाँ दस्तावेज होते हैं जिस पर इन्टरनेट के माध्यम से पहुँचा जा सकता है । एक वेब पेज पर किसी भी प्रकार की जानकारी हो सकती है और टेक्स्ट, ग्राफ़िक्स, एनीमेशन और ऑडियो शामिल कर सकते हैं । वेबसाइट को खोजने के लिए URL (यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर) का इस्तेमाल किया जाता है जो वेबसाइट का एक यूनिक पता होता है ।

जैसे – www.utkarsh.com  

होम पेज

होम पेज किसी भी वेबसाइट का प्रथम पेज होम पेज कहलाता है जिससे अन्य वेब पेज जुड़े होते हैं, इसी पेज को मास्टर पेज , मुख्य पेज  आदि नामों से जाना जाता है।

वेब ब्राउज़र:

वेब ब्राउज़र एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है जो वर्ल्ड वाइड वेब पर स्थित डेटा को क्लाइंट कम्प्यूटर पर लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जिसमे वेब पेज, चित्र, विडियो और अन्य फाइलें शामिल है । प्रत्येक ब्राउज़र एक क्लाइंट सर्वर होता है जो वेब सर्वर से इन्टरनेट के माध्यम से कनेक्ट होकर सूचना के लिए अनुरोध करता है । वेब सर्वर, वेब ब्राउज़र को जवाब के रूप में मांगी गयी जानकारी भेजता है और इसे ब्राउज़र पर प्रदर्शित कर दिया जाता है । पहला वेब ब्राउज़र टीम बर्नर्स ली द्वारा बनाया गया था ।

यह एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होते जिस पर वेबसाइट और वेबसाइट के वेबपेज को देखा गया है। यह निम्न प्रकार के हो सकते हैं –

Text पर आधारित – यह ब्राउजर टेक्स्ट आधारित सूचनाओं को प्रदर्शित करते है जैसे – Lynx आदि।

Graphic पर आधारित – यह ब्राउजर ग्राफिक्स आधारित सूचनाओं को प्रदर्शित करते है जैसे – Mosaic, Netscape, Google Chrome, Mozilla firefox, Microsoft Edge, Safari, opera आदि।

यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर (URL: Uniform Resource Locator)

  • URL यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर का संक्षिप्त रूप है।
  • यह वर्ल्ड वाइड वेब पर दस्तावेज और अन्य संसाधनों का यूनिक पता होता है । उदाहरण के लिए, एक URL, http://www.utkarsh.com  है । URL, यूनिफॉर्म रिसोर्स आइडेंटिफायर (URI) का ही एक प्रकार है ।
  • URL का पहला भाग Protocol Identifier कहलाता है और यह इंगित करता है कि कौन-सा प्रोटोकॉल उपयोग में आ रहा है, और दूसरा भाग Resource Identifier कहलाता है और उस कम्प्यूटर के IP Address या डोमेन नाम को निर्दिष्ट करता है यहाँ पर रिसोर्स, वेब पेज के रूप में उपलब्ध रहते हैं । उदाहरण –  http://www.utkarsh.com

सर्च इंजन Search Engine

  • सर्च इंजन के नाम से ही हमें पता चलता है कि वेब पर इन्टरनेट के माध्यम से किसी भी सूचना या वेबसाइट को ढूँढ़ने के लिए सर्च इंजन का प्रयोग किया जाता है।
  • सर्च इंजन एक वेबसाइट की तरह ही एक प्रोग्राम होता है जो यूजर को एक खाली स्थान देता है जिस पर यूजर के द्वारा लिखे गये शब्द से संबंधित डेटा को तथा वेबसाइट की लिस्ट को दर्शाता है।
  • जैसे – Google, Bing, Yahoo, Alta Vista, Hotbot, Lycos, Ask आदि। 

वेब सर्वर

  • वेब सर्वर द्वारा वेब ब्राउजर पर वेब साइट और वेब पेज उपलब्ध कराये जाते हैं सर्वर वह कम्प्यूटर होता है जो वेब पेज को निर्देशित करता है तथा फाइल के रूप में रखता है और पढ़ता है इस सर्वर पर एक विशेष सॉफ्टवेयर होता है, वेब सर्वर कहलाता है ।

वेब सर्वर के मुख्य कार्य –

  • वेबसाइट को मैनेज करना
  • सूचना प्रदान करने के लिए क्लाइंट से अनुरोध प्राप्त करना
  • क्लाइंट को सूचना देना एवं आवश्यक पेज देना  

वेब प्रोटोकॉल :-

  • कम्प्यूटर नेटवर्क एवं इंटरनेट पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर डेटा लेन-देन के लिए नियमों का प्रयोग किया जाता है। नियमों के समूह को ही प्रोटोकॉल कहा जाता है। सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए और कम्युनिकेशन के लिए प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है जैसे – TCP/IP ,PPP, HTTP , FTP, SMTP

Protocol प्रोटोकोल – प्रोटोकोल से तात्पर्य उन नियमों से है जिसके द्वारा डेटा का संचार होता है अर्थात् नियम व प्रक्रियाओं के समूह को प्रोटोकोल कहते हैं।

(1) TCP – Transmission Control Protocol – इस प्रोटोकोल के द्वारा data को कम्प्यूटर नेटवर्क में एक स्थान से दूसरे स्थान पर नियंत्रित करते हुए भेजा जाता है। इस विधि में यह प्रोटोकोल डेटा को कई भागों में विभाजित करता है जिसे डेटा पैकेट्स कहा जाता है।

1. हाइपर टेक्स्ट ट्रान्सफर प्रोटोकॉल (HTTP)

  • इस प्रोटोकॉल के द्वारा दो कम्प्यूटर के बीच हाइपर टेक्स्ट को ट्रान्सफर किया जा सकता है यह ऐसी  तकनीक है जिसके द्वारा हाईपर टेक्स्ट लिंक को सेलेक्ट किये गये डॉक्यूमेंट को ओपन करता है ।
  • यह ISO मानक आधारित एक नॉन प्रोप्राइटरी इंडिपेंडेंट प्लेटफार्म है तथा ओपन डॉक्यूमेंट आर्किटेक्चर है ।

2. IP – Internet Protocol –  

  • यह नेटवर्क से जुड़े हुए कम्प्यूटर का अद्वितीय पता होता है जो प्रत्येक कम्प्यूटर की पहचान बताता है। कम्प्यूटर नेटवर्क में डेटा कहा जाता है इसका पता IP Address के द्वारा लगाया जाता है।
  • इसके दो वर्जन प्रचलित है-
    IPv4 और IPv6
  1. IPv4 – इस वर्जन में IP पता चार भागों में (.) dot के द्वारा विभाजित किया जाता है जिसमें प्रत्येक भाग को 0 से 255 के मध्य दर्शाया जाता है। इस IP Address का प्रारूप 32 बिट का होता है जैसे – 193.167.13.01
  2. IPv6 – यह IP Address का नवीनतम वर्जन है जिसमें आठ भाग होते हैं जिसे (:) कॉलन के द्वारा विभाजित किया जाता है इस IP Address का प्रारूप 128 bit का होता है।

(3) SMTP – Simple Mail Transfer Protocol – इसका उपयोग Email के दौरान किया जाता है।

(4) FTP – File Transfer Protocol – इस प्रोटोकोल के द्वारा फाइल को एक स्थान से अन्य स्थान पर भेजने के लिए प्रयोग किया जाता है जैसे –  फाइल को डाउनलोड या अपलोड करना।

(5) HTTP/HTTPS – Hyper Text Transfer Protocol Secure – यह प्रोटोकोल वेब ब्राउजर पर संदेशों को एक फार्मेट में संचरित करता है। इसमें प्रत्येक निर्देश स्वतंत्र होकर क्रियान्वित होते हैं।

(6) Telnet protocol – इस प्रोटोकोल के द्वारा वर्चुअल कनेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रोटोकॉल के द्वारा यूजरनेम व पासवर्ड के माध्यम से रिमोट लॉगिन किया जा सकता है।

(7) WAP – Wireless Application Protocol

(8) VOIP – Voice Over Internet Protocol

(9) POP – Post Office Protocol जैसे- POP3

(10) PPP – Point to Point Protocol

HTML हाईपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज

  • HTML के द्वारा वेबसाइट के वेब पेज बनाये जाते हैं यह लैंग्वेज ब्राउज़र के द्वारा आसानी से समझी जाती है।           
  • HTML का आविष्कार टीम बर्नेस ली द्वारा ही किया गया है। इसमें टेक्स्ट पुस्तक की तरह एक ही दिशा में नहीं होता है जिस टेक्स्ट को देखना चाहते हैं, उसे लिंक के द्वारा देख सकते हैं। हाईपर का अर्थ वेबसाइट के इन्टरनेट पर किसी पेज को देखना होता है। टेक्स्ट  में केवल टेक्स्ट ही लिखा जा सकता है। मार्कअप का अर्थ जिस भी टेक्स्ट को हम टाइप करते है उसे मार्किंग करना है इसमें कोडिंग करते समय टैग का प्रयोग किया जाता है ।

डोमेन नाम –

  • डोमेन नाम किसी वेबसाइट या कम्प्यूटर को इन्टरनेट पर नाम देने के लिए उपयोग में लिया गया था, जिससे उसे आसानी से याद रखा जा सके यह डोमेन नाम यूआरएल और वेबसाइट के पीछे लगने वाला शब्द है डोमेन नाम के दो या दो से अधिक भाग होते हैं जिसे डॉट के द्वारा अलग किया जाता है।
  • डोमेन नाम यूआरएल के या वेबसाइट के नाम के पीछे लिखा जाने वाला शब्द होता है www.utkarsh.com
    जैसे .com commercial
    .edu education
    .net network
    .org organization
    .gov government  

DNS डोमेन नाम सिस्टम

डोमेन नाम सिस्टम , डोमेन नाम और IP पते को मिलाने का कार्य करता है इसके द्वारा ब्राउजर में आसानी से वेब साईट का पता लगाया जाता है DNS, URL को IP पते में परिवर्तित कर देती है जिससे यूजर उस साईट पर पहुँच जाता है, जिसको वह तलाश रहा हो । 

Email – इलेक्ट्रोनिक मेल –             

  • कम्प्यूटर पर या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर संदेश भेजना व प्राप्त करना Email के द्वारा सुविधाजनक है।
  • Email -eg. Username@gmail.com
  • यूजर द्वारा दी गयी ID वेबसाईट डोमेन नेम
  • यूजरनेम और डोमेननेम सर्वर के @ के द्वारा अलग किया जाता है।
  • Email से संबंधित महत्वपूर्ण अवयव –
  1. Inbox – इस बॉक्स में आने वाले समस्त संदेश दिखाई देते हैं।
  2. Sent box – जो मेल भेजे गये वह इस बॉक्स में दिखाई देते हैं।
  3. Spam – यह भी एक प्रकार का Inbox ही है इसमें अनाधिकृत अन्जान संदेश आ जाते हैं, जिसे अनचाही मेल (unsolicited mail) भी कहते हैं।
  4. Trash – Delete की गयी mail Trash में दिखाई देती है। 

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