सॉफ्टवेयर Software

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  • कम्प्यूटर के वह भाग, जिन्हें हम देख सकते हैं, किन्तु स्पर्श  नहीं कर सकते हैं, सॉफ्टवेयर कहलाते हैं।
  • प्रोग्राम या प्रोग्राम के समूह को सॉफ्टवेयर कहा जाता है।
  • सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर को निर्देश देते हैं, कि कम्प्यूटर को क्या व कैसे करना है।
  • कम्प्यूटर की स्क्रीन पर दिखाई देने वाले प्रोग्राम, निर्देश को सॉफ्टवेयर कहा जाता है, जिसे देखकर हम कार्य करते हैं।
  • सॉफ्टवेयर अमूर्त होते हैं।
  • ऐसे सॉफ्टवेयर जो नि:शुल्क उपलब्ध होते है, उन्हें फ्रीवेयर कहा जाता है।
  • वह सॉफ्टवेयर जिनके साथ सोर्स कोड भी नि:शुल्क उपलब्ध होते हैं उन्हें ऑपन सोर्स सॉफ्टवेयर कहा जाता है।
  • ऐसे सॉफ्टवेयर जो किसी समय के लिए ही नि:शुल्क उपलब्ध होते हों तथा बाद में भुगतान करके प्रयोग किया जाता है  उसे शेयरवेयर सॉफ्टवेयर कहते हैं।
  • कम्प्यूटर में किसी विशेष कार्य के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का प्रयोग करना ट्रंकी सॉफ्टवेयर कहलाता है।
  • प्रोग्राम लिखने वाले व्यक्ति को प्रोग्रामर कहा जाता है।
  • सॉफ्टवेयर का मुख्य कार्य डेटा को सूचना में परिवर्तित करना है।
  • सॉफ्टवेयर को कम्प्यूटर की भाषा या सॉफ्टवेयर में ही बनाया जाता है।

सॉफ्टवेयर के प्रकार –

  1. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
  2. सिस्टम सॉफ्टवेयर
  3. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर

1. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर-

  • हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग में लिए गये प्रोग्राम एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहलाते हैं।
  • ऐसे सॉफ्टवेयर जिस पर सीधे जुड़कर वास्तविक कार्य किये जाते हैं, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहलाते हैं।
  • एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर बनाने के लिए कम्प्यूटर भाषा का प्रयोग किया जाता है।
  • एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर विशेष कार्यों को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं।

यह मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं-

सामान्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर 

Ms Word, Ms Excel, Ms Power Point, Music, Web browser, आदि।

विशेष उद्देश्य सॉफ्टवेयर

रिज़र्वेशन सिस्टम, बिलिंग सिस्टम, डेटा बेस मैनेजमेन्ट सिस्टम आदि।

2. सिस्टम सॉफ्टवेयर-

  • कम्प्यूटर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को सिस्टम कहा जाता है अर्थात् कम्प्यूटर को सिस्टम कहा जा सकता है।
  • सिस्टम हार्डवेयर – कम्प्यूटर में हार्डवेयर को नियंत्रित करने  एवं व्यवस्थित करने के लिए उपयोग में लिये जाते है।
  • सिस्टम सॉफ्टवेयर के द्वारा कम्प्यूटर पर उपस्थित हार्डवेयर से कार्य करवाया जाता है।
  • सिस्टम सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के लिए प्लेटफार्म का कार्य करता है।
  • कम्प्यूटर के संचालन के लिए सिस्टम सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है। इसे सॉफ्टवेयर का आधार भी कहा जाता है।
  • कम्प्यूटर मेमोरी, प्रोसेसर, इनपुट-आउटपुट डिवाइस को नियंत्रित करता है।
  • कम्प्यूटर व हमारे मध्य संवाद भी सिस्टम सॉफ्टवेयर के द्वारा किया जाता है।
  • सिस्टम सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर को नहीं चलाया जा सकता है।
  • सबसे मुख्य सिस्टम सॉफ्टवेयर Operating System होता है।

उदाहरण:-

Operating System

Device Drivers

Translator

3. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर-

  • यूटिलिटी सॉफ्टवेयर को उपयोगिता वाले सॉफ्टवेयर भी कहा जा सकता है।
  • यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के द्वारा कम्प्यूटर का रखरखाव किया जाता है।
  • यूटिलिटी सॉफ्टवेयर ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं, जो कम्प्यूटर पर कार्यों को आसान बनाते हैं।
  • यूटिलिटी सॉफ्टवेयर सिस्टम सॉफ्टवेयर का अनिवार्य भाग नहीं है, परंतु सामान्यत: सिस्टम सॉफ्टवेयर के साथ जुड़कर कार्य करते हैं।
  • बग – किसी प्रोग्राम में आने वाली त्रुटि को बग कहा जाता है।
  • डिबग – प्रोग्राम में बग को हटाना डिबग कहलाता है।
  • डिबगर – यह प्रोग्राम में आने वाली बग की जाँच कर उसे हटाता है। इस सॉफ्टवेयर को डिबगर सॉफ्टवेयर के नाम से जाना जाता है।
  • पैच – किसी प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर में आने वाली बग को हटाने के लिए सॉफ्टवेयर के द्वारा जो ऑब्जेक्ट कोड दिए जाते हैं, उन्हें पैच कहा जाता है।
  • डिस्क क्लीनअप – कम्प्यूटर में स्टोर अनावश्यक फाइलों को हटाने का कार्य करता है।
  • डिस्क फार्मेटिंग – कम्प्यूटर में मेमोरी स्टोरेज डिवाइस को व्यवस्थित करना ताकि डेटा मेमोरी में आसानी स्टोर हो सके।
  • डिस्क फ्रेगमेन्ट – मेमोरी में अलग-अलग स्थानों पर बिखरी फाइलों को एक स्थान पर व्यवस्थित करने के लिए डिस्क फ्रेगमेन्ट का उपयोग किया जाता है। 

जैसे – Antivirus

Disk Compression

Disk Fragmenters

Backup

Recovery Software इत्यादि।

प्रोग्राम – निर्देशों के समूह या श्रृंखला को प्रोग्राम कहा जाता है जिसे कम्प्यूटर की भाषा में लिखा जाता है।

  • निर्देश – प्रोग्रामिंग भाषा में प्रोग्राम के लिए कोड लिखे जाते हैं, जिसे निर्देश भी कहा जा सकता है।
  • फ्रीवेयर – नि:शुल्क उपलब्ध कराये जाने वाले सॉफ्टवेयर फ्रीवेयर कहलाते हैं।
  • फर्मवेयर – यह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का संयोजन होता है। कम्प्यूटर की स्थायी मेमोरी रोम में कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिए आवश्यक कमाण्ड व निर्देश फर्मवेयर कहलाता है। जैसे – BIOS-ROM
  • एल्गोरिदम – प्रोग्राम या निर्देशों को चरणबद्ध लिखने की प्रक्रिया एल्गोरिदम कहलाती है, जिसे डॉक्यूमेन्ट में लिखा जाता है।
  • फ्लो चार्ट – एल्गोरिदम के चार्ट को फ्लोचार्ट कहते हैं, इससे Data के Flow को बताया जाता है।

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