कम्प्यूटर का सामान्य परिचय

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कम्प्यूटर– 

  • Computer एक मशीन है जो की हर व्यक्ति के जीवन में लगभग प्रत्येक क्षेत्र में किसी ना किसी रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से उपयोग में ली जा रही है।
  • Computer Word लेटिन भाषा के “Compute” Word से बना है। जिसका अर्थ Calculate अर्थात् गणना करने से है इसी कारण कम्प्यूटर को संगणक भी कहा जाता है।
  • कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन है जिस पर मशीनों या उपकरणों का प्रयोग करके डेटा को इनपुट किया जाता है तथा सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम के आधार पर प्रक्रिया करके डेटा को परिणाम में दर्शाता है।
  • कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो निर्देशों के समूह के नियंत्रण में डेटा पर क्रिया करके सूचना को व्यक्त करता है। कम्प्यूटर के द्वारा कार्य को करने के लिए या क्रियान्वित करने के लिए यह डेटा पर गणितीय व तार्किक क्रियाओं को करने में सक्षम होता है।
  • कम्प्यूटर पर इनपुट डिवाइस के माध्यम से डेटा दिया जाता है जिस पर कम्प्यूटर के CPU द्वारा प्रोसेस करके आउटपुट डिवाइस के द्वारा परिणामों को दर्शाता है।

कम्प्यूटर एक ऐसी Electronic Device है जिसमें निम्नलिखित क्षमताएँ होती है-

  • मानव या उपयोगकर्ता (Users) द्वारा प्राप्त (Supplied) डेटा को स्वीकार (Accept) करना।
  • स्वीकृत डेटा और निर्देशों को संगृहीत या Store करके निर्देशों को कार्यान्वित करना।
  • तार्किक क्रियाओं व गणितीय क्रियाओं को आन्तरिक इलेक्ट्रॉनिक परिपथ में कार्यान्वित करना।
  • उपयोगकर्ता (Users) को आवश्यकतानुसार आउटपुट या परिणाम देना।

Computer की कार्य प्रणाली –

– INPUT – Computer को दिया गया डेटा इनपुट कहलाता  (इनपुट) है।

– Process – Computer पर Data को CPU के द्वारा गणना (प्रोसेस) करना, प्रक्रिया करना कहलाता है। 

– Output –  Computer के द्वारा प्राप्त परिणाम आउटपुट (आउटपुट) कहलाते हैं।

– Storage(संग्रहण) – डेटा, निर्देश व परिणामों को संगृहीतकरना।

Characteristics of Computer :-

(कम्प्यूटर की विशेषताएँ)

  • High Speed
  • Accuracy 
  • Automation                
  • Storage Capacity
  • Versatility                   
  • Reliability
  • Logical Calculation
  • Diligence 
  • High Speed (तेज गति) – Computer किसी भी मशीन की अपेक्षा सबसे Fast Speed से कार्य करता हैं। उदाहरणत: दो Numeric Values को Add करने में Microseconds से भी कम समय लगाता हैं। एक Micro Second में Computer 10 लाख से भी अधिक mathematical calculation कर सकता है।
  • Accuracy (शुद्धता) – जब भी किसी व्यक्ति को एक ही प्रकार का कार्य बार-बार करना पड़ता हैं तो उसे थकावट होने लगती हैं और उस कार्य में गलतियाँ होने की संभावना बढ़ जाती हैं पर कम्प्यूटर  के साथ किसी भी एक Process को बार-बार करने पर ऐसा कभी नहीं होगा कि Computer दो अलग-अलग Result दें। यदि कम्प्यूटर  कभी गलत Result Display करता है तो उसका कारण कम्प्यूटर  नहीं बल्कि User हैं। जिसने गलत Data अथवा Program उपयोग किया हैं।
  • Versatile (उपयोगिता) – कम्प्यूटर  विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार से उपयोगी हैं। जैसे Bill Create करना, Reports तैयार करना, Mathematical Problem Solve करना, Diagram बनाना आदि।
  • Diligent (कार्य करने की क्षमता) – मनुष्य की तरह कम्प्यूटर  कभी थकता नहीं हैं। अतः जहाँ किसी एक ही प्रकार के कार्य को बार-बार करना हो वहाँ कम्प्यूटर  एक अच्छा Assistant साबित हो सकता है तथा बिना रुके उस कार्य को उसी प्रकार पूरा करेगा जिस प्रकार First Time Complete किया था।
  • Storage Capacity (भण्डारण क्षमता)- Computer अपनी Memory में कई प्रकार की Information Store करके रख सकता है। तथा आवश्यकता होने पर desired information को उपलब्ध भी करा सकता है।
  • Automation (स्वचालित) – कम्प्यूटर एक मशीन है जो मानव के द्वारा दिये गये कार्यों को स्वाचालित करती है।
  • Logical Calculation(तार्किक गणना) – कम्प्यूटर एक गणना यंत्र है जिसमें कम्प्यूटर अंकगणितीय गणनाओं के साथ तार्किक गणनाओं को भी संचालित करता है।
  • Reliability (विश्वसनीयता) – कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक स्वचालित मशीन है जिस पर किसी भी कार्य को विश्वसनीयता से करवाया जा सकता है।

Limitations (कमियाँ) :-

  • Lack of IQ (सोचने की क्षमता नहीं होना)
  • Feeling Less (महसूस नहीं कर सकता)
  • Do Not Learn From Past Experience
  • Limited Memory (सीमित मेमोरी)
  • Gigo – (Garbage in Garbage out)
  • Lack of IQ (सोचने की क्षमता नहीं होना) – कम्प्यूटर  में कुछ भी अपने आप सोचने की तथा Decision लेने की Capacity नहीं होती। यह केवल वही कार्य करता हैं जिसे करने का Order उसे दिया जाता है। कम्प्यूटर  से कार्य कराने के लिए प्रोग्राम बनाने होते हैं और कम्प्यूटर  प्रोग्राम के अनुसार कार्य करता हैं। कम्प्यूटर  स्वयं उपलब्ध Alternative में से सही विकल्प Select करने में असमर्थ है।
  • Feeling Less (महसूस नहीं कर सकता) – Computer एक Machine है और उसके कार्य करने में Feelings का कोई स्थान नहीं है।
  • Do Not Learn From Past Experience:- Computer को एक ही तरह का कार्य करने के लिए बार-बार निर्देशित करना पड़ता है। पिछले कार्यों से वह कुछ भी नहीं सीखता तथा प्रत्येक कार्य के लिए बार-बार निर्देश पर निर्भर रहता हैं।
  • Limited Memory (सीमित मेमोरी) – Computer में Primary व Secondary दोनों प्रकार की Memory उपलब्ध होती है। फिर भी उसकी Memory Limited होती है।
  • Gigo – (Garbage in Garbage out) – यदि गलत Data या Instruction Computer को दिया जाए तो वह निश्चित रूप से गलत Result Display करेगा। कम्प्यूटर  स्वयं Debugging का कार्य नहीं कर सकता है।

 कम्प्यूटर का इतिहास History of Computer :-

YearComputing Device and InventorDescription
3000 BCAbacusDeveloped in China used as a counting device and later on for mathematical calculations
1620 ADSlide RuleNormally used for engineering calculations.
1642Pascal’s Calculation Machine(Blaise Pascal – mathematician)A device with eight counter wheels linked by ratchets for carryover. It was made for tedious mathematical French calculations. It was not very successful due to difficult operation and very high cost.
1835(1832-37)Babbage’s Analytical Engine(Charles Babbage – Professor of mathematics at Cambridge)Today’s computer organisation corresponds very closely to an analytical engine.
1842First Computer Programmer(Lady Augusta Ada Byron)She translated a paper on Babbage’s Analytical Engine describing steps to follow for using it. A programming language, ADA, is named after her.
1854Boolean Logic (Algebra)(George Boole – British mathematician)Published the principle of Boolean logic, based on variables the value of which can be either ‘True or False’. It was an important development in the field of computers as it became easy to build reliable electronic circuits representing binary digits -1 for ON and 0 for OFF.
1884(1884-89)Punched Card Tabulating Machine(Hermon Hollerith – Instructor at MIT)It was used for the US census of 1880. The work of approximately eight years was performed by this machine in three years.
1944Howard Mark-1 (Howard A. Aiken, Harvard University USA)It was the first successful general purpose digital computer.
1946 Concept of Programme vs Data(Dr. John Von Newman of Philadelphia USA)He gave the design principle of digital computers suggesting the concept of stored programmes to make computers fully automatic.
1946(1942-46)ENIAC (Electronic Numeric Integrator and Calculator) John W Mauchely & J Presper Eckert in the USA.A full fledged electronic computer.
1951UNIVAC-1 developed by Eckert and MauchleyIt was developed for commercial data processing. It was used by Columbia Broadcasting System (CBS) for forecasting the USA presidential election result in 1952.

Generation of Computers कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ

I Gen   –      1942 – 1956

II Gen  –      1956 – 1965

III Gen –      1965 – 1975

IV Gen –      1975 – 1989

V  Gen –     1989 – वर्तमान

I. Generation (प्रथम पीढ़ी) – (1942-1956)

  • कम्प्यूटर की प्रथम पीढ़ी में मुख्य रूप से processing करने के लिए वेक्यूम टयूब का प्रयोग किया जाता था।
  • प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर में Data Code को पहुँचाने के लिए पंच कार्ड का प्रयोग किया गया।
  • प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर में डेटा को संगृहीत करने के लिए चुंबकीय ड्रम का प्रयोग किया गया।
  • प्रथम पीढ़ी में मशीनी व असेम्बली भाषा का प्रयोग किया गया।
  • प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर को रखने के लिए ज्यादा स्थान की आवश्यकता होती थी।
  • उदाहरण –
    ENIAC
    UNIVAC

II. Generation (द्वितीय पीढ़ी) – (1956-1965)

  • द्वितीय पीढ़ी के Computers में वेक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया।
  • ट्रांजिस्टर को 1947 में बेल लेब में विकसित किया गया।
  • द्वितीय पीढ़ी में डेटा को स्टोर करने के लिए मैग्नेटिक कोर डिवाइस का प्रयोग किया गया।
  • द्वितीय पीढ़ी में उच्च स्तरीय भाषाओं का विकास हुआ है।
  • इस पीढ़ी में उच्चस्तरीय भाषाओं जैसे – फॉरट्रोन, बेसिक, कोबॉल आदि का विकास हुआ।
  • इस पीढ़ी के Computer प्रथम पीढ़ी के Computer से कम खर्चीले थे।
  • उदाहरण – Honeywell 400,  IBM 7030

III. Generation (तृतीय पीढ़ी) – (1965-1975)

  • तृतीय पीढ़ी में Computer पर कार्य करने के लिए IC (Integrated Circuit) का प्रयोग किया गया।
  • यह Computer दूसरी पीढ़ी के Computer से कम बिजली का प्रयोग करते थे एवं तेज थे। 
  • इस पीढ़ी में कई नई प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास हुआ।
  • तृतीय पीढ़ी में Data को Computer पर Input और Output करने के लिए Keyboard व मॉनिटर को उपयोग में लिया गया।
  • इस पीढ़ी के टाइम शेयरिंग व मल्टी प्रोग्रामिंग Operating System का प्रयोग किया गया।  
  • IBM 360, IBM 370, CDC 6600,

IV. Generation (चतुर्थ पीढ़ी) – (1975-1989)

  • इस पीढ़ी में IC के बढ़ते हुए रूप LSI और VLSI (Very Large Scale Integration) का प्रयोग किया गया।
  • इस पीढ़ी के Computer अधिक विश्वसनीय थे।
  • इस पीढ़ी में टाईम शेयरिंग, डिस्ट्रिब्यूटेड, रियल टाइम Operating System का विकास हुआ।
  • इस पीढ़ी में नई उच्च स्तरीय भाषाओं जैसे C, C ++ आदि का विकास हुआ।
  • इस पीढ़ी में विभिन्न नेटवर्क का विकास हुआ।
  • मेमोरी क्षमता व डिवाइस का विकास हुआ।
  •  इस पीढ़ी में 80386 चिप का प्रयोग मिनी कम्प्यूटर में किया गया।
  • एप्पल II, क्रे कम्प्यूटर

V. Generation (पंचम पीढ़ी) – (1989-वर्तमान)

  • पंचम पीढ़ी में Computer पर कार्य करने के लिए नई तकनीकी का प्रयोग किया गया जिसे ULSI (Ultra Large Scale Integration) कहा गया।
  • इस पीढ़ी में डेटा को स्टोर करने के लिए मैग्नेटिक डिवाइस, ऑप्टिकल डिवाइस इत्यादि का वृहत विकास हुआ।
  • इस पीढ़ी में Computer अधिक छोटे व सुगम होते हैं।
  • इस पीढ़ी में इंटरनेट का वृहत उपयोग किया जा रहा है।
  • इस पीढ़ी में मल्टीमीडिया का अधिक उपयोग किया जा रहा है।

उदाहरण –

IBM Notebook

 i 3, i 7, i 9

 Pentium PC

PARAM 10000 etc.

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